सीखने क संाि Ùchdeducation.gov.in/sites/default/files/class 8 hindi.pdf ·...

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Page 1 of 39 सीखने कᳱ संᮧाि आधाᳯरत -कोश आठवᱭ कᭃा के िलए

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    सीखने क सं ाि

    आधा रत

    -कोश

    आठव क ा के िलए

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    आमखु सीखन ेक सं ाि आधा रत लखे

    ब ा िव ालय म वेश करने से पवू अपने िनजी अनुभव, प रवेश व िवचार से अपनी भाषा गढ़ता ह।ै

    इस गढ़ी भाषायी पूँजी को िव ालयीय तर पर उपयोग कर, सीखन-ेिसखाने क या के अ तगत भाषा के

    चार कौशल अथात् वण-वाचन-पठन-लेखन के मा यम से आगे बढ़ाया जाता ह।ै

    रा ीय शैि क अनुस धान और िश ण प रषद,् नई द ली के त वाधान म रा ीय पा चया क

    परेखा 2005 के अ तगत िनधा रत पु तक पर आधा रत उपलि ध परी ण, सीखन-ेिसखाने क या के

    सरलीकरण, िश ाथ से वाि छत उ े य क ाि के िलए सीखने क स ाि याँ क ावार िनधा रत क गई

    ह। यह लेख रा ीय शैि क अनुस धान और िश ण प रषद,् नई द ली (मानव संसाधन िवकास म ालय,

    भारत सरकार) के िव ालयीय िश ा के गणुा मक सुधार क िनर तरता म सीखने क स ाि आधा रत एक

    यास है। लेख स ब धी िववरण :

    १. यह लेख क ा थम से आठव के िलए िनधा रत िह दी पा म से स बि धत है। २. यह लेख क ा थम से आठव के स पणू पा म को यानगत कर, सीखने क स ाि य पर

    आधा रत ह। ३. इसे सीखन-ेिसखाने क या को सरल करने व छा केि त बनाने के उ े य को दृि गत कर सृिजत

    कया गया ह।ै ४. येक अ याय के ार भ म स बि धत सीखने क स ाि याँ टं कत क गई ह। ५. इस लेख क िवषय-व त,ु सीखने क स ाि य हेतु सुझावा मक ा प है। अ यापक अपने तर पर

    इस सात यता/िनर तरता म िनजी यास हेतु वत है।

    ६. इसक संरचना तकसंगत और त यपूण है। ७. इस लेख संरचना म व- व मितिभ िवषयक, ाकरिणक ु ट स भव है तथा ु टज य सुझाव जो

    सुधीजन से अपेि त, इस लेख को और भी प रमा जत करने म सहायक िस ह ग।े

    ८. इस लेख के प रमाजन म आपके मू यवान सुझाव व ट पिणया,ँ इसके आगामी सं करण क उ कृ ता

    व गुणव ा बढ़ान ेम सहायक िस होगा।

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    लखे सृजन सिमित िवषय : िह दी (सीखन ेक स ाि आधा रत लखे) क ा : पहली स ेआठव

    मु य सम वयक : ीमती रंजना ीवा तव ाचाया, राजक य आदश व र मा यिमक िव ालय, सै टर – 8, च डीगढ़

    सृजन सिमित : सदुेश वधावन

    संकुल संसाधक सम वयक, राजक य व र मा यिमक िव ालय, सै टर – 45, च डीगढ़

    गाय ी सागंवान संकुल संसाधक सम वयक, राजक य व र मा यिमक िव ालय, रायपुर खुद, च डीगढ़

    अजं ूठाकुर संकुल संसाधक सम वयक, राजक य आदश व र मा यिमक िव ालय, सै टर – 38 (वै ट), च डीगढ़

    बजृ रानी िशि का, राजक य उ िव ालय, कजहेड़ी, च डीगढ़

    दनशे च िश क, राजक य आदश उ िव ालय, सै टर – 12, च डीगढ़

    जसिव दर कौर िशि का, राजक य आदश व र मा यिमक िव ालय, सै टर – 22 ए, च डीगढ़

    गजराज सह िश क, राजक य उ िव ालय, सै टर – 53, च डीगढ़

    राकेश दिहया िश क, राजक य आदश व र मा यिमक िव ालय, सै टर – 38 (वै ट), च डीगढ़

    राजकुमार िश क, राजक य आदश उ िव ालय, सै टर – 12, च डीगढ़

    साधना िशि का, राजक य आदश व र मा यिमक िव ालय, सै टर – 8, च डीगढ़

    अजीत िश क, राजक य उ िव ालय, कजहेड़ी, च डीगढ़

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    पीयूष अ वाल िश क, राजक य आदश व र मा यिमक िव ालय, सै टर – 28, च डीगढ़

    सहयोग : ी स यवान िश क, राजक य आदश व र मा यिमक िव ालय, सै टर – 8, च डीगढ़

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    क ा - 8 िह दी

    माकं पाठ सूची पृ सं या

    1. सीखने क सं ाि 6 2. विन 10

    3. लाख क चूिड़याँ 12

    4. बस क या ा 13

    5. दीवान क ह ती 15 6. िच य क अनूठी दिुनया 16

    7. भगवान के डा कए 18 8. या िनराश आ जाए 19

    9. यह सब से क ठन समय नह 21

    10. कबीर क सािखयाँ 23 11. कामचोर 24

    12. जब िसनेमा न ेबोलना सीखा 26

    13. सुदामा च रत 27 14. जहाँ पिहया है 28

    15. अकबरी लोटा 30 16. सूरदास के पद 32

    17. पानी क कहानी 34

    18. बाज और साँप 36 19. टोपी 38

    20. उपलि ध प क 39

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    सीखन ेक सं ाि मानक क ा 8

    H801. िविभ िवषय पर आधा रत िविवध कार क रचना को पढ़कर चचा करते ह, जैसे –

    पा ु तक म कसी प ी के बारे पढ़कर पि य पर िलखी गई सािलम अली क कताब पढ़कर चचा करते ह।

    H802. हदी भाषा मे िविभ कार क साम ी (समाचार, प -पि का, कहानी, जानकारीपरक

    साम ी, इंटरनटे, लॉग पर छपन ेवाली साम ी आ द) को समझकर पढ़त ेह और उसम

    अपनी पसंद-नापसंद, ट पणी, राय, िन कष आ द को मौिखक/सांकेितक भाषा म

    अिभ करते ह। H803. पढ़ी गई साम ी पर चतन करते ए समझ के िलए पछूते ह।

    H804. अपने प रवेश म मौजूद लोककथा और लोकगीत के बारे म बतात/ेसुनाते ह।

    H805. पढ़कर अप रिचत प रि थितय और घटना क क पना करत ेह और उन पर अपन ेमन

    म बनने वाली छिवय और िवचार के बार म मौिखक /सांकेितक भाषा म बताते ह। H806. िविभ संवेदनशील मु / िवषय , जैसे-जाित, धम, रंग,जडर, रीित- रवाज के बारे म

    अपने िम , अ यापक या प रवार से करत ेह, जैसे-अपन ेमोह ले के लोग से योहार

    मनाने के तरीके पर बातचीत करना। H807. कसी रचना को पढ़कर उसके सामािजक मू य पर चचा करते ह। उसके कारण जानन ेक

    कोिशश करते ह, जैसे-अपन ेआस- पास रहने वाले प रवार और उनके रहन-सहन पर

    सोचते ए करते ह -रामू काका क बेटी कूल य नह जाती?

