अध्ा 4 – क ी के स द का अंग्रेजी...

66
187 अयाय 4 – कबीर के सबद का अंेजी अन वाद : म लयांकन 4.1 शद के तर पर 4.1.1 तसम शद 4.1.2 तव शद 4.1.3 देशज शद 4.1.4 ववदेशी शद 4.1.5 समास शद 4.1.6 नरतत शद 4.1.7 पाररभाविक शद 4.1.8 साक तक शद 4.1.9 लियतररत शद 4.2 वातय के तर पर 4.3 ोतत के तर पर

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187

अधयाय 4 ndash कबीर क सबद का अगरजी अनवाद मलयाकन

41 शबद क सतर पर

411 ततसम शबद

412 तदभव शबद

413 दशज शबद

414 ववदशी शबद

415 समास शबद

416 पनरकतत शबद

417 पाररभाविक शबद

418 साासकततक शबद

419 लिपयातररत शबद

42 वातय क सतर पर

43 परोकतत क सतर पर

188

कबीर क पद को सबद कहा गया ह जो गय रप म ह हहनदी साहहतयकोश क अनसार ndash ldquo lsquoसबदrsquo शबद का रपाातर ह वद शबदपरक ह और वद का अरथ हआ ndashजञान अतः शबद का अरथ हआ -जञानवहदक शबद अपौरिय मान गए ह और सात तरा नार ndashसापरदाय म गर की परततषठा बरमह क समान ही ह अतः गर की वाणी का नामकरण शबद gtसबद ltसबदी का परयोग उपदश क अरथ म हआ ह rdquo1 कबीर न lsquoसबदrsquo का परयोग चार अरो म ककया हndash (1) साधारणतः lsquoशबदrsquo का अरथ ऐसी धवतन समझा जाता ह कजसको हम कानो स सन सकत ह ककनत तातर योग अरवा साधना म lsquoसबदrsquo पाररभाविक शबद ह (2) शबद का दसरा अरथ ह ndashपरमाण (3) उस मातर को भी शबदकहत ह जो गर लशषय को दीकषा क अवसर पर दता ह (4)शबद पद क रप म भी परयतत होत ह कबीर की रचना म यतर-ततर lsquoशबद का परयोग इन चारो अरो म हआ ह ककनत पदो म मखय रप स lsquoआपत वचनrsquo और lsquoपद क लिए ही lsquoसबद का परयोग हआ हrdquo2 सामानयतः पदो की रचनाए राग रागतनयो म बाधी होती ह शबदो क लिए यह बबधान नहीा ह उपदशातमक और लसदाात तनरपक गय पदो को lsquoसबदीrsquo कहत ह अतः पद वाणी सबद तीनो ही पयाथयवाची शबद एक ही कावय रप क लिए परयतत हए ह

साखी क समान पदो को भी परमख दो रपो म ववभाकजत ककया जा सकता ह (1) िौककक भाव परधान (1)अिौककक भाव परधान साासाररक भावो और ववचारो स परभाववत होकर कह गए पद िौककक भाव परधान ह साखी क समान पदो को भी परमख दो रपो म ववभाकजत ककया जा सकता ह(1) िौककक भाव परधान (2)अिौककक भाव परधान साासररक भावो ववचारो स परभाववत होकर कह गए पद िौककक भाव परधान कह जा साकत ह कजसम धालमथक आडाबरो का खाडन करन वाि पद उपदशातमक तरा नीततपरक पद को सममलित ककय जा सकत ह कबीर न वणथ वयवसरा जाततवाद ऊच-नीच तरा धालमथक पाखाडी

1धीरदर वमाथ (सा) हहनदी साहहतयकोश 2009प -720 -721 2 जयदव लसाह वासदव लसाह कबीर वाङमय खाड 2 (सबद ) 2002 प-16 -17

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कियाकिाप पर तीखा परहार ककया ह उनहोन अपन समय क ववलभनन धमो म परचलित बाहयदमबर मानताओा ठठा उपासना पदततयो की अिग-अिग आिोचना की ह उपदशातमक पदो म भरलमत जीवो का जागत करन का परयतन ककया ह

साखी क समान पदो म भी परमख दो रपो म ववभाकजत ककया सकता ह (1) िौककक भाव परधान (2)अिौककक भाव परधान साासाररक भावो और ववचारो स परभाववत होकर कह गए पद िौककक भाव परधान ह साखी क समान पदो को भी परमख दो रपो म ववभाकजत ककया जा सकता ह(1) िौककक भाव परधान (2)अिौककक भाव परधान साासररक भावो ववचारो स परभाववत होकर कह गए पद िौककक भाव परधान कह जा साकत ह कजसम धालमथक आडाबरो का खाडन करन वाि पद उपदशातमक तरा नीततपरक पद को सकममलित ककए जा सकत ह कबीर न वणथ वयवसरा जाततवाद ऊा च -नीच तरा धाररक पाखाडी कियाकिाप पर तीखा परहार ककया ह

अिौककक भाव परधान पदो म वरागय साबाधी ववरह-लमिन क पद ह

इस अधयाय क अातगथत जी एन दास दवारा अनहदत पाठ (सबद का अागरजी अनवाद)- Love Songs of Kabir तरा Mystic Songs of Kabir का मलयााकन परसतत ककया जा रहा ह

41 शब द क ार रर

भािा की शकतत मितः उसक शबद सामरथ शबद योजना और शबद वयवसरा पर आधाररत ह शबद क माधयम स ही जीवन साबाधी नए ववचार नए भाव नए अनभव और नए मलय परसतत कर भािा को समद बनात ह परसतत अधयाय म भी वपछि अधयाय की तरह शबद क सतर पर ववलभनन नमनो क माधयम स अनवाद मलयााकन परसतत ककया जा रहा ह

190

411 ात सम शबद

तत सम का अरथ ह- उसक समान या ज यो का त यो ककसी भािा क मि शब द का तत सम कहत ह अागरजी भािा म तत सम क समानारथी अागरजी म कोई व याकरकणक कोहन नहीा ह क र भी मि पाठ म परयत त तत सम शब द को गरहण कर अनहदत भािा म अनवादक ककतना बोधगमय बनाया ह का मल यााकन तनम न उदाहरणो क माध यम स परस तत ककया जा रहा ह-

Love Songs of Kabir स

मल अनददा रसायन rotceN

(प46) (प46)

मल याकन- रसायन का शाकबदक अरथ पदारो का तत वगतजञान जराध वयािधनाशक ओििध (जस ववडागरस बराहमीरस) ह मि पाकतत म राम पर रसायन का आरोप स रपक सौदयथ सकजत ह यहा यह शब द परमानाद (ईश वरीय) क अरथ म परयत त ह अनहदत पाकतत म भी His name पर nector का आरोप ह nector का अरथ अमत होता ह ema sio को अिधक स पष न करन पर अनवादक अनवाद-पाठ म dr leNM

leoo परयतत ह कि लमिाकर रसायन लिए netor शब द परसागानकि अरथ सापरवित करता ह मल अनददा अपथण(प 54) Surrender(प 54)

191

मल याकन- मि पद म अपथण शब द भत त क दवारा ईश वर क भकतत भावना म अपना लसर अवपथत करन क अरथ म परयत त ह इसम भत त साासाररक वविय वासना स अनासतत होकर या त यागकर परमतत व क साधना म अपन आपको अवपथत करन का भाव ह अपथण का अनवाद Surrendrer ह कजसका अरथ ककसी मजबरी म स वया को स मवपथत करना होता ह यहा मिारथ सापरिण म बाधा उत पन न हो रही ह मल अनददा ततलमर Darken

(प 85) (प 85)

मल याकन- मि साखी म कबीर कहत ह कक शाम क गहर अाधकार होत ही हमार तन मन म गहर परम छा जाता ह मि पद म ततलमर अाधकार क लिए आया हअनवाद म उतत शबद क लिए darken उपयतत ह अनवादक मिारथ को परभावपणथ बनान क लिए nsNro स पहि Shadow का परयोग ह

मल अनददा परमानाद Highest bliss of happines

(प99) (प99)

मल याकन- यहा परमानाद का अरथ ईश वरीय अनभतत स ह भतत जब भकतत भावना क चरम कसरतत म होता ह तब उनम परम अनभतत कक कसरतत बनती हउस कषण म उस परम आननद की अनभतत होती ह अनवाद म अागरजी पदबाध क रप म lsquoHighest bliss of happinesrsquo का परयोग ह अनवाद स भी आनाद की चरम कसरतत का बोध हो रहा ह यह अनवाद म परयतत होकर आधयाकतमक

192

सतर का अरथ को वयतत करता ह िककन उतत मि शबद क लिए lsquoecstacyrsquo अिधक सनीक परयोग क रप म परसताववत ककया जा सकता ह

songs of kabir स मल अनददा

जर Mystic Austerities (र17)

ार Meditation (र17)

मल याकन- जप और तप शब द भारतीय समाज म धालमथक अरथ रखता ह जप आध यालमक साधना ह कजसस मातरो का माद स वर म उच चारण ककया जाता ह तप का अरथ धालमथक कडी साधना ह जप क लिए परयत त Austerities का शाकबदक अरथ तप तरा doMmcscme का अरथ ध यान होता ह कका त जप और तप का भारतीय सामाकजक सास कतत म जो अरथ व याप त ह उस य दोनो शब द व याकजत नहीा करता ह

मल अनददा परततमा reflection

(प68) (प69)

मल याकन- परस तत मि पाकतत म परततमा परततबबम ब क अरथ म परयत त ह मि पद म कबीर कहत ह कक जस एक कतता दपथण म अपना माह दखकर भौकता हआ मर जाता ह उसी तरह सामानय आदमी आतम ततव को ववसमत कर दता ह परततमा का अनवाद reflection स मिारथ अलभवयतत हो जाता ह

193

मि ndash आनाद (प-57) अनहदत ndash pleasure(प-57)

वववचन ndash यहा आनाद स तातपयथ आधयाकतमक खशी स हमि पद म कबीर कहत ह कक ह मर नन तम जञान का सागीत बजाओ कजसस तनकािन वाि राम क धवतन को सब कोई सन शबद धवतन क परभाव स राह-कत और नवगरह नाचन िग यमपर म आनाद छा गए यह आनाद कोई साधारण आनाद नहीा ह इस आनाद को अनवाद pleasure परी तरह वहन करन म सकषम नहीा ह

मल- बतरभवन (प68) अनददा ndash all universe (प-68)

वववचनndash मि पद म कबीर कहत ह कक मरा ईशवर तीनो िोक का सवामी ह अराथत पर बरहमााड का मालिक ह अनवाद स मि भाव तो वयतत हो जा रहा हककनत मि शबद का लमरकीय अरथ छन गया ह तीन िोक स तातपयथ पाताि िोक मतय िोक और सवगथ िोक स ह

मि- अनात (प-115) अनहदत -many (प-115)

वववचन ndash कबीर कहत ह कक परम कक कहानी अकथय ह उसक वविय म कछ कहा नहीा जा सकता ह परम रपी वकष स अनात ि लमित ह इस lsquoअनातrsquo की कोई सीमा नहीा ह many स lsquoकईrsquo का अरथ वयतत होता ह अनात का नहीा अतः उतत मि शबद क लिए many सनीक अनवाद नहीा ह

मि- वणथ (प-62) अनहदत ndash caste(प-62)

वववचन ndash हहनद समदाय म वणथ स तातपयथ स जातत समह की वयवसरा स ह चार समह बराहमण कषबतरय वशय और शदर आत ह कबीर न हमशा वणथ वयवसरा का ववरोध ककया ह यहा caste कम चिाऊ अनवाद ह जो वणथ वयवसरा की सचना नहीा दती ह यह आालशक अनवाद ह

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कछ और उदाहरण दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

1 सररता (प50) Stream(प50)

2 अनि (प52) Fire (प52)

3 यवागम (प 37) reptile(प37)

4 गगन (प 41) Sky(प41)

Mystic song of kabir स-

5 का चन (प126) Gold (प126)

6 सररता (प50) Stream(प50)

7 अनि (प52) Fire (प52)

8 यवागम (प37) reptile(प37)

9 गगन (प41) Sky(प41)

उपयथत त तत सम शब दो क मल यााकन स स पष न होता ह कक ववशि अरथ वाि शब दो (तत सम) क अनवाद स मिारथ पणथ रप स वयतत नहीा हो पा रहा ह

412 ादभव शब द-

तदभव शब द तत +भव स लमिकर बना ह कजसका अरथ उसस (सास कत स) उत पन न ऐस शब द जो सास कत और पराकत स ववकत होकर हहादी म आय ह तदभव कहिात हrdquo1 कबीर अपन काव य म सास कत शब द को अपन अनसार

1 वासदवनादन परसाद आधतनक हहनदी वयाकरण और रचना 2009 प 147

195

बबगाडकर सापरिणीय बनाया ह वह कजस भािा समाज म जात र उसी की भािा म पद को कहत र कबीर क पद म जो अागरजी व याकरण म तदभव शब द की कोई कोहन नहीा बाना गया ह अत अनवादक क लिए हहादी स अागरजी म अनहदत पाठ सकजत करन हत हहादी तदभव क समतल य शब द लमिन की साभावना नहीा बनती ह यहा अनहदत पाठ म ककस तरह तदभव शब दो क अरथ सौदयथ सरकषकषत ह का मल यााकन दरष नव य ह- Love songs of kabir स -

मल अनददा दरसन ne teio

(प71) (प71)

मल याकन- मि शब द दरसन(दशथन) का मि पद म आत मा का परमतत व स साकषात कार क अरथ म परयत त ह दरसन क लिए परयत त ne teio भावानवाद ह यह मिारथ को व याकजत नहीा कर रहा ह

मल अनददा परकालसया bearing

(प115) (प11)

मल याकन- मि पद म परकालसया शब द का सादभथगत अरथ यह ह कक गर क दवारा साधक को ईश वरीय जञान को बताना उत त शब द क लिए परयत त bearing शब द मिार (अध याकतमक अरथ) को बोध नहीा कराता

196

मल अनददा समरर Almighty

(प40) (प40)

मल याकन- मि शबद समरर समरथ का तदभव रप ह मि पद म परमतत व को समरर अराथत सवथशाकततमान बतया ह कबीर कहत ह कक र भाई वह हदन कब आएगा जब म वपरयतम राम स को आलिागन करा गा कजसक कारण म यह दह धारण ककया ह परमततव समरथ ईशवर राम मरी कामना परी करो अनवाद Almighty का अरथ भी सवथशकततमान होता ह जो मिारथ को सापरवित कर रहा ह

मल ndash उनमना (126) अनददा ndash deep meditation (126)

वववचन- उनमाना शबद उनमन का तदभव रप ह सात कवव म उनमना स आशय ह कक उनमना यह वह अवसरा ह चाचि साकलप ndash ववकलपातमक मन शाात हो जाता ह और इसस एक उचचतर चतना का आववभाथव होता ह तातरो म उनमना अरवा उनमनी अवसरा को मन स उपर की एक अवसरा कहा गया हभागवती चतना1 उनमना का सादभथगत अरथ यह ह कक एक बार मन परााततव म लमि जान पर पनः सासार की ओर परवत नहीा होता हन योिगयो क अनसार यह खचरी मदरा का पररणाम होता ह खचरी मदरा दवारा जो मन की उदातत अवसरा हो जाती ह उतत शबद का अनवाद deep meditationस पर सादभथ और अरथ वयाकजत नहीा होता ह उतत शबद क लिए अगरजी म पयाथय क अभाव म इस अलभवयकतत का परयोग ककया गया ह जो सामानय अरथ ही परदान करता ह

1 वासदव लसाह कबीर कावय कोश 2011 प-355

197

मल- परघन (प-126) अनददा- Manifest (प-126)

वववचन- परघन परकन का तदभव रप ह मि पद म कबीर कहत ह की अब मर शरीर म राम परकन हो गया ह कजसक कारण मरा शरीर सोन क समान शद हो गया ह अनवाद lsquomanifestrsquo मि का समानारथी शबद ह जो मि सादभथ स जडकर अनकि अरथ परदान का रहा ह

Mystic song of kabiir स -

मल अनददा तीरर esoNoM elsto

(प115) (प115)

मल याकन

परस तत शब द तीरर तीरथ स रान क अरथ म परयत त ह तीरथ स रान का हहाद धमथ म ववशि पौराकणक अरथ ह हहाद धमथ म माना जाता ह कक तीरथ स रान पर जान स िोग पण य अकजथत करत ह और उनक दवारा ककए गए पाप कानता ह ककन त esoNoM elsto स भारतीय (हहाद) मान यतानकि अरथ छवव को सापरवित नहीा करता यहा मिारथ आालशक रप म ही उतर पाया ह

मल अनददा बरत उपास feasting and fasting (प17) (प17)

मल याकन मि पद म बरस वरत तरा उपास उपवास का तदभव रप हवरत उपवास धालमथक कमथ ह कजसम िोग तनधाथररत अविध क क लिए बबना अनन गरहण का

198

रहत ह अनहदत पद म परयत त म feasting and fasting स तनकन अरथ व यत त होता ह

मल अनददा सराध (प-38) Saradh(प-38)

मल याकन मि पद म सराध शराद-कमथ क लिए परयत त शब द ह यह हहाद धमथ म एक ऐसा कमथकाणडी ववधान ह कजसम व यकतत क मरन क बाद शास तर म वकणथत वविध ववधान स उनक मत य क बाद एक अनषठातनक कमथ ककए जात ह मि पद म कबीर कहत ह कक जीववत वपता को िोग कन बात कहत ह और मरन क बाद शराद करत ह अनहदत पाकतत म मि का आशय का ी हद तक उतर रहा ह कका त शराद या सराध जस ववशि कमथकाणडी ववधान को ववभद नहीा हो पाता ह लिपयातररत अनवाद क लिए कहीा सपषनीकरण परसतत नहीा ककया गया ह

मल अनददा परमारर eole ecloN

(प53) (प53)

मल याकन

परमारर शब द परमारथ का तदभव रप ह कजसका अरथ उत कष न वस त तनत य और अबािधत पदारथ यरारथ तत व सत य परम बरहम मि पद म कबीर परमारर परमततव क लिए ही आया ह अनवाद स मि अरथ वयाकजत नहीा हो रहा ह अनवादक न मि का अरथ गरहण दसरो को कलयाण क लिए ककया ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह-

199

Love Songs of kabir --

मल अनददा

भरमत (प 124) To repeat moviong from square to square (प 125)

गपत (प 124) Secret (प 125)

Mystic songs of kabir स -

मल भावानवाद

परगठ (प53) Explained (प53)

भरतार (प 50) Lord (प 50)

उपयथत त तदभव शब दो क वववचन स स पष न होता ह कक अनवाद अध याकतमक अरथ वाि शब दो म कमजोर पडा ह अनवादक न कबीर क मि मातव य को अातरण करन म भावानवाद का सहारा लिया ह कका त पणथ स ि ह

413 दशज शबद

Mystic songs of Kabir स

मल- िबरा अनददा- passed for a speaker

मलयाकन- भारतीय समाज म लमथयावादी और गपप हाकन वाि को lsquoिबराrsquo कहा जाता ह अनवादक न lsquoelNsaorsquo क रप म मि का भावानवाद ldquopassed for a speakerrdquo ककया ह जो मि अरथ को सापरवित करता ह

मल- डगररया (प25) अनददा- NesM (प25)

200

मलयाकन- डगररया का अरथ होता ह मागथ पर रासता इतयाहद मि पद म ldquoडगररयाrdquo का सादलभथत अरथ ह ndash ऐसा मागथ जो परम तततव स लमिन कराता ह मि पद म डगररया स आधयाकतमक यकतत का बोध होता ह जो मि का अनवाद NesM म नहीा ह

मल- बावर (प25) अनददा- ir fNmo M (प25)

मलयाकन- बावर (बावि) शबद का शाकबदक अरथ होता ह पागि ववकषकषपत भारतीय समाज म िोग अपन आतमीय जनो को भी बावि कहकर साबोिधत करत ह कबीर न अपन पद म भकतत मागथ पर चिन वाि को lsquoबावरrsquo समबोिधत ककया ह अनवादक न परसागानसार भावानवाद ir fNmo M ककया ह जो मि भाव को वयतत करन म स ि ह

Love songs of Kabir स-

मल- रीझ (प78) अनददा- lmgllr elosaoM (प78)

वववचन- मि पद म रीझ स तातपयथ ldquoपरसननrdquo करना ह कबीर का ldquoमन ईशवरीय परम म मयर की तरह नाचrdquo रहा ह यह दखकर ईशवर भतत पर रीझ (अतत परसनन) होकर अनरतत हो गए ह अनवाद lmgllr elosaoM मि भाव को वयतत करन म समरथ ह

मल- रन (प79) अनददा- tsllm g leuMlr (प79)

वववचन- lsquoरनrsquo का अरथ होता ह ककसी शबद का बार-बार आवकतत या कौवो की बोिी मि पद म भतत दवारा ईशवर का बार-बार lsquoनाम-समरणrsquo क अरथ म lsquoरनrsquo शबद परयतत हआ ह lsquoभततrsquo ईशवर नाम-जप उसी तरह करता ह जस कोई पयासा पपीहा ldquoवपया-वपयाrdquo बार-बार बिाता ह अनवादक न उतत शबद का अनवाद tsllm g leuMlr ककया ह मि म lsquoवपया-वपयाrsquo करत हए बार-बार बिान

201

का बोध होता ह ककनत अनवाद म lsquoजोर स पकारनrsquo का भाव वयतत हो रहा ह अनवाद सनीक नहीा ह इसक बावजद मि मातवय सपषन हो जाता ह

मल- गड़डया (प165) अनददा नह

वववचन- ldquoगड़डयाrdquo बचचो क खिन का एक कखिौना होता ह अनवादक न उकी शबद का नौवाद छोड हदया ह उनहोन मि भाव को दकषन म रखत हए lsquoGive up now the childhood habits of playfulnessrsquo स खिन का बोध हो जाता ह

मल- बोरा (प142) अनददा- lsNsaaoM(प142)

वववचन- मि पद म बोरा का अरथ ह- डबोना कबीर कहत ह- मझ कलिकाि न साासाररक वविय म डबो हदया ह अनवादक न भावानवाद का सहारा लिया ह lsquoI am harassed by the ruinous urge of Kalirsquo स मि भाव सापरवित हो जाता ह lsquoKslmrsquo का ववलशषन सादभथगत अरथ lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल- बोझ (प166) अनददा- lesM(प167)

वववचन- मि शबद lsquoबोझrsquo का अरथ ह-भारी िगन वािी चीज मि पद की अाततम पाकतत म कबीर कहत ह हमको सासार की माया बाधन वविय-वासना रपी बोझ स कोई िगाव नहीा ह अनवादक न शाकबदक अनवाद ककया ह जो मिारथ को वयतत करन म समरथ ह

414 ववदशी शबद

ववदशी भािा स हहनदी आए शबदो को ववदशी शबद कहत ह ववदशी शबदो म अरबी ारसी तकी अागरजी इतयाहद स आगत शबदो की साखया अिधक ह कबीर दास अरबी ारसी शबदो का अिधक परयोग करत ह पदो म परयतत

202

ववदशी शबदो क लिए चयतनत अगरजी शबद मि अरथ भाव को का हा तक स ि वयतत करता ह अनवाद मलयााकन दवारा दरषनवय ह-

Love songs of kabir स-

मल - बदरदी (प-41) अनददा ndash unkind (प-41)

वववचन- मि lsquoबदरदीrsquo(बददी) ारसी शबद ह कजसका अरथ होता ह- कजसको दया न हो मि पद म कबीर न अपन (साई) परमतततव को बड अिधकार क सार तनदथय होन का आरोप िगाया ह lsquoबदरदीrsquo का अनवाद lsquounkindrsquo ह और lsquounkindrsquo स पहि lsquosorsquo का परयोग मि क समान परभावोतपादकता िान क लिए ककया गया ह मिारथ को वयतत करन म तनकन तक स ि ह

मल - फकीरवा (र-58) अनददा- Fakir (र-58)

वववचन- इसिाम धमथ क अातगथत भरमण करन वाि सात को lsquo कीरवाrsquo कहा जाता ह वह अलिाह (ईशवर) का भजन करता रहता ह और शरीर रकषा भर क लिए भीख माागता ह मि पद म कबीर न ईशवर को साबोिधत करत हय lsquo कीरrsquo कहा ह अनवादक न lsquoFakir क रप म लिपयातररत ककया ह और उसक सादभथगत अरो को (glossary) क अातगथत स ि रप म सपषन ककया गया ह

मल - आशशक (र-63) अनददा-beloved(र-63)

वववचन- इशक या परम करन वािो को आलशक (परमी) कहत ह यह अरबी शबद ह मि पद म lsquoआलशकrsquoशबद का सनदभथगत अरथ lsquoईशवर-अनरागीrsquo ह अनहदत पद म परयतत lsquobelovedrsquo स परसागानकि अरथ वयतत हो रहा ह इसक अततररतत उतत मि शबद का स ी सादभथ भी ह अनवादक न इस सादभथ को भलमका म सपषन ककया ह

203

मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

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मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

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मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

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वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

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कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

210

416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

214

स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

188

कबीर क पद को सबद कहा गया ह जो गय रप म ह हहनदी साहहतयकोश क अनसार ndash ldquo lsquoसबदrsquo शबद का रपाातर ह वद शबदपरक ह और वद का अरथ हआ ndashजञान अतः शबद का अरथ हआ -जञानवहदक शबद अपौरिय मान गए ह और सात तरा नार ndashसापरदाय म गर की परततषठा बरमह क समान ही ह अतः गर की वाणी का नामकरण शबद gtसबद ltसबदी का परयोग उपदश क अरथ म हआ ह rdquo1 कबीर न lsquoसबदrsquo का परयोग चार अरो म ककया हndash (1) साधारणतः lsquoशबदrsquo का अरथ ऐसी धवतन समझा जाता ह कजसको हम कानो स सन सकत ह ककनत तातर योग अरवा साधना म lsquoसबदrsquo पाररभाविक शबद ह (2) शबद का दसरा अरथ ह ndashपरमाण (3) उस मातर को भी शबदकहत ह जो गर लशषय को दीकषा क अवसर पर दता ह (4)शबद पद क रप म भी परयतत होत ह कबीर की रचना म यतर-ततर lsquoशबद का परयोग इन चारो अरो म हआ ह ककनत पदो म मखय रप स lsquoआपत वचनrsquo और lsquoपद क लिए ही lsquoसबद का परयोग हआ हrdquo2 सामानयतः पदो की रचनाए राग रागतनयो म बाधी होती ह शबदो क लिए यह बबधान नहीा ह उपदशातमक और लसदाात तनरपक गय पदो को lsquoसबदीrsquo कहत ह अतः पद वाणी सबद तीनो ही पयाथयवाची शबद एक ही कावय रप क लिए परयतत हए ह

साखी क समान पदो को भी परमख दो रपो म ववभाकजत ककया जा सकता ह (1) िौककक भाव परधान (1)अिौककक भाव परधान साासाररक भावो और ववचारो स परभाववत होकर कह गए पद िौककक भाव परधान ह साखी क समान पदो को भी परमख दो रपो म ववभाकजत ककया जा सकता ह(1) िौककक भाव परधान (2)अिौककक भाव परधान साासररक भावो ववचारो स परभाववत होकर कह गए पद िौककक भाव परधान कह जा साकत ह कजसम धालमथक आडाबरो का खाडन करन वाि पद उपदशातमक तरा नीततपरक पद को सममलित ककय जा सकत ह कबीर न वणथ वयवसरा जाततवाद ऊच-नीच तरा धालमथक पाखाडी

1धीरदर वमाथ (सा) हहनदी साहहतयकोश 2009प -720 -721 2 जयदव लसाह वासदव लसाह कबीर वाङमय खाड 2 (सबद ) 2002 प-16 -17

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कियाकिाप पर तीखा परहार ककया ह उनहोन अपन समय क ववलभनन धमो म परचलित बाहयदमबर मानताओा ठठा उपासना पदततयो की अिग-अिग आिोचना की ह उपदशातमक पदो म भरलमत जीवो का जागत करन का परयतन ककया ह

साखी क समान पदो म भी परमख दो रपो म ववभाकजत ककया सकता ह (1) िौककक भाव परधान (2)अिौककक भाव परधान साासाररक भावो और ववचारो स परभाववत होकर कह गए पद िौककक भाव परधान ह साखी क समान पदो को भी परमख दो रपो म ववभाकजत ककया जा सकता ह(1) िौककक भाव परधान (2)अिौककक भाव परधान साासररक भावो ववचारो स परभाववत होकर कह गए पद िौककक भाव परधान कह जा साकत ह कजसम धालमथक आडाबरो का खाडन करन वाि पद उपदशातमक तरा नीततपरक पद को सकममलित ककए जा सकत ह कबीर न वणथ वयवसरा जाततवाद ऊा च -नीच तरा धाररक पाखाडी कियाकिाप पर तीखा परहार ककया ह

अिौककक भाव परधान पदो म वरागय साबाधी ववरह-लमिन क पद ह

इस अधयाय क अातगथत जी एन दास दवारा अनहदत पाठ (सबद का अागरजी अनवाद)- Love Songs of Kabir तरा Mystic Songs of Kabir का मलयााकन परसतत ककया जा रहा ह

41 शब द क ार रर

भािा की शकतत मितः उसक शबद सामरथ शबद योजना और शबद वयवसरा पर आधाररत ह शबद क माधयम स ही जीवन साबाधी नए ववचार नए भाव नए अनभव और नए मलय परसतत कर भािा को समद बनात ह परसतत अधयाय म भी वपछि अधयाय की तरह शबद क सतर पर ववलभनन नमनो क माधयम स अनवाद मलयााकन परसतत ककया जा रहा ह

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411 ात सम शबद

तत सम का अरथ ह- उसक समान या ज यो का त यो ककसी भािा क मि शब द का तत सम कहत ह अागरजी भािा म तत सम क समानारथी अागरजी म कोई व याकरकणक कोहन नहीा ह क र भी मि पाठ म परयत त तत सम शब द को गरहण कर अनहदत भािा म अनवादक ककतना बोधगमय बनाया ह का मल यााकन तनम न उदाहरणो क माध यम स परस तत ककया जा रहा ह-

Love Songs of Kabir स

मल अनददा रसायन rotceN

(प46) (प46)

मल याकन- रसायन का शाकबदक अरथ पदारो का तत वगतजञान जराध वयािधनाशक ओििध (जस ववडागरस बराहमीरस) ह मि पाकतत म राम पर रसायन का आरोप स रपक सौदयथ सकजत ह यहा यह शब द परमानाद (ईश वरीय) क अरथ म परयत त ह अनहदत पाकतत म भी His name पर nector का आरोप ह nector का अरथ अमत होता ह ema sio को अिधक स पष न करन पर अनवादक अनवाद-पाठ म dr leNM

leoo परयतत ह कि लमिाकर रसायन लिए netor शब द परसागानकि अरथ सापरवित करता ह मल अनददा अपथण(प 54) Surrender(प 54)

191

मल याकन- मि पद म अपथण शब द भत त क दवारा ईश वर क भकतत भावना म अपना लसर अवपथत करन क अरथ म परयत त ह इसम भत त साासाररक वविय वासना स अनासतत होकर या त यागकर परमतत व क साधना म अपन आपको अवपथत करन का भाव ह अपथण का अनवाद Surrendrer ह कजसका अरथ ककसी मजबरी म स वया को स मवपथत करना होता ह यहा मिारथ सापरिण म बाधा उत पन न हो रही ह मल अनददा ततलमर Darken

(प 85) (प 85)

मल याकन- मि साखी म कबीर कहत ह कक शाम क गहर अाधकार होत ही हमार तन मन म गहर परम छा जाता ह मि पद म ततलमर अाधकार क लिए आया हअनवाद म उतत शबद क लिए darken उपयतत ह अनवादक मिारथ को परभावपणथ बनान क लिए nsNro स पहि Shadow का परयोग ह

मल अनददा परमानाद Highest bliss of happines

(प99) (प99)

मल याकन- यहा परमानाद का अरथ ईश वरीय अनभतत स ह भतत जब भकतत भावना क चरम कसरतत म होता ह तब उनम परम अनभतत कक कसरतत बनती हउस कषण म उस परम आननद की अनभतत होती ह अनवाद म अागरजी पदबाध क रप म lsquoHighest bliss of happinesrsquo का परयोग ह अनवाद स भी आनाद की चरम कसरतत का बोध हो रहा ह यह अनवाद म परयतत होकर आधयाकतमक

192

सतर का अरथ को वयतत करता ह िककन उतत मि शबद क लिए lsquoecstacyrsquo अिधक सनीक परयोग क रप म परसताववत ककया जा सकता ह

songs of kabir स मल अनददा

जर Mystic Austerities (र17)

ार Meditation (र17)

मल याकन- जप और तप शब द भारतीय समाज म धालमथक अरथ रखता ह जप आध यालमक साधना ह कजसस मातरो का माद स वर म उच चारण ककया जाता ह तप का अरथ धालमथक कडी साधना ह जप क लिए परयत त Austerities का शाकबदक अरथ तप तरा doMmcscme का अरथ ध यान होता ह कका त जप और तप का भारतीय सामाकजक सास कतत म जो अरथ व याप त ह उस य दोनो शब द व याकजत नहीा करता ह

मल अनददा परततमा reflection

(प68) (प69)

मल याकन- परस तत मि पाकतत म परततमा परततबबम ब क अरथ म परयत त ह मि पद म कबीर कहत ह कक जस एक कतता दपथण म अपना माह दखकर भौकता हआ मर जाता ह उसी तरह सामानय आदमी आतम ततव को ववसमत कर दता ह परततमा का अनवाद reflection स मिारथ अलभवयतत हो जाता ह

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मि ndash आनाद (प-57) अनहदत ndash pleasure(प-57)

वववचन ndash यहा आनाद स तातपयथ आधयाकतमक खशी स हमि पद म कबीर कहत ह कक ह मर नन तम जञान का सागीत बजाओ कजसस तनकािन वाि राम क धवतन को सब कोई सन शबद धवतन क परभाव स राह-कत और नवगरह नाचन िग यमपर म आनाद छा गए यह आनाद कोई साधारण आनाद नहीा ह इस आनाद को अनवाद pleasure परी तरह वहन करन म सकषम नहीा ह

मल- बतरभवन (प68) अनददा ndash all universe (प-68)

वववचनndash मि पद म कबीर कहत ह कक मरा ईशवर तीनो िोक का सवामी ह अराथत पर बरहमााड का मालिक ह अनवाद स मि भाव तो वयतत हो जा रहा हककनत मि शबद का लमरकीय अरथ छन गया ह तीन िोक स तातपयथ पाताि िोक मतय िोक और सवगथ िोक स ह

मि- अनात (प-115) अनहदत -many (प-115)

वववचन ndash कबीर कहत ह कक परम कक कहानी अकथय ह उसक वविय म कछ कहा नहीा जा सकता ह परम रपी वकष स अनात ि लमित ह इस lsquoअनातrsquo की कोई सीमा नहीा ह many स lsquoकईrsquo का अरथ वयतत होता ह अनात का नहीा अतः उतत मि शबद क लिए many सनीक अनवाद नहीा ह

मि- वणथ (प-62) अनहदत ndash caste(प-62)

वववचन ndash हहनद समदाय म वणथ स तातपयथ स जातत समह की वयवसरा स ह चार समह बराहमण कषबतरय वशय और शदर आत ह कबीर न हमशा वणथ वयवसरा का ववरोध ककया ह यहा caste कम चिाऊ अनवाद ह जो वणथ वयवसरा की सचना नहीा दती ह यह आालशक अनवाद ह

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कछ और उदाहरण दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

1 सररता (प50) Stream(प50)

2 अनि (प52) Fire (प52)

3 यवागम (प 37) reptile(प37)

4 गगन (प 41) Sky(प41)

Mystic song of kabir स-

5 का चन (प126) Gold (प126)

