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सकारामक मेहनत के द रगामी परवततन पररचय मेरा यह अययन 21 दिन के एक बड़े बिलाव का अययन है | जिसे मने अपने व एक 9 साल के एक बचे मै िेखा है | जिसका नाम िावेि है , िवी उर िेश के बहराइच जिले मै जथित कैसरगं ि लाक के ािममक ववयालय कसेहरी ब ि ग मै ाप आउट िा इसके अबा िाककर एक टैट हाउस वाले के यंहा शािी वववाह मै टैट लगाने का काम करते ह उनकी उ लगभग 45के आस पास होगी, उसकी अमी की मौत ककसी गंभीर बीमारी के चलते 4-5 साल पहले हो गयी िी िावेि की बहन तरन म तिा िो बड़े भाई भी ह िो शहर मै रहकर घर की रोिरोटी मै भागीिारी करते ह | तरन म लगभग 11 साल की होग, और घर का सारा काम िैसे खाना पकाना, बतगन ध लना, घांस काटना, िवेि तिा ि सरी मा के छोटे बच को भी िेखती है | िावेि को बकररयां चराना, घर के छोटे काम मै अब की मित करना, तरन म के साि घांस लेने िाना पड़ता है | उसके अब कहते ह की बच की िेखभाल के मलए मने ि सरी शािी कर ली, लेककन म झे लगता है की िावेि और उसकी नयी मा के ररते क छ ठीक नहीं ह | शायि इसी मलए िावेि एक िम ध सररत, अधगनन घ मता रहता है यह िोड़ी सी िानकारी िावेि के बारे मै िी ताकक हम आगे की बात को बेहतर समझ सकै , क िावेि मै बिलाव क ै से होने श ऱ ह आभार - टाटा थट के सहयोग से थट कय नटी लाइवलीह स वारा बहराइच जिले के िो लाक (ररमसया,कै सरगंि ) के ािममक ववयालय के बच के साि मशण उनयन कायगम चलाया रहा है, जिसके अंतगगत 50 ववयालय सजममलत कये गए ह, उनमे से क छ ववयालय मै येक वग गमी व् सिी की छ दटय मै बच को मशा से ि ड़े रहने के मलए कै प लगाये िाते ह | इस वग समर कै प का आयोिन ािममक ववयालय कसेहरी ब ि ग मै ह आ |

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  • सकारात्मक मेहनत के दरूगामी पररवततन

    पररचय –

    मेरा यह अध्ययन 21 दिनों के एक बड़ ेबिलाव का अध्ययन है | जिसे मैंने अपने व एक 9 साल के एक बच्च ेमें िेखा है | जिसका नाम िावेि है, िो पवूी उत्तर प्रिेश के बहराइच जिले में जथित कैसरगंि ब्लाक के प्रािममक ववद्यालय कसेहरी बिुगुग में ड्राप आउट िा इसके अब्बा िाककर एक टेंट हाउस वाले के यंहा शािी वववाह में टेंट लगाने का काम करत ेहैं उनकी उम्र लगभग 45के आस –पास होगी, उसकी अम्मी की मौत ककसी गंभीर बीमारी के चलत े4-5 साल पहले हो गयी िी िावेि की बहन तरन्नमु तिा िो बड़ ेभाई भी हैं िो शहर में रहकर घर की रोिी –रोटी में भागीिारी करत ेहैं | तरन्नमु लगभग 11 साल की होगी, और घर का सारा काम िसेै खाना पकाना, बतगन धलुना, घांस काटना, िावेि तिा िसूरी मााँ के छोटे बच्चों को भी िेखती है | िावेि को बकररया ंचराना, घर के छोटे कामों में अब्ब ूकी मित करना, तरन्नमु के साि घांस लेने िाना पड़ता है | उसके अब्ब ूकहत ेहैं की बच्चों की िेखभाल के मलए मैंने िसूरी शािी कर ली, लेककन मझु ेलगता है की िावेि और उसकी नयी मााँ के ररश्ते कुछ ठीक नही ंहैं | शायि इसी मलए िावेि एक िम धलू –धसूररत, अधगनग्न घमूता रहता है

    यह िोड़ी सी िानकारी िावेि के बारे में िी ताकक हम आगे की बातों को बेहतर समझ सकें , कक िावेि में बिलाव कैसे होने शरुू हुए