    H808. िविभ कार क साम ी, जैसे कहानी, किवता, लेख, रपोताज,

    सं मरण,िनबधं, ं य,आ द को पढ़ते ए अथवा पा व तु क बारीक से जाचँ करते ए

    उसका अनुमान लगात ेह, िव षेण करते ह, िवशेष बद ुको खोजते ह।

    H809. पढ़ी गई साम ी पर चतन करते ए बेहतर समझ के िलए पूछते ह।

    H810. िविभ पठन सामि य म यु श द , मुहावर , लोकोि य को समझते ए उनक

    सराहना करते ह। H811. कहानी, किवता को पढ़कर लेखन के िविवध तरीक और शैिलय को पहचानत ेह, जैसे-

    वणना मक, िववरणा मक, भावा मक, कृित िच ण आ द।

    H812. िविभ पठन सामि य को पढ़ते ए उनके िश प क सराहना करते ह और अपने

    तरानुकूल मौिखक, िलिखत, ेल/सांकेितक प म उसके बारे म अपने िवचार करते ह।

    H813. इसी पा व तु को पढ़ने के दौरान समझने के िलए ज रत पड़ने पर अपने कसी सहपाठी

    या िश क क मदद लेकर उपयु संदभ साम ी, जैसे – श दकोश, िव कोश, मानिच ,

    इंटरनटे या अ य पु तक क मदद लतेे है। H8114. अपने पाठक और िलखन ेके उ े य को यान म रखते ए अपनी बात को भावी तरीके से

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    िलखते ह। H815. पढ़कर अप रिचत प रि थितय और घटना क क पना करते ह और उन पर अपने मन

    म बनने वाली छिवय और िवचार के बारे म िलिखत या ेल भाषा म अिभ ि करत ेह। H816. भाषा क बारी कय / व था का िलिखत योग करते ह, जैसे किवता के श द को

    बदलकर अथ और लय को समझना। H817. िविभ अवसर /संदभ म कही जा रही दसूर क बात को अपने ढंग से िलखते ह, जैसे

    कूल के कसी काय म क रपोट बनाना या फ़र अपने गावँ के मेले के दुकानदार से बातचीत।

    H818. अपने अनुभव को अपनी भाषा शैली म िलखते ह। लेखन के िविवध तरीक और शैिलय

    का योग करते ह, जैसे िविभ तरीक से (कहानी, किवता, िनबंध आ द) कोई अनुभव

    िलखना। H819. दैिनक जीवन से अलग कसी घटना/ ि थित पर िविभ तरीके से सृजना मक ढंग से

    िलखते ह, जैसे सोशल मीिडया पर, नोटबुक पर या संपादक के नाम प आ द।

    H820. िविवध कला , जैसे- ह तकला, वा तुकला, खेती-बाड़ी, नृ यकला और इनम योग होने

    वाली भाषा (रिज टर) का सृजना मक योग करते ह, जैसे- कला के बीज बोना, मनमोहक

    मु ाएँ, रस क अनुभूित।

    H821. अपने पाठक और िलखन ेके उ े य को यान म रखते ए अपनी बात को भावी तरीके से

    िलखते ह। H822. अिभ ि क िविवध शैिलय / प को पहचानते ह, वयं िलखते ह, जैसे- किवता, कहानी,

    िनबधं आ द।

    H823. पढ़कर अप रिचत प रि थितय और घटना क क पना करत ेह और उन पर अपने मन

    म बनन ेवाली छिवय और िवचार के बारे म िलिखत/ ेल भाषा म अिभ ि करते ह।

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    िवषय- िह दी

    क ा- आठव मास पाठय म सीखन ेक सं ाि अ ैल

    पाठ -1

    विन

    H803, H808, H811, H816, H822

    पाठ-2

    लाख क चिूड़या ँ

    H803, H807, H808, H809, H818, H820

    मई

    पाठ-3

    बस क या ा

    H802, H804, H8012, H8013, H8020

    पाठ-4

    दीवान क ह ती

    H803, H808, H809, H816, H819, H823

    पाठ-5

    िच या ँक अनठूी दिुनया

    H802, H805, H810, H813, H819

    जुलाई

    पाठ-6

    भगवान के डा कए

    H801, H803, H809, H811, H812, H813

    पाठ-7

    या िनराश आ जाए

    H803, H805, H808, H809, H810, H815, H818

    अग त

    पाठ-8

    यह सबस ेक ठन समय

    H803, H805, H808, H809, H814, H816, H818

    पाठ-9

    कबीर क सािखया ँ

    H803, H806, H807, H809, H818

    अ ूबर पाठ-10

    कामचोर

    H807, H811, H822, H823

    पाठ-11

    जब िसनमेा न ेबोलना सीखा

    H802, H808, H809, H814, H819, H821

    नव बर

    पाठ-12

    सदुामा च रत

    H804, H807, H809, H814, H816, H818, H819,

    H822

    पाठ-13

    जहा ँपिहया ह ै

    H803, H806, H807, H814, H818

    दस बर पाठ-14

    अकबरी लोटा

    H805, H811, H814, H822

    पाठ-15

    सरू के पद

    H804, H811, H816

    जनवरी पाठ-16

    पानी क कहानी

    H802, H803, H806, H808, H818

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    पाठ-17

    बाज और सापँ

    H803, H805, H808, H822

    पाठ-18

    टोपी

    H803, H806, H808, H809, H820

    फ़रवरी दोहराई (पनुरावृि )

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    क ा 8

    1- विन

    सीखन ेके सं ाि : H803, H808, H811, H816, H822

    1. िन िलिखत का ांश को पढ़कर पूछे गए के उ र दीिजए- अभी न होगा मेरा अंत अभी-अभी ही तो आया ह ैमेरे मन म मदृलु वसंत- अभी न होगा मेरा अंत। हरे-हरे यह पात, डािलयाँ, किलया,ँ कोमल गात। म ही अपना व – मृदलु – कर फे ँगा िन त किलय पर जगा एक यूष मनोहर।

    i) ‘मन म मृदलु वसंत’ पंि का आशय प क िजए।

    ii) किव के जीवन म बसंत के आने से या होगा?

    iii) ‘मृदलु’ श द का अथ िलख।

    iv) ‘ यूष’ का पयायवाची िलख।

    2. िन िलिखत के उ र िलख - i) किवता के मा यम से किव क ह उ सािहत करना चाहता ह?ै

    ii) किव ने अपने जीवन क तुलना बसंत से य क ह?ै

    3. का ांश का सरलाथ िलख-

    आ गया वसंत ह,ै छा गया वसंत ह ै

    खेल रही गौरैया सरस क बाल से मधुमती गंध उठी अमवा क डाल स ेअमृत रस छोड़ रही झुरमुट से बोल रही बोल रही कोयिलया ……………….