6 सररता (प50) Stream(प50)

7 अनि (प52) Fire (प52)

8 यवागम (प37) reptile(प37)

9 गगन (प41) Sky(प41)

उपयथत त तत सम शब दो क मल यााकन स स पष न होता ह कक ववशि अरथ वाि शब दो (तत सम) क अनवाद स मिारथ पणथ रप स वयतत नहीा हो पा रहा ह

412 ादभव शब द-

तदभव शब द तत +भव स लमिकर बना ह कजसका अरथ उसस (सास कत स) उत पन न ऐस शब द जो सास कत और पराकत स ववकत होकर हहादी म आय ह तदभव कहिात हrdquo1 कबीर अपन काव य म सास कत शब द को अपन अनसार

1 वासदवनादन परसाद आधतनक हहनदी वयाकरण और रचना 2009 प 147

195

बबगाडकर सापरिणीय बनाया ह वह कजस भािा समाज म जात र उसी की भािा म पद को कहत र कबीर क पद म जो अागरजी व याकरण म तदभव शब द की कोई कोहन नहीा बाना गया ह अत अनवादक क लिए हहादी स अागरजी म अनहदत पाठ सकजत करन हत हहादी तदभव क समतल य शब द लमिन की साभावना नहीा बनती ह यहा अनहदत पाठ म ककस तरह तदभव शब दो क अरथ सौदयथ सरकषकषत ह का मल यााकन दरष नव य ह- Love songs of kabir स -

मल अनददा दरसन ne teio

(प71) (प71)

मल याकन- मि शब द दरसन(दशथन) का मि पद म आत मा का परमतत व स साकषात कार क अरथ म परयत त ह दरसन क लिए परयत त ne teio भावानवाद ह यह मिारथ को व याकजत नहीा कर रहा ह

मल अनददा परकालसया bearing

(प115) (प11)

मल याकन- मि पद म परकालसया शब द का सादभथगत अरथ यह ह कक गर क दवारा साधक को ईश वरीय जञान को बताना उत त शब द क लिए परयत त bearing शब द मिार (अध याकतमक अरथ) को बोध नहीा कराता

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मल अनददा समरर Almighty

(प40) (प40)

मल याकन- मि शबद समरर समरथ का तदभव रप ह मि पद म परमतत व को समरर अराथत सवथशाकततमान बतया ह कबीर कहत ह कक र भाई वह हदन कब आएगा जब म वपरयतम राम स को आलिागन करा गा कजसक कारण म यह दह धारण ककया ह परमततव समरथ ईशवर राम मरी कामना परी करो अनवाद Almighty का अरथ भी सवथशकततमान होता ह जो मिारथ को सापरवित कर रहा ह

मल ndash उनमना (126) अनददा ndash deep meditation (126)

वववचन- उनमाना शबद उनमन का तदभव रप ह सात कवव म उनमना स आशय ह कक उनमना यह वह अवसरा ह चाचि साकलप ndash ववकलपातमक मन शाात हो जाता ह और इसस एक उचचतर चतना का आववभाथव होता ह तातरो म उनमना अरवा उनमनी अवसरा को मन स उपर की एक अवसरा कहा गया हभागवती चतना1 उनमना का सादभथगत अरथ यह ह कक एक बार मन परााततव म लमि जान पर पनः सासार की ओर परवत नहीा होता हन योिगयो क अनसार यह खचरी मदरा का पररणाम होता ह खचरी मदरा दवारा जो मन की उदातत अवसरा हो जाती ह उतत शबद का अनवाद deep meditationस पर सादभथ और अरथ वयाकजत नहीा होता ह उतत शबद क लिए अगरजी म पयाथय क अभाव म इस अलभवयकतत का परयोग ककया गया ह जो सामानय अरथ ही परदान करता ह

1 वासदव लसाह कबीर कावय कोश 2011 प-355

197

मल- परघन (प-126) अनददा- Manifest (प-126)

वववचन- परघन परकन का तदभव रप ह मि पद म कबीर कहत ह की अब मर शरीर म राम परकन हो गया ह कजसक कारण मरा शरीर सोन क समान शद हो गया ह अनवाद lsquomanifestrsquo मि का समानारथी शबद ह जो मि सादभथ स जडकर अनकि अरथ परदान का रहा ह

Mystic song of kabiir स -

मल अनददा तीरर esoNoM elsto

(प115) (प115)

मल याकन

परस तत शब द तीरर तीरथ स रान क अरथ म परयत त ह तीरथ स रान का हहाद धमथ म ववशि पौराकणक अरथ ह हहाद धमथ म माना जाता ह कक तीरथ स रान पर जान स िोग पण य अकजथत करत ह और उनक दवारा ककए गए पाप कानता ह ककन त esoNoM elsto स भारतीय (हहाद) मान यतानकि अरथ छवव को सापरवित नहीा करता यहा मिारथ आालशक रप म ही उतर पाया ह

मल अनददा बरत उपास feasting and fasting (प17) (प17)

मल याकन मि पद म बरस वरत तरा उपास उपवास का तदभव रप हवरत उपवास धालमथक कमथ ह कजसम िोग तनधाथररत अविध क क लिए बबना अनन गरहण का

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रहत ह अनहदत पद म परयत त म feasting and fasting स तनकन अरथ व यत त होता ह

मल अनददा सराध (प-38) Saradh(प-38)

मल याकन मि पद म सराध शराद-कमथ क लिए परयत त शब द ह यह हहाद धमथ म एक ऐसा कमथकाणडी ववधान ह कजसम व यकतत क मरन क बाद शास तर म वकणथत वविध ववधान स उनक मत य क बाद एक अनषठातनक कमथ ककए जात ह मि पद म कबीर कहत ह कक जीववत वपता को िोग कन बात कहत ह और मरन क बाद शराद करत ह अनहदत पाकतत म मि का आशय का ी हद तक उतर रहा ह कका त शराद या सराध जस ववशि कमथकाणडी ववधान को ववभद नहीा हो पाता ह लिपयातररत अनवाद क लिए कहीा सपषनीकरण परसतत नहीा ककया गया ह

मल अनददा परमारर eole ecloN

(प53) (प53)

मल याकन

परमारर शब द परमारथ का तदभव रप ह कजसका अरथ उत कष न वस त तनत य और अबािधत पदारथ यरारथ तत व सत य परम बरहम मि पद म कबीर परमारर परमततव क लिए ही आया ह अनवाद स मि अरथ वयाकजत नहीा हो रहा ह अनवादक न मि का अरथ गरहण दसरो को कलयाण क लिए ककया ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह-

199

Love Songs of kabir --

मल अनददा

भरमत (प 124) To repeat moviong from square to square (प 125)

गपत (प 124) Secret (प 125)

Mystic songs of kabir स -

मल भावानवाद

परगठ (प53) Explained (प53)

भरतार (प 50) Lord (प 50)

उपयथत त तदभव शब दो क वववचन स स पष न होता ह कक अनवाद अध याकतमक अरथ वाि शब दो म कमजोर पडा ह अनवादक न कबीर क मि मातव य को अातरण करन म भावानवाद का सहारा लिया ह कका त पणथ स ि ह

413 दशज शबद

Mystic songs of Kabir स

मल- िबरा अनददा- passed for a speaker

मलयाकन- भारतीय समाज म लमथयावादी और गपप हाकन वाि को lsquoिबराrsquo कहा जाता ह अनवादक न lsquoelNsaorsquo क रप म मि का भावानवाद ldquopassed for a speakerrdquo ककया ह जो मि अरथ को सापरवित करता ह

मल- डगररया (प25) अनददा- NesM (प25)

200

मलयाकन- डगररया का अरथ होता ह मागथ पर रासता इतयाहद मि पद म ldquoडगररयाrdquo का सादलभथत अरथ ह ndash ऐसा मागथ जो परम तततव स लमिन कराता ह मि पद म डगररया स आधयाकतमक यकतत का बोध होता ह जो मि का अनवाद NesM म नहीा ह

मल- बावर (प25) अनददा- ir fNmo M (प25)

मलयाकन- बावर (बावि) शबद का शाकबदक अरथ होता ह पागि ववकषकषपत भारतीय समाज म िोग अपन आतमीय जनो को भी बावि कहकर साबोिधत करत ह कबीर न अपन पद म भकतत मागथ पर चिन वाि को lsquoबावरrsquo समबोिधत ककया ह अनवादक न परसागानसार भावानवाद ir fNmo M ककया ह जो मि भाव को वयतत करन म स ि ह

Love songs of Kabir स-

मल- रीझ (प78) अनददा- lmgllr elosaoM (प78)

वववचन- मि पद म रीझ स तातपयथ ldquoपरसननrdquo करना ह कबीर का ldquoमन ईशवरीय परम म मयर की तरह नाचrdquo रहा ह यह दखकर ईशवर भतत पर रीझ (अतत परसनन) होकर अनरतत हो गए ह अनवाद lmgllr elosaoM मि भाव को वयतत करन म समरथ ह

मल- रन (प79) अनददा- tsllm g leuMlr (प79)

वववचन- lsquoरनrsquo का अरथ होता ह ककसी शबद का बार-बार आवकतत या कौवो की बोिी मि पद म भतत दवारा ईशवर का बार-बार lsquoनाम-समरणrsquo क अरथ म lsquoरनrsquo शबद परयतत हआ ह lsquoभततrsquo ईशवर नाम-जप उसी तरह करता ह जस कोई पयासा पपीहा ldquoवपया-वपयाrdquo बार-बार बिाता ह अनवादक न उतत शबद का अनवाद tsllm g leuMlr ककया ह मि म lsquoवपया-वपयाrsquo करत हए बार-बार बिान

201

का बोध होता ह ककनत अनवाद म lsquoजोर स पकारनrsquo का भाव वयतत हो रहा ह अनवाद सनीक नहीा ह इसक बावजद मि मातवय सपषन हो जाता ह

मल- गड़डया (प165) अनददा नह

वववचन- ldquoगड़डयाrdquo बचचो क खिन का एक कखिौना होता ह अनवादक न उकी शबद का नौवाद छोड हदया ह उनहोन मि भाव को दकषन म रखत हए lsquoGive up now the childhood habits of playfulnessrsquo स खिन का बोध हो जाता ह

मल- बोरा (प142) अनददा- lsNsaaoM(प142)

वववचन- मि पद म बोरा का अरथ ह- डबोना कबीर कहत ह- मझ कलिकाि न साासाररक वविय म डबो हदया ह अनवादक न भावानवाद का सहारा लिया ह lsquoI am harassed by the ruinous urge of Kalirsquo स मि भाव सापरवित हो जाता ह lsquoKslmrsquo का ववलशषन सादभथगत अरथ lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल- बोझ (प166) अनददा- lesM(प167)

वववचन- मि शबद lsquoबोझrsquo का अरथ ह-भारी िगन वािी चीज मि पद की अाततम पाकतत म कबीर कहत ह हमको सासार की माया बाधन वविय-वासना रपी बोझ स कोई िगाव नहीा ह अनवादक न शाकबदक अनवाद ककया ह जो मिारथ को वयतत करन म समरथ ह

414 ववदशी शबद

ववदशी भािा स हहनदी आए शबदो को ववदशी शबद कहत ह ववदशी शबदो म अरबी ारसी तकी अागरजी इतयाहद स आगत शबदो की साखया अिधक ह कबीर दास अरबी ारसी शबदो का अिधक परयोग करत ह पदो म परयतत

202

ववदशी शबदो क लिए चयतनत अगरजी शबद मि अरथ भाव को का हा तक स ि वयतत करता ह अनवाद मलयााकन दवारा दरषनवय ह-

Love songs of kabir स-

मल - बदरदी (प-41) अनददा ndash unkind (प-41)

वववचन- मि lsquoबदरदीrsquo(बददी) ारसी शबद ह कजसका अरथ होता ह- कजसको दया न हो मि पद म कबीर न अपन (साई) परमतततव को बड अिधकार क सार तनदथय होन का आरोप िगाया ह lsquoबदरदीrsquo का अनवाद lsquounkindrsquo ह और lsquounkindrsquo स पहि lsquosorsquo का परयोग मि क समान परभावोतपादकता िान क लिए ककया गया ह मिारथ को वयतत करन म तनकन तक स ि ह

मल - फकीरवा (र-58) अनददा- Fakir (र-58)

वववचन- इसिाम धमथ क अातगथत भरमण करन वाि सात को lsquo कीरवाrsquo कहा जाता ह वह अलिाह (ईशवर) का भजन करता रहता ह और शरीर रकषा भर क लिए भीख माागता ह मि पद म कबीर न ईशवर को साबोिधत करत हय lsquo कीरrsquo कहा ह अनवादक न lsquoFakir क रप म लिपयातररत ककया ह और उसक सादभथगत अरो को (glossary) क अातगथत स ि रप म सपषन ककया गया ह

मल - आशशक (र-63) अनददा-beloved(र-63)

वववचन- इशक या परम करन वािो को आलशक (परमी) कहत ह यह अरबी शबद ह मि पद म lsquoआलशकrsquoशबद का सनदभथगत अरथ lsquoईशवर-अनरागीrsquo ह अनहदत पद म परयतत lsquobelovedrsquo स परसागानकि अरथ वयतत हो रहा ह इसक अततररतत उतत मि शबद का स ी सादभथ भी ह अनवादक न इस सादभथ को भलमका म सपषन ककया ह

203

मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

204

मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

205

मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

206

वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

208

कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

210

416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

211

परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

212

ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

213

वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

214

स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

215

क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

189

कियाकिाप पर तीखा परहार ककया ह उनहोन अपन समय क ववलभनन धमो म परचलित बाहयदमबर मानताओा ठठा उपासना पदततयो की अिग-अिग आिोचना की ह उपदशातमक पदो म भरलमत जीवो का जागत करन का परयतन ककया ह

साखी क समान पदो म भी परमख दो रपो म ववभाकजत ककया सकता ह (1) िौककक भाव परधान (2)अिौककक भाव परधान साासाररक भावो और ववचारो स परभाववत होकर कह गए पद िौककक भाव परधान ह साखी क समान पदो को भी परमख दो रपो म ववभाकजत ककया जा सकता ह(1) िौककक भाव परधान (2)अिौककक भाव परधान साासररक भावो ववचारो स परभाववत होकर कह गए पद िौककक भाव परधान कह जा साकत ह कजसम धालमथक आडाबरो का खाडन करन वाि पद उपदशातमक तरा नीततपरक पद को सकममलित ककए जा सकत ह कबीर न वणथ वयवसरा जाततवाद ऊा च -नीच तरा धाररक पाखाडी कियाकिाप पर तीखा परहार ककया ह

अिौककक भाव परधान पदो म वरागय साबाधी ववरह-लमिन क पद ह

इस अधयाय क अातगथत जी एन दास दवारा अनहदत पाठ (सबद का अागरजी अनवाद)- Love Songs of Kabir तरा Mystic Songs of Kabir का मलयााकन परसतत ककया जा रहा ह

41 शब द क ार रर

भािा की शकतत मितः उसक शबद सामरथ शबद योजना और शबद वयवसरा पर आधाररत ह शबद क माधयम स ही जीवन साबाधी नए ववचार नए भाव नए अनभव और नए मलय परसतत कर भािा को समद बनात ह परसतत अधयाय म भी वपछि अधयाय की तरह शबद क सतर पर ववलभनन नमनो क माधयम स अनवाद मलयााकन परसतत ककया जा रहा ह

190

411 ात सम शबद

तत सम का अरथ ह- उसक समान या ज यो का त यो ककसी भािा क मि शब द का तत सम कहत ह अागरजी भािा म तत सम क समानारथी अागरजी म कोई व याकरकणक कोहन नहीा ह क र भी मि पाठ म परयत त तत सम शब द को गरहण कर अनहदत भािा म अनवादक ककतना बोधगमय बनाया ह का मल यााकन तनम न उदाहरणो क माध यम स परस तत ककया जा रहा ह-

Love Songs of Kabir स

मल अनददा रसायन rotceN

(प46) (प46)

मल याकन- रसायन का शाकबदक अरथ पदारो का तत वगतजञान जराध वयािधनाशक ओििध (जस ववडागरस बराहमीरस) ह मि पाकतत म राम पर रसायन का आरोप स रपक सौदयथ सकजत ह यहा यह शब द परमानाद (ईश वरीय) क अरथ म परयत त ह अनहदत पाकतत म भी His name पर nector का आरोप ह nector का अरथ अमत होता ह ema sio को अिधक स पष न करन पर अनवादक अनवाद-पाठ म dr leNM

leoo परयतत ह कि लमिाकर रसायन लिए netor शब द परसागानकि अरथ सापरवित करता ह मल अनददा अपथण(प 54) Surrender(प 54)

191

मल याकन- मि पद म अपथण शब द भत त क दवारा ईश वर क भकतत भावना म अपना लसर अवपथत करन क अरथ म परयत त ह इसम भत त साासाररक वविय वासना स अनासतत होकर या त यागकर परमतत व क साधना म अपन आपको अवपथत करन का भाव ह अपथण का अनवाद Surrendrer ह कजसका अरथ ककसी मजबरी म स वया को स मवपथत करना होता ह यहा मिारथ सापरिण म बाधा उत पन न हो रही ह मल अनददा ततलमर Darken

(प 85) (प 85)

मल याकन- मि साखी म कबीर कहत ह कक शाम क गहर अाधकार होत ही हमार तन मन म गहर परम छा जाता ह मि पद म ततलमर अाधकार क लिए आया हअनवाद म उतत शबद क लिए darken उपयतत ह अनवादक मिारथ को परभावपणथ बनान क लिए nsNro स पहि Shadow का परयोग ह

मल अनददा परमानाद Highest bliss of happines

(प99) (प99)

मल याकन- यहा परमानाद का अरथ ईश वरीय अनभतत स ह भतत जब भकतत भावना क चरम कसरतत म होता ह तब उनम परम अनभतत कक कसरतत बनती हउस कषण म उस परम आननद की अनभतत होती ह अनवाद म अागरजी पदबाध क रप म lsquoHighest bliss of happinesrsquo का परयोग ह अनवाद स भी आनाद की चरम कसरतत का बोध हो रहा ह यह अनवाद म परयतत होकर आधयाकतमक

192

सतर का अरथ को वयतत करता ह िककन उतत मि शबद क लिए lsquoecstacyrsquo अिधक सनीक परयोग क रप म परसताववत ककया जा सकता ह

songs of kabir स मल अनददा

जर Mystic Austerities (र17)

ार Meditation (र17)

मल याकन- जप और तप शब द भारतीय समाज म धालमथक अरथ रखता ह जप आध यालमक साधना ह कजसस मातरो का माद स वर म उच चारण ककया जाता ह तप का अरथ धालमथक कडी साधना ह जप क लिए परयत त Austerities का शाकबदक अरथ तप तरा doMmcscme का अरथ ध यान होता ह कका त जप और तप का भारतीय सामाकजक सास कतत म जो अरथ व याप त ह उस य दोनो शब द व याकजत नहीा करता ह

मल अनददा परततमा reflection

(प68) (प69)

मल याकन- परस तत मि पाकतत म परततमा परततबबम ब क अरथ म परयत त ह मि पद म कबीर कहत ह कक जस एक कतता दपथण म अपना माह दखकर भौकता हआ मर जाता ह उसी तरह सामानय आदमी आतम ततव को ववसमत कर दता ह परततमा का अनवाद reflection स मिारथ अलभवयतत हो जाता ह

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मि ndash आनाद (प-57) अनहदत ndash pleasure(प-57)

वववचन ndash यहा आनाद स तातपयथ आधयाकतमक खशी स हमि पद म कबीर कहत ह कक ह मर नन तम जञान का सागीत बजाओ कजसस तनकािन वाि राम क धवतन को सब कोई सन शबद धवतन क परभाव स राह-कत और नवगरह नाचन िग यमपर म आनाद छा गए यह आनाद कोई साधारण आनाद नहीा ह इस आनाद को अनवाद pleasure परी तरह वहन करन म सकषम नहीा ह

मल- बतरभवन (प68) अनददा ndash all universe (प-68)

वववचनndash मि पद म कबीर कहत ह कक मरा ईशवर तीनो िोक का सवामी ह अराथत पर बरहमााड का मालिक ह अनवाद स मि भाव तो वयतत हो जा रहा हककनत मि शबद का लमरकीय अरथ छन गया ह तीन िोक स तातपयथ पाताि िोक मतय िोक और सवगथ िोक स ह

मि- अनात (प-115) अनहदत -many (प-115)

वववचन ndash कबीर कहत ह कक परम कक कहानी अकथय ह उसक वविय म कछ कहा नहीा जा सकता ह परम रपी वकष स अनात ि लमित ह इस lsquoअनातrsquo की कोई सीमा नहीा ह many स lsquoकईrsquo का अरथ वयतत होता ह अनात का नहीा अतः उतत मि शबद क लिए many सनीक अनवाद नहीा ह

मि- वणथ (प-62) अनहदत ndash caste(प-62)

वववचन ndash हहनद समदाय म वणथ स तातपयथ स जातत समह की वयवसरा स ह चार समह बराहमण कषबतरय वशय और शदर आत ह कबीर न हमशा वणथ वयवसरा का ववरोध ककया ह यहा caste कम चिाऊ अनवाद ह जो वणथ वयवसरा की सचना नहीा दती ह यह आालशक अनवाद ह

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कछ और उदाहरण दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

1 सररता (प50) Stream(प50)

2 अनि (प52) Fire (प52)

3 यवागम (प 37) reptile(प37)

4 गगन (प 41) Sky(प41)

Mystic song of kabir स-

5 का चन (प126) Gold (प126)

6 सररता (प50) Stream(प50)

7 अनि (प52) Fire (प52)

8 यवागम (प37) reptile(प37)

9 गगन (प41) Sky(प41)

उपयथत त तत सम शब दो क मल यााकन स स पष न होता ह कक ववशि अरथ वाि शब दो (तत सम) क अनवाद स मिारथ पणथ रप स वयतत नहीा हो पा रहा ह

412 ादभव शब द-

तदभव शब द तत +भव स लमिकर बना ह कजसका अरथ उसस (सास कत स) उत पन न ऐस शब द जो सास कत और पराकत स ववकत होकर हहादी म आय ह तदभव कहिात हrdquo1 कबीर अपन काव य म सास कत शब द को अपन अनसार

1 वासदवनादन परसाद आधतनक हहनदी वयाकरण और रचना 2009 प 147

195

बबगाडकर सापरिणीय बनाया ह वह कजस भािा समाज म जात र उसी की भािा म पद को कहत र कबीर क पद म जो अागरजी व याकरण म तदभव शब द की कोई कोहन नहीा बाना गया ह अत अनवादक क लिए हहादी स अागरजी म अनहदत पाठ सकजत करन हत हहादी तदभव क समतल य शब द लमिन की साभावना नहीा बनती ह यहा अनहदत पाठ म ककस तरह तदभव शब दो क अरथ सौदयथ सरकषकषत ह का मल यााकन दरष नव य ह- Love songs of kabir स -

मल अनददा दरसन ne teio

(प71) (प71)

मल याकन- मि शब द दरसन(दशथन) का मि पद म आत मा का परमतत व स साकषात कार क अरथ म परयत त ह दरसन क लिए परयत त ne teio भावानवाद ह यह मिारथ को व याकजत नहीा कर रहा ह

मल अनददा परकालसया bearing

(प115) (प11)

मल याकन- मि पद म परकालसया शब द का सादभथगत अरथ यह ह कक गर क दवारा साधक को ईश वरीय जञान को बताना उत त शब द क लिए परयत त bearing शब द मिार (अध याकतमक अरथ) को बोध नहीा कराता

196

मल अनददा समरर Almighty

(प40) (प40)

मल याकन- मि शबद समरर समरथ का तदभव रप ह मि पद म परमतत व को समरर अराथत सवथशाकततमान बतया ह कबीर कहत ह कक र भाई वह हदन कब आएगा जब म वपरयतम राम स को आलिागन करा गा कजसक कारण म यह दह धारण ककया ह परमततव समरथ ईशवर राम मरी कामना परी करो अनवाद Almighty का अरथ भी सवथशकततमान होता ह जो मिारथ को सापरवित कर रहा ह

मल ndash उनमना (126) अनददा ndash deep meditation (126)

वववचन- उनमाना शबद उनमन का तदभव रप ह सात कवव म उनमना स आशय ह कक उनमना यह वह अवसरा ह चाचि साकलप ndash ववकलपातमक मन शाात हो जाता ह और इसस एक उचचतर चतना का आववभाथव होता ह तातरो म उनमना अरवा उनमनी अवसरा को मन स उपर की एक अवसरा कहा गया हभागवती चतना1 उनमना का सादभथगत अरथ यह ह कक एक बार मन परााततव म लमि जान पर पनः सासार की ओर परवत नहीा होता हन योिगयो क अनसार यह खचरी मदरा का पररणाम होता ह खचरी मदरा दवारा जो मन की उदातत अवसरा हो जाती ह उतत शबद का अनवाद deep meditationस पर सादभथ और अरथ वयाकजत नहीा होता ह उतत शबद क लिए अगरजी म पयाथय क अभाव म इस अलभवयकतत का परयोग ककया गया ह जो सामानय अरथ ही परदान करता ह

1 वासदव लसाह कबीर कावय कोश 2011 प-355

197

मल- परघन (प-126) अनददा- Manifest (प-126)

वववचन- परघन परकन का तदभव रप ह मि पद म कबीर कहत ह की अब मर शरीर म राम परकन हो गया ह कजसक कारण मरा शरीर सोन क समान शद हो गया ह अनवाद lsquomanifestrsquo मि का समानारथी शबद ह जो मि सादभथ स जडकर अनकि अरथ परदान का रहा ह

Mystic song of kabiir स -

मल अनददा तीरर esoNoM elsto

(प115) (प115)

मल याकन

परस तत शब द तीरर तीरथ स रान क अरथ म परयत त ह तीरथ स रान का हहाद धमथ म ववशि पौराकणक अरथ ह हहाद धमथ म माना जाता ह कक तीरथ स रान पर जान स िोग पण य अकजथत करत ह और उनक दवारा ककए गए पाप कानता ह ककन त esoNoM elsto स भारतीय (हहाद) मान यतानकि अरथ छवव को सापरवित नहीा करता यहा मिारथ आालशक रप म ही उतर पाया ह

मल अनददा बरत उपास feasting and fasting (प17) (प17)

मल याकन मि पद म बरस वरत तरा उपास उपवास का तदभव रप हवरत उपवास धालमथक कमथ ह कजसम िोग तनधाथररत अविध क क लिए बबना अनन गरहण का

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रहत ह अनहदत पद म परयत त म feasting and fasting स तनकन अरथ व यत त होता ह

मल अनददा सराध (प-38) Saradh(प-38)

मल याकन मि पद म सराध शराद-कमथ क लिए परयत त शब द ह यह हहाद धमथ म एक ऐसा कमथकाणडी ववधान ह कजसम व यकतत क मरन क बाद शास तर म वकणथत वविध ववधान स उनक मत य क बाद एक अनषठातनक कमथ ककए जात ह मि पद म कबीर कहत ह कक जीववत वपता को िोग कन बात कहत ह और मरन क बाद शराद करत ह अनहदत पाकतत म मि का आशय का ी हद तक उतर रहा ह कका त शराद या सराध जस ववशि कमथकाणडी ववधान को ववभद नहीा हो पाता ह लिपयातररत अनवाद क लिए कहीा सपषनीकरण परसतत नहीा ककया गया ह

मल अनददा परमारर eole ecloN

(प53) (प53)

मल याकन

परमारर शब द परमारथ का तदभव रप ह कजसका अरथ उत कष न वस त तनत य और अबािधत पदारथ यरारथ तत व सत य परम बरहम मि पद म कबीर परमारर परमततव क लिए ही आया ह अनवाद स मि अरथ वयाकजत नहीा हो रहा ह अनवादक न मि का अरथ गरहण दसरो को कलयाण क लिए ककया ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह-

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Love Songs of kabir --

मल अनददा

भरमत (प 124) To repeat moviong from square to square (प 125)

गपत (प 124) Secret (प 125)

Mystic songs of kabir स -

मल भावानवाद

परगठ (प53) Explained (प53)

भरतार (प 50) Lord (प 50)

उपयथत त तदभव शब दो क वववचन स स पष न होता ह कक अनवाद अध याकतमक अरथ वाि शब दो म कमजोर पडा ह अनवादक न कबीर क मि मातव य को अातरण करन म भावानवाद का सहारा लिया ह कका त पणथ स ि ह

413 दशज शबद

Mystic songs of Kabir स

मल- िबरा अनददा- passed for a speaker

मलयाकन- भारतीय समाज म लमथयावादी और गपप हाकन वाि को lsquoिबराrsquo कहा जाता ह अनवादक न lsquoelNsaorsquo क रप म मि का भावानवाद ldquopassed for a speakerrdquo ककया ह जो मि अरथ को सापरवित करता ह

मल- डगररया (प25) अनददा- NesM (प25)

200

मलयाकन- डगररया का अरथ होता ह मागथ पर रासता इतयाहद मि पद म ldquoडगररयाrdquo का सादलभथत अरथ ह ndash ऐसा मागथ जो परम तततव स लमिन कराता ह मि पद म डगररया स आधयाकतमक यकतत का बोध होता ह जो मि का अनवाद NesM म नहीा ह

मल- बावर (प25) अनददा- ir fNmo M (प25)

मलयाकन- बावर (बावि) शबद का शाकबदक अरथ होता ह पागि ववकषकषपत भारतीय समाज म िोग अपन आतमीय जनो को भी बावि कहकर साबोिधत करत ह कबीर न अपन पद म भकतत मागथ पर चिन वाि को lsquoबावरrsquo समबोिधत ककया ह अनवादक न परसागानसार भावानवाद ir fNmo M ककया ह जो मि भाव को वयतत करन म स ि ह

Love songs of Kabir स-

मल- रीझ (प78) अनददा- lmgllr elosaoM (प78)

वववचन- मि पद म रीझ स तातपयथ ldquoपरसननrdquo करना ह कबीर का ldquoमन ईशवरीय परम म मयर की तरह नाचrdquo रहा ह यह दखकर ईशवर भतत पर रीझ (अतत परसनन) होकर अनरतत हो गए ह अनवाद lmgllr elosaoM मि भाव को वयतत करन म समरथ ह

मल- रन (प79) अनददा- tsllm g leuMlr (प79)

वववचन- lsquoरनrsquo का अरथ होता ह ककसी शबद का बार-बार आवकतत या कौवो की बोिी मि पद म भतत दवारा ईशवर का बार-बार lsquoनाम-समरणrsquo क अरथ म lsquoरनrsquo शबद परयतत हआ ह lsquoभततrsquo ईशवर नाम-जप उसी तरह करता ह जस कोई पयासा पपीहा ldquoवपया-वपयाrdquo बार-बार बिाता ह अनवादक न उतत शबद का अनवाद tsllm g leuMlr ककया ह मि म lsquoवपया-वपयाrsquo करत हए बार-बार बिान

201

का बोध होता ह ककनत अनवाद म lsquoजोर स पकारनrsquo का भाव वयतत हो रहा ह अनवाद सनीक नहीा ह इसक बावजद मि मातवय सपषन हो जाता ह

मल- गड़डया (प165) अनददा नह

वववचन- ldquoगड़डयाrdquo बचचो क खिन का एक कखिौना होता ह अनवादक न उकी शबद का नौवाद छोड हदया ह उनहोन मि भाव को दकषन म रखत हए lsquoGive up now the childhood habits of playfulnessrsquo स खिन का बोध हो जाता ह

मल- बोरा (प142) अनददा- lsNsaaoM(प142)

वववचन- मि पद म बोरा का अरथ ह- डबोना कबीर कहत ह- मझ कलिकाि न साासाररक वविय म डबो हदया ह अनवादक न भावानवाद का सहारा लिया ह lsquoI am harassed by the ruinous urge of Kalirsquo स मि भाव सापरवित हो जाता ह lsquoKslmrsquo का ववलशषन सादभथगत अरथ lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल- बोझ (प166) अनददा- lesM(प167)

वववचन- मि शबद lsquoबोझrsquo का अरथ ह-भारी िगन वािी चीज मि पद की अाततम पाकतत म कबीर कहत ह हमको सासार की माया बाधन वविय-वासना रपी बोझ स कोई िगाव नहीा ह अनवादक न शाकबदक अनवाद ककया ह जो मिारथ को वयतत करन म समरथ ह

414 ववदशी शबद

ववदशी भािा स हहनदी आए शबदो को ववदशी शबद कहत ह ववदशी शबदो म अरबी ारसी तकी अागरजी इतयाहद स आगत शबदो की साखया अिधक ह कबीर दास अरबी ारसी शबदो का अिधक परयोग करत ह पदो म परयतत

202

ववदशी शबदो क लिए चयतनत अगरजी शबद मि अरथ भाव को का हा तक स ि वयतत करता ह अनवाद मलयााकन दवारा दरषनवय ह-

Love songs of kabir स-

मल - बदरदी (प-41) अनददा ndash unkind (प-41)

वववचन- मि lsquoबदरदीrsquo(बददी) ारसी शबद ह कजसका अरथ होता ह- कजसको दया न हो मि पद म कबीर न अपन (साई) परमतततव को बड अिधकार क सार तनदथय होन का आरोप िगाया ह lsquoबदरदीrsquo का अनवाद lsquounkindrsquo ह और lsquounkindrsquo स पहि lsquosorsquo का परयोग मि क समान परभावोतपादकता िान क लिए ककया गया ह मिारथ को वयतत करन म तनकन तक स ि ह

मल - फकीरवा (र-58) अनददा- Fakir (र-58)

वववचन- इसिाम धमथ क अातगथत भरमण करन वाि सात को lsquo कीरवाrsquo कहा जाता ह वह अलिाह (ईशवर) का भजन करता रहता ह और शरीर रकषा भर क लिए भीख माागता ह मि पद म कबीर न ईशवर को साबोिधत करत हय lsquo कीरrsquo कहा ह अनवादक न lsquoFakir क रप म लिपयातररत ककया ह और उसक सादभथगत अरो को (glossary) क अातगथत स ि रप म सपषन ककया गया ह

मल - आशशक (र-63) अनददा-beloved(र-63)

वववचन- इशक या परम करन वािो को आलशक (परमी) कहत ह यह अरबी शबद ह मि पद म lsquoआलशकrsquoशबद का सनदभथगत अरथ lsquoईशवर-अनरागीrsquo ह अनहदत पद म परयतत lsquobelovedrsquo स परसागानकि अरथ वयतत हो रहा ह इसक अततररतत उतत मि शबद का स ी सादभथ भी ह अनवादक न इस सादभथ को भलमका म सपषन ककया ह

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मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

204

मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

205

मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

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वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

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Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

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कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

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416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

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स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

215

क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

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वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

190

411 ात सम शबद

तत सम का अरथ ह- उसक समान या ज यो का त यो ककसी भािा क मि शब द का तत सम कहत ह अागरजी भािा म तत सम क समानारथी अागरजी म कोई व याकरकणक कोहन नहीा ह क र भी मि पाठ म परयत त तत सम शब द को गरहण कर अनहदत भािा म अनवादक ककतना बोधगमय बनाया ह का मल यााकन तनम न उदाहरणो क माध यम स परस तत ककया जा रहा ह-

Love Songs of Kabir स

मल अनददा रसायन rotceN

(प46) (प46)

मल याकन- रसायन का शाकबदक अरथ पदारो का तत वगतजञान जराध वयािधनाशक ओििध (जस ववडागरस बराहमीरस) ह मि पाकतत म राम पर रसायन का आरोप स रपक सौदयथ सकजत ह यहा यह शब द परमानाद (ईश वरीय) क अरथ म परयत त ह अनहदत पाकतत म भी His name पर nector का आरोप ह nector का अरथ अमत होता ह ema sio को अिधक स पष न करन पर अनवादक अनवाद-पाठ म dr leNM

leoo परयतत ह कि लमिाकर रसायन लिए netor शब द परसागानकि अरथ सापरवित करता ह मल अनददा अपथण(प 54) Surrender(प 54)