    आभार - टाटा ट्रथट के सहयोग से ट्रथट कम्यनुनटी लाइवलीहूड्स द्वारा बहराइच जिले के िो ब्लाकों (ररमसया,कैसरगंि ) के प्रािममक ववद्यालय के बच्चों के साि मशक्षण उन्नयन कायगक्रम चलाया रहा है, जिसके अंतगगत 50 ववद्यालय सजम्ममलत ककये गए हैं, उनमे से कुछ ववद्यालयों में प्रत्येक वर्ग गमी व ्सिी की छुट्दटयों में बच्चों को मशक्षा से िुड़ ेरहने के मलए कैम्प लगाये िात ेहैं | इस वर्ग समर कैम्प का आयोिन प्रािममक ववद्यालय कसेहरी बिुगुग में हुआ |

  • एक प्रयास - इस समर कैम्प में मेरी मलुाकात िावेि से हुई, िब वह बालसभा के समय सडक के ककनारे से हाफ पेंट में, अधगनग्न खड़ा िा और बच्चों कववता करत ेहुए बड़ ेध्यान से िेख रहा िा | और िैसे उसने मझु ेअपनी तरफ आते िेखा वह भागने लगा मने उससे कहा भागो मत म ैतुम्हे पकड़ने नही आ रहा हूाँ लेककन तुम चाहो तो यहााँ के बिाय अन्िर चलकर िेख सकत े हो कफर िब तुम्हारा मन नहीं करेगा तो मझुसे पछू कर चले िाना कफर वह अन्िर आया तो मैंने उससे कहा की हाि महु यहााँ धलु लो लेककन उसने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया |वह अपने िोनों हािों को सर पर रखकर बच्चों को बहुत ही उत्सकुता से िेख रह िा | मैंने उससे कहा की आओ हम सभी साि ममलकर खेलें तो अन्य बच्च ेमशकायत करना शरुू कर दिए “सर िी इ कबहूाँ थकूल नाही आवत है, ऑकफस मा ममट्टी फेकत है, गररआवत है आदि” | तो मैंने कहा बेटा आि हम लोग खेलेंगे कोई िसूरी बात नही ंकरेंगे, कफर हम सब ममलकर नतेा- नतेा चाल बिल खेलन ेलगे |जिसमे िावेि शरुुआत में बच्चों के महु िेखता रखता, लेककन खेल में और बच्चों की बेहतर प्रनतभागगता िेख कर उसका भी उसका भी मन लगने लगा िसेै नेता को िेख कर उस िैसी एज्टंग करना |कफर उसने कहा की सर िी हमहू नेता बनब,ै तो मैंने उसे नेता बनकर दिखाया और बताया की तुम िैसा करोगे सब लोग तुमको ही िेख कर करेंगे और कैचर बचना पड़गेा एक िो बार तो उसने गजततयााँ की लेककन कफर वह बड़ी चालाकी से खेलने लगा, इस तरह और भी कई खेल हुए िात ेसमय मैंने िावेि से पछूा आि मिा आया तो वह बहुत खुश िा और बोला “सर िी एक खेल अउर करवाई िेव” | मैंने उससे कहा की कल ितिी आना और नहा –

  • धोके तैयार होक आना | और अगले दिन वह शायि हमारे पहंुचने से पहले ही आ गया िा उसकी बकररया ंभी थकूल के बगल के खेत में चार रही िी, और ऐसा लग रह िा की िैसे सोके अभी- अभी उठा है | कफर बाल सभा शरुू हो गयी

    और उसन ेअपनी बकररया ंवहीीँ बााँध कर हाि महु धलु कर सीधा बाल सभा में सजम्ममलत हो गया | मैंने उसे मना भी नहीं ककया, कफर वह सबके साि बालगीत करना शरुू ककया लेककन लय धीमी या तेि होने की