    आ गया वसंत, छा गया बसंत नया-नया रंग िलए आ गया मधमुास ह।ै

    4. िन िलिखत वा य म से िवशेषण चुनकर भेद िलख -

    i) भारत म अनेक ऋतएु समय-समय पर आती ह। ii) मने डाल पर लाल गुलाब देखा।

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    5. िन िलिखत के उ र िलख -

    i) पुन श द का योग कर वा य बनाएँ- रात -रात, पु प-पु प, हरे-हरे

    ii) ‘वसंत’ श द का पयायवाची नह ह-ै

    मधुमास, ऋतुराज, कुसुमाकर, सून

    iii) वा यांश के िलए एक श द िलख - क) िजसका कभी अंत न हो ख) िजसका आ द न हो

    6. ‘पहाड़ी थल क या ा’ पर िनबधं िलख।

    7. ‘ व छ भारत अिभयान’ क सफलता हतेु आप या- या यास कर सकते ह?

  • Page 12 of 39

    क ा 8

    2 - लाख क चिूड़या ँ

    सीखन ेके सं ाि : H803, H807, H808, H809, H818, H820

    1. िन िलिखत ग ांश को पढ़कर पूछे गए के उ र दीिजए –

    र ो ने चार-पाँच आम अंजुली म लेकर मेरी ओर बढ़ा दए।आम लेन ेके िलए मने हाथ बढ़ाया तो मेरी िनगाह एक ण के िलए उसके हाथ पर ठठक गई। गोरी-गोरी कलाइय पर लाख क चूिड़या ँब त ही फब रही थी। बदलू ने मेरी दिृ देख ली और बोल पड़ा, यही आिखरी जोड़ा बनाया था जम दार साहब क बटेी के िववाह पर। दस आन ेपैसे मुझको दे रहे थ।े मने जोड़ा नह दया कहा, शहर से ले आओ।

    i) लेखक क िनगाह का र ो क कलाई पर ठठकन े का या कारण था?

    ii) बदलू ने लेखक को र ो क चूिड़य के िवषय म या कहा?

    iii) “आिखरी” श द का िवपरीत श द िलख।

    iv) ‘ ि व’ श द से मूल श द और यय अलग करके िलिखए।

    2. मशीनी युग से बदलू के जीवन म या प रवतन आया? कहानी के आधार पर िलख।

    3. बदलू क चा रि क िवशेषता का वणन करो।

    4. ‘नगदी रिहत (Cashless) अथ व था’ का या लाभ है?

    5. के उ र द - (i) नीचे िलखे वा य म से सं ा श द छाँ टए और उसका भेद िलख - क) सागर क गहराई मापना आसान नह । ख) चार ओर ह रयाली छाई थी। ग) महा मा ने लोग को अ हसा का माग दखाया। घ) बदलू वभाव से ब त सीधा था। (ii) "आम" श द के पयायवाची िलख। (iii) "पैतृक" श द को वा य योग कर।

    6. ‘काचँ’ बड़ा खतरनाक होता ह,ै बदलू न ेऐसा य कहा होगा? िलख।

    7. लने-ेदेन ेक या म इंटरनेट के योगदान का वणन कर।

    8. मुहावर का योग कर वा य बनाओ- मन मोह लेना, शरीर ढलना, हाथ कटना।

    9. ‘िव ान के मह व पर’ अनु छेद िलख।

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    क ा 8

    3 - बस क या ा

    सीखन ेके सं ाि : H802, H804, H8012, H8013, H8020

    1. िन िलिखत ग ांश को पढ़कर पूछे गए के उ र िलख –

    हम आगा-पीछा करने लग।े डॉ टर िम ने कहा - “डरो मत, चलो! बस अनुभवी है। नई-नवेली

    बस से यादा िव सनीय ह।ै हम बटे क तरह यार से गोद म लेकर चलेगी।” हम बैठ गए जो छोड़न ेआए थ,े वह इस तरह देख रहे थे जैसे अंितम िवदाई द ेरहे ह। उनक आँख कह रही थ -

    “आना-जाना तो लगा ही रहता ह।ै आया ह,ै सो जाएगा- राजा, रंक, फक र। आदमी को कुछ

    करने के िलए एक िनिमत चािहए।”

    i) डॉ टर िम ने बस के बारे म या कहा?

    ii) लेखक को छोड़ने आए िम उसे िवदाई कैसे दे रहे थ?े

    iii) “आना-जाना तो लगा ही रहता ह।ै आया ह,ै सो जाएगा- ‘राजा रंक फक र’ - आशय प क िजए।

    iv) ‘िम ’ श द का पयायवाची िन िलिखत म से कौन-सा नह ह-ै (क) दो त ख) सखा ग) मीत घ) मनु य

    v) “िव ास करने यो य” वा यांश के िलए एक श द िलख।

    vi) “अंितम” श द का िवलोम िलख।

    2. (i) अपन ेफायदे के िलए दसूर क जान जोिखम म डालना या उिचत ह?ै ‘बस क या ा’

    पाठ के आधार पर िलख। (ii) बस अ े के दृ य का वणन अपने श द म कर।

    (iii) कसी घटना को जाने िबना उस पर अपनी ित या य नह दनेी चािहए?

    3. (i) मुहावर का योग कर वा य बनाओ-

    (क) जान हथेली पर लेकर चलना ख) बाह पसारना ग) कूच करना (ii) ‘उ मीद’ श द का वण-िव छेद कर।

    (iii) िन िलिखत पंि य को पढ़कर िवराम िच न लगाएँ- (क) हमन ेउनसे पछूा यह बस चलती भी है बोल ेचलती य नह ह ैजी अभी चलेगी

    हमने कहा (ख) वही तो हम देखना चाहते ह अपने आप चलती है यह हाँ जी और कैसे चलेगी

    (iv) िन िलिखत वा य म कारक छाँट - (क) न दया ँपवत से िनकलती ह।ै (ख) प ी आकाश म उड़ रहे ह।

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    4. (i) लेखक ने गंत तक प चँने क उ मीद य छोड़ दी थी? प क िजए।

    (ii) कृित लुभावनी होती है परंतु लेखक को वह डरावनी य लग रही थी?

    5. अपने े म फैली गदंगी क ओर यान दलाते ए वा य अिधकारी को प िलखो।

    6. ‘मेरे जीवन का ल य’ िवषय पर अनु छेद िलख।

  • Page 15 of 39

    क ा 8

    4 - दीवान क ह ती

    सीखन ेके सं ाि : H803, H808, H809, H816, H819, H823

    1. िन िलिखत का ांश को पढ़कर पूछे गए के उ र दीिजए –

    हम िभखमंग क दिुनया म,

    व छंद लटुाकर यार चल,े

    हम एक िनशानी-सी उर पर,

    ल ेअसफलता का भार चल।े अब अपना और पराया या?

    आबाद रह कने वाले! हम वयं बँधे थे और वयं हम अपने बंधन तोड़ चल।े

    i) “हम िभखमंग क दिुनया म” पंि म ‘िभखमंग ’ श द का योग य कया गया है?

    ii) का ांश म िनिहत संदेश को प कर। iii) ‘असफलता’ श द म मूल श द िलख।

    iv) ‘हम एक िनशानी-सी उर पर’ पंि म कौन-सा अलंकार ह?ै

    2. ‘दीवान क ह ती’ किवता का सार अपने श द म िलख।

    3. हम देश क गित म अपना योगदान कैसे दे सकते ह?