191

मल याकन- मि पद म अपथण शब द भत त क दवारा ईश वर क भकतत भावना म अपना लसर अवपथत करन क अरथ म परयत त ह इसम भत त साासाररक वविय वासना स अनासतत होकर या त यागकर परमतत व क साधना म अपन आपको अवपथत करन का भाव ह अपथण का अनवाद Surrendrer ह कजसका अरथ ककसी मजबरी म स वया को स मवपथत करना होता ह यहा मिारथ सापरिण म बाधा उत पन न हो रही ह मल अनददा ततलमर Darken

(प 85) (प 85)

मल याकन- मि साखी म कबीर कहत ह कक शाम क गहर अाधकार होत ही हमार तन मन म गहर परम छा जाता ह मि पद म ततलमर अाधकार क लिए आया हअनवाद म उतत शबद क लिए darken उपयतत ह अनवादक मिारथ को परभावपणथ बनान क लिए nsNro स पहि Shadow का परयोग ह

मल अनददा परमानाद Highest bliss of happines

(प99) (प99)

मल याकन- यहा परमानाद का अरथ ईश वरीय अनभतत स ह भतत जब भकतत भावना क चरम कसरतत म होता ह तब उनम परम अनभतत कक कसरतत बनती हउस कषण म उस परम आननद की अनभतत होती ह अनवाद म अागरजी पदबाध क रप म lsquoHighest bliss of happinesrsquo का परयोग ह अनवाद स भी आनाद की चरम कसरतत का बोध हो रहा ह यह अनवाद म परयतत होकर आधयाकतमक

192

सतर का अरथ को वयतत करता ह िककन उतत मि शबद क लिए lsquoecstacyrsquo अिधक सनीक परयोग क रप म परसताववत ककया जा सकता ह

songs of kabir स मल अनददा

जर Mystic Austerities (र17)

ार Meditation (र17)

मल याकन- जप और तप शब द भारतीय समाज म धालमथक अरथ रखता ह जप आध यालमक साधना ह कजसस मातरो का माद स वर म उच चारण ककया जाता ह तप का अरथ धालमथक कडी साधना ह जप क लिए परयत त Austerities का शाकबदक अरथ तप तरा doMmcscme का अरथ ध यान होता ह कका त जप और तप का भारतीय सामाकजक सास कतत म जो अरथ व याप त ह उस य दोनो शब द व याकजत नहीा करता ह

मल अनददा परततमा reflection

(प68) (प69)

मल याकन- परस तत मि पाकतत म परततमा परततबबम ब क अरथ म परयत त ह मि पद म कबीर कहत ह कक जस एक कतता दपथण म अपना माह दखकर भौकता हआ मर जाता ह उसी तरह सामानय आदमी आतम ततव को ववसमत कर दता ह परततमा का अनवाद reflection स मिारथ अलभवयतत हो जाता ह

193

मि ndash आनाद (प-57) अनहदत ndash pleasure(प-57)

वववचन ndash यहा आनाद स तातपयथ आधयाकतमक खशी स हमि पद म कबीर कहत ह कक ह मर नन तम जञान का सागीत बजाओ कजसस तनकािन वाि राम क धवतन को सब कोई सन शबद धवतन क परभाव स राह-कत और नवगरह नाचन िग यमपर म आनाद छा गए यह आनाद कोई साधारण आनाद नहीा ह इस आनाद को अनवाद pleasure परी तरह वहन करन म सकषम नहीा ह

मल- बतरभवन (प68) अनददा ndash all universe (प-68)

वववचनndash मि पद म कबीर कहत ह कक मरा ईशवर तीनो िोक का सवामी ह अराथत पर बरहमााड का मालिक ह अनवाद स मि भाव तो वयतत हो जा रहा हककनत मि शबद का लमरकीय अरथ छन गया ह तीन िोक स तातपयथ पाताि िोक मतय िोक और सवगथ िोक स ह

मि- अनात (प-115) अनहदत -many (प-115)

वववचन ndash कबीर कहत ह कक परम कक कहानी अकथय ह उसक वविय म कछ कहा नहीा जा सकता ह परम रपी वकष स अनात ि लमित ह इस lsquoअनातrsquo की कोई सीमा नहीा ह many स lsquoकईrsquo का अरथ वयतत होता ह अनात का नहीा अतः उतत मि शबद क लिए many सनीक अनवाद नहीा ह

मि- वणथ (प-62) अनहदत ndash caste(प-62)

वववचन ndash हहनद समदाय म वणथ स तातपयथ स जातत समह की वयवसरा स ह चार समह बराहमण कषबतरय वशय और शदर आत ह कबीर न हमशा वणथ वयवसरा का ववरोध ककया ह यहा caste कम चिाऊ अनवाद ह जो वणथ वयवसरा की सचना नहीा दती ह यह आालशक अनवाद ह

194

कछ और उदाहरण दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

1 सररता (प50) Stream(प50)

2 अनि (प52) Fire (प52)

3 यवागम (प 37) reptile(प37)

4 गगन (प 41) Sky(प41)

Mystic song of kabir स-

5 का चन (प126) Gold (प126)

6 सररता (प50) Stream(प50)

7 अनि (प52) Fire (प52)

8 यवागम (प37) reptile(प37)

9 गगन (प41) Sky(प41)

उपयथत त तत सम शब दो क मल यााकन स स पष न होता ह कक ववशि अरथ वाि शब दो (तत सम) क अनवाद स मिारथ पणथ रप स वयतत नहीा हो पा रहा ह

412 ादभव शब द-

तदभव शब द तत +भव स लमिकर बना ह कजसका अरथ उसस (सास कत स) उत पन न ऐस शब द जो सास कत और पराकत स ववकत होकर हहादी म आय ह तदभव कहिात हrdquo1 कबीर अपन काव य म सास कत शब द को अपन अनसार

1 वासदवनादन परसाद आधतनक हहनदी वयाकरण और रचना 2009 प 147

195

बबगाडकर सापरिणीय बनाया ह वह कजस भािा समाज म जात र उसी की भािा म पद को कहत र कबीर क पद म जो अागरजी व याकरण म तदभव शब द की कोई कोहन नहीा बाना गया ह अत अनवादक क लिए हहादी स अागरजी म अनहदत पाठ सकजत करन हत हहादी तदभव क समतल य शब द लमिन की साभावना नहीा बनती ह यहा अनहदत पाठ म ककस तरह तदभव शब दो क अरथ सौदयथ सरकषकषत ह का मल यााकन दरष नव य ह- Love songs of kabir स -

मल अनददा दरसन ne teio

(प71) (प71)

मल याकन- मि शब द दरसन(दशथन) का मि पद म आत मा का परमतत व स साकषात कार क अरथ म परयत त ह दरसन क लिए परयत त ne teio भावानवाद ह यह मिारथ को व याकजत नहीा कर रहा ह

मल अनददा परकालसया bearing

(प115) (प11)

मल याकन- मि पद म परकालसया शब द का सादभथगत अरथ यह ह कक गर क दवारा साधक को ईश वरीय जञान को बताना उत त शब द क लिए परयत त bearing शब द मिार (अध याकतमक अरथ) को बोध नहीा कराता

196

मल अनददा समरर Almighty

(प40) (प40)

मल याकन- मि शबद समरर समरथ का तदभव रप ह मि पद म परमतत व को समरर अराथत सवथशाकततमान बतया ह कबीर कहत ह कक र भाई वह हदन कब आएगा जब म वपरयतम राम स को आलिागन करा गा कजसक कारण म यह दह धारण ककया ह परमततव समरथ ईशवर राम मरी कामना परी करो अनवाद Almighty का अरथ भी सवथशकततमान होता ह जो मिारथ को सापरवित कर रहा ह

मल ndash उनमना (126) अनददा ndash deep meditation (126)

वववचन- उनमाना शबद उनमन का तदभव रप ह सात कवव म उनमना स आशय ह कक उनमना यह वह अवसरा ह चाचि साकलप ndash ववकलपातमक मन शाात हो जाता ह और इसस एक उचचतर चतना का आववभाथव होता ह तातरो म उनमना अरवा उनमनी अवसरा को मन स उपर की एक अवसरा कहा गया हभागवती चतना1 उनमना का सादभथगत अरथ यह ह कक एक बार मन परााततव म लमि जान पर पनः सासार की ओर परवत नहीा होता हन योिगयो क अनसार यह खचरी मदरा का पररणाम होता ह खचरी मदरा दवारा जो मन की उदातत अवसरा हो जाती ह उतत शबद का अनवाद deep meditationस पर सादभथ और अरथ वयाकजत नहीा होता ह उतत शबद क लिए अगरजी म पयाथय क अभाव म इस अलभवयकतत का परयोग ककया गया ह जो सामानय अरथ ही परदान करता ह

1 वासदव लसाह कबीर कावय कोश 2011 प-355

197

मल- परघन (प-126) अनददा- Manifest (प-126)

वववचन- परघन परकन का तदभव रप ह मि पद म कबीर कहत ह की अब मर शरीर म राम परकन हो गया ह कजसक कारण मरा शरीर सोन क समान शद हो गया ह अनवाद lsquomanifestrsquo मि का समानारथी शबद ह जो मि सादभथ स जडकर अनकि अरथ परदान का रहा ह

Mystic song of kabiir स -

मल अनददा तीरर esoNoM elsto

(प115) (प115)

मल याकन

परस तत शब द तीरर तीरथ स रान क अरथ म परयत त ह तीरथ स रान का हहाद धमथ म ववशि पौराकणक अरथ ह हहाद धमथ म माना जाता ह कक तीरथ स रान पर जान स िोग पण य अकजथत करत ह और उनक दवारा ककए गए पाप कानता ह ककन त esoNoM elsto स भारतीय (हहाद) मान यतानकि अरथ छवव को सापरवित नहीा करता यहा मिारथ आालशक रप म ही उतर पाया ह

मल अनददा बरत उपास feasting and fasting (प17) (प17)

मल याकन मि पद म बरस वरत तरा उपास उपवास का तदभव रप हवरत उपवास धालमथक कमथ ह कजसम िोग तनधाथररत अविध क क लिए बबना अनन गरहण का

198

रहत ह अनहदत पद म परयत त म feasting and fasting स तनकन अरथ व यत त होता ह

मल अनददा सराध (प-38) Saradh(प-38)

मल याकन मि पद म सराध शराद-कमथ क लिए परयत त शब द ह यह हहाद धमथ म एक ऐसा कमथकाणडी ववधान ह कजसम व यकतत क मरन क बाद शास तर म वकणथत वविध ववधान स उनक मत य क बाद एक अनषठातनक कमथ ककए जात ह मि पद म कबीर कहत ह कक जीववत वपता को िोग कन बात कहत ह और मरन क बाद शराद करत ह अनहदत पाकतत म मि का आशय का ी हद तक उतर रहा ह कका त शराद या सराध जस ववशि कमथकाणडी ववधान को ववभद नहीा हो पाता ह लिपयातररत अनवाद क लिए कहीा सपषनीकरण परसतत नहीा ककया गया ह

मल अनददा परमारर eole ecloN

(प53) (प53)

मल याकन

परमारर शब द परमारथ का तदभव रप ह कजसका अरथ उत कष न वस त तनत य और अबािधत पदारथ यरारथ तत व सत य परम बरहम मि पद म कबीर परमारर परमततव क लिए ही आया ह अनवाद स मि अरथ वयाकजत नहीा हो रहा ह अनवादक न मि का अरथ गरहण दसरो को कलयाण क लिए ककया ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह-

199

Love Songs of kabir --

मल अनददा

भरमत (प 124) To repeat moviong from square to square (प 125)

गपत (प 124) Secret (प 125)

Mystic songs of kabir स -

मल भावानवाद

परगठ (प53) Explained (प53)

भरतार (प 50) Lord (प 50)

उपयथत त तदभव शब दो क वववचन स स पष न होता ह कक अनवाद अध याकतमक अरथ वाि शब दो म कमजोर पडा ह अनवादक न कबीर क मि मातव य को अातरण करन म भावानवाद का सहारा लिया ह कका त पणथ स ि ह

413 दशज शबद

Mystic songs of Kabir स

मल- िबरा अनददा- passed for a speaker

मलयाकन- भारतीय समाज म लमथयावादी और गपप हाकन वाि को lsquoिबराrsquo कहा जाता ह अनवादक न lsquoelNsaorsquo क रप म मि का भावानवाद ldquopassed for a speakerrdquo ककया ह जो मि अरथ को सापरवित करता ह

मल- डगररया (प25) अनददा- NesM (प25)

200

मलयाकन- डगररया का अरथ होता ह मागथ पर रासता इतयाहद मि पद म ldquoडगररयाrdquo का सादलभथत अरथ ह ndash ऐसा मागथ जो परम तततव स लमिन कराता ह मि पद म डगररया स आधयाकतमक यकतत का बोध होता ह जो मि का अनवाद NesM म नहीा ह

मल- बावर (प25) अनददा- ir fNmo M (प25)

मलयाकन- बावर (बावि) शबद का शाकबदक अरथ होता ह पागि ववकषकषपत भारतीय समाज म िोग अपन आतमीय जनो को भी बावि कहकर साबोिधत करत ह कबीर न अपन पद म भकतत मागथ पर चिन वाि को lsquoबावरrsquo समबोिधत ककया ह अनवादक न परसागानसार भावानवाद ir fNmo M ककया ह जो मि भाव को वयतत करन म स ि ह

Love songs of Kabir स-

मल- रीझ (प78) अनददा- lmgllr elosaoM (प78)

वववचन- मि पद म रीझ स तातपयथ ldquoपरसननrdquo करना ह कबीर का ldquoमन ईशवरीय परम म मयर की तरह नाचrdquo रहा ह यह दखकर ईशवर भतत पर रीझ (अतत परसनन) होकर अनरतत हो गए ह अनवाद lmgllr elosaoM मि भाव को वयतत करन म समरथ ह

मल- रन (प79) अनददा- tsllm g leuMlr (प79)

वववचन- lsquoरनrsquo का अरथ होता ह ककसी शबद का बार-बार आवकतत या कौवो की बोिी मि पद म भतत दवारा ईशवर का बार-बार lsquoनाम-समरणrsquo क अरथ म lsquoरनrsquo शबद परयतत हआ ह lsquoभततrsquo ईशवर नाम-जप उसी तरह करता ह जस कोई पयासा पपीहा ldquoवपया-वपयाrdquo बार-बार बिाता ह अनवादक न उतत शबद का अनवाद tsllm g leuMlr ककया ह मि म lsquoवपया-वपयाrsquo करत हए बार-बार बिान

201

का बोध होता ह ककनत अनवाद म lsquoजोर स पकारनrsquo का भाव वयतत हो रहा ह अनवाद सनीक नहीा ह इसक बावजद मि मातवय सपषन हो जाता ह

मल- गड़डया (प165) अनददा नह

वववचन- ldquoगड़डयाrdquo बचचो क खिन का एक कखिौना होता ह अनवादक न उकी शबद का नौवाद छोड हदया ह उनहोन मि भाव को दकषन म रखत हए lsquoGive up now the childhood habits of playfulnessrsquo स खिन का बोध हो जाता ह

मल- बोरा (प142) अनददा- lsNsaaoM(प142)

वववचन- मि पद म बोरा का अरथ ह- डबोना कबीर कहत ह- मझ कलिकाि न साासाररक वविय म डबो हदया ह अनवादक न भावानवाद का सहारा लिया ह lsquoI am harassed by the ruinous urge of Kalirsquo स मि भाव सापरवित हो जाता ह lsquoKslmrsquo का ववलशषन सादभथगत अरथ lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल- बोझ (प166) अनददा- lesM(प167)

वववचन- मि शबद lsquoबोझrsquo का अरथ ह-भारी िगन वािी चीज मि पद की अाततम पाकतत म कबीर कहत ह हमको सासार की माया बाधन वविय-वासना रपी बोझ स कोई िगाव नहीा ह अनवादक न शाकबदक अनवाद ककया ह जो मिारथ को वयतत करन म समरथ ह

414 ववदशी शबद

ववदशी भािा स हहनदी आए शबदो को ववदशी शबद कहत ह ववदशी शबदो म अरबी ारसी तकी अागरजी इतयाहद स आगत शबदो की साखया अिधक ह कबीर दास अरबी ारसी शबदो का अिधक परयोग करत ह पदो म परयतत

202

ववदशी शबदो क लिए चयतनत अगरजी शबद मि अरथ भाव को का हा तक स ि वयतत करता ह अनवाद मलयााकन दवारा दरषनवय ह-

Love songs of kabir स-

मल - बदरदी (प-41) अनददा ndash unkind (प-41)

वववचन- मि lsquoबदरदीrsquo(बददी) ारसी शबद ह कजसका अरथ होता ह- कजसको दया न हो मि पद म कबीर न अपन (साई) परमतततव को बड अिधकार क सार तनदथय होन का आरोप िगाया ह lsquoबदरदीrsquo का अनवाद lsquounkindrsquo ह और lsquounkindrsquo स पहि lsquosorsquo का परयोग मि क समान परभावोतपादकता िान क लिए ककया गया ह मिारथ को वयतत करन म तनकन तक स ि ह

मल - फकीरवा (र-58) अनददा- Fakir (र-58)

वववचन- इसिाम धमथ क अातगथत भरमण करन वाि सात को lsquo कीरवाrsquo कहा जाता ह वह अलिाह (ईशवर) का भजन करता रहता ह और शरीर रकषा भर क लिए भीख माागता ह मि पद म कबीर न ईशवर को साबोिधत करत हय lsquo कीरrsquo कहा ह अनवादक न lsquoFakir क रप म लिपयातररत ककया ह और उसक सादभथगत अरो को (glossary) क अातगथत स ि रप म सपषन ककया गया ह

मल - आशशक (र-63) अनददा-beloved(र-63)

वववचन- इशक या परम करन वािो को आलशक (परमी) कहत ह यह अरबी शबद ह मि पद म lsquoआलशकrsquoशबद का सनदभथगत अरथ lsquoईशवर-अनरागीrsquo ह अनहदत पद म परयतत lsquobelovedrsquo स परसागानकि अरथ वयतत हो रहा ह इसक अततररतत उतत मि शबद का स ी सादभथ भी ह अनवादक न इस सादभथ को भलमका म सपषन ककया ह

203

मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

204

मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

205

मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

206

वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

208

कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

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416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

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स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

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जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

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दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

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मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

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वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

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वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

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िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

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मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

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419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

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दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

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speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

191

मल याकन- मि पद म अपथण शब द भत त क दवारा ईश वर क भकतत भावना म अपना लसर अवपथत करन क अरथ म परयत त ह इसम भत त साासाररक वविय वासना स अनासतत होकर या त यागकर परमतत व क साधना म अपन आपको अवपथत करन का भाव ह अपथण का अनवाद Surrendrer ह कजसका अरथ ककसी मजबरी म स वया को स मवपथत करना होता ह यहा मिारथ सापरिण म बाधा उत पन न हो रही ह मल अनददा ततलमर Darken

(प 85) (प 85)

मल याकन- मि साखी म कबीर कहत ह कक शाम क गहर अाधकार होत ही हमार तन मन म गहर परम छा जाता ह मि पद म ततलमर अाधकार क लिए आया हअनवाद म उतत शबद क लिए darken उपयतत ह अनवादक मिारथ को परभावपणथ बनान क लिए nsNro स पहि Shadow का परयोग ह

मल अनददा परमानाद Highest bliss of happines

(प99) (प99)

मल याकन- यहा परमानाद का अरथ ईश वरीय अनभतत स ह भतत जब भकतत भावना क चरम कसरतत म होता ह तब उनम परम अनभतत कक कसरतत बनती हउस कषण म उस परम आननद की अनभतत होती ह अनवाद म अागरजी पदबाध क रप म lsquoHighest bliss of happinesrsquo का परयोग ह अनवाद स भी आनाद की चरम कसरतत का बोध हो रहा ह यह अनवाद म परयतत होकर आधयाकतमक

192

सतर का अरथ को वयतत करता ह िककन उतत मि शबद क लिए lsquoecstacyrsquo अिधक सनीक परयोग क रप म परसताववत ककया जा सकता ह

songs of kabir स मल अनददा

जर Mystic Austerities (र17)

ार Meditation (र17)

मल याकन- जप और तप शब द भारतीय समाज म धालमथक अरथ रखता ह जप आध यालमक साधना ह कजसस मातरो का माद स वर म उच चारण ककया जाता ह तप का अरथ धालमथक कडी साधना ह जप क लिए परयत त Austerities का शाकबदक अरथ तप तरा doMmcscme का अरथ ध यान होता ह कका त जप और तप का भारतीय सामाकजक सास कतत म जो अरथ व याप त ह उस य दोनो शब द व याकजत नहीा करता ह

मल अनददा परततमा reflection

(प68) (प69)

मल याकन- परस तत मि पाकतत म परततमा परततबबम ब क अरथ म परयत त ह मि पद म कबीर कहत ह कक जस एक कतता दपथण म अपना माह दखकर भौकता हआ मर जाता ह उसी तरह सामानय आदमी आतम ततव को ववसमत कर दता ह परततमा का अनवाद reflection स मिारथ अलभवयतत हो जाता ह

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मि ndash आनाद (प-57) अनहदत ndash pleasure(प-57)

वववचन ndash यहा आनाद स तातपयथ आधयाकतमक खशी स हमि पद म कबीर कहत ह कक ह मर नन तम जञान का सागीत बजाओ कजसस तनकािन वाि राम क धवतन को सब कोई सन शबद धवतन क परभाव स राह-कत और नवगरह नाचन िग यमपर म आनाद छा गए यह आनाद कोई साधारण आनाद नहीा ह इस आनाद को अनवाद pleasure परी तरह वहन करन म सकषम नहीा ह

मल- बतरभवन (प68) अनददा ndash all universe (प-68)

वववचनndash मि पद म कबीर कहत ह कक मरा ईशवर तीनो िोक का सवामी ह अराथत पर बरहमााड का मालिक ह अनवाद स मि भाव तो वयतत हो जा रहा हककनत मि शबद का लमरकीय अरथ छन गया ह तीन िोक स तातपयथ पाताि िोक मतय िोक और सवगथ िोक स ह

मि- अनात (प-115) अनहदत -many (प-115)

वववचन ndash कबीर कहत ह कक परम कक कहानी अकथय ह उसक वविय म कछ कहा नहीा जा सकता ह परम रपी वकष स अनात ि लमित ह इस lsquoअनातrsquo की कोई सीमा नहीा ह many स lsquoकईrsquo का अरथ वयतत होता ह अनात का नहीा अतः उतत मि शबद क लिए many सनीक अनवाद नहीा ह

मि- वणथ (प-62) अनहदत ndash caste(प-62)

वववचन ndash हहनद समदाय म वणथ स तातपयथ स जातत समह की वयवसरा स ह चार समह बराहमण कषबतरय वशय और शदर आत ह कबीर न हमशा वणथ वयवसरा का ववरोध ककया ह यहा caste कम चिाऊ अनवाद ह जो वणथ वयवसरा की सचना नहीा दती ह यह आालशक अनवाद ह

194

कछ और उदाहरण दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

1 सररता (प50) Stream(प50)

2 अनि (प52) Fire (प52)

3 यवागम (प 37) reptile(प37)

4 गगन (प 41) Sky(प41)

Mystic song of kabir स-

5 का चन (प126) Gold (प126)

6 सररता (प50) Stream(प50)

7 अनि (प52) Fire (प52)

8 यवागम (प37) reptile(प37)

9 गगन (प41) Sky(प41)

उपयथत त तत सम शब दो क मल यााकन स स पष न होता ह कक ववशि अरथ वाि शब दो (तत सम) क अनवाद स मिारथ पणथ रप स वयतत नहीा हो पा रहा ह

412 ादभव शब द-

तदभव शब द तत +भव स लमिकर बना ह कजसका अरथ उसस (सास कत स) उत पन न ऐस शब द जो सास कत और पराकत स ववकत होकर हहादी म आय ह तदभव कहिात हrdquo1 कबीर अपन काव य म सास कत शब द को अपन अनसार

1 वासदवनादन परसाद आधतनक हहनदी वयाकरण और रचना 2009 प 147

195

बबगाडकर सापरिणीय बनाया ह वह कजस भािा समाज म जात र उसी की भािा म पद को कहत र कबीर क पद म जो अागरजी व याकरण म तदभव शब द की कोई कोहन नहीा बाना गया ह अत अनवादक क लिए हहादी स अागरजी म अनहदत पाठ सकजत करन हत हहादी तदभव क समतल य शब द लमिन की साभावना नहीा बनती ह यहा अनहदत पाठ म ककस तरह तदभव शब दो क अरथ सौदयथ सरकषकषत ह का मल यााकन दरष नव य ह- Love songs of kabir स -

मल अनददा दरसन ne teio

(प71) (प71)

मल याकन- मि शब द दरसन(दशथन) का मि पद म आत मा का परमतत व स साकषात कार क अरथ म परयत त ह दरसन क लिए परयत त ne teio भावानवाद ह यह मिारथ को व याकजत नहीा कर रहा ह

मल अनददा परकालसया bearing

(प115) (प11)

मल याकन- मि पद म परकालसया शब द का सादभथगत अरथ यह ह कक गर क दवारा साधक को ईश वरीय जञान को बताना उत त शब द क लिए परयत त bearing शब द मिार (अध याकतमक अरथ) को बोध नहीा कराता

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मल अनददा समरर Almighty

(प40) (प40)

मल याकन- मि शबद समरर समरथ का तदभव रप ह मि पद म परमतत व को समरर अराथत सवथशाकततमान बतया ह कबीर कहत ह कक र भाई वह हदन कब आएगा जब म वपरयतम राम स को आलिागन करा गा कजसक कारण म यह दह धारण ककया ह परमततव समरथ ईशवर राम मरी कामना परी करो अनवाद Almighty का अरथ भी सवथशकततमान होता ह जो मिारथ को सापरवित कर रहा ह

मल ndash उनमना (126) अनददा ndash deep meditation (126)

वववचन- उनमाना शबद उनमन का तदभव रप ह सात कवव म उनमना स आशय ह कक उनमना यह वह अवसरा ह चाचि साकलप ndash ववकलपातमक मन शाात हो जाता ह और इसस एक उचचतर चतना का आववभाथव होता ह तातरो म उनमना अरवा उनमनी अवसरा को मन स उपर की एक अवसरा कहा गया हभागवती चतना1 उनमना का सादभथगत अरथ यह ह कक एक बार मन परााततव म लमि जान पर पनः सासार की ओर परवत नहीा होता हन योिगयो क अनसार यह खचरी मदरा का पररणाम होता ह खचरी मदरा दवारा जो मन की उदातत अवसरा हो जाती ह उतत शबद का अनवाद deep meditationस पर सादभथ और अरथ वयाकजत नहीा होता ह उतत शबद क लिए अगरजी म पयाथय क अभाव म इस अलभवयकतत का परयोग ककया गया ह जो सामानय अरथ ही परदान करता ह

1 वासदव लसाह कबीर कावय कोश 2011 प-355

197

मल- परघन (प-126) अनददा- Manifest (प-126)

वववचन- परघन परकन का तदभव रप ह मि पद म कबीर कहत ह की अब मर शरीर म राम परकन हो गया ह कजसक कारण मरा शरीर सोन क समान शद हो गया ह अनवाद lsquomanifestrsquo मि का समानारथी शबद ह जो मि सादभथ स जडकर अनकि अरथ परदान का रहा ह

Mystic song of kabiir स -

मल अनददा तीरर esoNoM elsto

(प115) (प115)

मल याकन

परस तत शब द तीरर तीरथ स रान क अरथ म परयत त ह तीरथ स रान का हहाद धमथ म ववशि पौराकणक अरथ ह हहाद धमथ म माना जाता ह कक तीरथ स रान पर जान स िोग पण य अकजथत करत ह और उनक दवारा ककए गए पाप कानता ह ककन त esoNoM elsto स भारतीय (हहाद) मान यतानकि अरथ छवव को सापरवित नहीा करता यहा मिारथ आालशक रप म ही उतर पाया ह

मल अनददा बरत उपास feasting and fasting (प17) (प17)

मल याकन मि पद म बरस वरत तरा उपास उपवास का तदभव रप हवरत उपवास धालमथक कमथ ह कजसम िोग तनधाथररत अविध क क लिए बबना अनन गरहण का

198

रहत ह अनहदत पद म परयत त म feasting and fasting स तनकन अरथ व यत त होता ह

मल अनददा सराध (प-38) Saradh(प-38)

मल याकन मि पद म सराध शराद-कमथ क लिए परयत त शब द ह यह हहाद धमथ म एक ऐसा कमथकाणडी ववधान ह कजसम व यकतत क मरन क बाद शास तर म वकणथत वविध ववधान स उनक मत य क बाद एक अनषठातनक कमथ ककए जात ह मि पद म कबीर कहत ह कक जीववत वपता को िोग कन बात कहत ह और मरन क बाद शराद करत ह अनहदत पाकतत म मि का आशय का ी हद तक उतर रहा ह कका त शराद या सराध जस ववशि कमथकाणडी ववधान को ववभद नहीा हो पाता ह लिपयातररत अनवाद क लिए कहीा सपषनीकरण परसतत नहीा ककया गया ह

मल अनददा परमारर eole ecloN

(प53) (प53)

मल याकन

परमारर शब द परमारथ का तदभव रप ह कजसका अरथ उत कष न वस त तनत य और अबािधत पदारथ यरारथ तत व सत य परम बरहम मि पद म कबीर परमारर परमततव क लिए ही आया ह अनवाद स मि अरथ वयाकजत नहीा हो रहा ह अनवादक न मि का अरथ गरहण दसरो को कलयाण क लिए ककया ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह-

199

Love Songs of kabir --

मल अनददा

भरमत (प 124) To repeat moviong from square to square (प 125)

गपत (प 124) Secret (प 125)

Mystic songs of kabir स -

मल भावानवाद

परगठ (प53) Explained (प53)

भरतार (प 50) Lord (प 50)

उपयथत त तदभव शब दो क वववचन स स पष न होता ह कक अनवाद अध याकतमक अरथ वाि शब दो म कमजोर पडा ह अनवादक न कबीर क मि मातव य को अातरण करन म भावानवाद का सहारा लिया ह कका त पणथ स ि ह

413 दशज शबद

Mystic songs of Kabir स

मल- िबरा अनददा- passed for a speaker

मलयाकन- भारतीय समाज म लमथयावादी और गपप हाकन वाि को lsquoिबराrsquo कहा जाता ह अनवादक न lsquoelNsaorsquo क रप म मि का भावानवाद ldquopassed for a speakerrdquo ककया ह जो मि अरथ को सापरवित करता ह

मल- डगररया (प25) अनददा- NesM (प25)

200

मलयाकन- डगररया का अरथ होता ह मागथ पर रासता इतयाहद मि पद म ldquoडगररयाrdquo का सादलभथत अरथ ह ndash ऐसा मागथ जो परम तततव स लमिन कराता ह मि पद म डगररया स आधयाकतमक यकतत का बोध होता ह जो मि का अनवाद NesM म नहीा ह

मल- बावर (प25) अनददा- ir fNmo M (प25)

मलयाकन- बावर (बावि) शबद का शाकबदक अरथ होता ह पागि ववकषकषपत भारतीय समाज म िोग अपन आतमीय जनो को भी बावि कहकर साबोिधत करत ह कबीर न अपन पद म भकतत मागथ पर चिन वाि को lsquoबावरrsquo समबोिधत ककया ह अनवादक न परसागानसार भावानवाद ir fNmo M ककया ह जो मि भाव को वयतत करन म स ि ह

Love songs of Kabir स-

मल- रीझ (प78) अनददा- lmgllr elosaoM (प78)

वववचन- मि पद म रीझ स तातपयथ ldquoपरसननrdquo करना ह कबीर का ldquoमन ईशवरीय परम म मयर की तरह नाचrdquo रहा ह यह दखकर ईशवर भतत पर रीझ (अतत परसनन) होकर अनरतत हो गए ह अनवाद lmgllr elosaoM मि भाव को वयतत करन म समरथ ह

मल- रन (प79) अनददा- tsllm g leuMlr (प79)

वववचन- lsquoरनrsquo का अरथ होता ह ककसी शबद का बार-बार आवकतत या कौवो की बोिी मि पद म भतत दवारा ईशवर का बार-बार lsquoनाम-समरणrsquo क अरथ म lsquoरनrsquo शबद परयतत हआ ह lsquoभततrsquo ईशवर नाम-जप उसी तरह करता ह जस कोई पयासा पपीहा ldquoवपया-वपयाrdquo बार-बार बिाता ह अनवादक न उतत शबद का अनवाद tsllm g leuMlr ककया ह मि म lsquoवपया-वपयाrsquo करत हए बार-बार बिान

201

का बोध होता ह ककनत अनवाद म lsquoजोर स पकारनrsquo का भाव वयतत हो रहा ह अनवाद सनीक नहीा ह इसक बावजद मि मातवय सपषन हो जाता ह

मल- गड़डया (प165) अनददा नह

वववचन- ldquoगड़डयाrdquo बचचो क खिन का एक कखिौना होता ह अनवादक न उकी शबद का नौवाद छोड हदया ह उनहोन मि भाव को दकषन म रखत हए lsquoGive up now the childhood habits of playfulnessrsquo स खिन का बोध हो जाता ह

मल- बोरा (प142) अनददा- lsNsaaoM(प142)

वववचन- मि पद म बोरा का अरथ ह- डबोना कबीर कहत ह- मझ कलिकाि न साासाररक वविय म डबो हदया ह अनवादक न भावानवाद का सहारा लिया ह lsquoI am harassed by the ruinous urge of Kalirsquo स मि भाव सापरवित हो जाता ह lsquoKslmrsquo का ववलशषन सादभथगत अरथ lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल- बोझ (प166) अनददा- lesM(प167)

वववचन- मि शबद lsquoबोझrsquo का अरथ ह-भारी िगन वािी चीज मि पद की अाततम पाकतत म कबीर कहत ह हमको सासार की माया बाधन वविय-वासना रपी बोझ स कोई िगाव नहीा ह अनवादक न शाकबदक अनवाद ककया ह जो मिारथ को वयतत करन म समरथ ह

414 ववदशी शबद

ववदशी भािा स हहनदी आए शबदो को ववदशी शबद कहत ह ववदशी शबदो म अरबी ारसी तकी अागरजी इतयाहद स आगत शबदो की साखया अिधक ह कबीर दास अरबी ारसी शबदो का अिधक परयोग करत ह पदो म परयतत

202

ववदशी शबदो क लिए चयतनत अगरजी शबद मि अरथ भाव को का हा तक स ि वयतत करता ह अनवाद मलयााकन दवारा दरषनवय ह-

Love songs of kabir स-

मल - बदरदी (प-41) अनददा ndash unkind (प-41)

वववचन- मि lsquoबदरदीrsquo(बददी) ारसी शबद ह कजसका अरथ होता ह- कजसको दया न हो मि पद म कबीर न अपन (साई) परमतततव को बड अिधकार क सार तनदथय होन का आरोप िगाया ह lsquoबदरदीrsquo का अनवाद lsquounkindrsquo ह और lsquounkindrsquo स पहि lsquosorsquo का परयोग मि क समान परभावोतपादकता िान क लिए ककया गया ह मिारथ को वयतत करन म तनकन तक स ि ह

मल - फकीरवा (र-58) अनददा- Fakir (र-58)

वववचन- इसिाम धमथ क अातगथत भरमण करन वाि सात को lsquo कीरवाrsquo कहा जाता ह वह अलिाह (ईशवर) का भजन करता रहता ह और शरीर रकषा भर क लिए भीख माागता ह मि पद म कबीर न ईशवर को साबोिधत करत हय lsquo कीरrsquo कहा ह अनवादक न lsquoFakir क रप म लिपयातररत ककया ह और उसक सादभथगत अरो को (glossary) क अातगथत स ि रप म सपषन ककया गया ह