    विह से कभी सबके आगे ननकल िाता और कभी पीछे छूट िाता और एकाएक चपु हो िाता कफर धीरे – धीरे 5-6 दिनों में वह समय से आने लगा और साि गाना, गोले में खड़ ेहोकर सबके साि हाव भाव से कववता करना सीख गया | एक दिन मैंने साफ़ –सफाई पर बात करत ेहुए सबसे पछूा की कौन-कौन नहाकर आया है | तो िावेि न ेभी अपना हाि उठाया म ैउसके पास िाके बोला िावेि तुम नहा के आये हो ? उसको लगा की शायि मझु ेपता चल गया है तो उसने कहा की “सर िी काल से नहाई के आइबै” और अगले दिन से वह नहा धोके, पैंट – शटग पहन कर टोपी लगा कर आया और मझुसे बोला “िेखौ सर िी हम तुम्हरे िैसे टोपी लगाई के आवा हैं | और ऐसा बोल कर थकूल में लगे आईने के सामने खड़ा होकर टोपी ननकाल कर बाल बनाया और कफर टोपी लगा मलया | कफर िब हम लोगो ने कक्षा मशक्षण शरुू ककया तो उसे मौखखक चीिें िैसे गगनती तीली के माध्यम

  • से, कम ज्यािा, एक अगधक और एक कम, कववतायेँ करने में मिा आता िा और मैंने उसे िेखा की िब वह पथुतकालय में िाता तो ककताबों के ऊपर बने गचत्रों को बड़ ेध्यान से िेखता और कुछ सोचता और कभी- कभी बच्चों के साि बठैकर उनको पढ़त ेसनुता या कफर उनके साि चचाग करता िसेै “इ भलुआ िेख िैसन आपन गााँव मा आवा रहा है| कफर इस पर लम्बी चचाग चलती रहती |वसेै तो वह ककताबें पढ़ नहीं पाता, लेककन घर ले िान े के मलए रोि कोई न कोई ककताब चनुता | म ैिब बोडग पर मलख कर कोई चीि बताता तो मझुसे ही कहता “सर िी आगे से हतौ िेखेई िेव” मैंने उसमे पढने की ऐसी जिज्ञासा िेखा की वह ्लास खत्म होन ेके बाि भी इन काम को मलखता रहता | समय बीतता गया और मैंने िेखा की िो लड़का साल भर से थकूल आना छोड़ दिया वह वपछल े18 से 20 दिनों में एक दिन भी यहााँ तक की रवीवार और बरसात के दिन भी घर नही रुका | प्रनतदिन िांत मुंह साफ कर के बकायिा थकूल आता, मझु ेिेखकर भागन ेवाला बच्चा आि खुि मझुसे बोलता है “सर िी आपौ टाइम से आवा करौ” | अन्ताक्षरी शरुू होने पर इतने गाने गाता की उसे रोकना पड िाता,नाटक में भी प्रनतभाग करता तो मिा आ िाता, नागगन डांस ऐसा करता की नागगन भी शरमा िाय |

    समर कैम्प के 19वें दिन मैंने उससे कहा की िावेि तुम थकूल काहे नही ंआत ेिे | तो उसने कहा की “इक सर िी हैं ऊ हररअर डडंा लाय मारत हैं कबहूाँ तो

    मुगाग बनाय िेत हैं| तो मैंने कहा की

    जावेद के द्वारा आंशिक जोड़ पर काम

    मेरे सरु पर ताल ममलाता िावेि

  • तुमका अब इहााँ का सबसे बदढयां लागत है,” तो उसने बताया की सर िी रुमाल झपट्टा खेल, इ खेल हम बकरी चराव ैिाइत उहााँ खेमलत है, और आप सब कोई सरल – सरल पढावत मलखावत हौ, उ कदठन िेत हैं नाय लगावे पर मारत हैं |हमने कहा यार िो दिन बाि हम लोगों का समर कैम्प खत्म हो िायेगा तो उसने रंुधे हुए थवर में कहा, “तब हमहू न अइब”ै और मझुसे पछुा की, “सर तुम अब कभौं न अइबौ”हमने कहा की कभी कभी आयेंगे लेककन तमु िब थकूल नही आओगे तो तुमसे कैसे ममलेंगे उसने मझुसे रंुधे हुए थवर में कहा, “महीना में ए्कै बार चले आयो” मैंने उससे कहा आगे पनूम िी, ब्रििेश िी आप की मित करेगें इन पर ववश्वास हैं न तो उसन ेकहा की ‘हााँ इ मडैम िी और सर िी नाई मारत हैं, कफर मैंने ब्रििेश िी (प्रधानाध्यापक ) को उससे पररगचत कराया और उन्होंने उससे कहा की तुम थकूल आओ तुम्हे कोई परेशानी होगी तो मझुसे बताना तुम्हे कोई नहीं मारेगा | पनूम ने भी कहा की बेटा तुम आओ तुम्हे कोई नही ंमारेगा म ैतुम्हे ऐसे ही खेल, कववतायेँ, कहाननया ंसनुाउंगी | कफर मैंने उससे कहा की चलो अब हम लोग घर चलत ेहैं लेककन काफी िेर तक वह िाना ही नही ंचाहता िा | कफर सबके समझान ेपर वह घर की तरफ चला | कफर हमन ेउसके वपता िी से बात की उन्होंन ेबताया की सर िी आप सबके बात इ घर पर बहुत करत है हम तो इ कहत हैं की िैसे आप सब पढावत हौ वसेै सब माथटर पढावे लगें तो गााँव मा कौनो लड़का घर पर न रुककहै | हमने कहा की चचा बिलाव हो रहा है धीरे –धीरे सब बिलेगा आप भी थकूल िा कर िेख आया करो |