    4. वाधीनता सेनािनय को कन- कन चुनौितय का सामना करना पड़ा? िवचार कर।

    5. के उ र द -

    i) ‘आलम’ श द का पयायवाची िलख।

    ii) ‘ व छंद’ श द का वण-िव छेद कर।

    iii) ‘उ लास’ श द का अथ िलख।

    iv) ‘असफलता’ का िवलोम श द िलख।

    v) ‘छककर’ श द को वा य म योग कर।

    6. ‘समाज सेवा ही सबसे बड़ी सेवा ह’ै अनु छेद िलख।

    7. य द आपका ि य िम आपको छोड़कर चला जाए तो आप पर या बीतेगी?

  • Page 16 of 39

    क ा 8

    5 - िच य क अनठूी दिुनया

    सीखन ेके सं ाि : H802, H805, H810, H813, H819

    1. िन िलिखत ग ांश को पढ़कर पूछे गए के उ र दीिजए-

    वा तव म प द तावेज से कम नह है। पतं के ‘दो सौ प ब न के नाम’ और ‘िनराला’ के प

    हमको िल यौ’ ह ैकहा’ तथा ‘प के आइने म दयानंद सर वती’ समते कई पु तक आपको िमल

    जाएँगी। कहा जाता है क मेचंद खासतौर पर नए लेखक को ब त ेरक जवाब दतेे थे तथा प के जवाब म वह ब त मु तैद रहते थ।े इसी कार नेह और गांधी को िलखे गए र व नाथ टैगोर के प भी ब त ेरक ह। ‘महा मा और किव’ के नाम से महा मा गांधी और र व नाथ टैगोर के बीच सन ्1915 से 1914 के बीच के प ाचार का सं ह कािशत आ ह,ै िजसम ब त से नए

    त य और उनक मनोदशा का लेखा-जोखा िमलता है।

    i) ‘प के जवाब म वह ब त मु तदै रहते थ’े - ततु पंि का आशय प क िजए।

    ii) महा मा गांधी और र व नाथ टैगोर के प ाचार से या पता चलता ह?ै

    iii) ततु ग ांश के आधार पर प को कस से कम नह आंका जा सकता है?

    iv) ‘लेखा-जोखा’ श द का िव ह िलख।

    v) ‘महा मा’ श द का संिध-िव छेद कर।

    2. के उ र द -

    i) आधुिनक संचार-साधन के िवकास से ‘प -लेखन’ िवधा पर या भाव पड़ा और उसके या प रणाम ए?

    ii) या आज भी ऐसे कुछ थान ह, जहा ँलोग प का बेस ी से इंतजार करते ह?

    iii) डाकपाल को अपने े के डा कए क शंसा करते ए प िलख। iv) तमाम सरकारी िवभाग क तुलना म सबसे यादा गुडिवल डाक िवभाग क ह,ै ऐसा य कहा

    जाता है?

    3. लेटरब स म पड़ी ई िच या ँ

    अनतं सुख-दखु वाली अनतं िच या ँ ले कन कोई कसी से नह बोलती सभी अकेल-ेअकेल े

    अपनी मंिजल पर प चँने का इंतजार करती ह। कैसा है यह एक साथ होना दसूर के साथ हँसना न रोना या हम भी

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    लेटरब स क िच याँ हो गए ह। - उपरो पंि य म किव लेटरबॉ स म पड़ी िच य के मा यम से कन सामािजक सम या क ओर संकेत कर रहा ह?ै अपने िवचार कर।

    4. के उ र द -

    i) ‘आधुिनकतम’ श द से यय अलग कर मूल श द िलख।

    ii) ‘हवेली’ श द का वचन बदल।

    iii) ‘अजीबो-गरीब’ का अथ िलख।

    iv) ‘महा+आ मा’ संिध कर।

    v) श द का शु प िलख - स यासी, परशासक।

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    क ा 8

    6 - भगवान के डा कए

    सीखन ेके सं ाि : H801, H803, H809, H811, H812, H813

    1. का ांश को पढ़कर दए गए के उ र िलख -

    सूरज दादा का संदेश, धरती तक प ँचाती धूप।

    सारे दन यह हँसती गाती, शाम ढल ेिछप जाती धूप।

    कभी ठठुराती इस धरती को, करण से नहलाती धूप।

    और कभी गु सा हो जाती, लू से हम सताती धपू।

    पवत क ऊंची चोटी पर, मंद-मंद मु काती धपू।

    न दय के बहते पानी म, लहर के संग गाती धूप।

    धरती के कोने-कोने को, सोन-ेसा चमकाती धपू।

    सारा जग आलो कत कर दो, सीख हम िसखाती धूप।

    i) धूप, सूरज दादा का संदेश कसके पास प चँाती है?

    ii) धूप हमारे ऊपर या- या भाव डालती ह?

    iii) धूप हम या सीख देती ह?ै

    iv) उगते सूरज को देखने के या लाभ ह? अपने अनुभव िलख।

    2. आपके आंगन म लगे पेड़ पर पहली बार फल लगे ह, और कई तरह के पि य क चहचहाहट से घर म

    बड़ी रौनक ह।ै अपना सुखद अनुभव िम को प ारा साझा करो।

    3. किव के अनुसार प ी और बादल भगवान के डा कए ह। व े या संदेश देत ेह?

    4. मोबाइल और इंटरनेट के अिधक उपयोग ने मानवीय संवेदना और पा रवा रक बैठक को न कया

    है, कैस?े

    5. बादल कैसे बनते ह?

    6. पयायवाची श द िलखो - पाखँ, सौरव, देश, प ी।

    7. सामािसक श द का िव ह िलख - महादेश, रसोईघर, राजा-रंक, नवर ।

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    क ा 8

    7 - या िनराश आ जाए

    सीखन ेके सं ाि : H803, H805, H808, H809, H810, H815, H818

    1. अप ठत ग ांश पढ़कर के उ र िलख –

    नैितकता या ह?ै नैितक मू य िनयम है िज ह तोड़ने पर कोई दंिडत तो नह करता ले कन ि

    के अंतमन क विन ही उसे कचोटती है क उसने जो कया है वह गलत ह ैअथात ्नैितकता का

    भाव कसी पर थोपा नह जाता वह वयं ही ि के मनोभाव से जागृत होता है। लाल ब ी पर चलते वाहन को रोकना कानूनी िनयम ह,ै िजसे तोड़ने पर दंड भुगतना पड़ेगा। कसी अंधे को सड़क

    पार करवाना मनु य के मन से उठने वाला नैितक भाव ह,ै य क य द उसे सड़क ना भी पार

    करवाई जाए तो वह कसी से कुछ कहेगा नह बि क वयं ही रा ता टटोलता रहेगा। आज के सामािजक वातावरण म नैितकता का तर िगरता जा रहा ह।ै लोग मानवीय भावना को भूलत ेजा रहे ह। इसी का प रणाम है क ाचार, र त, बेईमानी बढ़ती जा रही है। भाई-भाई को

    मारने से कतराता नह , माता-िपता क सेवा का भाव समा हो रहा ह।ै मे, दया, क णा

    परोपकार का भाव समाज से समा होता जा रहा ह।ै आज य द हम अपने देश क सं कृित का झंडा देश म सबसे ऊँचा फहराना ह,ै तो लोग को महा मा गांधी, मदर टेरेसा, िवनोबा भावे के