मल - आशशक (र-63) अनददा-beloved(र-63)

वववचन- इशक या परम करन वािो को आलशक (परमी) कहत ह यह अरबी शबद ह मि पद म lsquoआलशकrsquoशबद का सनदभथगत अरथ lsquoईशवर-अनरागीrsquo ह अनहदत पद म परयतत lsquobelovedrsquo स परसागानकि अरथ वयतत हो रहा ह इसक अततररतत उतत मि शबद का स ी सादभथ भी ह अनवादक न इस सादभथ को भलमका म सपषन ककया ह

203

मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

204

मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

205

मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

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वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

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कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

209

वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

210

416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

213

वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

214

स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

215

क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

192

सतर का अरथ को वयतत करता ह िककन उतत मि शबद क लिए lsquoecstacyrsquo अिधक सनीक परयोग क रप म परसताववत ककया जा सकता ह

songs of kabir स मल अनददा

जर Mystic Austerities (र17)

ार Meditation (र17)

मल याकन- जप और तप शब द भारतीय समाज म धालमथक अरथ रखता ह जप आध यालमक साधना ह कजसस मातरो का माद स वर म उच चारण ककया जाता ह तप का अरथ धालमथक कडी साधना ह जप क लिए परयत त Austerities का शाकबदक अरथ तप तरा doMmcscme का अरथ ध यान होता ह कका त जप और तप का भारतीय सामाकजक सास कतत म जो अरथ व याप त ह उस य दोनो शब द व याकजत नहीा करता ह

मल अनददा परततमा reflection

(प68) (प69)

मल याकन- परस तत मि पाकतत म परततमा परततबबम ब क अरथ म परयत त ह मि पद म कबीर कहत ह कक जस एक कतता दपथण म अपना माह दखकर भौकता हआ मर जाता ह उसी तरह सामानय आदमी आतम ततव को ववसमत कर दता ह परततमा का अनवाद reflection स मिारथ अलभवयतत हो जाता ह

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मि ndash आनाद (प-57) अनहदत ndash pleasure(प-57)

वववचन ndash यहा आनाद स तातपयथ आधयाकतमक खशी स हमि पद म कबीर कहत ह कक ह मर नन तम जञान का सागीत बजाओ कजसस तनकािन वाि राम क धवतन को सब कोई सन शबद धवतन क परभाव स राह-कत और नवगरह नाचन िग यमपर म आनाद छा गए यह आनाद कोई साधारण आनाद नहीा ह इस आनाद को अनवाद pleasure परी तरह वहन करन म सकषम नहीा ह

मल- बतरभवन (प68) अनददा ndash all universe (प-68)

वववचनndash मि पद म कबीर कहत ह कक मरा ईशवर तीनो िोक का सवामी ह अराथत पर बरहमााड का मालिक ह अनवाद स मि भाव तो वयतत हो जा रहा हककनत मि शबद का लमरकीय अरथ छन गया ह तीन िोक स तातपयथ पाताि िोक मतय िोक और सवगथ िोक स ह

मि- अनात (प-115) अनहदत -many (प-115)

वववचन ndash कबीर कहत ह कक परम कक कहानी अकथय ह उसक वविय म कछ कहा नहीा जा सकता ह परम रपी वकष स अनात ि लमित ह इस lsquoअनातrsquo की कोई सीमा नहीा ह many स lsquoकईrsquo का अरथ वयतत होता ह अनात का नहीा अतः उतत मि शबद क लिए many सनीक अनवाद नहीा ह

मि- वणथ (प-62) अनहदत ndash caste(प-62)

वववचन ndash हहनद समदाय म वणथ स तातपयथ स जातत समह की वयवसरा स ह चार समह बराहमण कषबतरय वशय और शदर आत ह कबीर न हमशा वणथ वयवसरा का ववरोध ककया ह यहा caste कम चिाऊ अनवाद ह जो वणथ वयवसरा की सचना नहीा दती ह यह आालशक अनवाद ह

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कछ और उदाहरण दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

1 सररता (प50) Stream(प50)

2 अनि (प52) Fire (प52)

3 यवागम (प 37) reptile(प37)

4 गगन (प 41) Sky(प41)

Mystic song of kabir स-

5 का चन (प126) Gold (प126)

6 सररता (प50) Stream(प50)

7 अनि (प52) Fire (प52)

8 यवागम (प37) reptile(प37)

9 गगन (प41) Sky(प41)

उपयथत त तत सम शब दो क मल यााकन स स पष न होता ह कक ववशि अरथ वाि शब दो (तत सम) क अनवाद स मिारथ पणथ रप स वयतत नहीा हो पा रहा ह

412 ादभव शब द-

तदभव शब द तत +भव स लमिकर बना ह कजसका अरथ उसस (सास कत स) उत पन न ऐस शब द जो सास कत और पराकत स ववकत होकर हहादी म आय ह तदभव कहिात हrdquo1 कबीर अपन काव य म सास कत शब द को अपन अनसार

1 वासदवनादन परसाद आधतनक हहनदी वयाकरण और रचना 2009 प 147

195

बबगाडकर सापरिणीय बनाया ह वह कजस भािा समाज म जात र उसी की भािा म पद को कहत र कबीर क पद म जो अागरजी व याकरण म तदभव शब द की कोई कोहन नहीा बाना गया ह अत अनवादक क लिए हहादी स अागरजी म अनहदत पाठ सकजत करन हत हहादी तदभव क समतल य शब द लमिन की साभावना नहीा बनती ह यहा अनहदत पाठ म ककस तरह तदभव शब दो क अरथ सौदयथ सरकषकषत ह का मल यााकन दरष नव य ह- Love songs of kabir स -

मल अनददा दरसन ne teio

(प71) (प71)

मल याकन- मि शब द दरसन(दशथन) का मि पद म आत मा का परमतत व स साकषात कार क अरथ म परयत त ह दरसन क लिए परयत त ne teio भावानवाद ह यह मिारथ को व याकजत नहीा कर रहा ह

मल अनददा परकालसया bearing

(प115) (प11)

मल याकन- मि पद म परकालसया शब द का सादभथगत अरथ यह ह कक गर क दवारा साधक को ईश वरीय जञान को बताना उत त शब द क लिए परयत त bearing शब द मिार (अध याकतमक अरथ) को बोध नहीा कराता

196

मल अनददा समरर Almighty

(प40) (प40)

मल याकन- मि शबद समरर समरथ का तदभव रप ह मि पद म परमतत व को समरर अराथत सवथशाकततमान बतया ह कबीर कहत ह कक र भाई वह हदन कब आएगा जब म वपरयतम राम स को आलिागन करा गा कजसक कारण म यह दह धारण ककया ह परमततव समरथ ईशवर राम मरी कामना परी करो अनवाद Almighty का अरथ भी सवथशकततमान होता ह जो मिारथ को सापरवित कर रहा ह

मल ndash उनमना (126) अनददा ndash deep meditation (126)

वववचन- उनमाना शबद उनमन का तदभव रप ह सात कवव म उनमना स आशय ह कक उनमना यह वह अवसरा ह चाचि साकलप ndash ववकलपातमक मन शाात हो जाता ह और इसस एक उचचतर चतना का आववभाथव होता ह तातरो म उनमना अरवा उनमनी अवसरा को मन स उपर की एक अवसरा कहा गया हभागवती चतना1 उनमना का सादभथगत अरथ यह ह कक एक बार मन परााततव म लमि जान पर पनः सासार की ओर परवत नहीा होता हन योिगयो क अनसार यह खचरी मदरा का पररणाम होता ह खचरी मदरा दवारा जो मन की उदातत अवसरा हो जाती ह उतत शबद का अनवाद deep meditationस पर सादभथ और अरथ वयाकजत नहीा होता ह उतत शबद क लिए अगरजी म पयाथय क अभाव म इस अलभवयकतत का परयोग ककया गया ह जो सामानय अरथ ही परदान करता ह

1 वासदव लसाह कबीर कावय कोश 2011 प-355

197

मल- परघन (प-126) अनददा- Manifest (प-126)

वववचन- परघन परकन का तदभव रप ह मि पद म कबीर कहत ह की अब मर शरीर म राम परकन हो गया ह कजसक कारण मरा शरीर सोन क समान शद हो गया ह अनवाद lsquomanifestrsquo मि का समानारथी शबद ह जो मि सादभथ स जडकर अनकि अरथ परदान का रहा ह

Mystic song of kabiir स -

मल अनददा तीरर esoNoM elsto

(प115) (प115)

मल याकन

परस तत शब द तीरर तीरथ स रान क अरथ म परयत त ह तीरथ स रान का हहाद धमथ म ववशि पौराकणक अरथ ह हहाद धमथ म माना जाता ह कक तीरथ स रान पर जान स िोग पण य अकजथत करत ह और उनक दवारा ककए गए पाप कानता ह ककन त esoNoM elsto स भारतीय (हहाद) मान यतानकि अरथ छवव को सापरवित नहीा करता यहा मिारथ आालशक रप म ही उतर पाया ह

मल अनददा बरत उपास feasting and fasting (प17) (प17)

मल याकन मि पद म बरस वरत तरा उपास उपवास का तदभव रप हवरत उपवास धालमथक कमथ ह कजसम िोग तनधाथररत अविध क क लिए बबना अनन गरहण का

198

रहत ह अनहदत पद म परयत त म feasting and fasting स तनकन अरथ व यत त होता ह

मल अनददा सराध (प-38) Saradh(प-38)

मल याकन मि पद म सराध शराद-कमथ क लिए परयत त शब द ह यह हहाद धमथ म एक ऐसा कमथकाणडी ववधान ह कजसम व यकतत क मरन क बाद शास तर म वकणथत वविध ववधान स उनक मत य क बाद एक अनषठातनक कमथ ककए जात ह मि पद म कबीर कहत ह कक जीववत वपता को िोग कन बात कहत ह और मरन क बाद शराद करत ह अनहदत पाकतत म मि का आशय का ी हद तक उतर रहा ह कका त शराद या सराध जस ववशि कमथकाणडी ववधान को ववभद नहीा हो पाता ह लिपयातररत अनवाद क लिए कहीा सपषनीकरण परसतत नहीा ककया गया ह

मल अनददा परमारर eole ecloN

(प53) (प53)

मल याकन

परमारर शब द परमारथ का तदभव रप ह कजसका अरथ उत कष न वस त तनत य और अबािधत पदारथ यरारथ तत व सत य परम बरहम मि पद म कबीर परमारर परमततव क लिए ही आया ह अनवाद स मि अरथ वयाकजत नहीा हो रहा ह अनवादक न मि का अरथ गरहण दसरो को कलयाण क लिए ककया ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह-

199

Love Songs of kabir --

मल अनददा

भरमत (प 124) To repeat moviong from square to square (प 125)

गपत (प 124) Secret (प 125)

Mystic songs of kabir स -

मल भावानवाद

परगठ (प53) Explained (प53)

भरतार (प 50) Lord (प 50)

उपयथत त तदभव शब दो क वववचन स स पष न होता ह कक अनवाद अध याकतमक अरथ वाि शब दो म कमजोर पडा ह अनवादक न कबीर क मि मातव य को अातरण करन म भावानवाद का सहारा लिया ह कका त पणथ स ि ह

413 दशज शबद

Mystic songs of Kabir स

मल- िबरा अनददा- passed for a speaker

मलयाकन- भारतीय समाज म लमथयावादी और गपप हाकन वाि को lsquoिबराrsquo कहा जाता ह अनवादक न lsquoelNsaorsquo क रप म मि का भावानवाद ldquopassed for a speakerrdquo ककया ह जो मि अरथ को सापरवित करता ह

मल- डगररया (प25) अनददा- NesM (प25)

200

मलयाकन- डगररया का अरथ होता ह मागथ पर रासता इतयाहद मि पद म ldquoडगररयाrdquo का सादलभथत अरथ ह ndash ऐसा मागथ जो परम तततव स लमिन कराता ह मि पद म डगररया स आधयाकतमक यकतत का बोध होता ह जो मि का अनवाद NesM म नहीा ह

मल- बावर (प25) अनददा- ir fNmo M (प25)

मलयाकन- बावर (बावि) शबद का शाकबदक अरथ होता ह पागि ववकषकषपत भारतीय समाज म िोग अपन आतमीय जनो को भी बावि कहकर साबोिधत करत ह कबीर न अपन पद म भकतत मागथ पर चिन वाि को lsquoबावरrsquo समबोिधत ककया ह अनवादक न परसागानसार भावानवाद ir fNmo M ककया ह जो मि भाव को वयतत करन म स ि ह

Love songs of Kabir स-

मल- रीझ (प78) अनददा- lmgllr elosaoM (प78)

वववचन- मि पद म रीझ स तातपयथ ldquoपरसननrdquo करना ह कबीर का ldquoमन ईशवरीय परम म मयर की तरह नाचrdquo रहा ह यह दखकर ईशवर भतत पर रीझ (अतत परसनन) होकर अनरतत हो गए ह अनवाद lmgllr elosaoM मि भाव को वयतत करन म समरथ ह

मल- रन (प79) अनददा- tsllm g leuMlr (प79)

वववचन- lsquoरनrsquo का अरथ होता ह ककसी शबद का बार-बार आवकतत या कौवो की बोिी मि पद म भतत दवारा ईशवर का बार-बार lsquoनाम-समरणrsquo क अरथ म lsquoरनrsquo शबद परयतत हआ ह lsquoभततrsquo ईशवर नाम-जप उसी तरह करता ह जस कोई पयासा पपीहा ldquoवपया-वपयाrdquo बार-बार बिाता ह अनवादक न उतत शबद का अनवाद tsllm g leuMlr ककया ह मि म lsquoवपया-वपयाrsquo करत हए बार-बार बिान

201

का बोध होता ह ककनत अनवाद म lsquoजोर स पकारनrsquo का भाव वयतत हो रहा ह अनवाद सनीक नहीा ह इसक बावजद मि मातवय सपषन हो जाता ह

मल- गड़डया (प165) अनददा नह

वववचन- ldquoगड़डयाrdquo बचचो क खिन का एक कखिौना होता ह अनवादक न उकी शबद का नौवाद छोड हदया ह उनहोन मि भाव को दकषन म रखत हए lsquoGive up now the childhood habits of playfulnessrsquo स खिन का बोध हो जाता ह

मल- बोरा (प142) अनददा- lsNsaaoM(प142)

वववचन- मि पद म बोरा का अरथ ह- डबोना कबीर कहत ह- मझ कलिकाि न साासाररक वविय म डबो हदया ह अनवादक न भावानवाद का सहारा लिया ह lsquoI am harassed by the ruinous urge of Kalirsquo स मि भाव सापरवित हो जाता ह lsquoKslmrsquo का ववलशषन सादभथगत अरथ lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल- बोझ (प166) अनददा- lesM(प167)

वववचन- मि शबद lsquoबोझrsquo का अरथ ह-भारी िगन वािी चीज मि पद की अाततम पाकतत म कबीर कहत ह हमको सासार की माया बाधन वविय-वासना रपी बोझ स कोई िगाव नहीा ह अनवादक न शाकबदक अनवाद ककया ह जो मिारथ को वयतत करन म समरथ ह

414 ववदशी शबद

ववदशी भािा स हहनदी आए शबदो को ववदशी शबद कहत ह ववदशी शबदो म अरबी ारसी तकी अागरजी इतयाहद स आगत शबदो की साखया अिधक ह कबीर दास अरबी ारसी शबदो का अिधक परयोग करत ह पदो म परयतत

202

ववदशी शबदो क लिए चयतनत अगरजी शबद मि अरथ भाव को का हा तक स ि वयतत करता ह अनवाद मलयााकन दवारा दरषनवय ह-

Love songs of kabir स-

मल - बदरदी (प-41) अनददा ndash unkind (प-41)

वववचन- मि lsquoबदरदीrsquo(बददी) ारसी शबद ह कजसका अरथ होता ह- कजसको दया न हो मि पद म कबीर न अपन (साई) परमतततव को बड अिधकार क सार तनदथय होन का आरोप िगाया ह lsquoबदरदीrsquo का अनवाद lsquounkindrsquo ह और lsquounkindrsquo स पहि lsquosorsquo का परयोग मि क समान परभावोतपादकता िान क लिए ककया गया ह मिारथ को वयतत करन म तनकन तक स ि ह

मल - फकीरवा (र-58) अनददा- Fakir (र-58)

वववचन- इसिाम धमथ क अातगथत भरमण करन वाि सात को lsquo कीरवाrsquo कहा जाता ह वह अलिाह (ईशवर) का भजन करता रहता ह और शरीर रकषा भर क लिए भीख माागता ह मि पद म कबीर न ईशवर को साबोिधत करत हय lsquo कीरrsquo कहा ह अनवादक न lsquoFakir क रप म लिपयातररत ककया ह और उसक सादभथगत अरो को (glossary) क अातगथत स ि रप म सपषन ककया गया ह

मल - आशशक (र-63) अनददा-beloved(र-63)

वववचन- इशक या परम करन वािो को आलशक (परमी) कहत ह यह अरबी शबद ह मि पद म lsquoआलशकrsquoशबद का सनदभथगत अरथ lsquoईशवर-अनरागीrsquo ह अनहदत पद म परयतत lsquobelovedrsquo स परसागानकि अरथ वयतत हो रहा ह इसक अततररतत उतत मि शबद का स ी सादभथ भी ह अनवादक न इस सादभथ को भलमका म सपषन ककया ह

203

मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

204

मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

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मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

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वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

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कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

210

416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

213

वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

214

स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

193

मि ndash आनाद (प-57) अनहदत ndash pleasure(प-57)

वववचन ndash यहा आनाद स तातपयथ आधयाकतमक खशी स हमि पद म कबीर कहत ह कक ह मर नन तम जञान का सागीत बजाओ कजसस तनकािन वाि राम क धवतन को सब कोई सन शबद धवतन क परभाव स राह-कत और नवगरह नाचन िग यमपर म आनाद छा गए यह आनाद कोई साधारण आनाद नहीा ह इस आनाद को अनवाद pleasure परी तरह वहन करन म सकषम नहीा ह

मल- बतरभवन (प68) अनददा ndash all universe (प-68)

वववचनndash मि पद म कबीर कहत ह कक मरा ईशवर तीनो िोक का सवामी ह अराथत पर बरहमााड का मालिक ह अनवाद स मि भाव तो वयतत हो जा रहा हककनत मि शबद का लमरकीय अरथ छन गया ह तीन िोक स तातपयथ पाताि िोक मतय िोक और सवगथ िोक स ह

मि- अनात (प-115) अनहदत -many (प-115)

वववचन ndash कबीर कहत ह कक परम कक कहानी अकथय ह उसक वविय म कछ कहा नहीा जा सकता ह परम रपी वकष स अनात ि लमित ह इस lsquoअनातrsquo की कोई सीमा नहीा ह many स lsquoकईrsquo का अरथ वयतत होता ह अनात का नहीा अतः उतत मि शबद क लिए many सनीक अनवाद नहीा ह

मि- वणथ (प-62) अनहदत ndash caste(प-62)

वववचन ndash हहनद समदाय म वणथ स तातपयथ स जातत समह की वयवसरा स ह चार समह बराहमण कषबतरय वशय और शदर आत ह कबीर न हमशा वणथ वयवसरा का ववरोध ककया ह यहा caste कम चिाऊ अनवाद ह जो वणथ वयवसरा की सचना नहीा दती ह यह आालशक अनवाद ह

194

कछ और उदाहरण दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

1 सररता (प50) Stream(प50)

2 अनि (प52) Fire (प52)

3 यवागम (प 37) reptile(प37)

4 गगन (प 41) Sky(प41)

Mystic song of kabir स-

5 का चन (प126) Gold (प126)

6 सररता (प50) Stream(प50)

7 अनि (प52) Fire (प52)

8 यवागम (प37) reptile(प37)

9 गगन (प41) Sky(प41)

उपयथत त तत सम शब दो क मल यााकन स स पष न होता ह कक ववशि अरथ वाि शब दो (तत सम) क अनवाद स मिारथ पणथ रप स वयतत नहीा हो पा रहा ह

412 ादभव शब द-

तदभव शब द तत +भव स लमिकर बना ह कजसका अरथ उसस (सास कत स) उत पन न ऐस शब द जो सास कत और पराकत स ववकत होकर हहादी म आय ह तदभव कहिात हrdquo1 कबीर अपन काव य म सास कत शब द को अपन अनसार

1 वासदवनादन परसाद आधतनक हहनदी वयाकरण और रचना 2009 प 147

195

बबगाडकर सापरिणीय बनाया ह वह कजस भािा समाज म जात र उसी की भािा म पद को कहत र कबीर क पद म जो अागरजी व याकरण म तदभव शब द की कोई कोहन नहीा बाना गया ह अत अनवादक क लिए हहादी स अागरजी म अनहदत पाठ सकजत करन हत हहादी तदभव क समतल य शब द लमिन की साभावना नहीा बनती ह यहा अनहदत पाठ म ककस तरह तदभव शब दो क अरथ सौदयथ सरकषकषत ह का मल यााकन दरष नव य ह- Love songs of kabir स -

मल अनददा दरसन ne teio

(प71) (प71)

मल याकन- मि शब द दरसन(दशथन) का मि पद म आत मा का परमतत व स साकषात कार क अरथ म परयत त ह दरसन क लिए परयत त ne teio भावानवाद ह यह मिारथ को व याकजत नहीा कर रहा ह

मल अनददा परकालसया bearing

(प115) (प11)

मल याकन- मि पद म परकालसया शब द का सादभथगत अरथ यह ह कक गर क दवारा साधक को ईश वरीय जञान को बताना उत त शब द क लिए परयत त bearing शब द मिार (अध याकतमक अरथ) को बोध नहीा कराता

196

मल अनददा समरर Almighty

(प40) (प40)

मल याकन- मि शबद समरर समरथ का तदभव रप ह मि पद म परमतत व को समरर अराथत सवथशाकततमान बतया ह कबीर कहत ह कक र भाई वह हदन कब आएगा जब म वपरयतम राम स को आलिागन करा गा कजसक कारण म यह दह धारण ककया ह परमततव समरथ ईशवर राम मरी कामना परी करो अनवाद Almighty का अरथ भी सवथशकततमान होता ह जो मिारथ को सापरवित कर रहा ह

मल ndash उनमना (126) अनददा ndash deep meditation (126)

वववचन- उनमाना शबद उनमन का तदभव रप ह सात कवव म उनमना स आशय ह कक उनमना यह वह अवसरा ह चाचि साकलप ndash ववकलपातमक मन शाात हो जाता ह और इसस एक उचचतर चतना का आववभाथव होता ह तातरो म उनमना अरवा उनमनी अवसरा को मन स उपर की एक अवसरा कहा गया हभागवती चतना1 उनमना का सादभथगत अरथ यह ह कक एक बार मन परााततव म लमि जान पर पनः सासार की ओर परवत नहीा होता हन योिगयो क अनसार यह खचरी मदरा का पररणाम होता ह खचरी मदरा दवारा जो मन की उदातत अवसरा हो जाती ह उतत शबद का अनवाद deep meditationस पर सादभथ और अरथ वयाकजत नहीा होता ह उतत शबद क लिए अगरजी म पयाथय क अभाव म इस अलभवयकतत का परयोग ककया गया ह जो सामानय अरथ ही परदान करता ह

1 वासदव लसाह कबीर कावय कोश 2011 प-355

197

मल- परघन (प-126) अनददा- Manifest (प-126)

वववचन- परघन परकन का तदभव रप ह मि पद म कबीर कहत ह की अब मर शरीर म राम परकन हो गया ह कजसक कारण मरा शरीर सोन क समान शद हो गया ह अनवाद lsquomanifestrsquo मि का समानारथी शबद ह जो मि सादभथ स जडकर अनकि अरथ परदान का रहा ह

Mystic song of kabiir स -

मल अनददा तीरर esoNoM elsto

(प115) (प115)

मल याकन

परस तत शब द तीरर तीरथ स रान क अरथ म परयत त ह तीरथ स रान का हहाद धमथ म ववशि पौराकणक अरथ ह हहाद धमथ म माना जाता ह कक तीरथ स रान पर जान स िोग पण य अकजथत करत ह और उनक दवारा ककए गए पाप कानता ह ककन त esoNoM elsto स भारतीय (हहाद) मान यतानकि अरथ छवव को सापरवित नहीा करता यहा मिारथ आालशक रप म ही उतर पाया ह

मल अनददा बरत उपास feasting and fasting (प17) (प17)

मल याकन मि पद म बरस वरत तरा उपास उपवास का तदभव रप हवरत उपवास धालमथक कमथ ह कजसम िोग तनधाथररत अविध क क लिए बबना अनन गरहण का

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रहत ह अनहदत पद म परयत त म feasting and fasting स तनकन अरथ व यत त होता ह

मल अनददा सराध (प-38) Saradh(प-38)

मल याकन मि पद म सराध शराद-कमथ क लिए परयत त शब द ह यह हहाद धमथ म एक ऐसा कमथकाणडी ववधान ह कजसम व यकतत क मरन क बाद शास तर म वकणथत वविध ववधान स उनक मत य क बाद एक अनषठातनक कमथ ककए जात ह मि पद म कबीर कहत ह कक जीववत वपता को िोग कन बात कहत ह और मरन क बाद शराद करत ह अनहदत पाकतत म मि का आशय का ी हद तक उतर रहा ह कका त शराद या सराध जस ववशि कमथकाणडी ववधान को ववभद नहीा हो पाता ह लिपयातररत अनवाद क लिए कहीा सपषनीकरण परसतत नहीा ककया गया ह

मल अनददा परमारर eole ecloN

(प53) (प53)

मल याकन

परमारर शब द परमारथ का तदभव रप ह कजसका अरथ उत कष न वस त तनत य और अबािधत पदारथ यरारथ तत व सत य परम बरहम मि पद म कबीर परमारर परमततव क लिए ही आया ह अनवाद स मि अरथ वयाकजत नहीा हो रहा ह अनवादक न मि का अरथ गरहण दसरो को कलयाण क लिए ककया ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह-

199

Love Songs of kabir --

मल अनददा

भरमत (प 124) To repeat moviong from square to square (प 125)

गपत (प 124) Secret (प 125)

Mystic songs of kabir स -

मल भावानवाद

परगठ (प53) Explained (प53)

भरतार (प 50) Lord (प 50)

उपयथत त तदभव शब दो क वववचन स स पष न होता ह कक अनवाद अध याकतमक अरथ वाि शब दो म कमजोर पडा ह अनवादक न कबीर क मि मातव य को अातरण करन म भावानवाद का सहारा लिया ह कका त पणथ स ि ह

413 दशज शबद

Mystic songs of Kabir स

मल- िबरा अनददा- passed for a speaker

मलयाकन- भारतीय समाज म लमथयावादी और गपप हाकन वाि को lsquoिबराrsquo कहा जाता ह अनवादक न lsquoelNsaorsquo क रप म मि का भावानवाद ldquopassed for a speakerrdquo ककया ह जो मि अरथ को सापरवित करता ह

मल- डगररया (प25) अनददा- NesM (प25)

200

मलयाकन- डगररया का अरथ होता ह मागथ पर रासता इतयाहद मि पद म ldquoडगररयाrdquo का सादलभथत अरथ ह ndash ऐसा मागथ जो परम तततव स लमिन कराता ह मि पद म डगररया स आधयाकतमक यकतत का बोध होता ह जो मि का अनवाद NesM म नहीा ह

मल- बावर (प25) अनददा- ir fNmo M (प25)

मलयाकन- बावर (बावि) शबद का शाकबदक अरथ होता ह पागि ववकषकषपत भारतीय समाज म िोग अपन आतमीय जनो को भी बावि कहकर साबोिधत करत ह कबीर न अपन पद म भकतत मागथ पर चिन वाि को lsquoबावरrsquo समबोिधत ककया ह अनवादक न परसागानसार भावानवाद ir fNmo M ककया ह जो मि भाव को वयतत करन म स ि ह

Love songs of Kabir स-

मल- रीझ (प78) अनददा- lmgllr elosaoM (प78)

वववचन- मि पद म रीझ स तातपयथ ldquoपरसननrdquo करना ह कबीर का ldquoमन ईशवरीय परम म मयर की तरह नाचrdquo रहा ह यह दखकर ईशवर भतत पर रीझ (अतत परसनन) होकर अनरतत हो गए ह अनवाद lmgllr elosaoM मि भाव को वयतत करन म समरथ ह

मल- रन (प79) अनददा- tsllm g leuMlr (प79)

वववचन- lsquoरनrsquo का अरथ होता ह ककसी शबद का बार-बार आवकतत या कौवो की बोिी मि पद म भतत दवारा ईशवर का बार-बार lsquoनाम-समरणrsquo क अरथ म lsquoरनrsquo शबद परयतत हआ ह lsquoभततrsquo ईशवर नाम-जप उसी तरह करता ह जस कोई पयासा पपीहा ldquoवपया-वपयाrdquo बार-बार बिाता ह अनवादक न उतत शबद का अनवाद tsllm g leuMlr ककया ह मि म lsquoवपया-वपयाrsquo करत हए बार-बार बिान

201

का बोध होता ह ककनत अनवाद म lsquoजोर स पकारनrsquo का भाव वयतत हो रहा ह अनवाद सनीक नहीा ह इसक बावजद मि मातवय सपषन हो जाता ह

मल- गड़डया (प165) अनददा नह

वववचन- ldquoगड़डयाrdquo बचचो क खिन का एक कखिौना होता ह अनवादक न उकी शबद का नौवाद छोड हदया ह उनहोन मि भाव को दकषन म रखत हए lsquoGive up now the childhood habits of playfulnessrsquo स खिन का बोध हो जाता ह

मल- बोरा (प142) अनददा- lsNsaaoM(प142)

वववचन- मि पद म बोरा का अरथ ह- डबोना कबीर कहत ह- मझ कलिकाि न साासाररक वविय म डबो हदया ह अनवादक न भावानवाद का सहारा लिया ह lsquoI am harassed by the ruinous urge of Kalirsquo स मि भाव सापरवित हो जाता ह lsquoKslmrsquo का ववलशषन सादभथगत अरथ lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल- बोझ (प166) अनददा- lesM(प167)

वववचन- मि शबद lsquoबोझrsquo का अरथ ह-भारी िगन वािी चीज मि पद की अाततम पाकतत म कबीर कहत ह हमको सासार की माया बाधन वविय-वासना रपी बोझ स कोई िगाव नहीा ह अनवादक न शाकबदक अनवाद ककया ह जो मिारथ को वयतत करन म समरथ ह

414 ववदशी शबद

ववदशी भािा स हहनदी आए शबदो को ववदशी शबद कहत ह ववदशी शबदो म अरबी ारसी तकी अागरजी इतयाहद स आगत शबदो की साखया अिधक ह कबीर दास अरबी ारसी शबदो का अिधक परयोग करत ह पदो म परयतत

202

ववदशी शबदो क लिए चयतनत अगरजी शबद मि अरथ भाव को का हा तक स ि वयतत करता ह अनवाद मलयााकन दवारा दरषनवय ह-

Love songs of kabir स-

मल - बदरदी (प-41) अनददा ndash unkind (प-41)

वववचन- मि lsquoबदरदीrsquo(बददी) ारसी शबद ह कजसका अरथ होता ह- कजसको दया न हो मि पद म कबीर न अपन (साई) परमतततव को बड अिधकार क सार तनदथय होन का आरोप िगाया ह lsquoबदरदीrsquo का अनवाद lsquounkindrsquo ह और lsquounkindrsquo स पहि lsquosorsquo का परयोग मि क समान परभावोतपादकता िान क लिए ककया गया ह मिारथ को वयतत करन म तनकन तक स ि ह

मल - फकीरवा (र-58) अनददा- Fakir (र-58)

वववचन- इसिाम धमथ क अातगथत भरमण करन वाि सात को lsquo कीरवाrsquo कहा जाता ह वह अलिाह (ईशवर) का भजन करता रहता ह और शरीर रकषा भर क लिए भीख माागता ह मि पद म कबीर न ईशवर को साबोिधत करत हय lsquo कीरrsquo कहा ह अनवादक न lsquoFakir क रप म लिपयातररत ककया ह और उसक सादभथगत अरो को (glossary) क अातगथत स ि रप म सपषन ककया गया ह

मल - आशशक (र-63) अनददा-beloved(र-63)

वववचन- इशक या परम करन वािो को आलशक (परमी) कहत ह यह अरबी शबद ह मि पद म lsquoआलशकrsquoशबद का सनदभथगत अरथ lsquoईशवर-अनरागीrsquo ह अनहदत पद म परयतत lsquobelovedrsquo स परसागानकि अरथ वयतत हो रहा ह इसक अततररतत उतत मि शबद का स ी सादभथ भी ह अनवादक न इस सादभथ को भलमका म सपषन ककया ह

203

मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

204

मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

205

मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

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वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

208

कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

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416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

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स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

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जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

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दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

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वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

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वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

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िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

194

कछ और उदाहरण दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

1 सररता (प50) Stream(प50)

2 अनि (प52) Fire (प52)

3 यवागम (प 37) reptile(प37)

4 गगन (प 41) Sky(प41)

Mystic song of kabir स-

5 का चन (प126) Gold (प126)

6 सररता (प50) Stream(प50)

7 अनि (प52) Fire (प52)

8 यवागम (प37) reptile(प37)

9 गगन (प41) Sky(प41)

उपयथत त तत सम शब दो क मल यााकन स स पष न होता ह कक ववशि अरथ वाि शब दो (तत सम) क अनवाद स मिारथ पणथ रप स वयतत नहीा हो पा रहा ह

412 ादभव शब द-

तदभव शब द तत +भव स लमिकर बना ह कजसका अरथ उसस (सास कत स) उत पन न ऐस शब द जो सास कत और पराकत स ववकत होकर हहादी म आय ह तदभव कहिात हrdquo1 कबीर अपन काव य म सास कत शब द को अपन अनसार

1 वासदवनादन परसाद आधतनक हहनदी वयाकरण और रचना 2009 प 147

195

बबगाडकर सापरिणीय बनाया ह वह कजस भािा समाज म जात र उसी की भािा म पद को कहत र कबीर क पद म जो अागरजी व याकरण म तदभव शब द की कोई कोहन नहीा बाना गया ह अत अनवादक क लिए हहादी स अागरजी म अनहदत पाठ सकजत करन हत हहादी तदभव क समतल य शब द लमिन की साभावना नहीा बनती ह यहा अनहदत पाठ म ककस तरह तदभव शब दो क अरथ सौदयथ सरकषकषत ह का मल यााकन दरष नव य ह- Love songs of kabir स -

मल अनददा दरसन ne teio

(प71) (प71)

मल याकन- मि शब द दरसन(दशथन) का मि पद म आत मा का परमतत व स साकषात कार क अरथ म परयत त ह दरसन क लिए परयत त ne teio भावानवाद ह यह मिारथ को व याकजत नहीा कर रहा ह

मल अनददा परकालसया bearing

(प115) (प11)

मल याकन- मि पद म परकालसया शब द का सादभथगत अरथ यह ह कक गर क दवारा साधक को ईश वरीय जञान को बताना उत त शब द क लिए परयत त bearing शब द मिार (अध याकतमक अरथ) को बोध नहीा कराता

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मल अनददा समरर Almighty

(प40) (प40)

मल याकन- मि शबद समरर समरथ का तदभव रप ह मि पद म परमतत व को समरर अराथत सवथशाकततमान बतया ह कबीर कहत ह कक र भाई वह हदन कब आएगा जब म वपरयतम राम स को आलिागन करा गा कजसक कारण म यह दह धारण ककया ह परमततव समरथ ईशवर राम मरी कामना परी करो अनवाद Almighty का अरथ भी सवथशकततमान होता ह जो मिारथ को सापरवित कर रहा ह