  • उस बिलाव को मैंने खुि िावेि में िेखा िा, 20 दिनों में वह प्रनतदिन थकूल समय से आना, साफ़ सफाई रखना िैसे थवयं को साफ रखना और खाने के बाि ब्रबथकुट के रैपर व ् कागि को डथट ब्रबन में डालना, अमभव्यज्त क्षमता ननखरना, सपने िेखना, गगनती(1-30 तक ) मलखना व पहचान, एक अंकीय िोड़, आरोही अवरोही क्रम, 2-3 कववतायेँ, लोक कहाननयां, ककताबो में गचत्रों को िेख कर कहानी बताना आदि में वह मन लगाकर काम करता िा | और अब कफर से प्रािममक ववद्यालय कसेहरी बिुुगग में कक्षा 3 में ननयममत छात्र है

    कफर म ै वहां से ऑकफस आया मेरे भी आाँखों में आंस ूिे और वहां के सारे बच्चों से मझु ेलगाव हो गया िा लेककन िावेि उनमे सबसे अलग िा | मैंने पहले ही दिन से उसके बारे सोचा िा की म ैइस लड़के को थकूल तक कैसे भी कर के लाऊंगा और म ैकामयाब रहा | ... जावेद के अब्ब ूऔर अध्यापक कहत ेहैं- एक दिन म ैएक सामिुानयक मीदटगं के च्कर उधर गया िा | और म ैिावेि के अब्ब ूको िेखकर रुका और मैंने उनसे पछूा की िावेि अब थकूल िाता है की नही,ं

    उसके अब्ब ूकहत ेहैं साहेब िी, ‘िबसे तुम्हरा ऊ कैम्प हुआ है इ लड़का घर नाही रुकत है और घरहूाँ के काम कई के, रोि टेम से नहाय धो के कपडा लत्ता पहन के बाबू बना टहरत रही थकूल िाई, औरु लडकन का भी साि लकेै िाई | तब से घरहूाँ में िाय से पहले ई चप्पल िूता ननकार के िाई, सर िी तुम सब की

  • विह से हमार इ लड़का थकूल िाय लागा अगर इ तरह के कैम्प वगरैह समय - समय पर लागत रहे तो बच्चन कबहूाँ घर न रुकें

    उसकी शिक्षिका कहती हैं – िावेि को आपने ्या िवा वपलाई सर ये पहले तो यह थकूल ही नहीं आता | जिस दिन आ भी िाता यह उस दिन परूी कक्षा को परेशान कर िेता यह अकेला िस के बराबर मझु ेपरेशान करता, लेककन आि यह कक्षा में बड़ा शातं होकर अपने काम परेू करने में लग िाता है लेककन जिद्िी है अगर इसे म ैअन्य बच्चों से हतके थतर का काम िेिूं तो यह उसे नही ंकरता बोलेगा की ‘ममै िौन उनका मलखे क ममला है उहै हमहूाँ मलखबे’ वसेै आप लोगो को बहुत धन्यवाि कैम्प के विह से काफी बच्च ेननयममत हुए हैं और उनकी आितों में भी बिलाव आया है |

    ववशरे् आभार- टाटा ट्रथट से अममत िी का जिन्होंन ेहम सभी को केस थट्डी मलखन ेके मलए प्रोत्सादहत ककया, और इसको मतूग रूप िेने में ववशरे् सहयोग रहा |

    पररवतगन कल आि और कल

  • देवब्रत और जावेद समर कैम्प के आखिरी ददन