    चा रि क गुण को अपनाना होगा व आपसी मे और भाईचारे को बढ़ाना होगा।

    i) नैितक मू य को भूलने का या प रणाम हो रहा ह?ै

    ii) कन लोग के गणु को अपनाने क आव यकता है?

    iii) नैितकता या ह?ै इसक ज रत य ह?ै

    iv) ‘मानवीय’ श द से यय और मूल श द अलग करके िलिखए।

    v) ‘क णा’ श द का िवलोम िलख।

    2 . के उ र द -

    i) हमारे समाज से अभी भी मानवीय मू य का ास नह आ ह।ै लेखक ने अपनी बात को िस

    करने के िलए या- या तक दए ह?

    ii) सहनशीलता का अभाव आ ोश को ज म देता ह।ै आप इस बात से कहा ँतक सहमत ह? चचा कर। iii) “आपके सपन का भारत कैसा हो” अनु छेद िलख। iv) अखबार के अित र अ य कौन-से साधन है िजससे आप समाज म घ टत घटना क जानकारी

    ा करते ह? िलख।

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    3. के उ र द -

    i) िवराम िच न लगाओ- (क) उसने आते ही कहा अ े से बस लाया ँ इस बस पर बै ठए वह बस चलाने लायक नह ह।ै

    (ख) कैसे क ँ क मनु यता एकदम समा हो गई है कैसे क ँके लोग म दया माया रह ही नह गई ii) मुहावर का योग कर वा य बनाओ-

    बढ़ा-चढ़ाकर दखाना, चेहरे क हवाइया ँउड़ना, रस लेना, पदाफ़ाश करना

    4. आ था और अंधिव ास म या अतंर है? चचा कर।

    5. श द के अथ िलख - उ ा टत, िव मान।

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    क ा 8

    8 - यह सब स ेक ठन समय नह

    सीखन ेके सं ाि : H803, H805, H808, H809, H814, H816, H818

    1. का ांश पढ़कर के उ र िलख -

    अभी भी भीड़ है टेशन पर अभी भी एक रेलगाड़ी जाती है,

    गंत तक जहा ँकोई कर रहा होगा ती ा अभी भी कहता है कोई कसी को ज दी आ जाओ क अब सूरज डूबने का व हो गया।

    i) ततु का ांश का सरलाथ कर। ii) रेलगािड़या ँयाि य को कहाँ प ँचाती ह?

    iii) ‘गंत ’ श द का अथ िलख।

    iv) ‘ ती ा’ श द का पयायवाची िलख।

    2. ‘यह सबसे क ठन समय नह ’ किवता हमे या संदेश देती है?

    3. आपके अनुसार क ठन समय कौन-सा हो सकता है। चचा कर।

    4. “मन के हारे-हार ह,ै मन के जीत-ेजीत” सूि पर अपने िवचार िलख।

    5. िन िलिखत का ांश के मा यम से किव या संदेश देना चाहता ह,ै समझ कर अपने

    श द म िलख –

    “बाधाएँ आती ह आएँ

    िघरे लय क घोर घटाएँ पावँ के नीचे अंगारे िसर पर बरस य द वालाएँ िनज हाथ से हँसत-ेहँसत े आग जलाकर जलना होगा कदम िमलाकर चलना होगा”

    7. मान लो आप अतं र क या ा पर गए ह, वहाँ आपन े या- या देखा और अनुभव कया?

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    8. देश क सीमाय क र ा के िलए खड़े सैिनक को कन- कन सम या का सामना करना

    पड़ता होगा? या “यह उनके िलए सबसे क ठन समय होता होगा”, िलख।

    9. के उ र द -

    i) श द का योग कर वा य बनाए ँ- ती ा, स दय , सामन।े

    ii) िवलोम श द िलख - उदय, क ठन, प , संयोग।

    iii) इन िवभि िच न का वा य म योग कर कारक भेद िलख - को, का, के िलए, म, आह!

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    क ा 8

    9 - कबीर क सािखयाँ

    सीखन ेके सं ाि : H803, H806, H807, H809, H818

    1. िन प ांश को पढ़कर के उ र द -

    माला तो कर म फरै, जीिभ फरै मुख माँिह।

    मनुवाँ तो च ँ दिस फर, यह तो सुम रन नािह। i) इन पंि य म कस पाखंडपणू भि का उ लेख कया गया ह?ै ii) मन के बारे म कबीर जी ने या कहा ह?ै iii) ‘कर’ श द का अथ िलख।

    2. “कबीर घास न न दए, जो पाऊँ तिल होइ।

    उिड़ पड़ै जब आँिख म, खरी दहुेली होइ॥”

    - उपरो का ांश से कबीर जी या िश ा देना चाहते ह ?

    3. पढ़ते समय आपका मन इधर-उधर भागता ह,ै मन को एका करने के िलए आप या करग?े िलख।

    4. हम कसी के ि व के बा प को मह व दनेा चािहए या उसके आंत रक प को, तक सिहत

    उ र द।

    5. कबीर के अित र अ य किवय के नाम िलख, िज ह ने नीितपरक दोहे िलखे ह।

    6. कौन-से मानवीय गुण ह िजनके ारा िव एक ‘कुटु ब’ बन सकता ह?ै

    7. क) उपसग लगाकर दए गए श द के िवलोम श द िलख - साध, ान, मोल, एक।

    ख) िन िलिखत श द के मानक प िलखो- साध, गारी, मािह, मनुवा,ँ तरवार, सुिमरन, पाऊँ, दुहलेी, सीतल।

    8. कबीर क भाषा को सधु ड़ी य कहा जाता ह?ै िलख।

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    क ा 8

    10 - कामचोर

    सीखन ेके सं ाि – H807, H811, H822, H823

    1. अप ठत ग ांश को पढ़कर दए गए के उ र िलख।

    मानव जीवन संघष क खान ह।ै िव बाधा के झंझावात उसे हमेशा परेशान करते रहते ह। ऐसी ि थित म ि को पर पर सहयोग क आव यकता होती है। यह िम ता के ारा ही संभव ह।ै इसिलए हर ि का कोई ना कोई स ा िम होता है। आज के युग म स ा िम वही होता ह,ै जो िम के दखु-सुख के साथ सहानुभूित दशाता है। उसे कुमाग से बचाकर स य माग पर चलने

    क ेरणा देता ह।ै उसके अब गुण पर पदा डालकर दूर करने क कोिशश करता है और अ छाइय क शंसा करता ह।ै आज वाथपरता का युग ह।ै ऐसे समय म स ा िम िमल जाना सौभा य क बात है। स ा िम हमेशा अपने िम को गित के सोपान पर चढ़ा देखना चाहता ह।ै

    i) मानव को पर पर सहयोग क आव यकता य ह?ै

    ii) स ा िम कौन ह?ै

    iii) स ा िम हमेशा या कामना करता है?

    iv) श द का अथ िलखकर वा य म योग कर - संघष, िव , सहानुभूित, वाथपरता

    2. के उ र द -

    i) अ मा ने अ बा को या चुनौती दी?

    ii) ब के कारण घर म या तफ़ूान आया?

    iii) ‘िहलकर पानी नह पीत’े - पंि का या आशय ह?ै

    iv) ‘कामचोर’ पाठ से हम या िश ा िमलती ह?ै

    v) या आपको लगता है क इस पाठ म ब क भावना से िखलवाड़ कया गया ह?ै

    3. ‘अनुभव और अ यास’ द ता हतेु अिनवाय ह,ै कैसे?