मल ndash उनमना (126) अनददा ndash deep meditation (126)

वववचन- उनमाना शबद उनमन का तदभव रप ह सात कवव म उनमना स आशय ह कक उनमना यह वह अवसरा ह चाचि साकलप ndash ववकलपातमक मन शाात हो जाता ह और इसस एक उचचतर चतना का आववभाथव होता ह तातरो म उनमना अरवा उनमनी अवसरा को मन स उपर की एक अवसरा कहा गया हभागवती चतना1 उनमना का सादभथगत अरथ यह ह कक एक बार मन परााततव म लमि जान पर पनः सासार की ओर परवत नहीा होता हन योिगयो क अनसार यह खचरी मदरा का पररणाम होता ह खचरी मदरा दवारा जो मन की उदातत अवसरा हो जाती ह उतत शबद का अनवाद deep meditationस पर सादभथ और अरथ वयाकजत नहीा होता ह उतत शबद क लिए अगरजी म पयाथय क अभाव म इस अलभवयकतत का परयोग ककया गया ह जो सामानय अरथ ही परदान करता ह

1 वासदव लसाह कबीर कावय कोश 2011 प-355

197

मल- परघन (प-126) अनददा- Manifest (प-126)

वववचन- परघन परकन का तदभव रप ह मि पद म कबीर कहत ह की अब मर शरीर म राम परकन हो गया ह कजसक कारण मरा शरीर सोन क समान शद हो गया ह अनवाद lsquomanifestrsquo मि का समानारथी शबद ह जो मि सादभथ स जडकर अनकि अरथ परदान का रहा ह

Mystic song of kabiir स -

मल अनददा तीरर esoNoM elsto

(प115) (प115)

मल याकन

परस तत शब द तीरर तीरथ स रान क अरथ म परयत त ह तीरथ स रान का हहाद धमथ म ववशि पौराकणक अरथ ह हहाद धमथ म माना जाता ह कक तीरथ स रान पर जान स िोग पण य अकजथत करत ह और उनक दवारा ककए गए पाप कानता ह ककन त esoNoM elsto स भारतीय (हहाद) मान यतानकि अरथ छवव को सापरवित नहीा करता यहा मिारथ आालशक रप म ही उतर पाया ह

मल अनददा बरत उपास feasting and fasting (प17) (प17)

मल याकन मि पद म बरस वरत तरा उपास उपवास का तदभव रप हवरत उपवास धालमथक कमथ ह कजसम िोग तनधाथररत अविध क क लिए बबना अनन गरहण का

198

रहत ह अनहदत पद म परयत त म feasting and fasting स तनकन अरथ व यत त होता ह

मल अनददा सराध (प-38) Saradh(प-38)

मल याकन मि पद म सराध शराद-कमथ क लिए परयत त शब द ह यह हहाद धमथ म एक ऐसा कमथकाणडी ववधान ह कजसम व यकतत क मरन क बाद शास तर म वकणथत वविध ववधान स उनक मत य क बाद एक अनषठातनक कमथ ककए जात ह मि पद म कबीर कहत ह कक जीववत वपता को िोग कन बात कहत ह और मरन क बाद शराद करत ह अनहदत पाकतत म मि का आशय का ी हद तक उतर रहा ह कका त शराद या सराध जस ववशि कमथकाणडी ववधान को ववभद नहीा हो पाता ह लिपयातररत अनवाद क लिए कहीा सपषनीकरण परसतत नहीा ककया गया ह

मल अनददा परमारर eole ecloN

(प53) (प53)

मल याकन

परमारर शब द परमारथ का तदभव रप ह कजसका अरथ उत कष न वस त तनत य और अबािधत पदारथ यरारथ तत व सत य परम बरहम मि पद म कबीर परमारर परमततव क लिए ही आया ह अनवाद स मि अरथ वयाकजत नहीा हो रहा ह अनवादक न मि का अरथ गरहण दसरो को कलयाण क लिए ककया ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह-

199

Love Songs of kabir --

मल अनददा

भरमत (प 124) To repeat moviong from square to square (प 125)

गपत (प 124) Secret (प 125)

Mystic songs of kabir स -

मल भावानवाद

परगठ (प53) Explained (प53)

भरतार (प 50) Lord (प 50)

उपयथत त तदभव शब दो क वववचन स स पष न होता ह कक अनवाद अध याकतमक अरथ वाि शब दो म कमजोर पडा ह अनवादक न कबीर क मि मातव य को अातरण करन म भावानवाद का सहारा लिया ह कका त पणथ स ि ह

413 दशज शबद

Mystic songs of Kabir स

मल- िबरा अनददा- passed for a speaker

मलयाकन- भारतीय समाज म लमथयावादी और गपप हाकन वाि को lsquoिबराrsquo कहा जाता ह अनवादक न lsquoelNsaorsquo क रप म मि का भावानवाद ldquopassed for a speakerrdquo ककया ह जो मि अरथ को सापरवित करता ह

मल- डगररया (प25) अनददा- NesM (प25)

200

मलयाकन- डगररया का अरथ होता ह मागथ पर रासता इतयाहद मि पद म ldquoडगररयाrdquo का सादलभथत अरथ ह ndash ऐसा मागथ जो परम तततव स लमिन कराता ह मि पद म डगररया स आधयाकतमक यकतत का बोध होता ह जो मि का अनवाद NesM म नहीा ह

मल- बावर (प25) अनददा- ir fNmo M (प25)

मलयाकन- बावर (बावि) शबद का शाकबदक अरथ होता ह पागि ववकषकषपत भारतीय समाज म िोग अपन आतमीय जनो को भी बावि कहकर साबोिधत करत ह कबीर न अपन पद म भकतत मागथ पर चिन वाि को lsquoबावरrsquo समबोिधत ककया ह अनवादक न परसागानसार भावानवाद ir fNmo M ककया ह जो मि भाव को वयतत करन म स ि ह

Love songs of Kabir स-

मल- रीझ (प78) अनददा- lmgllr elosaoM (प78)

वववचन- मि पद म रीझ स तातपयथ ldquoपरसननrdquo करना ह कबीर का ldquoमन ईशवरीय परम म मयर की तरह नाचrdquo रहा ह यह दखकर ईशवर भतत पर रीझ (अतत परसनन) होकर अनरतत हो गए ह अनवाद lmgllr elosaoM मि भाव को वयतत करन म समरथ ह

मल- रन (प79) अनददा- tsllm g leuMlr (प79)

वववचन- lsquoरनrsquo का अरथ होता ह ककसी शबद का बार-बार आवकतत या कौवो की बोिी मि पद म भतत दवारा ईशवर का बार-बार lsquoनाम-समरणrsquo क अरथ म lsquoरनrsquo शबद परयतत हआ ह lsquoभततrsquo ईशवर नाम-जप उसी तरह करता ह जस कोई पयासा पपीहा ldquoवपया-वपयाrdquo बार-बार बिाता ह अनवादक न उतत शबद का अनवाद tsllm g leuMlr ककया ह मि म lsquoवपया-वपयाrsquo करत हए बार-बार बिान

201

का बोध होता ह ककनत अनवाद म lsquoजोर स पकारनrsquo का भाव वयतत हो रहा ह अनवाद सनीक नहीा ह इसक बावजद मि मातवय सपषन हो जाता ह

मल- गड़डया (प165) अनददा नह

वववचन- ldquoगड़डयाrdquo बचचो क खिन का एक कखिौना होता ह अनवादक न उकी शबद का नौवाद छोड हदया ह उनहोन मि भाव को दकषन म रखत हए lsquoGive up now the childhood habits of playfulnessrsquo स खिन का बोध हो जाता ह

मल- बोरा (प142) अनददा- lsNsaaoM(प142)

वववचन- मि पद म बोरा का अरथ ह- डबोना कबीर कहत ह- मझ कलिकाि न साासाररक वविय म डबो हदया ह अनवादक न भावानवाद का सहारा लिया ह lsquoI am harassed by the ruinous urge of Kalirsquo स मि भाव सापरवित हो जाता ह lsquoKslmrsquo का ववलशषन सादभथगत अरथ lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल- बोझ (प166) अनददा- lesM(प167)

वववचन- मि शबद lsquoबोझrsquo का अरथ ह-भारी िगन वािी चीज मि पद की अाततम पाकतत म कबीर कहत ह हमको सासार की माया बाधन वविय-वासना रपी बोझ स कोई िगाव नहीा ह अनवादक न शाकबदक अनवाद ककया ह जो मिारथ को वयतत करन म समरथ ह

414 ववदशी शबद

ववदशी भािा स हहनदी आए शबदो को ववदशी शबद कहत ह ववदशी शबदो म अरबी ारसी तकी अागरजी इतयाहद स आगत शबदो की साखया अिधक ह कबीर दास अरबी ारसी शबदो का अिधक परयोग करत ह पदो म परयतत

202

ववदशी शबदो क लिए चयतनत अगरजी शबद मि अरथ भाव को का हा तक स ि वयतत करता ह अनवाद मलयााकन दवारा दरषनवय ह-

Love songs of kabir स-

मल - बदरदी (प-41) अनददा ndash unkind (प-41)

वववचन- मि lsquoबदरदीrsquo(बददी) ारसी शबद ह कजसका अरथ होता ह- कजसको दया न हो मि पद म कबीर न अपन (साई) परमतततव को बड अिधकार क सार तनदथय होन का आरोप िगाया ह lsquoबदरदीrsquo का अनवाद lsquounkindrsquo ह और lsquounkindrsquo स पहि lsquosorsquo का परयोग मि क समान परभावोतपादकता िान क लिए ककया गया ह मिारथ को वयतत करन म तनकन तक स ि ह

मल - फकीरवा (र-58) अनददा- Fakir (र-58)

वववचन- इसिाम धमथ क अातगथत भरमण करन वाि सात को lsquo कीरवाrsquo कहा जाता ह वह अलिाह (ईशवर) का भजन करता रहता ह और शरीर रकषा भर क लिए भीख माागता ह मि पद म कबीर न ईशवर को साबोिधत करत हय lsquo कीरrsquo कहा ह अनवादक न lsquoFakir क रप म लिपयातररत ककया ह और उसक सादभथगत अरो को (glossary) क अातगथत स ि रप म सपषन ककया गया ह

मल - आशशक (र-63) अनददा-beloved(र-63)

वववचन- इशक या परम करन वािो को आलशक (परमी) कहत ह यह अरबी शबद ह मि पद म lsquoआलशकrsquoशबद का सनदभथगत अरथ lsquoईशवर-अनरागीrsquo ह अनहदत पद म परयतत lsquobelovedrsquo स परसागानकि अरथ वयतत हो रहा ह इसक अततररतत उतत मि शबद का स ी सादभथ भी ह अनवादक न इस सादभथ को भलमका म सपषन ककया ह

203

मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

204

मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

205

मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

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वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

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कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

210

416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

212

ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

213

वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

214

स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

195

बबगाडकर सापरिणीय बनाया ह वह कजस भािा समाज म जात र उसी की भािा म पद को कहत र कबीर क पद म जो अागरजी व याकरण म तदभव शब द की कोई कोहन नहीा बाना गया ह अत अनवादक क लिए हहादी स अागरजी म अनहदत पाठ सकजत करन हत हहादी तदभव क समतल य शब द लमिन की साभावना नहीा बनती ह यहा अनहदत पाठ म ककस तरह तदभव शब दो क अरथ सौदयथ सरकषकषत ह का मल यााकन दरष नव य ह- Love songs of kabir स -

मल अनददा दरसन ne teio

(प71) (प71)

मल याकन- मि शब द दरसन(दशथन) का मि पद म आत मा का परमतत व स साकषात कार क अरथ म परयत त ह दरसन क लिए परयत त ne teio भावानवाद ह यह मिारथ को व याकजत नहीा कर रहा ह

मल अनददा परकालसया bearing

(प115) (प11)

मल याकन- मि पद म परकालसया शब द का सादभथगत अरथ यह ह कक गर क दवारा साधक को ईश वरीय जञान को बताना उत त शब द क लिए परयत त bearing शब द मिार (अध याकतमक अरथ) को बोध नहीा कराता

196

मल अनददा समरर Almighty

(प40) (प40)

मल याकन- मि शबद समरर समरथ का तदभव रप ह मि पद म परमतत व को समरर अराथत सवथशाकततमान बतया ह कबीर कहत ह कक र भाई वह हदन कब आएगा जब म वपरयतम राम स को आलिागन करा गा कजसक कारण म यह दह धारण ककया ह परमततव समरथ ईशवर राम मरी कामना परी करो अनवाद Almighty का अरथ भी सवथशकततमान होता ह जो मिारथ को सापरवित कर रहा ह

मल ndash उनमना (126) अनददा ndash deep meditation (126)

वववचन- उनमाना शबद उनमन का तदभव रप ह सात कवव म उनमना स आशय ह कक उनमना यह वह अवसरा ह चाचि साकलप ndash ववकलपातमक मन शाात हो जाता ह और इसस एक उचचतर चतना का आववभाथव होता ह तातरो म उनमना अरवा उनमनी अवसरा को मन स उपर की एक अवसरा कहा गया हभागवती चतना1 उनमना का सादभथगत अरथ यह ह कक एक बार मन परााततव म लमि जान पर पनः सासार की ओर परवत नहीा होता हन योिगयो क अनसार यह खचरी मदरा का पररणाम होता ह खचरी मदरा दवारा जो मन की उदातत अवसरा हो जाती ह उतत शबद का अनवाद deep meditationस पर सादभथ और अरथ वयाकजत नहीा होता ह उतत शबद क लिए अगरजी म पयाथय क अभाव म इस अलभवयकतत का परयोग ककया गया ह जो सामानय अरथ ही परदान करता ह

1 वासदव लसाह कबीर कावय कोश 2011 प-355

197

मल- परघन (प-126) अनददा- Manifest (प-126)

वववचन- परघन परकन का तदभव रप ह मि पद म कबीर कहत ह की अब मर शरीर म राम परकन हो गया ह कजसक कारण मरा शरीर सोन क समान शद हो गया ह अनवाद lsquomanifestrsquo मि का समानारथी शबद ह जो मि सादभथ स जडकर अनकि अरथ परदान का रहा ह

Mystic song of kabiir स -

मल अनददा तीरर esoNoM elsto

(प115) (प115)

मल याकन

परस तत शब द तीरर तीरथ स रान क अरथ म परयत त ह तीरथ स रान का हहाद धमथ म ववशि पौराकणक अरथ ह हहाद धमथ म माना जाता ह कक तीरथ स रान पर जान स िोग पण य अकजथत करत ह और उनक दवारा ककए गए पाप कानता ह ककन त esoNoM elsto स भारतीय (हहाद) मान यतानकि अरथ छवव को सापरवित नहीा करता यहा मिारथ आालशक रप म ही उतर पाया ह

मल अनददा बरत उपास feasting and fasting (प17) (प17)

मल याकन मि पद म बरस वरत तरा उपास उपवास का तदभव रप हवरत उपवास धालमथक कमथ ह कजसम िोग तनधाथररत अविध क क लिए बबना अनन गरहण का

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रहत ह अनहदत पद म परयत त म feasting and fasting स तनकन अरथ व यत त होता ह

मल अनददा सराध (प-38) Saradh(प-38)

मल याकन मि पद म सराध शराद-कमथ क लिए परयत त शब द ह यह हहाद धमथ म एक ऐसा कमथकाणडी ववधान ह कजसम व यकतत क मरन क बाद शास तर म वकणथत वविध ववधान स उनक मत य क बाद एक अनषठातनक कमथ ककए जात ह मि पद म कबीर कहत ह कक जीववत वपता को िोग कन बात कहत ह और मरन क बाद शराद करत ह अनहदत पाकतत म मि का आशय का ी हद तक उतर रहा ह कका त शराद या सराध जस ववशि कमथकाणडी ववधान को ववभद नहीा हो पाता ह लिपयातररत अनवाद क लिए कहीा सपषनीकरण परसतत नहीा ककया गया ह

मल अनददा परमारर eole ecloN

(प53) (प53)

मल याकन

परमारर शब द परमारथ का तदभव रप ह कजसका अरथ उत कष न वस त तनत य और अबािधत पदारथ यरारथ तत व सत य परम बरहम मि पद म कबीर परमारर परमततव क लिए ही आया ह अनवाद स मि अरथ वयाकजत नहीा हो रहा ह अनवादक न मि का अरथ गरहण दसरो को कलयाण क लिए ककया ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह-

199

Love Songs of kabir --

मल अनददा

भरमत (प 124) To repeat moviong from square to square (प 125)

गपत (प 124) Secret (प 125)

Mystic songs of kabir स -

मल भावानवाद

परगठ (प53) Explained (प53)

भरतार (प 50) Lord (प 50)

उपयथत त तदभव शब दो क वववचन स स पष न होता ह कक अनवाद अध याकतमक अरथ वाि शब दो म कमजोर पडा ह अनवादक न कबीर क मि मातव य को अातरण करन म भावानवाद का सहारा लिया ह कका त पणथ स ि ह

413 दशज शबद

Mystic songs of Kabir स

मल- िबरा अनददा- passed for a speaker

मलयाकन- भारतीय समाज म लमथयावादी और गपप हाकन वाि को lsquoिबराrsquo कहा जाता ह अनवादक न lsquoelNsaorsquo क रप म मि का भावानवाद ldquopassed for a speakerrdquo ककया ह जो मि अरथ को सापरवित करता ह

मल- डगररया (प25) अनददा- NesM (प25)

200

मलयाकन- डगररया का अरथ होता ह मागथ पर रासता इतयाहद मि पद म ldquoडगररयाrdquo का सादलभथत अरथ ह ndash ऐसा मागथ जो परम तततव स लमिन कराता ह मि पद म डगररया स आधयाकतमक यकतत का बोध होता ह जो मि का अनवाद NesM म नहीा ह

मल- बावर (प25) अनददा- ir fNmo M (प25)

मलयाकन- बावर (बावि) शबद का शाकबदक अरथ होता ह पागि ववकषकषपत भारतीय समाज म िोग अपन आतमीय जनो को भी बावि कहकर साबोिधत करत ह कबीर न अपन पद म भकतत मागथ पर चिन वाि को lsquoबावरrsquo समबोिधत ककया ह अनवादक न परसागानसार भावानवाद ir fNmo M ककया ह जो मि भाव को वयतत करन म स ि ह

Love songs of Kabir स-

मल- रीझ (प78) अनददा- lmgllr elosaoM (प78)

वववचन- मि पद म रीझ स तातपयथ ldquoपरसननrdquo करना ह कबीर का ldquoमन ईशवरीय परम म मयर की तरह नाचrdquo रहा ह यह दखकर ईशवर भतत पर रीझ (अतत परसनन) होकर अनरतत हो गए ह अनवाद lmgllr elosaoM मि भाव को वयतत करन म समरथ ह

मल- रन (प79) अनददा- tsllm g leuMlr (प79)

वववचन- lsquoरनrsquo का अरथ होता ह ककसी शबद का बार-बार आवकतत या कौवो की बोिी मि पद म भतत दवारा ईशवर का बार-बार lsquoनाम-समरणrsquo क अरथ म lsquoरनrsquo शबद परयतत हआ ह lsquoभततrsquo ईशवर नाम-जप उसी तरह करता ह जस कोई पयासा पपीहा ldquoवपया-वपयाrdquo बार-बार बिाता ह अनवादक न उतत शबद का अनवाद tsllm g leuMlr ककया ह मि म lsquoवपया-वपयाrsquo करत हए बार-बार बिान

201

का बोध होता ह ककनत अनवाद म lsquoजोर स पकारनrsquo का भाव वयतत हो रहा ह अनवाद सनीक नहीा ह इसक बावजद मि मातवय सपषन हो जाता ह

मल- गड़डया (प165) अनददा नह

वववचन- ldquoगड़डयाrdquo बचचो क खिन का एक कखिौना होता ह अनवादक न उकी शबद का नौवाद छोड हदया ह उनहोन मि भाव को दकषन म रखत हए lsquoGive up now the childhood habits of playfulnessrsquo स खिन का बोध हो जाता ह

मल- बोरा (प142) अनददा- lsNsaaoM(प142)

वववचन- मि पद म बोरा का अरथ ह- डबोना कबीर कहत ह- मझ कलिकाि न साासाररक वविय म डबो हदया ह अनवादक न भावानवाद का सहारा लिया ह lsquoI am harassed by the ruinous urge of Kalirsquo स मि भाव सापरवित हो जाता ह lsquoKslmrsquo का ववलशषन सादभथगत अरथ lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल- बोझ (प166) अनददा- lesM(प167)

वववचन- मि शबद lsquoबोझrsquo का अरथ ह-भारी िगन वािी चीज मि पद की अाततम पाकतत म कबीर कहत ह हमको सासार की माया बाधन वविय-वासना रपी बोझ स कोई िगाव नहीा ह अनवादक न शाकबदक अनवाद ककया ह जो मिारथ को वयतत करन म समरथ ह

414 ववदशी शबद

ववदशी भािा स हहनदी आए शबदो को ववदशी शबद कहत ह ववदशी शबदो म अरबी ारसी तकी अागरजी इतयाहद स आगत शबदो की साखया अिधक ह कबीर दास अरबी ारसी शबदो का अिधक परयोग करत ह पदो म परयतत

202

ववदशी शबदो क लिए चयतनत अगरजी शबद मि अरथ भाव को का हा तक स ि वयतत करता ह अनवाद मलयााकन दवारा दरषनवय ह-

Love songs of kabir स-

मल - बदरदी (प-41) अनददा ndash unkind (प-41)

वववचन- मि lsquoबदरदीrsquo(बददी) ारसी शबद ह कजसका अरथ होता ह- कजसको दया न हो मि पद म कबीर न अपन (साई) परमतततव को बड अिधकार क सार तनदथय होन का आरोप िगाया ह lsquoबदरदीrsquo का अनवाद lsquounkindrsquo ह और lsquounkindrsquo स पहि lsquosorsquo का परयोग मि क समान परभावोतपादकता िान क लिए ककया गया ह मिारथ को वयतत करन म तनकन तक स ि ह

मल - फकीरवा (र-58) अनददा- Fakir (र-58)

वववचन- इसिाम धमथ क अातगथत भरमण करन वाि सात को lsquo कीरवाrsquo कहा जाता ह वह अलिाह (ईशवर) का भजन करता रहता ह और शरीर रकषा भर क लिए भीख माागता ह मि पद म कबीर न ईशवर को साबोिधत करत हय lsquo कीरrsquo कहा ह अनवादक न lsquoFakir क रप म लिपयातररत ककया ह और उसक सादभथगत अरो को (glossary) क अातगथत स ि रप म सपषन ककया गया ह

मल - आशशक (र-63) अनददा-beloved(र-63)

वववचन- इशक या परम करन वािो को आलशक (परमी) कहत ह यह अरबी शबद ह मि पद म lsquoआलशकrsquoशबद का सनदभथगत अरथ lsquoईशवर-अनरागीrsquo ह अनहदत पद म परयतत lsquobelovedrsquo स परसागानकि अरथ वयतत हो रहा ह इसक अततररतत उतत मि शबद का स ी सादभथ भी ह अनवादक न इस सादभथ को भलमका म सपषन ककया ह

203

मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

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मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

205

मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

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वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

208

कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

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416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

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स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

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जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

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दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

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मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

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वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

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वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

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िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

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मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

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419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

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दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

196

मल अनददा समरर Almighty

(प40) (प40)

मल याकन- मि शबद समरर समरथ का तदभव रप ह मि पद म परमतत व को समरर अराथत सवथशाकततमान बतया ह कबीर कहत ह कक र भाई वह हदन कब आएगा जब म वपरयतम राम स को आलिागन करा गा कजसक कारण म यह दह धारण ककया ह परमततव समरथ ईशवर राम मरी कामना परी करो अनवाद Almighty का अरथ भी सवथशकततमान होता ह जो मिारथ को सापरवित कर रहा ह

मल ndash उनमना (126) अनददा ndash deep meditation (126)

वववचन- उनमाना शबद उनमन का तदभव रप ह सात कवव म उनमना स आशय ह कक उनमना यह वह अवसरा ह चाचि साकलप ndash ववकलपातमक मन शाात हो जाता ह और इसस एक उचचतर चतना का आववभाथव होता ह तातरो म उनमना अरवा उनमनी अवसरा को मन स उपर की एक अवसरा कहा गया हभागवती चतना1 उनमना का सादभथगत अरथ यह ह कक एक बार मन परााततव म लमि जान पर पनः सासार की ओर परवत नहीा होता हन योिगयो क अनसार यह खचरी मदरा का पररणाम होता ह खचरी मदरा दवारा जो मन की उदातत अवसरा हो जाती ह उतत शबद का अनवाद deep meditationस पर सादभथ और अरथ वयाकजत नहीा होता ह उतत शबद क लिए अगरजी म पयाथय क अभाव म इस अलभवयकतत का परयोग ककया गया ह जो सामानय अरथ ही परदान करता ह

1 वासदव लसाह कबीर कावय कोश 2011 प-355

197

मल- परघन (प-126) अनददा- Manifest (प-126)

वववचन- परघन परकन का तदभव रप ह मि पद म कबीर कहत ह की अब मर शरीर म राम परकन हो गया ह कजसक कारण मरा शरीर सोन क समान शद हो गया ह अनवाद lsquomanifestrsquo मि का समानारथी शबद ह जो मि सादभथ स जडकर अनकि अरथ परदान का रहा ह

Mystic song of kabiir स -

मल अनददा तीरर esoNoM elsto

(प115) (प115)

मल याकन

परस तत शब द तीरर तीरथ स रान क अरथ म परयत त ह तीरथ स रान का हहाद धमथ म ववशि पौराकणक अरथ ह हहाद धमथ म माना जाता ह कक तीरथ स रान पर जान स िोग पण य अकजथत करत ह और उनक दवारा ककए गए पाप कानता ह ककन त esoNoM elsto स भारतीय (हहाद) मान यतानकि अरथ छवव को सापरवित नहीा करता यहा मिारथ आालशक रप म ही उतर पाया ह

मल अनददा बरत उपास feasting and fasting (प17) (प17)

मल याकन मि पद म बरस वरत तरा उपास उपवास का तदभव रप हवरत उपवास धालमथक कमथ ह कजसम िोग तनधाथररत अविध क क लिए बबना अनन गरहण का

198

रहत ह अनहदत पद म परयत त म feasting and fasting स तनकन अरथ व यत त होता ह

मल अनददा सराध (प-38) Saradh(प-38)

मल याकन मि पद म सराध शराद-कमथ क लिए परयत त शब द ह यह हहाद धमथ म एक ऐसा कमथकाणडी ववधान ह कजसम व यकतत क मरन क बाद शास तर म वकणथत वविध ववधान स उनक मत य क बाद एक अनषठातनक कमथ ककए जात ह मि पद म कबीर कहत ह कक जीववत वपता को िोग कन बात कहत ह और मरन क बाद शराद करत ह अनहदत पाकतत म मि का आशय का ी हद तक उतर रहा ह कका त शराद या सराध जस ववशि कमथकाणडी ववधान को ववभद नहीा हो पाता ह लिपयातररत अनवाद क लिए कहीा सपषनीकरण परसतत नहीा ककया गया ह

मल अनददा परमारर eole ecloN

(प53) (प53)

मल याकन

परमारर शब द परमारथ का तदभव रप ह कजसका अरथ उत कष न वस त तनत य और अबािधत पदारथ यरारथ तत व सत य परम बरहम मि पद म कबीर परमारर परमततव क लिए ही आया ह अनवाद स मि अरथ वयाकजत नहीा हो रहा ह अनवादक न मि का अरथ गरहण दसरो को कलयाण क लिए ककया ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह-

199

Love Songs of kabir --

मल अनददा

भरमत (प 124) To repeat moviong from square to square (प 125)

गपत (प 124) Secret (प 125)

Mystic songs of kabir स -

मल भावानवाद

परगठ (प53) Explained (प53)

भरतार (प 50) Lord (प 50)

उपयथत त तदभव शब दो क वववचन स स पष न होता ह कक अनवाद अध याकतमक अरथ वाि शब दो म कमजोर पडा ह अनवादक न कबीर क मि मातव य को अातरण करन म भावानवाद का सहारा लिया ह कका त पणथ स ि ह

413 दशज शबद

Mystic songs of Kabir स

मल- िबरा अनददा- passed for a speaker

मलयाकन- भारतीय समाज म लमथयावादी और गपप हाकन वाि को lsquoिबराrsquo कहा जाता ह अनवादक न lsquoelNsaorsquo क रप म मि का भावानवाद ldquopassed for a speakerrdquo ककया ह जो मि अरथ को सापरवित करता ह

मल- डगररया (प25) अनददा- NesM (प25)

200

मलयाकन- डगररया का अरथ होता ह मागथ पर रासता इतयाहद मि पद म ldquoडगररयाrdquo का सादलभथत अरथ ह ndash ऐसा मागथ जो परम तततव स लमिन कराता ह मि पद म डगररया स आधयाकतमक यकतत का बोध होता ह जो मि का अनवाद NesM म नहीा ह

मल- बावर (प25) अनददा- ir fNmo M (प25)

मलयाकन- बावर (बावि) शबद का शाकबदक अरथ होता ह पागि ववकषकषपत भारतीय समाज म िोग अपन आतमीय जनो को भी बावि कहकर साबोिधत करत ह कबीर न अपन पद म भकतत मागथ पर चिन वाि को lsquoबावरrsquo समबोिधत ककया ह अनवादक न परसागानसार भावानवाद ir fNmo M ककया ह जो मि भाव को वयतत करन म स ि ह

Love songs of Kabir स-

मल- रीझ (प78) अनददा- lmgllr elosaoM (प78)

वववचन- मि पद म रीझ स तातपयथ ldquoपरसननrdquo करना ह कबीर का ldquoमन ईशवरीय परम म मयर की तरह नाचrdquo रहा ह यह दखकर ईशवर भतत पर रीझ (अतत परसनन) होकर अनरतत हो गए ह अनवाद lmgllr elosaoM मि भाव को वयतत करन म समरथ ह

मल- रन (प79) अनददा- tsllm g leuMlr (प79)

वववचन- lsquoरनrsquo का अरथ होता ह ककसी शबद का बार-बार आवकतत या कौवो की बोिी मि पद म भतत दवारा ईशवर का बार-बार lsquoनाम-समरणrsquo क अरथ म lsquoरनrsquo शबद परयतत हआ ह lsquoभततrsquo ईशवर नाम-जप उसी तरह करता ह जस कोई पयासा पपीहा ldquoवपया-वपयाrdquo बार-बार बिाता ह अनवादक न उतत शबद का अनवाद tsllm g leuMlr ककया ह मि म lsquoवपया-वपयाrsquo करत हए बार-बार बिान

201

का बोध होता ह ककनत अनवाद म lsquoजोर स पकारनrsquo का भाव वयतत हो रहा ह अनवाद सनीक नहीा ह इसक बावजद मि मातवय सपषन हो जाता ह

मल- गड़डया (प165) अनददा नह

वववचन- ldquoगड़डयाrdquo बचचो क खिन का एक कखिौना होता ह अनवादक न उकी शबद का नौवाद छोड हदया ह उनहोन मि भाव को दकषन म रखत हए lsquoGive up now the childhood habits of playfulnessrsquo स खिन का बोध हो जाता ह

मल- बोरा (प142) अनददा- lsNsaaoM(प142)

वववचन- मि पद म बोरा का अरथ ह- डबोना कबीर कहत ह- मझ कलिकाि न साासाररक वविय म डबो हदया ह अनवादक न भावानवाद का सहारा लिया ह lsquoI am harassed by the ruinous urge of Kalirsquo स मि भाव सापरवित हो जाता ह lsquoKslmrsquo का ववलशषन सादभथगत अरथ lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल- बोझ (प166) अनददा- lesM(प167)

वववचन- मि शबद lsquoबोझrsquo का अरथ ह-भारी िगन वािी चीज मि पद की अाततम पाकतत म कबीर कहत ह हमको सासार की माया बाधन वविय-वासना रपी बोझ स कोई िगाव नहीा ह अनवादक न शाकबदक अनवाद ककया ह जो मिारथ को वयतत करन म समरथ ह

414 ववदशी शबद

ववदशी भािा स हहनदी आए शबदो को ववदशी शबद कहत ह ववदशी शबदो म अरबी ारसी तकी अागरजी इतयाहद स आगत शबदो की साखया अिधक ह कबीर दास अरबी ारसी शबदो का अिधक परयोग करत ह पदो म परयतत

202

ववदशी शबदो क लिए चयतनत अगरजी शबद मि अरथ भाव को का हा तक स ि वयतत करता ह अनवाद मलयााकन दवारा दरषनवय ह-

Love songs of kabir स-

मल - बदरदी (प-41) अनददा ndash unkind (प-41)

वववचन- मि lsquoबदरदीrsquo(बददी) ारसी शबद ह कजसका अरथ होता ह- कजसको दया न हो मि पद म कबीर न अपन (साई) परमतततव को बड अिधकार क सार तनदथय होन का आरोप िगाया ह lsquoबदरदीrsquo का अनवाद lsquounkindrsquo ह और lsquounkindrsquo स पहि lsquosorsquo का परयोग मि क समान परभावोतपादकता िान क लिए ककया गया ह मिारथ को वयतत करन म तनकन तक स ि ह

मल - फकीरवा (र-58) अनददा- Fakir (र-58)

वववचन- इसिाम धमथ क अातगथत भरमण करन वाि सात को lsquo कीरवाrsquo कहा जाता ह वह अलिाह (ईशवर) का भजन करता रहता ह और शरीर रकषा भर क लिए भीख माागता ह मि पद म कबीर न ईशवर को साबोिधत करत हय lsquo कीरrsquo कहा ह अनवादक न lsquoFakir क रप म लिपयातररत ककया ह और उसक सादभथगत अरो को (glossary) क अातगथत स ि रप म सपषन ककया गया ह

मल - आशशक (र-63) अनददा-beloved(र-63)

वववचन- इशक या परम करन वािो को आलशक (परमी) कहत ह यह अरबी शबद ह मि पद म lsquoआलशकrsquoशबद का सनदभथगत अरथ lsquoईशवर-अनरागीrsquo ह अनहदत पद म परयतत lsquobelovedrsquo स परसागानकि अरथ वयतत हो रहा ह इसक अततररतत उतत मि शबद का स ी सादभथ भी ह अनवादक न इस सादभथ को भलमका म सपषन ककया ह

203

मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

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मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

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मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

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वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

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कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

210

416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

214

स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

197

मल- परघन (प-126) अनददा- Manifest (प-126)

वववचन- परघन परकन का तदभव रप ह मि पद म कबीर कहत ह की अब मर शरीर म राम परकन हो गया ह कजसक कारण मरा शरीर सोन क समान शद हो गया ह अनवाद lsquomanifestrsquo मि का समानारथी शबद ह जो मि सादभथ स जडकर अनकि अरथ परदान का रहा ह

Mystic song of kabiir स -

मल अनददा तीरर esoNoM elsto

(प115) (प115)

मल याकन

परस तत शब द तीरर तीरथ स रान क अरथ म परयत त ह तीरथ स रान का हहाद धमथ म ववशि पौराकणक अरथ ह हहाद धमथ म माना जाता ह कक तीरथ स रान पर जान स िोग पण य अकजथत करत ह और उनक दवारा ककए गए पाप कानता ह ककन त esoNoM elsto स भारतीय (हहाद) मान यतानकि अरथ छवव को सापरवित नहीा करता यहा मिारथ आालशक रप म ही उतर पाया ह

मल अनददा बरत उपास feasting and fasting (प17) (प17)

मल याकन मि पद म बरस वरत तरा उपास उपवास का तदभव रप हवरत उपवास धालमथक कमथ ह कजसम िोग तनधाथररत अविध क क लिए बबना अनन गरहण का

198

रहत ह अनहदत पद म परयत त म feasting and fasting स तनकन अरथ व यत त होता ह

मल अनददा सराध (प-38) Saradh(प-38)