    4. आधुिनक समय म ेह और सुर ा के नाम पर मा-ँबाप ब को अपािहज बना रहे ह और उनम

    कामचोरी क आदत घर कर गई है। आप इस बात से कहा ँतक सहमत ह?ै तक सिहत उ र द।

    5. सहपा ठय का सहयोग लेते ए अपन ेिव ालय को व छ बनाने के िलए आप या यास करग?े

    6. मुहावर का योग करते ए वा य बनाओ -

    शाही फ़रमान जारी होना, बेदम होना, टूट पड़ना, बागी होना।

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    7. उपसग व यय अलग करके िलिखए-

    हरिगज़, कामदानी, मुगलानी, िशकारी, बेधुली, लापरवाह।

    8. लग बदलो-

    नौकर, मटका, अ बा, ब ा

  • क ा 8

    11 - जब िसनमेा न ेबोलना सीखा

    सीखन ेके सं ाि : H802, H808, H809, H814, H819, H821

    1. ग ांश को पढ़कर दए गए के उ र िलख –

    “सवाक् िसनेमा के नए दौर क शु आत कराने पर िनमाता अदिशर इतने िवन थे क जब 1956

    म ‘आलम आरा’ के दशन के प ीस वष पूरे होन ेपर उ ह स मािनत कया गया और उ ह

    ‘भारतीय सवाक् फ म का िपता’ कहा गया तो उ ह ने उस मौके पर कहा था, “मुझे इतना बड़ा

    िखताब देने क ज रत नह ह।ै मने तो देश के िलए अपने िह से का ज री योगदान दया ह।ै”

    i) अवतरण म अदिशर के कस गुण क चचा क गई है?

    ii) “मुझे इतना बड़ा…... योगदान दया ह”ै इन पंि य के ारा अदिशर या कहना चाहते ह?

    iii) यय छाँ टए - भारतीय, स मािनत, पा र िमक, हदु तानी।

    iv) सवाक्, सनाथ श द क तरह ‘स’ लगाकर चार और श द बनाइए।

    2. आधुिनक फ म म पुरानी फ म क अपे ा या बदलाव आए ह? चचा कर।

    3. सही ( ) या गलत (X) बताए-ँ

    i) ‘आलम आरा’ देश क पहली सवाक् फ म नह थी।

    ii) ‘आलम आरा’ फ म ‘अरेिबयन नाटक’ जैसी फटेसी फ म थी।

    iii) ‘भारतीय सवाक् फ म के िपता’ राजकपूर थ।े

    iv) ‘आलम आरा’ के बाद फ म पूरी तरह बंद हो गई।

    v) ‘खुदा क शान’ फ म म एक करदार गांधीजी जैसा था।

    4. वा य म े योग क िजए- अनोखा, चयन, कृि म, पा गायक।

    5. ‘वतमान िसनेमा म नैितक मू य का ास’ िवषय पर अनु छेद िलख।

    6. अपनी पा -पु तक ‘वसंत’ भाग - 3 म पृ सं या 65 से ‘कं यूटर गाएगा गीत’ लेख को पढ़ने के िलए

    े रत कर।

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    क ा 8

    12 - सदुामा च रत

    सीखन ेके सं ाि : H804, H807, H809, H814, H816, H818, H819, H822

    1. िन िलिखत प ांश को पढ़कर के उ र द-

    “कै वह टूटी-सी छानी हती, कह ँकंचन के अब धाम सुहावत।

    कै पग म पनही न हती, कहँ लै गजराज ठाढ़े महावत॥

    भूिम कठोर पै रात कट,ै कह ँकोमल सेज पै न द न आवत।

    कै जुरतो निह कोदो सवा,ँ भु के ताप त ेदाख न भावत॥”

    i) ‘कै जुरतो निह कोदो सवा’ँ पंि के ारा किव कसके िवषय म या कह रहा है?

    ii) िन िलिखत श द के अथ िलखो -

    पनही, छानी, ठाढ़े, जुरतो, दाख, महावत

    iii) सुदामा ने अपनी झ पड़ी म या बदलाव देखा?

    2. ‘क ना क रकै क ना िनिध रोये’ का आशय प क िजए।

    3. सुदामा और कृ ण क दो ती क िमसाल दी जाती ह।ै कसी ऐसी आदश दो ती क चचा क िजए।

    4. “वह पुलकिन, वह उ ठ िमलिन, वह आदर क बात।

    वह पठविन गोपाल क , कछू न जानी जात।।

    ह आवत नाह तौ, वाही पठयो ठेिल।

    अब किहह समझुाय कै, ब धन धरौ सकेिल॥”

    - रेखां कत वण /श द क व (इ) और व (उ) का िवशेष यान रखते ए किवता पाठ करो।

    5. ‘सुदामा च रत’ का सार अपने श द म िलखो।

    6. अपने िम को ज मा मी के अवसर पर आमंि त करते ए प िलखो।

    7. राधा-कृ ण पर कोई भजन अथवा लोकगीत िलखो।

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    क ा 8

    13 - जहा ँपिहया ह ै

    सीखन ेके सं ाि – H803, H806, H807, H814, H818

    1. िन िलिखत ग ांश को पढ़कर दए गए के उ र दीिजए-

    साइ कल चलाने के ब त िनि त आ थक िनिहताथ थ।े इससे आय म वृि ई ह।ै यहा ँक कुछ मिहलाएँ अगल-बगल के गावँ म कृिष संबंधी अथवा अ य उ पाद बेच आती ह। साइ कल क वजह से बस के इंतजार म य होने वाला उनका समय बच जाता ह।ै खराब प रवहन व था वाले थान के िलए तो यह ब त मह वपूण ह।ै दसूरे, इससे इ ह इतना समय िमल जाता है क

    यह अपने सामान बेचने पर यादा यान क त कर पाती ह। तीसरे, इससे यह और अिधक

    इलाक म जा पाती ह। अंितम बात है क साइ कल िश ण से मिहला के अंदर आ मस मान क भावना पैदा ई है।

    i) साइ कल चलाने का आ थक िनिहताथ या था? इससे या फाय़दा आ?

    ii) साइ कल कैसे थान के िलए मह वपूण ह?ै

    iii) मिहला म साइ कल िश ण से कौन-सी भावना पदैा ई?

    iv) िन िलिखत श द से उपसग व यय अलग करके िलखे - िनि त, आ थक, मह वपूण, क त,

    िश ण। v) सिध-िव छेद कर - िनिहताथ, व था।

    2. के उ र द -

    i) िश ण क से आप या समझते ह?

    ii) साइ कल आंदोलन के शंसक कौन-कौन थ?े

    iii) मिहला ारा साइ कल चलाने के िवषय म पु ष के या िवचार थ?े

    iv) पडुुको ई िजले क मिहला का साइ कल चलाना सामािजक आंदोलन कैसे बन गया?

    3. आ मिनभरता ि व के िवकास म कस कार सहायक ह?ै

    4. पिहये क खोज न ेमानव स यता के िवकास म मह वपूण भूिमका कैसे िनभाई? चचा कर।

    5. कामकाजी मिहला क दनचया गिृहणी क दनचया से कस कार िभ ह?ै या वह दोहरा

    उ रदािय व िनभाती ह?ै सोच कर िलख।

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    6. सामािसक श द का िव ह करके समास का नाम िलखो-

    दोपहर, िघसी-िपटी, सीखन-ेसीखन,े ह ा-ब ा, ि वणेी

    7. वा यांश के िलए एक श द िलखो-

    i) जो सबसे अिधक हो ii) नया-नया सा र

    iii) मन को रमने वाला iv) उ पाद करने वाला

    8. ‘जब मने पहली बार साइ कल चलाई’ अपना अनुभव िलख।

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    क ा 8

    14 - अकबरी लोटा

    सीखन ेके सं ाि : H805, H811, H814, H822

    1. िन िलिखत ग ांश को पढ़कर दए गए के उ र द।

    ‘परोपकार’ का शाि दक अथ ह,ै पर+उपकार अथात ्दसूर क भलाई। वा तव म, परोपकार क

    भावना एक वाभािवक भावना ह,ै िजसक ेरणा हम कृित से ही ा होती ह।ै नदी अपना जल

    वयं नह पीती, वृ अपना फल वयं नह खात,े सूय अपनी ऊजा एवं उ मा अपने िलए नह

    बचाता आ द ना जाने कतने उदाहरण है, जो हम दसूर के िलए जीना िसखात ेह। कसी भी

    समाज म मानवीय मू य का होना िनतातं आव यक है अ यथा समाज अिधक देर तक टक नह

    सकता। मानवीय मू य को बनाए रखने का सार- बद ुह ै- ‘परोपकार क भावना’। इसी भावना

    के कारण हम दूसरे मनु य के ित संवेदनशील होते ह और उनक भलाई के बारे म सोचते ह। यही तो मानवीयता है और इसे बनाए रखना परोपकार क भावना से ही संभव ह।ै आज चार तरफ वाथ क भावना बल ह ैजो कसी भी समाज के िलए िवनाशकारी है। इस िलए हमारा कत ह ैक हम परोपकार क भावना का अिधक से अिधक सार कर।

    i) मानवीय मू य का िवकास य ज री ह?ै

    ii) वतमान समय म कौन-सी भावना समाज के िलए िवनाशकारी बन जाएगी?

    iii) मानवीयता या ह?ै

    iv) उपयु ग ांश का उिचत शीषक द। v) ‘खाितर’ कस कार का श द ह?ै ( उ पि क दिृ से)

    2. कसन,े कससे कहा?

    i) ‘स ाह’ से आपका ता पय सात दन से है या सात वष से?”

    ii) “नह , मेरी समझ म ‘ही इज डजरस िमनल’”

    iii) “मेरे पास है तो नह पर म कह से मागँ-जाचँकर लाने क कोिशश क ँ गा।”

    3. अं ेज को ऐितहािसक चीज के सं ह का शौक था। आप कन चीज का सं ह करना चाहग ेऔर उनके

    िलए या यास करग?े

    4. य द िबलवासी बुि मता से काम ना लेता तो लाला झाऊलाल क गित बड़ी दयनीय होती। िवषम

    प रि थितय म बा बल अिधक उपयोगी ह ैअथवा बुि बल। चचा कर।

    5. नूरजहाँ के कस भोलेपन पर जहागँीर िनछावर हो गया था?

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    6. बुजुग न ेपानी पीने के या िनयम बताएँ ह?

    7. लाला झाऊलाल के हाथ से लौटा िगरने पर या आ? िव तार पूवक िलख।

    8. र थान क पू त मुहावरे ारा क िजए -

    (आँख से ओझल होना, ितलिमला उठना, उधेड़बनु म लगना, चार खान ेिचत)

    i) प ी क बात सुनकर लाला जी _________________ उठे। ii) याम पहलवान ने दसूरे पहलवान को _________________ कर दया। iii) वह __________________ म था क इस का जवाब या हो सकता ह।ै iv) रेलगाड़ी धीरे-धीरे ___________________ गई।

    9. ‘िम वही जो मुसीबत म काम आए’ अनु छेद िलख।

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    15 - सरूदास के पद

    सीखन ेके सं ाि : H804, H811, H816

    1. का ांश को पढ़कर दए गए के उ र द।

    जब-जब छुपकर वार करेगा, तब-तब वह मु कुराएगा।

    बैठ सामने चारण बनकर, गुण जी भर कर गाएगा॥

    दौर मुसीबत का जब होगा, साथ रहगे बगेान।े

    वह अपन का लगा मुखौटा, दरू कह छुप जाएगा॥

    घाव लगे तनमन पर लाख , बैरी मरहम ला दग।े

    उसके वश म िजतना होगा, उतना नमक लगाएगा॥

    इस ब ती म बठै कर यारे, यार वफ़ा क बात ना कर।

    बंजर दल क इस धरती पर, उपवन कौन िखलाएगा॥

    अपनी चादर कतनी मैली, समय नह जो देख सके।

    उजली चादर िजनक दखती, उस पर दाग लगाएगा॥

    i) छुपकर वार करके मु कुराने वाला ि कौन हो सकता ह?ै

    ii) मुसीबत पड़ने पर अ सर या होता ह?ै

    iii) ‘अपनी चादर कतनी मैली, समय नह जो देख सके’ - आशय प कर।

    2. दरूदशन पर देखे गए धारावािहक के मा यम से ी कृ ण के जीवन क कसी घटना का उ लेख कर।

    3. ‘सूरदास के पद’ म पहले पद का सार अपने श द म िलखो।

    4. ‘गोरस’ से आप या समझते ह? दधू पीने के प म आपको घर वाले या- या लोभन देते ह?

    5. ‘शरारत करने पर दंड देना उिचत है या अनुिचत’ अपने िवचार िलिखए।

    6. के उ र द -

    i) ‘दपुहर दवस’ व ‘ढँूढी-ढँढो़ र’ म कौन-सा अलंकार ह?ै

    ii) पाठ क भाषा कौन-सी है?

    iii) ‘नािगन - सी’ व ‘पिच-पिच’’म यु अलंकार बताओ।

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    7. िन िलिखत श द के पयायवाची श द िलखो-

    मैया, दधू, चोटी, सखी।

    8. अनेक श द के िलए एक श द िलखो-

    i) जो पका आ ना हो ii) गाय का रस iii) हल को धारण करने वाला

    9. दधू बेचने वाली कंपनी के िलए िव ापन तैयार कर।

    10. ायाम का मह व बतात े ए िम को प िलख।

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    16 - पानी क कहानी

    सीखन ेके सं ाि : H802, H803, H806, H808, H818

    1. िन िलिखत ग ांश को पढ़कर दए गए के उ र दीिजए-

    ‘बाधँ’ नहर अथवा नदी पर जल के वाह को रोकन ेका एक अवरोध है तथा इसको कई योजन

    के िलए उपयोग कया जा सकता ह।ै बाँध लघ,ु म यम तथा बड़े हो सकते ह। बड़े बांध का

    िनमाण करना अिधक ज टल होता ह।ै इनम अ यिधक काय, शि , समय व धन क आव यकता

    होती है। इनका िनमाण कं ट, च ान , लकड़ी अथवा िम ी से भी कया जा सकता है। भाखड़ा

    बाँध, सरदार सरोवर, टहरी बाँध इ या द बड़े बाधँ के उदाहरण है। एक बाधँ क इसके पीछे के