मल याकन मि पद म सराध शराद-कमथ क लिए परयत त शब द ह यह हहाद धमथ म एक ऐसा कमथकाणडी ववधान ह कजसम व यकतत क मरन क बाद शास तर म वकणथत वविध ववधान स उनक मत य क बाद एक अनषठातनक कमथ ककए जात ह मि पद म कबीर कहत ह कक जीववत वपता को िोग कन बात कहत ह और मरन क बाद शराद करत ह अनहदत पाकतत म मि का आशय का ी हद तक उतर रहा ह कका त शराद या सराध जस ववशि कमथकाणडी ववधान को ववभद नहीा हो पाता ह लिपयातररत अनवाद क लिए कहीा सपषनीकरण परसतत नहीा ककया गया ह

मल अनददा परमारर eole ecloN

(प53) (प53)

मल याकन

परमारर शब द परमारथ का तदभव रप ह कजसका अरथ उत कष न वस त तनत य और अबािधत पदारथ यरारथ तत व सत य परम बरहम मि पद म कबीर परमारर परमततव क लिए ही आया ह अनवाद स मि अरथ वयाकजत नहीा हो रहा ह अनवादक न मि का अरथ गरहण दसरो को कलयाण क लिए ककया ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह-

199

Love Songs of kabir --

मल अनददा

भरमत (प 124) To repeat moviong from square to square (प 125)

गपत (प 124) Secret (प 125)

Mystic songs of kabir स -

मल भावानवाद

परगठ (प53) Explained (प53)

भरतार (प 50) Lord (प 50)

उपयथत त तदभव शब दो क वववचन स स पष न होता ह कक अनवाद अध याकतमक अरथ वाि शब दो म कमजोर पडा ह अनवादक न कबीर क मि मातव य को अातरण करन म भावानवाद का सहारा लिया ह कका त पणथ स ि ह

413 दशज शबद

Mystic songs of Kabir स

मल- िबरा अनददा- passed for a speaker

मलयाकन- भारतीय समाज म लमथयावादी और गपप हाकन वाि को lsquoिबराrsquo कहा जाता ह अनवादक न lsquoelNsaorsquo क रप म मि का भावानवाद ldquopassed for a speakerrdquo ककया ह जो मि अरथ को सापरवित करता ह

मल- डगररया (प25) अनददा- NesM (प25)

200

मलयाकन- डगररया का अरथ होता ह मागथ पर रासता इतयाहद मि पद म ldquoडगररयाrdquo का सादलभथत अरथ ह ndash ऐसा मागथ जो परम तततव स लमिन कराता ह मि पद म डगररया स आधयाकतमक यकतत का बोध होता ह जो मि का अनवाद NesM म नहीा ह

मल- बावर (प25) अनददा- ir fNmo M (प25)

मलयाकन- बावर (बावि) शबद का शाकबदक अरथ होता ह पागि ववकषकषपत भारतीय समाज म िोग अपन आतमीय जनो को भी बावि कहकर साबोिधत करत ह कबीर न अपन पद म भकतत मागथ पर चिन वाि को lsquoबावरrsquo समबोिधत ककया ह अनवादक न परसागानसार भावानवाद ir fNmo M ककया ह जो मि भाव को वयतत करन म स ि ह

Love songs of Kabir स-

मल- रीझ (प78) अनददा- lmgllr elosaoM (प78)

वववचन- मि पद म रीझ स तातपयथ ldquoपरसननrdquo करना ह कबीर का ldquoमन ईशवरीय परम म मयर की तरह नाचrdquo रहा ह यह दखकर ईशवर भतत पर रीझ (अतत परसनन) होकर अनरतत हो गए ह अनवाद lmgllr elosaoM मि भाव को वयतत करन म समरथ ह

मल- रन (प79) अनददा- tsllm g leuMlr (प79)

वववचन- lsquoरनrsquo का अरथ होता ह ककसी शबद का बार-बार आवकतत या कौवो की बोिी मि पद म भतत दवारा ईशवर का बार-बार lsquoनाम-समरणrsquo क अरथ म lsquoरनrsquo शबद परयतत हआ ह lsquoभततrsquo ईशवर नाम-जप उसी तरह करता ह जस कोई पयासा पपीहा ldquoवपया-वपयाrdquo बार-बार बिाता ह अनवादक न उतत शबद का अनवाद tsllm g leuMlr ककया ह मि म lsquoवपया-वपयाrsquo करत हए बार-बार बिान

201

का बोध होता ह ककनत अनवाद म lsquoजोर स पकारनrsquo का भाव वयतत हो रहा ह अनवाद सनीक नहीा ह इसक बावजद मि मातवय सपषन हो जाता ह

मल- गड़डया (प165) अनददा नह

वववचन- ldquoगड़डयाrdquo बचचो क खिन का एक कखिौना होता ह अनवादक न उकी शबद का नौवाद छोड हदया ह उनहोन मि भाव को दकषन म रखत हए lsquoGive up now the childhood habits of playfulnessrsquo स खिन का बोध हो जाता ह

मल- बोरा (प142) अनददा- lsNsaaoM(प142)

वववचन- मि पद म बोरा का अरथ ह- डबोना कबीर कहत ह- मझ कलिकाि न साासाररक वविय म डबो हदया ह अनवादक न भावानवाद का सहारा लिया ह lsquoI am harassed by the ruinous urge of Kalirsquo स मि भाव सापरवित हो जाता ह lsquoKslmrsquo का ववलशषन सादभथगत अरथ lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल- बोझ (प166) अनददा- lesM(प167)

वववचन- मि शबद lsquoबोझrsquo का अरथ ह-भारी िगन वािी चीज मि पद की अाततम पाकतत म कबीर कहत ह हमको सासार की माया बाधन वविय-वासना रपी बोझ स कोई िगाव नहीा ह अनवादक न शाकबदक अनवाद ककया ह जो मिारथ को वयतत करन म समरथ ह

414 ववदशी शबद

ववदशी भािा स हहनदी आए शबदो को ववदशी शबद कहत ह ववदशी शबदो म अरबी ारसी तकी अागरजी इतयाहद स आगत शबदो की साखया अिधक ह कबीर दास अरबी ारसी शबदो का अिधक परयोग करत ह पदो म परयतत

202

ववदशी शबदो क लिए चयतनत अगरजी शबद मि अरथ भाव को का हा तक स ि वयतत करता ह अनवाद मलयााकन दवारा दरषनवय ह-

Love songs of kabir स-

मल - बदरदी (प-41) अनददा ndash unkind (प-41)

वववचन- मि lsquoबदरदीrsquo(बददी) ारसी शबद ह कजसका अरथ होता ह- कजसको दया न हो मि पद म कबीर न अपन (साई) परमतततव को बड अिधकार क सार तनदथय होन का आरोप िगाया ह lsquoबदरदीrsquo का अनवाद lsquounkindrsquo ह और lsquounkindrsquo स पहि lsquosorsquo का परयोग मि क समान परभावोतपादकता िान क लिए ककया गया ह मिारथ को वयतत करन म तनकन तक स ि ह

मल - फकीरवा (र-58) अनददा- Fakir (र-58)

वववचन- इसिाम धमथ क अातगथत भरमण करन वाि सात को lsquo कीरवाrsquo कहा जाता ह वह अलिाह (ईशवर) का भजन करता रहता ह और शरीर रकषा भर क लिए भीख माागता ह मि पद म कबीर न ईशवर को साबोिधत करत हय lsquo कीरrsquo कहा ह अनवादक न lsquoFakir क रप म लिपयातररत ककया ह और उसक सादभथगत अरो को (glossary) क अातगथत स ि रप म सपषन ककया गया ह

मल - आशशक (र-63) अनददा-beloved(र-63)

वववचन- इशक या परम करन वािो को आलशक (परमी) कहत ह यह अरबी शबद ह मि पद म lsquoआलशकrsquoशबद का सनदभथगत अरथ lsquoईशवर-अनरागीrsquo ह अनहदत पद म परयतत lsquobelovedrsquo स परसागानकि अरथ वयतत हो रहा ह इसक अततररतत उतत मि शबद का स ी सादभथ भी ह अनवादक न इस सादभथ को भलमका म सपषन ककया ह

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मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

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मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

205

मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

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वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

208

कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

209

वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

210

416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

211

परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

212

ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

213

वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

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स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

198

रहत ह अनहदत पद म परयत त म feasting and fasting स तनकन अरथ व यत त होता ह

मल अनददा सराध (प-38) Saradh(प-38)

मल याकन मि पद म सराध शराद-कमथ क लिए परयत त शब द ह यह हहाद धमथ म एक ऐसा कमथकाणडी ववधान ह कजसम व यकतत क मरन क बाद शास तर म वकणथत वविध ववधान स उनक मत य क बाद एक अनषठातनक कमथ ककए जात ह मि पद म कबीर कहत ह कक जीववत वपता को िोग कन बात कहत ह और मरन क बाद शराद करत ह अनहदत पाकतत म मि का आशय का ी हद तक उतर रहा ह कका त शराद या सराध जस ववशि कमथकाणडी ववधान को ववभद नहीा हो पाता ह लिपयातररत अनवाद क लिए कहीा सपषनीकरण परसतत नहीा ककया गया ह

मल अनददा परमारर eole ecloN

(प53) (प53)

मल याकन

परमारर शब द परमारथ का तदभव रप ह कजसका अरथ उत कष न वस त तनत य और अबािधत पदारथ यरारथ तत व सत य परम बरहम मि पद म कबीर परमारर परमततव क लिए ही आया ह अनवाद स मि अरथ वयाकजत नहीा हो रहा ह अनवादक न मि का अरथ गरहण दसरो को कलयाण क लिए ककया ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह-

199

Love Songs of kabir --

मल अनददा

भरमत (प 124) To repeat moviong from square to square (प 125)

गपत (प 124) Secret (प 125)

Mystic songs of kabir स -

मल भावानवाद

परगठ (प53) Explained (प53)

भरतार (प 50) Lord (प 50)

उपयथत त तदभव शब दो क वववचन स स पष न होता ह कक अनवाद अध याकतमक अरथ वाि शब दो म कमजोर पडा ह अनवादक न कबीर क मि मातव य को अातरण करन म भावानवाद का सहारा लिया ह कका त पणथ स ि ह

413 दशज शबद

Mystic songs of Kabir स

मल- िबरा अनददा- passed for a speaker

मलयाकन- भारतीय समाज म लमथयावादी और गपप हाकन वाि को lsquoिबराrsquo कहा जाता ह अनवादक न lsquoelNsaorsquo क रप म मि का भावानवाद ldquopassed for a speakerrdquo ककया ह जो मि अरथ को सापरवित करता ह

मल- डगररया (प25) अनददा- NesM (प25)

200

मलयाकन- डगररया का अरथ होता ह मागथ पर रासता इतयाहद मि पद म ldquoडगररयाrdquo का सादलभथत अरथ ह ndash ऐसा मागथ जो परम तततव स लमिन कराता ह मि पद म डगररया स आधयाकतमक यकतत का बोध होता ह जो मि का अनवाद NesM म नहीा ह

मल- बावर (प25) अनददा- ir fNmo M (प25)

मलयाकन- बावर (बावि) शबद का शाकबदक अरथ होता ह पागि ववकषकषपत भारतीय समाज म िोग अपन आतमीय जनो को भी बावि कहकर साबोिधत करत ह कबीर न अपन पद म भकतत मागथ पर चिन वाि को lsquoबावरrsquo समबोिधत ककया ह अनवादक न परसागानसार भावानवाद ir fNmo M ककया ह जो मि भाव को वयतत करन म स ि ह

Love songs of Kabir स-

मल- रीझ (प78) अनददा- lmgllr elosaoM (प78)

वववचन- मि पद म रीझ स तातपयथ ldquoपरसननrdquo करना ह कबीर का ldquoमन ईशवरीय परम म मयर की तरह नाचrdquo रहा ह यह दखकर ईशवर भतत पर रीझ (अतत परसनन) होकर अनरतत हो गए ह अनवाद lmgllr elosaoM मि भाव को वयतत करन म समरथ ह

मल- रन (प79) अनददा- tsllm g leuMlr (प79)

वववचन- lsquoरनrsquo का अरथ होता ह ककसी शबद का बार-बार आवकतत या कौवो की बोिी मि पद म भतत दवारा ईशवर का बार-बार lsquoनाम-समरणrsquo क अरथ म lsquoरनrsquo शबद परयतत हआ ह lsquoभततrsquo ईशवर नाम-जप उसी तरह करता ह जस कोई पयासा पपीहा ldquoवपया-वपयाrdquo बार-बार बिाता ह अनवादक न उतत शबद का अनवाद tsllm g leuMlr ककया ह मि म lsquoवपया-वपयाrsquo करत हए बार-बार बिान

201

का बोध होता ह ककनत अनवाद म lsquoजोर स पकारनrsquo का भाव वयतत हो रहा ह अनवाद सनीक नहीा ह इसक बावजद मि मातवय सपषन हो जाता ह

मल- गड़डया (प165) अनददा नह

वववचन- ldquoगड़डयाrdquo बचचो क खिन का एक कखिौना होता ह अनवादक न उकी शबद का नौवाद छोड हदया ह उनहोन मि भाव को दकषन म रखत हए lsquoGive up now the childhood habits of playfulnessrsquo स खिन का बोध हो जाता ह

मल- बोरा (प142) अनददा- lsNsaaoM(प142)

वववचन- मि पद म बोरा का अरथ ह- डबोना कबीर कहत ह- मझ कलिकाि न साासाररक वविय म डबो हदया ह अनवादक न भावानवाद का सहारा लिया ह lsquoI am harassed by the ruinous urge of Kalirsquo स मि भाव सापरवित हो जाता ह lsquoKslmrsquo का ववलशषन सादभथगत अरथ lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल- बोझ (प166) अनददा- lesM(प167)

वववचन- मि शबद lsquoबोझrsquo का अरथ ह-भारी िगन वािी चीज मि पद की अाततम पाकतत म कबीर कहत ह हमको सासार की माया बाधन वविय-वासना रपी बोझ स कोई िगाव नहीा ह अनवादक न शाकबदक अनवाद ककया ह जो मिारथ को वयतत करन म समरथ ह

414 ववदशी शबद

ववदशी भािा स हहनदी आए शबदो को ववदशी शबद कहत ह ववदशी शबदो म अरबी ारसी तकी अागरजी इतयाहद स आगत शबदो की साखया अिधक ह कबीर दास अरबी ारसी शबदो का अिधक परयोग करत ह पदो म परयतत

202

ववदशी शबदो क लिए चयतनत अगरजी शबद मि अरथ भाव को का हा तक स ि वयतत करता ह अनवाद मलयााकन दवारा दरषनवय ह-

Love songs of kabir स-

मल - बदरदी (प-41) अनददा ndash unkind (प-41)

वववचन- मि lsquoबदरदीrsquo(बददी) ारसी शबद ह कजसका अरथ होता ह- कजसको दया न हो मि पद म कबीर न अपन (साई) परमतततव को बड अिधकार क सार तनदथय होन का आरोप िगाया ह lsquoबदरदीrsquo का अनवाद lsquounkindrsquo ह और lsquounkindrsquo स पहि lsquosorsquo का परयोग मि क समान परभावोतपादकता िान क लिए ककया गया ह मिारथ को वयतत करन म तनकन तक स ि ह

मल - फकीरवा (र-58) अनददा- Fakir (र-58)

वववचन- इसिाम धमथ क अातगथत भरमण करन वाि सात को lsquo कीरवाrsquo कहा जाता ह वह अलिाह (ईशवर) का भजन करता रहता ह और शरीर रकषा भर क लिए भीख माागता ह मि पद म कबीर न ईशवर को साबोिधत करत हय lsquo कीरrsquo कहा ह अनवादक न lsquoFakir क रप म लिपयातररत ककया ह और उसक सादभथगत अरो को (glossary) क अातगथत स ि रप म सपषन ककया गया ह

मल - आशशक (र-63) अनददा-beloved(र-63)

वववचन- इशक या परम करन वािो को आलशक (परमी) कहत ह यह अरबी शबद ह मि पद म lsquoआलशकrsquoशबद का सनदभथगत अरथ lsquoईशवर-अनरागीrsquo ह अनहदत पद म परयतत lsquobelovedrsquo स परसागानकि अरथ वयतत हो रहा ह इसक अततररतत उतत मि शबद का स ी सादभथ भी ह अनवादक न इस सादभथ को भलमका म सपषन ककया ह

203

मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

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मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

205

मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

206

वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

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कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

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416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

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स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

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जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

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वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

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वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

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िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

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मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

199

Love Songs of kabir --

मल अनददा

भरमत (प 124) To repeat moviong from square to square (प 125)

गपत (प 124) Secret (प 125)

Mystic songs of kabir स -

मल भावानवाद

परगठ (प53) Explained (प53)

भरतार (प 50) Lord (प 50)

उपयथत त तदभव शब दो क वववचन स स पष न होता ह कक अनवाद अध याकतमक अरथ वाि शब दो म कमजोर पडा ह अनवादक न कबीर क मि मातव य को अातरण करन म भावानवाद का सहारा लिया ह कका त पणथ स ि ह

413 दशज शबद

Mystic songs of Kabir स

मल- िबरा अनददा- passed for a speaker

मलयाकन- भारतीय समाज म लमथयावादी और गपप हाकन वाि को lsquoिबराrsquo कहा जाता ह अनवादक न lsquoelNsaorsquo क रप म मि का भावानवाद ldquopassed for a speakerrdquo ककया ह जो मि अरथ को सापरवित करता ह

मल- डगररया (प25) अनददा- NesM (प25)

200

मलयाकन- डगररया का अरथ होता ह मागथ पर रासता इतयाहद मि पद म ldquoडगररयाrdquo का सादलभथत अरथ ह ndash ऐसा मागथ जो परम तततव स लमिन कराता ह मि पद म डगररया स आधयाकतमक यकतत का बोध होता ह जो मि का अनवाद NesM म नहीा ह

मल- बावर (प25) अनददा- ir fNmo M (प25)

मलयाकन- बावर (बावि) शबद का शाकबदक अरथ होता ह पागि ववकषकषपत भारतीय समाज म िोग अपन आतमीय जनो को भी बावि कहकर साबोिधत करत ह कबीर न अपन पद म भकतत मागथ पर चिन वाि को lsquoबावरrsquo समबोिधत ककया ह अनवादक न परसागानसार भावानवाद ir fNmo M ककया ह जो मि भाव को वयतत करन म स ि ह

Love songs of Kabir स-

मल- रीझ (प78) अनददा- lmgllr elosaoM (प78)

वववचन- मि पद म रीझ स तातपयथ ldquoपरसननrdquo करना ह कबीर का ldquoमन ईशवरीय परम म मयर की तरह नाचrdquo रहा ह यह दखकर ईशवर भतत पर रीझ (अतत परसनन) होकर अनरतत हो गए ह अनवाद lmgllr elosaoM मि भाव को वयतत करन म समरथ ह

मल- रन (प79) अनददा- tsllm g leuMlr (प79)

वववचन- lsquoरनrsquo का अरथ होता ह ककसी शबद का बार-बार आवकतत या कौवो की बोिी मि पद म भतत दवारा ईशवर का बार-बार lsquoनाम-समरणrsquo क अरथ म lsquoरनrsquo शबद परयतत हआ ह lsquoभततrsquo ईशवर नाम-जप उसी तरह करता ह जस कोई पयासा पपीहा ldquoवपया-वपयाrdquo बार-बार बिाता ह अनवादक न उतत शबद का अनवाद tsllm g leuMlr ककया ह मि म lsquoवपया-वपयाrsquo करत हए बार-बार बिान

201

का बोध होता ह ककनत अनवाद म lsquoजोर स पकारनrsquo का भाव वयतत हो रहा ह अनवाद सनीक नहीा ह इसक बावजद मि मातवय सपषन हो जाता ह

मल- गड़डया (प165) अनददा नह

वववचन- ldquoगड़डयाrdquo बचचो क खिन का एक कखिौना होता ह अनवादक न उकी शबद का नौवाद छोड हदया ह उनहोन मि भाव को दकषन म रखत हए lsquoGive up now the childhood habits of playfulnessrsquo स खिन का बोध हो जाता ह

मल- बोरा (प142) अनददा- lsNsaaoM(प142)

वववचन- मि पद म बोरा का अरथ ह- डबोना कबीर कहत ह- मझ कलिकाि न साासाररक वविय म डबो हदया ह अनवादक न भावानवाद का सहारा लिया ह lsquoI am harassed by the ruinous urge of Kalirsquo स मि भाव सापरवित हो जाता ह lsquoKslmrsquo का ववलशषन सादभथगत अरथ lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल- बोझ (प166) अनददा- lesM(प167)

वववचन- मि शबद lsquoबोझrsquo का अरथ ह-भारी िगन वािी चीज मि पद की अाततम पाकतत म कबीर कहत ह हमको सासार की माया बाधन वविय-वासना रपी बोझ स कोई िगाव नहीा ह अनवादक न शाकबदक अनवाद ककया ह जो मिारथ को वयतत करन म समरथ ह

414 ववदशी शबद

ववदशी भािा स हहनदी आए शबदो को ववदशी शबद कहत ह ववदशी शबदो म अरबी ारसी तकी अागरजी इतयाहद स आगत शबदो की साखया अिधक ह कबीर दास अरबी ारसी शबदो का अिधक परयोग करत ह पदो म परयतत

202

ववदशी शबदो क लिए चयतनत अगरजी शबद मि अरथ भाव को का हा तक स ि वयतत करता ह अनवाद मलयााकन दवारा दरषनवय ह-

Love songs of kabir स-

मल - बदरदी (प-41) अनददा ndash unkind (प-41)

वववचन- मि lsquoबदरदीrsquo(बददी) ारसी शबद ह कजसका अरथ होता ह- कजसको दया न हो मि पद म कबीर न अपन (साई) परमतततव को बड अिधकार क सार तनदथय होन का आरोप िगाया ह lsquoबदरदीrsquo का अनवाद lsquounkindrsquo ह और lsquounkindrsquo स पहि lsquosorsquo का परयोग मि क समान परभावोतपादकता िान क लिए ककया गया ह मिारथ को वयतत करन म तनकन तक स ि ह

मल - फकीरवा (र-58) अनददा- Fakir (र-58)

वववचन- इसिाम धमथ क अातगथत भरमण करन वाि सात को lsquo कीरवाrsquo कहा जाता ह वह अलिाह (ईशवर) का भजन करता रहता ह और शरीर रकषा भर क लिए भीख माागता ह मि पद म कबीर न ईशवर को साबोिधत करत हय lsquo कीरrsquo कहा ह अनवादक न lsquoFakir क रप म लिपयातररत ककया ह और उसक सादभथगत अरो को (glossary) क अातगथत स ि रप म सपषन ककया गया ह

मल - आशशक (र-63) अनददा-beloved(र-63)

वववचन- इशक या परम करन वािो को आलशक (परमी) कहत ह यह अरबी शबद ह मि पद म lsquoआलशकrsquoशबद का सनदभथगत अरथ lsquoईशवर-अनरागीrsquo ह अनहदत पद म परयतत lsquobelovedrsquo स परसागानकि अरथ वयतत हो रहा ह इसक अततररतत उतत मि शबद का स ी सादभथ भी ह अनवादक न इस सादभथ को भलमका म सपषन ककया ह

203

मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

204

मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

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मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

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वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

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कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

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416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

214

स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

215

क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

200

मलयाकन- डगररया का अरथ होता ह मागथ पर रासता इतयाहद मि पद म ldquoडगररयाrdquo का सादलभथत अरथ ह ndash ऐसा मागथ जो परम तततव स लमिन कराता ह मि पद म डगररया स आधयाकतमक यकतत का बोध होता ह जो मि का अनवाद NesM म नहीा ह

मल- बावर (प25) अनददा- ir fNmo M (प25)

मलयाकन- बावर (बावि) शबद का शाकबदक अरथ होता ह पागि ववकषकषपत भारतीय समाज म िोग अपन आतमीय जनो को भी बावि कहकर साबोिधत करत ह कबीर न अपन पद म भकतत मागथ पर चिन वाि को lsquoबावरrsquo समबोिधत ककया ह अनवादक न परसागानसार भावानवाद ir fNmo M ककया ह जो मि भाव को वयतत करन म स ि ह

Love songs of Kabir स-

मल- रीझ (प78) अनददा- lmgllr elosaoM (प78)

वववचन- मि पद म रीझ स तातपयथ ldquoपरसननrdquo करना ह कबीर का ldquoमन ईशवरीय परम म मयर की तरह नाचrdquo रहा ह यह दखकर ईशवर भतत पर रीझ (अतत परसनन) होकर अनरतत हो गए ह अनवाद lmgllr elosaoM मि भाव को वयतत करन म समरथ ह

मल- रन (प79) अनददा- tsllm g leuMlr (प79)

वववचन- lsquoरनrsquo का अरथ होता ह ककसी शबद का बार-बार आवकतत या कौवो की बोिी मि पद म भतत दवारा ईशवर का बार-बार lsquoनाम-समरणrsquo क अरथ म lsquoरनrsquo शबद परयतत हआ ह lsquoभततrsquo ईशवर नाम-जप उसी तरह करता ह जस कोई पयासा पपीहा ldquoवपया-वपयाrdquo बार-बार बिाता ह अनवादक न उतत शबद का अनवाद tsllm g leuMlr ककया ह मि म lsquoवपया-वपयाrsquo करत हए बार-बार बिान

201

का बोध होता ह ककनत अनवाद म lsquoजोर स पकारनrsquo का भाव वयतत हो रहा ह अनवाद सनीक नहीा ह इसक बावजद मि मातवय सपषन हो जाता ह

मल- गड़डया (प165) अनददा नह

वववचन- ldquoगड़डयाrdquo बचचो क खिन का एक कखिौना होता ह अनवादक न उकी शबद का नौवाद छोड हदया ह उनहोन मि भाव को दकषन म रखत हए lsquoGive up now the childhood habits of playfulnessrsquo स खिन का बोध हो जाता ह

मल- बोरा (प142) अनददा- lsNsaaoM(प142)

वववचन- मि पद म बोरा का अरथ ह- डबोना कबीर कहत ह- मझ कलिकाि न साासाररक वविय म डबो हदया ह अनवादक न भावानवाद का सहारा लिया ह lsquoI am harassed by the ruinous urge of Kalirsquo स मि भाव सापरवित हो जाता ह lsquoKslmrsquo का ववलशषन सादभथगत अरथ lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल- बोझ (प166) अनददा- lesM(प167)

वववचन- मि शबद lsquoबोझrsquo का अरथ ह-भारी िगन वािी चीज मि पद की अाततम पाकतत म कबीर कहत ह हमको सासार की माया बाधन वविय-वासना रपी बोझ स कोई िगाव नहीा ह अनवादक न शाकबदक अनवाद ककया ह जो मिारथ को वयतत करन म समरथ ह

414 ववदशी शबद

ववदशी भािा स हहनदी आए शबदो को ववदशी शबद कहत ह ववदशी शबदो म अरबी ारसी तकी अागरजी इतयाहद स आगत शबदो की साखया अिधक ह कबीर दास अरबी ारसी शबदो का अिधक परयोग करत ह पदो म परयतत

202

ववदशी शबदो क लिए चयतनत अगरजी शबद मि अरथ भाव को का हा तक स ि वयतत करता ह अनवाद मलयााकन दवारा दरषनवय ह-

Love songs of kabir स-

मल - बदरदी (प-41) अनददा ndash unkind (प-41)

वववचन- मि lsquoबदरदीrsquo(बददी) ारसी शबद ह कजसका अरथ होता ह- कजसको दया न हो मि पद म कबीर न अपन (साई) परमतततव को बड अिधकार क सार तनदथय होन का आरोप िगाया ह lsquoबदरदीrsquo का अनवाद lsquounkindrsquo ह और lsquounkindrsquo स पहि lsquosorsquo का परयोग मि क समान परभावोतपादकता िान क लिए ककया गया ह मिारथ को वयतत करन म तनकन तक स ि ह

मल - फकीरवा (र-58) अनददा- Fakir (र-58)

वववचन- इसिाम धमथ क अातगथत भरमण करन वाि सात को lsquo कीरवाrsquo कहा जाता ह वह अलिाह (ईशवर) का भजन करता रहता ह और शरीर रकषा भर क लिए भीख माागता ह मि पद म कबीर न ईशवर को साबोिधत करत हय lsquo कीरrsquo कहा ह अनवादक न lsquoFakir क रप म लिपयातररत ककया ह और उसक सादभथगत अरो को (glossary) क अातगथत स ि रप म सपषन ककया गया ह

मल - आशशक (र-63) अनददा-beloved(र-63)

वववचन- इशक या परम करन वािो को आलशक (परमी) कहत ह यह अरबी शबद ह मि पद म lsquoआलशकrsquoशबद का सनदभथगत अरथ lsquoईशवर-अनरागीrsquo ह अनहदत पद म परयतत lsquobelovedrsquo स परसागानकि अरथ वयतत हो रहा ह इसक अततररतत उतत मि शबद का स ी सादभथ भी ह अनवादक न इस सादभथ को भलमका म सपषन ककया ह

203

मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

204

मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

205

मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

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वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

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कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

210

416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

212

ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

213

वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

214

स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

201

का बोध होता ह ककनत अनवाद म lsquoजोर स पकारनrsquo का भाव वयतत हो रहा ह अनवाद सनीक नहीा ह इसक बावजद मि मातवय सपषन हो जाता ह

मल- गड़डया (प165) अनददा नह

वववचन- ldquoगड़डयाrdquo बचचो क खिन का एक कखिौना होता ह अनवादक न उकी शबद का नौवाद छोड हदया ह उनहोन मि भाव को दकषन म रखत हए lsquoGive up now the childhood habits of playfulnessrsquo स खिन का बोध हो जाता ह

मल- बोरा (प142) अनददा- lsNsaaoM(प142)

वववचन- मि पद म बोरा का अरथ ह- डबोना कबीर कहत ह- मझ कलिकाि न साासाररक वविय म डबो हदया ह अनवादक न भावानवाद का सहारा लिया ह lsquoI am harassed by the ruinous urge of Kalirsquo स मि भाव सापरवित हो जाता ह lsquoKslmrsquo का ववलशषन सादभथगत अरथ lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल- बोझ (प166) अनददा- lesM(प167)

वववचन- मि शबद lsquoबोझrsquo का अरथ ह-भारी िगन वािी चीज मि पद की अाततम पाकतत म कबीर कहत ह हमको सासार की माया बाधन वविय-वासना रपी बोझ स कोई िगाव नहीा ह अनवादक न शाकबदक अनवाद ककया ह जो मिारथ को वयतत करन म समरथ ह

414 ववदशी शबद

ववदशी भािा स हहनदी आए शबदो को ववदशी शबद कहत ह ववदशी शबदो म अरबी ारसी तकी अागरजी इतयाहद स आगत शबदो की साखया अिधक ह कबीर दास अरबी ारसी शबदो का अिधक परयोग करत ह पदो म परयतत

202

ववदशी शबदो क लिए चयतनत अगरजी शबद मि अरथ भाव को का हा तक स ि वयतत करता ह अनवाद मलयााकन दवारा दरषनवय ह-

Love songs of kabir स-

मल - बदरदी (प-41) अनददा ndash unkind (प-41)

वववचन- मि lsquoबदरदीrsquo(बददी) ारसी शबद ह कजसका अरथ होता ह- कजसको दया न हो मि पद म कबीर न अपन (साई) परमतततव को बड अिधकार क सार तनदथय होन का आरोप िगाया ह lsquoबदरदीrsquo का अनवाद lsquounkindrsquo ह और lsquounkindrsquo स पहि lsquosorsquo का परयोग मि क समान परभावोतपादकता िान क लिए ककया गया ह मिारथ को वयतत करन म तनकन तक स ि ह

मल - फकीरवा (र-58) अनददा- Fakir (र-58)

वववचन- इसिाम धमथ क अातगथत भरमण करन वाि सात को lsquo कीरवाrsquo कहा जाता ह वह अलिाह (ईशवर) का भजन करता रहता ह और शरीर रकषा भर क लिए भीख माागता ह मि पद म कबीर न ईशवर को साबोिधत करत हय lsquo कीरrsquo कहा ह अनवादक न lsquoFakir क रप म लिपयातररत ककया ह और उसक सादभथगत अरो को (glossary) क अातगथत स ि रप म सपषन ककया गया ह

मल - आशशक (र-63) अनददा-beloved(र-63)

वववचन- इशक या परम करन वािो को आलशक (परमी) कहत ह यह अरबी शबद ह मि पद म lsquoआलशकrsquoशबद का सनदभथगत अरथ lsquoईशवर-अनरागीrsquo ह अनहदत पद म परयतत lsquobelovedrsquo स परसागानकि अरथ वयतत हो रहा ह इसक अततररतत उतत मि शबद का स ी सादभथ भी ह अनवादक न इस सादभथ को भलमका म सपषन ककया ह

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मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

204

मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

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मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

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वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

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कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

210

416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

211

परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

213

वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

214

स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

215

क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

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Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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ववदशी शबदो क लिए चयतनत अगरजी शबद मि अरथ भाव को का हा तक स ि वयतत करता ह अनवाद मलयााकन दवारा दरषनवय ह-

Love songs of kabir स-

मल - बदरदी (प-41) अनददा ndash unkind (प-41)

वववचन- मि lsquoबदरदीrsquo(बददी) ारसी शबद ह कजसका अरथ होता ह- कजसको दया न हो मि पद म कबीर न अपन (साई) परमतततव को बड अिधकार क सार तनदथय होन का आरोप िगाया ह lsquoबदरदीrsquo का अनवाद lsquounkindrsquo ह और lsquounkindrsquo स पहि lsquosorsquo का परयोग मि क समान परभावोतपादकता िान क लिए ककया गया ह मिारथ को वयतत करन म तनकन तक स ि ह

मल - फकीरवा (र-58) अनददा- Fakir (र-58)

वववचन- इसिाम धमथ क अातगथत भरमण करन वाि सात को lsquo कीरवाrsquo कहा जाता ह वह अलिाह (ईशवर) का भजन करता रहता ह और शरीर रकषा भर क लिए भीख माागता ह मि पद म कबीर न ईशवर को साबोिधत करत हय lsquo कीरrsquo कहा ह अनवादक न lsquoFakir क रप म लिपयातररत ककया ह और उसक सादभथगत अरो को (glossary) क अातगथत स ि रप म सपषन ककया गया ह

मल - आशशक (र-63) अनददा-beloved(र-63)

वववचन- इशक या परम करन वािो को आलशक (परमी) कहत ह यह अरबी शबद ह मि पद म lsquoआलशकrsquoशबद का सनदभथगत अरथ lsquoईशवर-अनरागीrsquo ह अनहदत पद म परयतत lsquobelovedrsquo स परसागानकि अरथ वयतत हो रहा ह इसक अततररतत उतत मि शबद का स ी सादभथ भी ह अनवादक न इस सादभथ को भलमका म सपषन ककया ह

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मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

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मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

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मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

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वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

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Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

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कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

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416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

214

स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

215

क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

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Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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मल वरयाला (र-54) अनददा ndashCup (र-55)

वववचनmdashमि शबद वपयािा(पयािा) ारसी का शबद ह जो एक पातर क लिए परयतत ह मि पद म lsquoवपयािाrsquo शबद lsquoपरमrsquoपर आरोवपत होकर रपक अिाकार का सजन कर रहा ह अनवादक न उतत शबद का सामानारथी शबद (cup)लिया ह कजसस मिारथ वयतत हो रहा ह

मल mdash दरवश (54 ) अनददा- Fakir (54)

वववचन- मि पद म lsquoदरवशrsquo कीर क लिए परयतत ह अनवादक न lsquoदरवशrsquo का अनवाद lsquo कीरrsquo करात हए lsquoGlossaryrsquoम इसका सादलभथत अरथ भी सपषन ककया गया ह