    पानी के भार को वहन करन ेक मता अ याव यक होती ह।ै बाधँ पर धकेले जान ेवाली जल क मा ा को जल-दाब कहते ह। जल-दाब जल क गहराई के साथ बढ़ता है।इसके प रणाम व प कई बाँधो का तल चौड़ा होता है। िजससे यह सतह के काफ नीचे भाग म बहने वाले जल का भार वहन कर सके। वष से बढ़ती जनसं या, औ ोिगक करण म वृि तथा कृिष म िव तार होने से जल क मांग

    बढ़ती जा रही है। अतएव जल संर ण आज क आव यकता बन गई ह।ै वषा जल संचयन मु यत

    भवन क छत पर इक ा करके भूिम म संर ण करके आगे काम म लनेे क या ह।ै

    i) बड़े बाधँ का िनमाण करना अिधक ज टल य होता ह?ै

    ii) बाँध का िनमाण य कया जाता ह?ै

    iii) जल-दाब कसे कहते ह?

    iv) ‘अ याव यक’, ‘संर ण’ का संिध-िव छेद कर।

    2. के उ र िलख।

    i) पड़े के िवषय म बूंद ने या कहा?

    ii) पृ वी का गभ य िहल रहा था?

    iii) समु म बूदं ने कन- कन चीज को देखने का आनंद ा कया ?

    4. जल को जीवन क सं ा य दी गई है? िलख।

    5. जल संर ण य आव यक ह?ै चचा कर।

    6. जल संर ण पर पो टर बनाओ।

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    7. िन िलिखत मुहावर का वा य म योग करो-

    आ य का ठकाना न रहना, सांसत भोगना, आखँ से ओझल होना।

    8. अनेक श द के थान पर एक श द िलिखए-

    i) जल म रहन ेवाला ii) आग व लावा उगलने वाला थान iii) ह क प र मा करने वाला ह iv) सौरमंडल का नीला ह

    9. ‘ दषूण क सम या’ िवषय पर िनबंध िलख।

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    17 - बाज और साँप

    सीखन ेके सं ाि – H803, H805, H808, H822

    1. अप ठत ग ांश को पढ़कर िन िलिखत के उ र दीिजए।

    मढ़क ने शोर बाँधा, िचिड़य ने चहक खोली

    मुि कल से लोग सुनते थे िजनक कभी बोली,

    वह मोर वह पपीहा थकते नह है जैसे,

    सुध है क सुध नह ह,ै खोए ए ह ऐसे,

    ठंडी हवा ने आकर जब से इ ह छुआ ह ैभगवान जाने तब से झाड़ को या आ ह?ै

    प ी हर-एक भरकर म ती म िहल रही ह,ै

    डाली क आम वाली पीपल से िमल रही ह,ै

    सूखी पड़ी थी न दया,ँ सो भदभदा गई रे

    बरसात आ गई रे, बरसात आ गई रे !

    i) बरसात म मढ़क और िचिड़य पर या असर आ?

    ii) किव को ऐसा य लगता है क मोर और पपीहा बसुेध से हो गए ह? iii) श द के दो-दो पयायवाची िलखो - भगवान, नदी।

    iv) श द के त सम प िलिखए - आम, मोर।

    v) श द के अथ िलखो - भदभदा, सुध।

    2. ततु पाठ म किव ने नदी के प स दय का वणन कस कार कया ह?ै

    3. साँप बाज क तरह आकाश म य नह उड़ सकता?

    4. साँप और बाज कसके तीक ह?

    5. ततु पाठ म चतुर व िनडर लोग के िवषय म या कहा गया ह?ै प क िजए।

    6. वचन बदलकर वा य पनुः िलखो-

    i) घर म रहन ेवाली औरत साइ कल चलाती ह।ै ii) मुगल शासन म कौन सी पु तक िलखी गई।

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    7. ‘पर उपदेश कुशल ब तेरे” िवषय पर अनु छेद िलख।

    8. िवलोम श द िलख-

    धूप, वामी, आिखरी, दगुध, आकषण।

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    18 - टोपी

    सीखन ेके सं ाि : H803, H806, H808, H809, H820

    1. ग ांश को पढ़कर िन िलिखत के उ र द।

    “तेरे जैसा ही एक बावरा और था। गवरा बोला”, रा ता चलत-ेचलते उसे अचानक एक दन पड़ा

    आ चाबुक िमल गया। चाबुक था बड़ा उ दा और लचकदार, कसी घुड़सवार के हाथ से छूटकर

    िगर गया होगा। चाबुक हाथ लगते ही वह बावरा चीखने लगा- ‘ चाबुक तो िमल गया, बाक बचा

    तीन- घोड़ा-लगाम-जीन’। अब ये तीन तो रा ते म पड़े िमलने से रहे। सब काम-धंधा छोड़ वह

    बावरा ताउ यह रटता रहा- बाक बचा तीन-घोड़ा-लगाम-जीन गवरा उसे समझाते ए बोला, “

    इस ई के फाहे से लेकर टोपी तक का सफर तुझे कुछ अता पता है?”

    i) बावरे को रा ते म या िमला और वह कैसा था?

    ii) बावरे न ेचीखकर या कहा और उसका या अथ था?

    iii) ई के फाह ेसे कपड़े बनुन ेका सफ़र या था?

    iv) ‘उ दा’ व ‘ताउ ’ कौन-सी भाषा के श द है और उनका या अथ ह?ै

    2. पोशाक के िवषय म गवरे के या िवचार थ?े

    3. गवरइया ने राजा को कैसे िचढ़ाया?

    4. या हम मेहनतकश का मेहनताना पूरा देना चािहए? कहानी के आधार पर बताओ।

    5. मुहावर का वा य म योग कर-

    टोपी पहनाना, टोपी उछालना, टोपी सलामत रहना।

    6. र थान क पू त रेखां कत श द के िवलोम श द से कर-

    i) संयोग और __________________ कृित के िनयम ह।ै

    ii) जीवन म सुख ________ क ि थित बनी ही रहती ह।ै

    iii) मने उसे ईमानदार समझा था, परंत ुवह तो _____ िनकला।

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    उपलि ध प क (सुझावा मक)

    नोट : ेड रपोट काड के अनुसार

    संकुल ( ल टर) मांक िव ालय नाम

    छा नाम अनु मांक क ा सीखने क सं ाि िववरण

    अ ैल मई जुलाई अग त िसत बर अ टूबर नव बर दस बर जनवरी फरवरी

    छा उपि थित प रमापक अंक ेड अंक ेड अंक ेड अंक ेड अंक ेड अंक ेड अंक ेड अंक ेड अंक ेड अंक ेड ग / प वाचन चचा िच वणन संदभ थापन वा य रचना

    ाकरण रचना मकता

    िश प स दय