मल ndash इशक (166) अनददा- Love (167)

वववचनmdash lsquoइशकrsquo एकअरबी शबद ह कजसका शाकबदक अरथ lsquoपरमrsquo या lsquoचाहrsquoहोता ह मि पद म उतत शबद ईशवरीय परम क अरथ म परयतत हआ ह अनवाद म परयतत lsquoloversquoका अरथ भी परम होता ह यह शबद मि-सादभथ स जडकर मिारथ को सापरवित करता हlsquoइशकrsquo क सफ़ी सादभथ को अनवादक न भलमका म सपषन ककया ह

मलmdashबकरार (र-166) अनददाmdash worry (र-166)

वववचन mdash lsquoबकरारीrsquo शबद ारसी का ह कजसका अरथ वयाकि होता ह कबीर ईशवर स लमिन क लिए वयाकि ह अनवाद म मि क समान वयाकिता का भाव नहीा ह बकलक िचाता का भाव ह क र भी तनकन तक अरथ वयतत हो रहा हकबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

Mystic Songs of Kabir स

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मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

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मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

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वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

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Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

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कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

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416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

214

स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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मलmdash हज़रा(र-81) अनददा Hazrat(र-81)

वववचनmdash मकसिम समाज म lsquoहज़रतrsquo एक सममानजनक शबद ह यह शबद परततकषठत वयकतत क नाम क पहि भी िगता ह मि पद म ककया ह अनवादक न िकषय भािा म इस शबद को लिपयातररत कर हदया ह कबीर lsquoईशवरrsquo क नाम क बदि म उतत शबद का परयोग ककया ह

मलmdash सहनाई (र-90) अनददा- sweet music of love (र-81)

वववचन- सहनाई (शहनाई) एक परकार का वादययातर ह यह फ़ारसी भािा का शबद ह मि पद म आधयाकतमक ववकास क चरम कसरतत का वणथन दशय एवा शरवय बबाब क माधयम स ककया गया ह यहा शाख घाना क सार-सार शहनाई भी आधयाकतमक आननदोतसव को समवत रप म सागीतमय वातावरण बना हदया ह इन वादययातर क नामो को अनवादक न भावानवाद sweet music of love म समना ह अनवाद म मि आशय तो आ गया ह ककनत वादयातर वववचन mdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquoअनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह (शहनाई) की कोई सचना नहीा ह यहा अनवाद म आालशक कषतत हई ह

मल-काबा (र-19) अनददा- Kaba (र-19)

वववचनmdash काबा मतका का ववशव परलसद मकसजद ह जहा मसिमान हज़ करन जात ह अतः काबा स अिधकााश अागरज़ी पाठक भी पररिचत ह ककनत लिपयातररत शबद क लिए उसका सपषनीकरण अपकषकषत होता ह अनवादक न इस छोड हदया हइसक बावजद मिारथ समपरिण म बाधा नहीा हई ह

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मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

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वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

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Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

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कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

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416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

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स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

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जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

205

मलmdashहाककम(र-55) अनददा- officer (र-55)

वववचन- हाककम अरबी शबद ह हाककम ककसी ऑक सर या मालिक को कहा जाता ह अनवाद lsquoofficerrsquoअनहदत पद म परयतत होकर परसागानकि अरथ सापरवित कर रहा ह

मल-काज़ी(प-70) अनददा- Kaaji (प-70)

वववचनmdash काजी अरबी शबद ह काजी ऐस मसिमान नयायाधीश को कहा जाता ह जो शरा क अनसार मामिो का तनणथय करता ह तनकाह पढ़ान वािा मौिवी को भी काज़ी कहत ह मि पद म कबीर कहत ह- ह काजी ककस धमथ-गरार की परशासा करत हो उसका अधययन करत हए तमहार जीवन क न जान ककतन विथ वयरथ बीत गए ककनत वासतववक ममथ तमह समझ म न आया अनवादक न मि शबद का Kaziक रप म लिपयातरणककया ह िककन इसका कोई सपषनीकरण या हनपपणी परसतत नहीा ककया ह कजसस धालमथक - साासकततक सादभो को जाना जा सक इसक बावजद अनवाद स इतना बोध हो रहा ह कक काजी(ककसी) को िधतकारा गया ह

मल - सना (प-70 ) अनददा- sunnat(प-70)

वववचन - सनत (सननत) अरबी शबद ह मसिमानो म यह एक परकार का पररा ह कजस ख़तना भी कहत ह उदथ-हहादी कोश क अनसार (1)पररापरणािी (2)वह बात या कायथ जो महममद साहब न ककया हो (3) मसिमानो कक वह पररा कजसम बािक की इाहदरय का ऊपरी चमडा काना जाता ह मि पद म कबीर न ख़तना पररा पर वयागय ककया ह अनवादक न मि शबद का लिपयातरण तो कर हदया ह ककनत इसक सादलभथत अरो को सपषन नहीा ककया ह इसतरह मि पद का परा अरथ अनवाद म नहीा आ पाया ह

मल- काब (र-81) अनददा- Quraan (र-81)

206

वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

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कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

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416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

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स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

215

क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

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दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

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वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

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अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

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और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

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speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

206

वववचनmdash मि पद म कबीर न lsquoकतबrsquo(अरबी ndashककताब)lsquoकरानrsquo क लिए परयोग ककया ह lsquoकरानrsquo मसिमानो का पववतर धमथ गरनर ह अनवादक न परसाग को दखत हए lsquoQuranrsquo अनवाद ककया ह अनवाद अ ि ह

मल-रीर (र-102) अनददा- pir (र-102)

वववचन mdash lsquoपीरrsquo ारसी शबद ह मसिमान समदाय म lsquoपीरrsquo लसद परि या गर को कहा कहा जाता ह अनवाद म गर का अरथ तो वयतत हो रहा ह िककन धमथ ववशि क सादलभथत अरथ का आभाव ह

मल-मसजजद (र-102) अनददा- masjid (र-81)

वववचनmdash मसकजद (मकसजद) मसिमानो का सामहहक पजा सरान या घर होता ह जहा नवाज अदा ककया जाता ह अनवादक न लिपयानतरण का सहारा लिया ह lsquoमकसजदrsquo िकषय भािा क पाठक क लिए पररिचत शबद हयहा अनवाद स ि ह

415 समास शब द

समास शब द का अरथ होता ह साकषप कम स कम शब दो म अिधक स अिधक अरथ परकन करना समास का मख य परयोजन होता ह जब दो या अिधक शब द अपन साबाधी शब दो को छोडकर एक सार लमि जात ह तब उनक मि को समास और उनक लमि हए शब द को सामालसक शब द कहत ह कबीर क पदो म भी समास शब द क परयोग स साकषकषप तता दकषनगत होता ह इनक सागहहत पर म समालसक शब द ववभकतत िोप स सार अिग अिग दो पदो का मि क रप म भी हदखाई दता ह पदो म परयत त समालसक शब द का अनवाद कछ स रानो पर समास जस परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म मिारथ उतारन क लिए कहीा शब दानवाद तो कही भावानवाद ककया गया ह तनम न उदाहरण दरष नव य ह-

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

208

कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

209

वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

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416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

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स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

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जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

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दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

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मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

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वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

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वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

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िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

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मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

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419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

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दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

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speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

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सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

207

Love songs of kabir स-

मल राठ अनददा राठ

परम नगर emcr ef reuN leoo

(प48) (प48) वववचन ndash मि शबद तततपरि समास ह अनवादक न िकषय भािा की परकतत को धयान म रखत हए अनवाद ककया ह कबीर न lsquoपरम नगरrsquo को अपरसतत रप म परयोग ककया ह उतत अलभवयकतत परसागानकि अरथ परकन करता ह

कमल रतर (र50) Lotusleaf(र50)

वववचन- ndash मि पद म कबीर कहत ह कक कजस परकार कमि पतर जि अम तनवास करता ह उसी तरह सवक सवामी का साबाध होता ह ऐसा ही साबध मरा और तरा )परमततव(का ह lsquoकमि पतरrsquoक लिए शाकबदक अनवाद उपयतत ह lsquoLotud leafrsquo मि समास क समान ही परयोग हआ ह मिारथ वयतत हो गया ह

रचाा (र50) Elements Five(र51)

वववचन- मि शबद lsquoपाचततrsquo का तदभव रप ह कषकषतत जि पावक गगन और समीर को पाच ततव कहा जाता ह मि समास(पाचतत) क समान ही lsquoElement Fiversquo परयतत ह और पाचो ततवो कोrsquoGlossaryrsquo म सपषन ककया गया ह कका त वह पयाथपत नहीा ह

सतनाम (प61) His name(प62)

वववचनndash मि पद म lsquoसतनामrsquo ईशवर को साबोिधत ककया गया ह इस शबद स यह भी बााधय हो रहा ह कक ऐसा नाम हो सतय ह कबीर सापरदाय म सतनाम

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कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

210

416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

213

वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

214

स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

215

क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

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सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

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Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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कहकर ईशवर का नाम समरण करत ह अनवाद परसागवश मि भाव वयतत करता ह िककन मि जसा ववलशषन नही ह

मल याकन- मि शब द तत परि समास ह अागरजी अनवाद म समास जसा शब द परयत त नहीा ह यहा मिारथ गरहण करत हए अागरजी क परकतत क अनसार शब दानवाद ककया गया ह ककन त यहा मि अध याकतमक अरथ भाव बोध का अभाव ह कोई बहत सजग पाठक ही अस परतत अरथ गरहण कर सकता ह

मल अनददा

माा-वराा Parents

(र148) (र149)

मलयाकन- मि म दवाद समास ह अागरजी शबदि मि क समान परयतत नहीा ह िककन मिारथ वयतत करता ह

Mystic Songs of Kabir स

एकाात तनवास (प17) Solitary Place(प17)

वववचन - मि म तततपरि समास ह मि पद म कबीर ईशवर की ओर स कहत ह कक मझ कहा ढढत हो बाद म तो तर पास म ह म न तो माहदर म ह न मकसजद म ह और म न एकाात म ह मि शबद एकाात तनवास क लिएrsquo Solitary Placersquo का परयोग उपयतत ह इसम अरथगत और शबद सारचना सतर पर समतलयता ह

ततरगन (प44) Three Fold (प44)

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वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

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416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

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स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

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जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

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दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

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मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

209

वववचनndash मि शबद दववग समास ह अनवादक म मि क समान हीrsquoThree Foldrsquo अनवाद ककया ह ततरगन (बतरगण)स तातपयथ सतव रजस तमस स ह अनवादक(जीएन दास) न इस अनवाद पाठ म इसका कोई सपषनीकरण नही हदया ह इसलिए पाठक क लिए गराहय नहीा ह

गगन माडि (प45) Blue of the Sky(प45)

वववचन- मि म ततपरि समास ह कबीर क कावय म गगन माडि lsquoसहसतरार चिrsquo क लिए परयतत होता ह lsquoसहसतरार सरि शारीर क शीिथ उपर आकाश म कसरत ह जो कक सरि इाहदरयो स पर ह वह एक जयोततपज ह कजसम कमि क सहसतर दि की परतीतत होती ह अत यह सहसतरार कमि क शीिथ क उपर आकाश म कसरत ह lsquoBlue of the skyrsquo स योग स साबिधत परतीकातमक अरथ को परकननहीा करता ह

धरनी - आकास (प41) Earth Heaven (प41)

वववचनndash मि म दवाद समास ह अनवादक न lsquoधरनीrsquo (धरती) क लिए शबदानवाद तरा आकास क लिए भावानवाद ककया ह कबीर मि म कवि खगोिीय वप ाड का नाम ही अलभधा अरथ म िगनाया ह अत आकास का अनवाद Heaven उपयतत नहीा ह उपयथतत अनवाद की तरह अनय अनवाद भी दरषनवय ह-

मल अनददा

गागन माडि (प41) भावनवाद -Blue of the sky (प41)

जाननहारा (प77) भावानवाद -God (प77)

210

416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

211

परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

212

ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

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स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

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वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

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speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

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सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

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Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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416 रनरजता शब द

पनरकतत शब द स तात पयथ ह - ककसी शब द को एक या एक स अिधक बार आवकतत काव य म पनरकतत शब द का परयोग अभीष न भाव को रिचकर बनान क लिए एक ही शब द ही आवकतत की जाती ह पनरकतत शब द स काव य म ियात मकता तरा गततमयता का समावश हो जाता ह और अरथ सौदयथ बढ़ जाता ह कबीर क पदो भी पनरकतत शब द क परयोग स ियात मकता का साचार होता ह और उस गय बनान म उसकी महत वपणथ भलमका दकषनगत होता ह अनहदत पाकतत म पनरकतत शब द स उत पन न ियात मकता परभाव तरा उसका अरथ बोध ककतना ककतना सरकषकषत ह तनम नलिकखत उदाहरणो क अनवाद- मल यााकन दवारा दरष नव य ह- Love songs of kabir स-

मल अनददा राय-राय Can you offord to lose door (प63) (प 63) मल याकन- मि पद म पाय-पाय शबद की आवकतत स ियात मक सौदयथ सकजत हआ ह अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह पाय का अरथ मदरा स ह कका त मि शब द का भावानवाद ककया गया हभाव तो उतार गया ह कका त अनवाद स मदरा की सचना नहीा लमि पाती ह

मल- अनददा

परबतत-परबतत(64) The Mountains Hills and dales(प64) मलयाकन- मि मि पद म परबतत-परबतत की आवकतत स धवनयातमक एवा ियातमक सौदयथ सकजत हआ हआ ह कजसक कारण अरथ परभावपणथ रप म

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परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

212

ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

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स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

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दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

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मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

211

परसतत हआ ह कबीर कहत ह की म तझ स (परमततव) पवथतो पर खोजत हय रोत हय अपनी आख खो चका ह यहा पर परमततव स लमिन की वयगरता वयाकजत हई ह lsquoपरबततrsquo की आवकतत स जहा-तहा भनकन का बोध हो रहा ह इसस अतत वयाकिता का भाव उतपन हो रहा ह अनवाद lsquoMountains Hills और Msloa एक ही भौगोलिक कषतर स साबािधत ह और तीनो शब दो क अात म होन स a तक साम य तनलमथत हआ ह कजसस मि क समतल य ियात मक परभाव और अरथ वयाकजत करता ह

मल अनददा तनहारर-तनहारर gsctlm g

(प106) (प 107) मल याकन मि पद म तनहारर क आवकतत स ियात मक सौदयथ का सजन हआ हतनहार का अरथ दखना होता ह दखन म एक परकार स आहिाद और कोमिता का भाव ह मि पद म कबीर कहत ह कक मझ अपन परमततव की परतीकषा करत करत (पार तनहारर-तनहारर) आखो म छाया पड गया ह िककन तम नहीा लमि यहा gsctlm g क रप म शब दानवाद ककया गया ह अनवाद स कछ और ही अरथ वयतत हो रहा ह और मि क समानानतर ियात मक सौदयथ भी नहीा ह

मल ndashथर थर थर थर (प-56) अनददा ndash Quaking(प-56)

वववचन ndash मि पद म lsquoररrsquo की चार बार आवकतत हई हlsquoररrsquo का अरथ ह- काापना कबीर कहत ह कक हस रपी जीवातमा क उड जान क बाद मरा शरीर नषन हो जाएगा यह सोचकर मरा मन काप रहा ह कबीर क मन म भय की तीवरता ह मि क समान अनवाद म धवनयातमक और ियातमक सौदयथ नहीा

212

ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

213

वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

214

स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

215

क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

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सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

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Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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ह क र भी lsquoकrsquo धवतन की आवकतत स रोडा बहत धवतन और िय का साचार हो रहा हमि अरथ अातररत हो गया ह

मल अनददा ददन-ददन yay to yay

(प138) (प 138) वववचन- यहा हदन-हदन का शब दानवाद ह कजसम मिारथ क सार-सार िय भी ह

Mystic song of kabir स -

मल अनददा जन म-जन म For ages and ages ever

(प-57) (प-57) वववचन- परस तत मि शब द का अनहदत पाकतत म भावानवाद ककया गया ह कजसम मिारथ और िय दोनो तनहहत ह मि पद म यगो-यगो स नवगरह आनादानभतत पराप त करत रहन को बोध हो रहा ह वहीा बोध अनहदत पाकतत स हो रहा ह और sgoa की आवकतत स मि जसा िय का आभास लमि रहा ह

मल अनददा वरया-वरया Like papiha bird distressed in thirst

(प-80) Craving rain drop from the sky (प- 80)

मल याकन- साबािधत मि पद म उत त शब द काव यरह ढ क रप म परयत त ह जो कबीर की ईश वर लमिन की प यास की तीवरता को व यत त करता ह एक काव य रह ढ ह कक पपीहा स वातत नकषतर क पानी की बादो क लिए तडपता रहता ह और वह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

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स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

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जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

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दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

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मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

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वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

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वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

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िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

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दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

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मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

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speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

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सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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वपया-वपया रन िगाए रहता ह अनवादक न उत त पनरकतत शब द क अनवाद स कवि पपीहा दवारा विाथ क पानी क लिए आकिता का भाव ह अत अनहदत पद स पपीहा लिपयातरण और शि अनहदत शब द स काव य रह ढ क परयोग स उत पन न अरथ की तीवरता तरा काव य सौदयथ ठकक स नहीा आ पाया ह भारतीय नाम पपीहा (पकषी का नाम) का कहीा स पष नीकरण दवारा भी कजि नहीा ह अत साकषप म कहा जा सकता ह कक यहा मिारथ और काव य सौदयथगत कषतत हई ह मल अनददा रढा-रढा Read (day and night)

(प70) (प 70) मल याकन अनहदत पाकतत म मि शब द का शब दानवाद ककया गया ह ककन त मि ियात मक परभाव सरकषकषत नहीा ह मि पद म कबीर धमथ क बाहयाचार को वयरथ बतात हए कहत ह कक ह काजीतम धमथ गरार को(करान) को पढ़त - पढ़त तमहार जीवन क न जान ककतन विथ बीत गए ककनत ममथ तमहारी समझ म न आयी lsquoपढ़तrsquoशबद की आवतती स उस पर बािाघात पड रहा ह इसस उस अरथ की परभावोतपादकता बढ़ गयी ह अनवादम रीड कक आवकतत नहीा ह िककन अरथ का अातरण हो रहा ह

मल अनददा

समरर - समरर (र-76) Love devotion for Lord (र-76)

वववचन- मि शबद lsquoसमररndashसमररrsquo स तातपयथ lsquoनामndashसमरणrsquo स ह यह शबद सात मत म ववलशषन भकतत पदतत का बोध दयोतक ह lsquoनामndashसमरणrsquo म अपन मन को सदव ईशवर म िगाया जाता हइस आजपा जाप भी कहत ह इसम बाहय समरण का तयाग करक आातररक समरण म मन को िगाया जाता ह अनवाद

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स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

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क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

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जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

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दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

214

स परमतततव की भकतत का तो बोध हो रहा ह कका त ववलशषन भकतत पढ़ती का बोध नहीा हो रहा ह और मि की तरह पनरकततपरक िय भी नहीा ह

कछ और उदाहरण दरष नव य ह

Love songs of kabir स

मल अनददा

भरमत-भरमत (प-124) Moving squre to squre (प-124) हास-हास (प 85) Glerfully (प-86)

mystic songs of kabir स-

मल अनददा

बगरी बगरी (प-81) Different (प81)

अिग-अिग (प-101) Unseen and Unknow (प-101)

उपरोत त उदाहरणो क वववचन स स पष न होता ह पनरकतत शब द का वसा ही ियात मक परभाव अनवाद म नहीा उतर पाया ह अनवादक न मि भाव गरहण करन का ही परयास ककया ह

417 राररभाविक शबद

कबीर की कावय आधयाकतमक अनभतत की अलभवयकतत ह उनहोन lsquoअनभव-दखो को ही कावय का वविय बनाया गया ह उनहोन शासतरो का तो अधययन नहीा ककया रा ककनत ववलभनन साधना-समपरदायो क सातो क सापकथ म आया करत र और उनह शरतत-परापरा स तततव गरहण ककया रा उनहोन ककसी दाशथतनक या शासतर क तततवो को तनरवपत नहीा ककया ककनत बरहम-माया-जगत

215

क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

215

क समबनध म अपन ववचार परकन ककए उनकी साधना पदतत जञान योग और भकतत का समनवय ह इसलिए इनक कावयो म साधना पदतत स बहत स भाविक शबद परयतत हए ह अनवादक न इन पाररभाविक शबदो को अनहदत पाठ म ककतना उतार पाया ह तनमनलिकखत अनहदत lsquoशबदोrsquo क मलयााकन दवारा दषनवय हmdash

Love songs of Kabir स-

मल- रााच ाा (र39) अनददा- elements five (र39)

मलयाकन- मि पाकतत म lsquoपाच ततrsquo का अरथ पाच तततव- पथवी आकाश पावक समीर जि ह अनवादक न उतत शबद क लिए अनहदत शबद lsquooloio ca fmoorsquo का मि आयथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन कर हदया ह जो सादलभथत अरथ बताता ह

मल-lsquoहासाrsquo(प47) अनददा- lsquoews rsquo(प47)

मलयाकन- मि पद म lsquoहासाrsquo का परयोग lsquoजीवातमाrsquo क लिए ककया गया ह अनवादक न उतत शबद का अरथ Glossary म साकत ककया ह

मल- अनददा-

गागा-जमना lsquoGs goa s M Ysiu srsquo

(प49) (प49)

मलयाकन- मि पाकतत lsquoगागा-जमनाrsquo शबद का परयोग इडा और वपागिा नाडी क परतीक क रप म आया ह यह योग स समबािधत शबद ह अनवादक न इन दोनो शबदो को लिपयनतररत कर हदया ह और lsquoGleaasNrrsquo म इसका अरथ सपषन करन का परयास ककया ह इसस पररचयातमक रप म ही इन शबदो का योगपरक अरथ सपषन हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

216

जीएनदास न lsquoreoo ae ga ef KsvmNrsquo स िगभग सभी ववशि अरथ वाि शबदो की वयाखयातमक हनपपणी lsquoGleaasNrrsquo क अातगथत ककया ह कछ और उदाहरण दख जा सकत ह

मल अनददा

पाच सखी (प108) Five constant friend (प108)

बरहमा (प39) Brahma (प39)

गण (प162) Gunas (प162)

गर (प169) Preceptor of Hindu faith (प169)

Mystic songs of Kabir स-

मल- तनराजन (प40) अनददा- GeM (प49)

मलयाकन- तनराजन का शाकबदक अरथ होता ह lsquoअाजनrsquo अराथत मायारहहत इस परकार तनराजन का सामानय अरथ ह- माया रहहत तनगथण बरहमाrdquo गोरखबानी म lsquoतनराजनrsquo को उदय-अात रात-हदन सरि-सकषम स पर नामरपोपिध स लभनन सवथवयापी तततव क रप म दखा गया ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoसाधारण रप म तनराजन शबद तनगथण बरहमा का और ववशि रोप स लशव का वाचक हrdquo1 आग लिखत ह ldquoकबीर दास न तो सपषन रप म lsquoतनराजनrsquo स तनरपािध तनगथण गोवव ाद को साबोिधत ककया ह- कजसका कोई रप नहीा रख नहीा मदरा नहीा माया नहीा- सबस वविकषण सबस अतीतrdquo2 अतः सपषन ह कक कबीर दास न तनगथण बरहमा को ही तनगथण कहा हअनवादक न तनराजन का lsquoGodrsquo अनवाद ककया हउसी मि पद म सबस ऊपर की पाकतत म परयतत अनगहढ़या

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प38 2 वही प-36

217

दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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दवा (तनगथण ईशवर) क लिए अनहदत पाकतत म lsquoFormless Eternal Godrsquo आया ह कजसस lsquoGodrsquo का परसागानकि पाररभाविक अरथ सपषन हो जाता ह

मि- अवध (प-31) अनहदत-Abdhut (प- 31)

मलयाकन- कबीर क कावय मrsquoअवधrsquo समबोधन का अनक जगहो पर परयोग हआ ह lsquoअवधrsquo lsquoअवधतrsquo का अपभराश रप ह हजारी पर दवववदी जी लिखत ह- ldquoभारतीय साहहतय म lsquoअवधrsquo शबद कई समपरदायो क लिए आचायो क अरथ म वयतत हआ ह साधारणतः जागततक दवादो स अतीत मानापमान वववकजथत पहच हए योगी को अवधत कहा जाता हrdquo1 आग दवववदी जी कबीर क समबनध म मत परकन करत हए लिखत ह- ldquoइस परकार कबीरदास का अवधत नार पारी लसद योगी हrdquo2 इस परकार सपषन ह कक व लसद योगी को ही अवधत कहत र व अवध न तो व बाहरी भदभाव को पसाद करत ह और न सवथमय होकर सवथवववकजथत बन रहन क आचार को योगी तो वह ह जो न भीख मााग न भखा सोय न झोिी-पतर और बनआ रख न अनहद नाद को बजान स ववरत हो पाच जन की जमात (गहसरी) का पािन भी कर और सासार स मकतत पान की साधना भी जान जो ऐसा नहीा वह अवधत योगी कबीर का आदशथ नहीा हो सकता इस तरह सपषन ह कक अवधत ऐस योगी ह जो बाहय आडमबर स मतत होकर परमतततव पराकपत क लिए साधना करत ह जीएनदास दवारा इस अनहदत पाठ (Mystic ae ga ef KsvmN )म अवध को lsquoAvMlucrsquo क रप म लिपयनतररत कर हदया गया ह ककनतlsquoGleaasNrrsquo म इतना सादलभथत अरथ नहीा हदया गया ह अतः समबािधत पद का मिारथ अनवाद म पणथ रप स नहीा उतर पाया ह

3 मि- lsquoअनहदrsquo (प99) अनहदत- lsquoarrrsquo (प99)

1 हजारी पर दवववदी कबीर1990 प32 2 वही प 36

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

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सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

218

मलयानाक- उतत शबद कबीर क योग-साधनातमक पद म परयतत हआ ह अनहद (अनाहद नाद) का शाकबदक अरथ होता ह बबना ककसी आघात का नाद हजारी पर दवववदी जी अनाहद नाद का अरथ बतात हए लिखत ह- ldquoका डलिनी उदबद होकर ऊपर की ओर उठती ह तो उसस स ोन होता ह कजस lsquoनादrsquo कहत ह नाद स परकाश होता ह और परकाश का ही वयतत रप महाबब ाद हअब यह नाद और बबाद ह वाद असि म अकखि बरहमाणड म वयापत अनाहद नाद या अनहद का वयकषन म वयतत रप हrdquo1 ldquoइडा-वप ागिा क सायोग स जब सिमना नाडी खिती ह तब का डलिनी शकतत िटचिोको भदती हई शनय म समा जातत ह तभी अनाहत धवतन सनाई पडती हrdquo2 मि उिन बासी पद ह कजसका अनवादक शबदानवाद करत ह और अनहद क लिए lsquoarrrsquo परयतत करत ह िककन अनवादक दवारा मि शिी उतारन की किया म मि योगातमक-भाव को पाठक तक पहाचान म अस ि ह अागरज़ी-पाठक क लिए lsquoउिनबासीrsquo समझना मकशकि ह

उपयथतत वववचन स सपषन ह कक भारतीय आधयाकतमक तततव को समझन वािा अागरज़ी पाठक ही कबीर पाररभाविक शबदो क अरथ को समझ सकता ह अागरज़ी भाविक-समाज म सातमत या भारतीय परमपरा क आधयाकतमक तततव जसी अवधारणा नहीा ह और न ही उसक समतलय साकतक इसलिए यह उसी पाठक क लिए गराहय ह जो उतत अवधारणा स पररिचत ह

418 साकताक शबद

Love songs of Kabir स

मि- मागिाचार(प39) अनहदत- wolteio ae g(प39)

1 कबीर हपरदवववदी1990 प47 2 कबीर सा वासदव लसाह2004 प122

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वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

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वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

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िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

219

वववचन- माागलिक अवसरो पर गाए जानवाि गान को मागिाचर कहत ह यह ककसी ववशि उतसवो म गाया जानवािा गीत होता ह भारतीय समाज म ववलभनन सासकार और उतसव क अवसर पर मागि गीत गया जाता ह कजसम दव सततत भी शालमि होती ह मि शबद lsquoमागिाचारrsquo क लिए अनवादक न lsquowolteio ae grsquo का परयोग ककया ह जो साासकततक वलशषटय नहीा समन पाया ह

मल अनददा

ररत ागन (प 59) spring season

वववचन- ागन ( ालगन) वविम सवात का बारवा मास जो माघ (महीना) क बाद आता ह भारत म इसी महहन म होिी होती ह यहा ागण का परयोग वसात ऋत क अरथ म हआ ह भारतीय समाज म इस महीन या ऋत का अपना महतव होता ह यह हिोलिास का मौसम होता ह अनवादक न मि परसाग को दखत हए परसागानकि अनवाद ककया ह ककत वविम सावत क एक महीना की सचना काही परसतत नहीा ककया ह

मल अनददा

गवाना farewell

वववचन- गवनवा अरवा गौना एक ऐसी रसम ह कजसम वववाह क कछ साि बाद दलहन को मक स ससराि बबदा ककया जाता ह गवानवा क लिए परयतत अनवाद farewell स कवि ववदाई का अरथ वयतत हो रहा ह इसस भारतीय समाज क ववशि- रसम का बोध नहीा हो रहा ह याहा अनवादक को मि शबद को लिपयातररत कर हनपपणी म इसका वववरण परसतत करना चाहहए रा

मि अनहदत नहर Stay with Parents

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

220

वववचन- भारतीय समाज म सतरी क वपता क घर को नहर कहा जाता ह मि पद म नहर शबद का वयाजनपरक अरथ सासार स ह अनवाद स ववलशषन सामाकजक- सासकततक साधाभथ की जानकारी नहीा लमिती ह

मल अनददा

मक (प51) fathers house (प 51)

मि भारतीय समाज म मता- वपता क घर जहा ककसी सतरी का वववाह पवथ जीवन वयतीत होता ह उस मक कहत ह fathers house का अरथ वपता का घर जो ककसी परि का भी हो सकता ह और ककसी सतरी का भी मक शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अनवाद म नहीा उतार पायी ह

मल अनददा

घाघन (प67) veil (घाघन)

मलयाकन - भारतीय समाज म नई दलहन (सतरी) दवारा चहर पर सडी स ढक िन क आवरण को घाघन कहत ह मि शबद म जो सासकततक ववलशषनता ह वह अागरजी अनवाद veil म नहीा ह ककनत अनहदत पाकतत म veil शबद क परयोग स मि मातवय वयतत हो जाता ह

मल अनददा

गागा-गोदावरी (प19) Pilgrimage तो गोदावरी and Gangas (प19)

मलयाकन- मि पद म गागा और गोदावरी तीरथ यातरा क साधाभथ म परयोग ककया गया ह अनहदत पाकतत म Godavari और गागा म Piligrimage जोड दन स मि भाव सपषन करन का परयतन ककया गया ह कका त सनीक अरथ उसी क लिए गराहय ह जो उतत दोनो मि शबद का ससकततक सादभथ जनता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

221

िकषय भािा क पाठक क लिए साासकततक ववलशषनता का वववरण दना आवशयक रा

मल- अनददा

सती (प37) Sati (प 37)

मलयाकन- हहनद समाज म सती उस सतरी क लिए परयतत होता रा जो पतत क मरन क बाद उसक िचता क सार जिती री मि पद म सती क सत एक रपक क रप म उपकसरत ह अनवाद म मि शबद सती का लिपयातरण कर हदया ह परात सती शबद को सपषन रप स कही वयतत नहीा ककया गया ह कजसस मि अरथ कमजोर पडा ह

मल अनददा

बाहमन (प52) BNslis (प52)

छतरी (प52) ellscNm (प52)

सदर(प52) eluMNs (प52)

वसवा(प52) Vsmalrs(प52)

मलयाकन- भारतीय हहाद समाज चार वणो म ववभाकजत रहा ह मि पद म उनहीा चार वणो को बाहमन (बराहमण) छतरी (कषतरीय) सद (शदर) वसवा(वशय) कहा गया ह अनहदत पाकतत म उतत चारो शबदो को मातर लिपयातररत ककया गया ह भारतीय समाज म परचलित वणथ-वयवसरा क सनदभथ को सपषन नहीा ककया गया ह अतः अनवाद परभाववत हो गया ह

मल- lsquoपहनवाrsquo(प78) अनददा- lsquoguoacrsquo(प78)

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

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दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

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speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

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सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

222

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoपहनवाrsquo (पाहन) बहत आतमीय अततिर क लिए परयतत होता ह अनहदत पाकतत म परयतत lsquoguoacrsquo शबद म मिारथ तनहहत ह ककनत जो अपनतव lsquoपहनवाrsquo शबद म ह वह lsquoguoacrsquo शबद म नहीा ह यह अातर साासकततक पररवश क कारण ह

उपयथतत पाकतत स सपषन ह जीएन दास क दोनो अनहदत पाठ म बहत सार शबदो क सामाकजक-साासकततक सनदभथ सपषन नहीा हो पाया ह कजसस मिारथ का सापरिण कमजोर पडा ह

-Love songs of abir

मल अनददा

बरहमा BNslis

वद VoMs

(प39) (प39) मल याकन- मि पद म बरहमा क हहाद दवता तरा वद सनातन धमथ क धमथगरार ह GleaasNr (प170) म BNslis क लिए स पष नीकरण lo imNac

doivoNGeM losM स तरा क लिए clo eNmgm sl aNmecuNoa ef as scs MlsNis wlmtl m mcmsllr o macoM m weNMa ieucl स बहत हद तक मि सादभथ को स पष न करता ह इसी तरह कई अन य ववशि शब दो का व याख या GleaasNr क अन तगथत हदया गया ह जीएन दास क Love songs of abir म िगभग सभी लिप याातररत शब दो का मि सादभथगत व याख या हदया गया ह कजसस का ी हद तक मि पद को बोधगम य बनाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

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मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

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मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

223

419 शलपयाररा शब द

लिपयातररत शब द व शब द होत ह कजस ोत भािा क लिवप स िकष य भािा क लिवप म अातरण का हदए जात ह काव यानवाद म लिपयातररत शब दो का महत वपणथ स रान ह य शब द कववता म सास क तत समाज धमथ इततहास लमरक एवा परतीक स साबािधत होत ह ऐस शब दो का अातरण करना कहठन ह इसलिए इन ह लिप याातररत कर हदए जात ह और पाद हनप पणी दवारा सादलभथत अरथ को स पष न कर हदया जाता ह ड अन नपणाथ जी का भी मत यही ह कक मि पाठ को कई ऐस शब द ह कजनका अागरजी अनवाद म लिप याातरण ककया गया ह य शब द मि रप स पौराकणक या लमिरकीय सादभो स साबद ह अरवा िोक सास त तत और भारतीय जीवन स ऐसी कसरतत म लिप याातरण दवारा शब दो का अन तरण अनवाद लसदाात म भी स वीकार ककया गया ह िककन इस परकार की लिप याातरण की छन भािा म पयाथय क रप म उपिब ध न हो ऐसी कसरतत म लिप याातरण क सार ऐस शब दो का साकषकषप त वववरण या व यवस रा याद हनप पणी क रप म दन की अतनवायथता भी अनवाद लसदाात तनधाथररत करता ह1

भािा और सासकतत परसपर अनयोनयािशरत ह साासकततक शबद क भौततक तरा आिधभौततक रप होत ह ककसी भी भािा क शबदो क पीछ सदीघथ परापरा होती ह उसस एक ख़ास पररवश का बोध होता ह भािा म कछ साासकततक-सामाकजक अलभवयकततया होती ह कजनह जयो-का-तयो भािा म ढाढना परायः असाभव होता ह मि पाठ क कई ऐस शबद परयतत हए ह जो िोक-साासकततक और लमरकीय सादभो स समबद ह ldquoकन डथ क मतानसार ऐस शबदो को इसी परकार रखा जाय और नीच पाद-हनपपणी म उसकी पणथ अरथ-छवव को ववसतार स समझाया जाना चाहहए ऐसा करन स िकषय भािा क पाठक शबद क वासतववक अरथ को समझन म सववधा होगी तरा उसक सााकततक पररवश स भी अवगत हो जाएगाrdquo1 कबीर अपनी ववचारो को व यत त करन क लिए लमरक या पौराकणक और साास कततक जीवन का परयोग ककया ह परन त व अिग अरथ म परयत त हए ह कजनक अनवाद का मल यााकन तनम नलिकखत नमनो दवारा परस तत ह-

Love songs of Kabir ndash

1 अननपणाथ सी कमायानी अनवाद समीकषा प -239

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

224

मल- lsquoचनररयाrsquo(प51) अनददा- lsquoassNmrsquo(प51)

मलयाकन- मि शबद चनररया (चनरी) भारत म यवती सतरी क लिए एक परकार का पररधान होता ह अनवादक न इस ldquoassNmrdquo क रप म लिपयातरण कर हदया ह और उसका शाकबदक अरथ तरा साकतातमक अरथ lsquoGleaasNrrsquo म सपषन ककया ह अनहदत पद म चनरी का लिपयातरण-अनवाद सनीक नहीा माना जा सकता तयोकक चनरी और साडी म अातर ह भारतीय पररवश स अपररिचत पाठक को lsquoचनरीrsquo की ववलशषनता का बोध नहीा हो सकता िककन साकतातमक अरथ lsquoluis veMrrsquo (भौततक शरीर) क रप म lsquoवववरणrsquo दन स मि मातवय सपषन हो गया ह

मल अनददा

गाग (प73) Gs goa (प74)

जमना (प73) Ysiu s (प74)

मलयाकन- योगमागथ की गढता को परकन करन क लिए कबीर न लसदो स परतीको को उठात ह लसदो क हार योग म lsquoगागाrsquo lsquoइडाrsquo तरा यमना (जमना) lsquoवप ागिाrsquo नाडी का परतीक ह कबीर भी अपनी रचनाओा म इन परतीको का परयोग उसी अरथ म करत ह अनहदत पाकतत म उतत दोनो मि शबदो को लिपयातररत कर हदया गया ह और परतीकारथ साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म उलिकखत ह ककनत योग-मागथ की गढता स पररिचत पाठक ही इन परतीको का सादभाथनकि अरथ गरहण कर सकता ह

मल- आरती (प80) अनददा- ssNscm (प81)

1 नीता गपता (सा) अनवाद (पबतरका) अाक 20 प -23

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

225

मलयाकन- मि शबद lsquoआरतीrsquo का परयोग ईशवर की पजा म होता ह lsquoआरतीrsquo किया म lsquoएक रािी मrsquo दीपक रहता ह उसम लभगोई हई बाती क रप म रई जिती रहती ह अनवादक न लिपयातरण क माधयम स इसका मि अरथ सपषन करन का परयास ककया ह िककन उसम सकषम अातर आ गया ह अनवादक न दीपक क बदि lsquots Mlorsquo क जिन का उलिख ककया ह

मल- काजर (प91) अनददा- KssjsN (प91)

मलयाकन- भारतीय समाज म lsquoकाजरrsquo एक परकार का आख म िगाई जान वािी lsquoकालिखrsquo ह जो दीय क धए स बनता ह इसका परयोग सौदयथ तरा नोनक क रप म परयोग होता ह अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत इसका lsquoGleaasNrrsquo म वववरण परसतत नहीा ककया गया ह इसलिए िकषय-भािा क पाठक को साासकततक अरथ स अवगत होना कहठन ह

तनमनलिकखत लिपयातररत अनवाद की सची दी जा रही ह कजसका साकषकषपत वववरण lsquoGleaasNrrsquo म परसतत ककया गया ह

मल अनददा

फ़कीर (प58) Fakir(प58)

बाहमन (प102) Brahmin(प102)

कािी (प142) Kali(प143)

गर (प169) Guru(प169)

तिसी (प161) Thulsi(प161)

ततिक (प161) Thilak(प161)

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

226

Glossary स शलए गए शलपयाररा शबदmdash

मल अनददा

राम (प52) Ram (प53)

पपीहरा (प79) Papihaa (प75)

पपीहा (प79) Piya-Piya (प79)

Mystic songs of Kabir स

मल- lsquoकाबाrsquo (प18) अनददा-Kssvs (प18)

मलयाकन- काबा मसिमानो का पववतर सरि ह वहा मसिमान धमथ क िोग तीरथ पर जात ह अनवादक न लिपयातरण का उलिख lsquoGleaasNrrsquo म नहीा ककया ह काबा (Kssvs) स अपररिचत पाठक पर पद क सनदभथ म मिारथ-गरहण म रोडी कमी होगी

मल- किास (प18) अनददा- Ksmlsa (प18)

मलयाकन- किास भी हहनदओा क पववतर सरि क रप म माना जाता ह जहा लमरकीय दवता lsquoलशवrsquo का तनवास सरान माना जाता ह किास का लिपयातरण ककया गया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया गया ह

मल- lsquoकसतरीrsquo (प18) अनददा- KsacuNm (प18)

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

227

मलयाकन- हहादी शबदकोश क अनसार- lsquoकसतरीrsquo- एक सगकनधत पदारथ जो एक तरह क नर हहरन की नाभी क पास की गाठ म पदा होता और दवा क काम आता हrdquo1 कबीर न मनषय म परमतततव की उपकसरतत का रपक बााधा हाही अनवादक न कहीा भी ldquoKasturirdquo क अरथ को सपषन नहीा ककया ह अनहदत पाकतत म अरथ की कषतत होना माना जा सकता ह

मल- lsquoबरहमrsquo(प20) अनददा- lsquoBNslisrsquo(प20)

मलयाकन- कबीर न ldquoबरहमाrdquo शबद का परयोग अपन ldquoपरमतततवrdquo इशवर क लिए ककया ह अनहदत पाकतत म ldquoबरहमrdquo को लिपयातररत कर हदया गया ह अनवादक दवारा ldquoBNslisrdquo क बाद lsquoclo Nosl GeMrsquo जोड हदया गया ह कजसस मिारथ सपषन हो जाता ह और कई अनहदत पाकततयो म ईशवर को सादशय ववधान दवारा बतान का परयास ककया गया ह

मि-lsquoसदगरrsquo(प23) अनहदत- lsquoesMguNursquo(प23)

मलयाकन- सदगर यानी सचचा गर वह ह जो सही जञान दता ह सही जञान स तातपयथ ह आधयाकतमक जञान दनवािा परदशथक अनवादक न लिपयातरण कर हदया ह ककनत lsquoGleaasNrrsquo म अरथ सपषन नहीा ककया ह िककन मि पद म गर का महहमा-वणथन का नौवाद होन स सदगर की धारणा बहत कछ सपषन हो जाता ह

मि-lsquoसतीrsquo(प23) अनहदत- lsquoescmrsquo(प23)

मलयाकन- मि पाकतत म सात क कहठन साधना मागथ को बतान क लिए lsquoसतीrsquo का दषनाात हदया गया ह भारतीय समाज म कभी सती पररा री कजसम ककसी सतरी क पतत की मतय क बाद उस पतत क सार ही हीनता म जिा हदया जाता 1 कालिका परसाद(सा) वहद हहादीकोश प-235

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

228

ह अनवादक सादलभथत अरथ को सपषन नहीा कर पाया ह तनमनलिकखत लिपयनतररत शबदो का lsquoGleaasNrrsquo म सपषन नहीा ककया ह जो अपकषकषत हmdash

मल अनददा

साधया(प32) Sandhya (प32)

तरपन(प32) Tarpan (प32)

रावण(प46) Ravana (प32)

बराहमण(प52) Brahman (प52)

छतरी(प52) Chhatri (प52)

ववसवा(प52) Vaishya (प52)

सद(प52) Sudra (प52)

42 वातय क ार रर

Love songs of kabir स-

मल ndash

ldquo कौन लमिाव मोहह जोिगया हो

जोिगया बबन मोहह रहया न जायrdquo (प44)

अनददा-

Who can help me meet my love

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

229

My mind is always aching for him

How can I survive (प44)

मलयाकन- मि पद म पररम दववतीय और ततीय पाकतत साधारण वातय ह पररम और ततीय वातय परशनवाचक भी ह अनवादक क वातय सारचनातमक सतर पर समतलयता िात हए अागरजी अनहदत पाकतत म सरि वातय का ही परयोग ककया गया ह और मि दो वातय का अनवाद तीन सरि वातय क दवारा ककया ह मि दसर पाकतत क अरथ को सपषन करन क लिए दो वातय का सहारा लिया ह इसलिए मि-भाव वयतत हो गया ह

मल-

परम वपयािा जो वपय सीस दकखना दय

िोभी सीस न द सक नाम परम का िय (प54)

अनददा-

ldquoyou can drink from the cup of love

Only if you can offer your head

The path of love is uneven

The miser cannot offer his head

He can only talk of itrdquo (प54)

मलयाकन- परसतत मि दोनो पाकतत लमशर वातय ह पररम वातय म lsquoजोrsquo सायोजक का कमथ करता ह दववतीय वातय म सायोजक (जो) छपा हआ हपररम पाकतत अनवाद को lsquoe lr mfrsquo तरा rsquoclscrsquo िगाकर वातय को लमशर-वातय बनाया

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

230

गया ह मि दववतीय पाकतत का अनवाद को दो अिग-अिग सरि वातय परयोग दवारा अनवाद ककया गया ह वातय आातररक रप स जडा हआ ह

मल-

धरव परहिाद सकदव वपया

और वपरया रदास

परमहह रस सदा मतवािा

एक परम की आसा (प 76)

अनददा-

Saints like Dhruv Prahlad and Shukdev

As well saint Raidasa

Steeped themselves in the nectar of lovo

And realized Him you too crave for that (प76)

मलयाकन- कजस तरह परसतत मि पद म सायतत वातय ह उसी तरह अनहदत lsquoooNaorsquo म भी lsquos Mrsquo क दवारा सायतत वातय बनाया गया ह मि तीसरी पाकतत का अरथ उतत अनहदत-सायतत वातय म समाहहत हो गया ह अरथ क सतर पर दख तो तो यहा भावानवाद ककया गया ह ककनत अनहदत पाकतत स मि क सामान अरथ-परभाव की पराकपत नहीा होती ह lsquoपरमरस पीन का भावrsquo lsquoSteeped themselves in the nectar of lovorsquo म ठकक स उतर नहीा पाया ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

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अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

231

Mystic Songs of Kabir स-

मल

सााइ की नगररया जाना ह र बाद

जग नाहहा अपना बगाना ह र बाद (प21)

अनददा-

Man you have to go back to the Lordrsquos city

The world is not fit place for you to live

मलयाकन- परसतत मि पाठ म lsquoईशवर क पास जानrsquo का भाव वयतत हआ ह मि दोनो सरि वातय ह सहज ही अरथ का बोध हो जाता ह अनवादक न भी सरि (amielo) अागरज़ी वातय का ही परयोग ककया ह िककन जो अरथ-छवव lsquoसााइ की नगररयाrsquo म ह वह lsquoLordrsquos cityrsquo म नहीा ह कबीर न lsquoबादrsquo शबद को ईशवर क भतत या सवक क लिए परयोग ककया ह lsquoबादrsquo क लिए lsquoManrsquo शबद सनीक नहीा िगता ह

मल mdash

जो तम चाहो परम पद को बलसहो दस हमारा

धरनी अकास गगन कछ नाहीा नाहीा चनदर नहीा तारा (प41)

अनददा राठ-

If you want salvation for you Do come and live there No earth and live there (प41)

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

232

मलयाकन- मि पररम पाकतत म लमशर वातय ह अनहदत पाकतत म मि क सामान ही lsquoIfrsquo सायोजक जोडकर सायतत वातय (teieeu M ao co to) बनाया गया ह

मल -

ldquoनाहीा धमथी नाहीा अधमथी न म जाती न कामीा हो

ना म कहता ना म सनता ना म सवक सवामी हो

ना म बाधा ना म मकता ना म ववरत ना रागी हो

ना काह स नयारा हआ ना काह स सागी हो

ना हम नरक िोक को जात ना हम सवगथ लसधार हो (प51)

अनददा-

I am neither pieteous nor am I sinful

I am neither a saint nor lustful either

I do not give discourse here

Nor hear any from another

Neither a servant nor master am I

I am not tied to any nor free from all

Neither am I different from all on earth

Nor copy of any other

233

I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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I am not on the path to heaven fron here

Nor on my way to hell either

मलयाकन- परसतत मि पद की सभी पाकततया सायतत वातय सारचना म हअनवाद म भी वातय सारचनातमक समतलयता िान क लिए lsquoNeitherrsquo lsquoNorrsquo और lsquo ecrsquo िगाकर सायतत वातय ही बनाया गया ह मि पद म न वणथ की आवकतत (नाहीा ना न) स धवनयातमक सौदयथ का सजन हआ ह अनहदत पाकतत म भी lsquorrsquo वणथ की आवकतत (Neither Nor ec) स धवनयातमक सौदयथ उतपनन हआ ह

43 परोजता क ार रर

Love songs of kabir स-

मल -

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोहनग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

234

अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

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मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

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together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

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अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

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मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

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और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

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परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

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Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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अनददा-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जब जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोनीrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय वयतत हो गया ह

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मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

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together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

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अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

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मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

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और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

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परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

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दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

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Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

235

मल -

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash

मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावयरहढ़ परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमानमिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल -

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

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और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

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Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

236

पयास पराण तड हदन रन

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा ndash

ldquoI shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthelliprdquo (प 61)

237

मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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मलयाकन- मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह यहा अरथ सासकतत मौजद ह

मल

बिम आवौ हमर गह र

तम बबन दकखया दह र

सब कोई कहत तमहारी नारी मोको रह सादह र

हदि स वााहह हदि िगावो तब िग कसा सनह र

एक मक हव न सोय तब िग कसा नह र

अनन न भाव नीाद न आव घर बर धर न धीर

कालमन ह बािम पयारा जयो पयास को नीद र

ह कोई ऐसा पर उपकारी वपव स कहा सनाय र

अब तो बहाि कबीर मानो ह बबन दख जीव जाय र

अनददा राठ-

O my love Do come to my hut my body and mind are aching for you when every one says I am your spouse I feel ashamed and doubtful so long we have not joined our hearts And slept

238

together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

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speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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together in one bed How can I claim your love my Dear I do not relish food nor can I sleep in my home I am always distrupth As the thrsty longs for water so is the love-lorn for her love Is there none to carry this message to my lord Kabir is in great distress pining and pining for his love he is going to die

मलयाकन- मि पद म एकालभमख कसरर सािाप ह सािाप म वतता क सामन सतरोता की आवशयकता नहीा होती जीवातमा परमातमा को पतत मानकर अपन ववयोग वयरा का वणथन करत हए परमातमा को साबोिधत करत ह अागरजी अनवाद म भी ईशवर को साबोिधत करत हए एकालभमख कसरर सािाप क माधयम स ही मि कवव क मातवय को अलभवयतत ककया ह अनवादक न lsquoअनहदत पाकतत म lsquoo my loversquo और lsquomy dearrsquo क माधयम स वातय को साबोधनातमक बनाया ह और मि की तरह ही वातय आदशातमक भी ह

मल राठ-

दिहहन गावह मागिाचार

हम घरर आय परम पररस भरतार

तन रतत करर म मन रतत करर ह पाच तत बराती

राम दव मर पाहन आय म जोवन म माती

सरीर सरोवर बदी करर ह बरहमा बद उचारा

रामदव साग भावरर ि हौ धन धन भाग हमारा

सर ततीस कोततग आय मतनचार सहस अठासी

कह कबीर हम वयाहह चि ह पररस एक अववनासी

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अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

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मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

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और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

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परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

239

अनददा राठ-

Young bridedo sing the welcome songMy love has come to my hut today in procession of the elements fiveHe is my honoured guest tonightmy youth and love are welling upI shall cling to Him in body and mindmy body I shall cause to be altarwhere Brahma will chant the Vedas and with my love I shall go round and round the sacred fiveto celebrate me wedding with HimGods and goddesses and countless sageshave come from far to see the weddingsays Kabir- O my luck I am going to wed my dear LoveThe Lord Supreme

मलयाकन- मि पद म अपरसतत ववधानमिक परोकतत ह पाठक क समझ आतमा-परमातमा क लमिन को रपक क माधयम स परसतत ककया गया ह साधना की एक ऐसी उतकषन अवसरा आती ह जन जीवातमा रपी वपरय परमातमा रपी वपरय स लमिन क लिए योगयता परापत कर िती ह और परभ उसका वरण करन क लिए ततपर हो जात ह इसी तथय को कबीरदास न वववाह क रपक क माधयम स वयतत ककया ह अनवाद म भी मि की तरह रपक उपकसरत करन का परयतन ककया गया ह कथय (te co c) क आधार पर दख तो मि पद म भकततमिक परोकतत ह अनहदत पाकतत म भी भकततमिक परोकतत ववदयमान ह ककनत सकषमता स दखा जाए तो शबद क सतर पर पणथ अरथ समपरिण म आालशक कषतत होना कहा जा सकता ह तयोकक मि म परयतत lsquoततीस कोहनrsquo का अनवाद lsquoteu cloaarsquo (अनिगनत) कर हदय गया ह कजसस (सीलमतता) का बोध नहीा होता इसक बावजद अनवाद म मि अलभपराय (iecmf) हो गया ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

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मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

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दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

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(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

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मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

240

मल ndash

जस चनदरमा चकोर िचतव

जस चातक सवाती

तस सात सरत क हो क

हो गए जनम सागाती (प60)

अनददा ndash

As the night-bird gazes at the moon

As the rain-bird waits for the swaati rain

So has the beloved fixed her mind

On her Loversquos feet eternally (प60)

मलयाकन ndash मि पद म चनदरमा और सवाती नकषतर सात का उपमान ह अतः यहा उपमानमिक परोकतत ह सार ही य कावय-रहढ़परक ह अनवादक न मि क सामान ही अनहदत पाकतत को उपमाममिक बनान का परयतन ककया ह ककनत कावयरहढ़ स नहीा जोड पाया ह अतः अनहदत पाकतत म मि क समान अरथ-भाव परभावपणथ नहीा बन पाया ह

मल राठ-

सााइ स िगन कहठन ह भाई

जस पपीहा पयासा बद का वपया वपया रन िाई

पयास पराण तड हदन रन

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

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सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

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Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

241

और नीर न भाई

जस लमरग सबद सनही सनन को जाई

सबद सन और परान दान द ततनको नाहहा बराई

छोडो तन आपन को आसा तनभथय हव गन नसाई (प 61)

अनददा राठ ndash

I shall not leave my Love alono

When he gets up shall I awake

And sleep only when he goes to bed

Whoever pains my Love I shall

Be rigid and speak not a word to him

Wherever my Loversquos praise is sung

There shall I build me a hut

And if He leaves the place I shall

Run ahead to be near Him

Never to lose from sighthellip (प 61)

मलयाकन-मि पद म सायोजक lsquoतीrsquo lsquoजोrsquo lsquoजहाrsquo lsquoतहाrsquo आहद क परयोग स भािा सासकतत बनी हई ह मि पाकतत म lsquoतोrsquo और lsquoजोrsquo क परयोग स कायथ-कारण साबाध जडता ह अनवादक न उतत शबदो क लिए lsquowlo rsquo तरा lsquolewoooNrsquo

242

परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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परयोग कर समतलयता िान का परयास ककया ह lsquoजहाrsquo और lsquoतहाrsquo का अनवाद िमशः lsquoWhereverrsquo तरा lsquocloNorsquo करक वातय को जोडा गया ह अनवाद म अरथ सागतत भी ह

मल -

मोको कहाा ढाढर बाद म तो तर पास म

ना तीरर म ना मरत म न एकाात तनवास म

ना माहदर म ना मसकजद म ना काब किास म

म तो तर पास म बाद म तो तर पास म

ना म जप म ना म तप म ना म बारात उपास म

ना म ककररया कमथ म रहता नहीा जोग सानयास म

खोजी होय सनो भई साधो म तो हा ववसवास म

अनददा राठ-

Where ever do you seek me man I am close quite close to youNor in sacred places I am not in Temple idols eitherNot in solitary places I remain I am close quite close to you I stay not in Temple or in Mosquenor in Kaaba or Kailash either I remain close quite close to you Not in austerities nor in meditation I am Not in feastings or fastings eitherNot in worships laid down by scriptures Not in lsquoyogicrsquo exercise I am I tell you man if you seek me in earnestI am by your side in trice Says Kabir O Sadhu listen with care where your faith is I am there

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मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

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दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

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(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

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मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

243

मलयाकन- मि पद म lsquoपरतयक शरीर म पराण क रप म ईशवर उपकसरतत का भावrsquo वयतत हो रहा ह यहा वयाखयातमक परोकतत का परयोग ककया गया ह वातय म lsquoनाrsquo सायोजक क रप म परयतत ह कजसस वह तनिधातमक रप हो जाता ह अनवादक न मि क अनरप वयाखयातमक परोकतत क रप म ही अनवाद ककया ह मि शबद lsquoनाrsquo क समान lsquoreNrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस भािा सासकतत तनलमथत हई ह कछ मि शबदो का अनवाद उपयतत नहीा िगता ह lsquoकाबrsquo lsquoसाधrsquo तरा lsquoकिासrsquo का लिपयनतररत अनवाद ककया गया ह ककनत उसक धालमथक अरथ को GleaasNr म सपषन नहीा ककया जञा ह कजसस अरथ सासकतत कमजोर पडी हवसी lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo म जो अरथ-चावी ह वह अनहदत शबद lsquosuacoNmcmoarsquo और lsquomeditationrsquo म नहीा ह हहनद धमथ म lsquoजपrsquo और lsquoतपrsquo बहत ही कहठन साधना ह और साासाररक माया-मोह तयाग कर की जान वािी आधयाकतमक किया ह उतत दोनो अागरज़ी शबदो म मिारथ का अभाव ह

मि पद म पररम वातय परशनवाचक वातय स पराराभ हआ ह अनवादक न भी पररम वातय को परशनवाचक वातय बनाया ह ककनत मि अरथ-भाव अनहदत वातय म नहीा आ पाया ह lsquoतर पास मrsquo का सादलभथत अरथ मनषय क पराण (आतमा) म ईशवर की उपकसरतत ह िककन अनहदत पाकतत स lsquoअतयात करीबrsquo होन का ही बोध होता ह सापणथ अनहदत पद स भी उतत भाव वयतत नहीा हो पाता इस तरह सपषन ह कक अनहदत पाकतत म मि पद का मिndashभाव ठकक स नहीा उतर पाया ह इसलिए अरथ कमजोर बन गई ह इसक बावजद मातवय सपषन हो जाता ह

Mystic Songs Kabir स-

मल राठ

तया मागा कछ िरर न रह

244

दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

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speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

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Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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दखत नयन जलया जग जाइ

इक िख पत सवा िख नाती ता रावन धरर हदवा न बाती

िाका सो कोन समदर सी खाइ ता रावन का खबर न पाइ

आवत साग न जावत सागाती कहा भयो दरर बााध हारी

कह कबीर अात की बारी हार झाड़ड जस चि जवारी (प46)

अनददा राठ-

I cannot imagineWhat I should beg of the LordBefore my eyes I see the world go up in flameking Ravana of Lanka had a lakh of sons And half a lakh grandsons to boot In the end not one remainedEven to show him path by a little lampThe glory that was LankaGirt by the wide sea In the end none could trace Its King that Ravana was says Kabir you come all aloneand alone you shall go backwhy keep the elephants Tied in your countryyardTo be of service to you Like the gambler losing all his money you shall go backwith empty hands too (प46)

मलयाकन- मि पद म एक करन क बाद दषनाात परसतत ककया गया ह कबीर न साासाररक जीवन की नशवरता को रावण क सामराजय क ववनाश होन क दषनाात स समझान का परयास ककया ह अनवादक न भी करन को परसतत करत हए दषनाात हदया ह िककन lsquoरावनrsquo और lsquoिाकाrsquo को लिपयातररत कर हदया ह ककनत इसक पौराकणक अरथ को lsquoGleaasNrrsquo म नहीा बताया गया ह अतः यहा पणथ अरथ समपरिण म बाधा उतपनन हो रही ह ककनत मि मातवय एक सीमा तक सपषन हो गया ह

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(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

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मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

245

(क) जब तब

मल राठ ndash

जब र आतम ततत बबचारा

तब तनरबर भया सबहहन र कााम िोध गहह डारा (प97)

अनददा-

Since I have undertaken

Self-analysis

I have discarded

Enmity to allpersons

Shed lust and ire from mind (प97)

मलयाकन- मि पद म lsquoजबrsquo और lsquoतबrsquo क परयोग वातय म जडाव बनता ह अनवादक न भी उतत शबद क लिए lsquoem torsquo का परयोग कर वातय म जडाव बन गया ही

(ख) जस जौ तरा ही

मल -

आपनपो आपही बबसरो

जस सोनहा काच माहदर म भरमत भकक मरो

जौ कहरी बप तनरकख कप जि परततमा दकख परो (प 69)

246

मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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मलयाकन- मि पद म lsquoजसrsquo और lsquoजौrsquo सायोजक जोडकर तनदशाथतमक परोकतत बना ह पररम वातय म lsquoहीrsquo lsquoआपrsquo पर जोर दत ह कजसस करन अिधक समपरशनीय बन पडा ह अनवादक न अनहदत वातयो क बीच lsquormrorsquo तरा lsquoAarsquo का परयोग करक जडाव बनाया ह करन पर जोर दन क लिए lsquolmiaolfrsquo का परयोग ककया ह इस तरह दखत ह कक अनवाद म मि जसी सासकतत िान का स ि परयास ककया गया ह

Mistic songs of Kabir स ndash

मल-

मन न रागाय रागाय जोगी कपडा

आसन मार माहदर म बठ बरहम छाड़ड पजन िाग पररा

कववा डाय जनवा बढ़ौत दाढ़ी बढ़ाय जोगी ह गि बकरा

जागि जाय जोगी धतनया रमाि काम जराय जोगी ह गि हहजरा

मरवा माडाय जोगी कपडा रागि गीता बीच क ह गि िबरा

कबहह कबीर सनो भई साधो जम दरवाजा बाधर जब पकडा प20

अनददा-

His mind he dyed not He sad tigt in temple worshipped the stone idol there forgetting ldquoBrahmardquo the real god He pierced his ears grew matted on head And long beard like the goat Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burant And became a eumuch He then shaved his head put on dyed clothes Delivered speeches on gita And passed for a

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speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

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मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

247

speaker Says Kabir listen o sadhu He will be tied and led to hell be sure (प 20)

वववचनndash मि पद म कबीर तराकिरत योगी-साधक क बाहयाडाबर पर वयागय करत ह और परमततव पराकपत क लिए lsquoपरमrsquo को महतवपणथ मानत ह व कहत ह कक जोगी क मन म परम का राग नहीा ह उसन कवि कपड रागवा लिय ह आसन मार कर माहदर म बठ गया ह और बरहम को छोडकर दवी-दवताओा की मतत थ की पजा कर रहा ह उसन अपन कान छदकर का डि पहन लिया ह और दाढ़ी बढ़ाकर बकरा बन गया ह अनवादक न मि lsquoजोगीrsquo (योगी) को लिपयातरण ककया ह अागरजी शबद कोश म lsquoyogirsquo शबद का अरथ ldquoAn expert in or teacher of the pholosophi of yogardquo (योग दशथन क ववशिजञ या लशकषक) क रप म सवीकार ककया गया ह जो सामानय अरथ ह कबीर आहद सातो क यहाा lsquoयोगीrsquo पद का आशय एक ववलशषन साधना और िचातन परकिया स यतत साधक क लिए होता ह अनवादक को लिपयातरण क अिावा हनपपणी क माधय स इस ववलशषन अरथ को सपषन करना चाहहए रा मि lsquoमन न रागायrsquo स तातपयथ lsquoपरमrsquo भाव स ह इसका अनवाद lsquoHis mind he dyed notrsquo स सादभथ सासकतत क कारण मिारथ वयाकजत हो जाता ह अनवादक न मि शबद lsquoबरहमकrsquo को लिपयाातररत कर उसम lsquoThe real godrsquo जोडा ह कजसस lsquoपरमततवrsquo का अरथ वयतत हो जाता ह मि शबद lsquoपरराrsquo दवी दवता क मतत थ क अरथ म परयतत ह अनवादक न मि अरथ गरहण करत हए lsquoStone idolrsquo क रप म उपयतत अनवाद ककया ह

मि पद म आग कबीर कहत ह कक योगी जागि म जाकर धनी रमाता ह और काम का दमन कर हहजडा बन जाता ह वह लसर मडवाकर और कपडा रागवाकर हदखावा करत रहत ह ऐस िोग तनकशचत रप स नरक (यमिोक) म जात ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

252

saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

248

मि पाकतत (जागि जाय जोगी धतनया रमि काम जराय जोगी ह गि हहजरा) म सामाकजक कजममदारी स भागन वाि योगी क परतत वयागयातमक रप म तराकिरत योगी क परतत तनादा भाव वयतत हआ ह अनवादक न उतत पाकतत का सीधा अनवाद (Repaired to forest and raised fire there where in his lust he burnt And became a eunuch) ककया ह कजसस मि वयाजनातमक अरथ सापरवित नही हो रहा ह lsquoमरवा माडाय जोगी कपडा रागिrsquo का शाकबद अनवाद ककया गया ह कजसस अलभधामिक अरथ वयतत हो रहा ह मि म तनहहत lsquoधालमथक बाहमाडाबर और वयागय भाव का बोध नहीा हो रहा ह lsquoगीता बााच क ह गि िबराrsquo म lsquoगीताrsquo पर धमथ और कमथकाकणडय शासतर का परतीक क रप म परयतत ह और उसक उपदश को झठा परिाप बताया गया ह जो इन बाहयााडबरो स यतत मागथ पर चिता ह वह नरक म जाता ह अनवादक न मि म परयतत lsquoगीताrsquo शबद को लिपयाताररत कर हदया ह यहाा मि अरथ की वयाकपत को lsquoglossaryrsquo म सपषन करना अपकषकषत रा मि lsquoजम दरबाजाrsquo स तातपयथ lsquoनरकrsquo स ह अनवादक न lsquoनरकrsquo क लिए lsquoHellrsquo परयोग स मि अरथ उतर गया ह कका त लमरकीय वलशषनय सपषन नही हो पाया ह वसततः अनवादक मि पद क सामानयतः स ि रहा ह परनत लमरकीय परयोगो और वयाजनामिक अरथ को सपषन करन म कहीा-कहीा अस ि रहा ह कका त मि जो हदखावनी पन पर ववरोध ह वह अनवाद म कमोबश आ गया ह

मल-

भकतत का मारग झीना

कोई जान जाननहार सात जन जो पर बबना र

नाहह अचाह चाह कछ उर म मन िौिीना र

साधन की सागतत म तनस हदन रहता िीना र

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

अनददा

the path of devotion to the lordIs indeed very arduouss ready To lay his head if need be to help others without delay or hesitation And above all he remains contents in all condition always says Kabir with this All essential qualities of the true devotee Are all exaplained fully

Only few knowledgeable saints know all that the heart of the true devotes Is free always from desires It remains immersed like fish in water All day and night in love of the lord In company of true saints and like the lotus flower For want of water devote for want of godrsquos love shrinks and withers instantly He remains always humble And without prode of clan and wealth The true devotee is always

250

Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

249

सबद म सरतत बस इलम जस जि बबच मीना र

जि तछरत ततकाि होत कजलम कमि मिीना र

धन कि का मान तयाग कर रह अधीना र

परमारर क हत दत लसर बबिम ना कीना र

धारन करर सातोस सदा अमत रस पीना र

भतत की रहतन कबीर सकि परगठ कर दीना र

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Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

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म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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Mystic songs of Kabir स

मल-

मरा तरा मनआ कस इक होइ र कस इक होइ

म कहता अाकखयन की दखी त कहता कागद की िखी

म कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई र

म कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ र

म कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोही र

सतगर धारा तनरमि बाह वाह ता म काया धोइ र

कहत कबीर सनो भाई साधो तबहह होइ र (प65)

अनददा-

How can your mind and minework in unison I say of what I see with my eyesyou speak from what you read in papers I say take shelter of the Lordyou prompt to welcome illusion I say keep awake and alert always You advise slumber and restI ask discard Illusionyou advise to immerse it in anonsays Kabir the preceptorrsquos words of adviceFlow like a clean and pure streamIf you wash your mind clean thereinyou will gain your way to salvation (प65)

251

वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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saint-poetrsquos delineation of the interrelation of God man and Universe when He was all alone and then created man in His own image to be able to live span of life to attain his salvation or union with the Supreme soul not being drawn to the whirl of life and death againrdquo इस उदाहरण म lsquosalvationrsquo का सवरप पररचयातमक रप म सपषन करन स अनहदत पद स मिारथ िगभग सपषन हो जाता ह समगरता म कह सकत ह कक अनवाद मि क तनकन तक पहचन म समरथ ह मि परोकतत अनवाद म उपकसरत ह मि मातवय का ी हद तक सापरवित हो जाता ह

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वववचन-

मि पद म कबीर अनभव को शासतर-जञान स अिधक महतवपणथ मानत ह व अनभतत को अिधक महततवपणथ इसलिए मानत ह कक वह ईशवर तक पहचन का सरि मागथ ह जबकक शासतर-जञान मनषय को धालमथक कमथकााड और साकीणथ सामाकजक आचार-ववचार म उिझाए रखता ह इसलिए दोनो क रासत एक नहीा हो सकत मि lsquoअाकखयन की दकखrsquo का शबदानवाद lsquoI see with my eyesrsquo ककया गया हकजसस मिारथ वयाकजत हो जाता ह मि lsquoकागद की िखीrsquo क लिए lsquoin paperrsquo का परयोग ककया गया ह कजसस सामानयतः पसतकीय जञान का अरथ वयाकजत होता ह इसक कारण मिारथ ठकक स परकन नहीा हो पाता मि lsquoम कहता सरझाव नहारी त राखयो उरझाई रrsquo का भावानवाद I say illusion ककया ह जीम मि अरथ-भाव अलभवयाकजत हो जाता ह

कबीर आग कहत ह कक म सचत होकर ईशवर का िचातन करन की बात करता ह िककन तम तनकषिय बन हो म सासार क परतत मोहरहहत होन की बात करता ह ककनत तम मोह म ा स रहत हो सतगर तनमथि और पववतर जि की धारा ह जो इस पानी म अपनी काया को धो िगा वही सतगर जसा बनगा अनवादक न मि पाकतत ldquoम कहता त जागत रहहयो त रहता ह सोइ रrsquo का अनवाद lsquoI say keep awake and alert always You advise slumber and restककया ह कजसम मिारथ सापरवित हो जाता ह मि lsquoम कहता त तनमोही रहहयो त जाता ह मोहह रrsquo का भावानवाद ककया गया ह कजसक मिारथ परभाव को गरहण ककया गया ह मिrsquoसतगरrsquo क लिए lsquoPreceptorrsquo शबद तनकनतमअनवाद ह परसागवश सदगर का सवरप सपषन हो जाता ह मि lsquoकाया धोइrsquo स तातपयथ lsquoमोकषrsquo स ह भारतीय दशथन क अनसार जीवातमा जनम-मतय चिवयह स हमशा क लिए मतत हो जाना lsquoमोकषrsquo ह मोकष की अवधारणा भारतीय सवरपपकशचम स अिग ह अनवादक न भलमका म ही lsquosalvationrsquo को इस तरह सपषन ककया ह कक ldquoKabir selected to demonstration the

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