भजन[email protected] date : 28-feb-2020 अ ध क र द व श ग धम त थ...

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जैन भजन

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  • जैनभजन

    file:///D:/Personal/jainData/index.html

  • [email protected] : 03-Jun-2020

    अिधकारदेव शा� गु� धम�

    तीथ� क�ाणक महामं� अ�ा�

    पं-दौलतराम-कृत पं-भागचंद-कृत पं-�ानतराय-कृत पं-सौभा�मल-कृत

    पं-भूधरदास-कृत पं-बुधजन-कृत पूण�मित-माताजी पव�

    आिदनाथ-भगवान ब�ो-ंके-भजन नेिमनाथ-भगवान पा��नाथ-भगवान

    महावीर-भगवान बा�बली-भगवान

    देव भजन

    1) अपना ही रंग मोहे 2) अ�रहंत देव �ामी शरण

    3) अशरण जग म� चं�नाथ जी 4) अशरीरी िस� भगवान

    5) आओ िजनमंिदर म� आओ 6) आगया शरण ितहारी आगया Copy

    7) आज म� महावीर जी 8) आज हम िजनराज

    9) आया कहां से 10) आया तेरे दरबार म�

    11) आये आये रे िजनंदा 12) आये तेरे �ार

    Index

  • 13) आयो आयो रे हमारो 14) एक तु�ी ंआधार हो

    15) ओ जगत के शांित दाता 16) कभी वीर बनके

    17) कर लो िजनवर का गुणगान 18) करता �ं तु�ारा सुिमरन

    19) क�णा सागर भगवान 20) केस�रया केस�रया

    21) कैसी सु�र िजन �ितमा 22) कोई इत आओ जी

    23) गा रे भैया 24) गाएँ जी गाएँ आिदनाथ

    25) घडी घडी पल पल 26) चं�ानन

    27) चरणो ंम� आया �ं 28) चवले�र पारसनाथ

    29) चाह मुझे है दश�न की 30) छोटा सा मंिदर

    31) जगदानंदन 32) जिप माला िजनवर

    33) जब कोई नही ंआता 34) जय जय जय िजनवर जी मेरी

    35) जयवंतो िजनिब� 36) जहाँ महावीर ने ज�

    37) िजन �ाना गुण गाना 38) िजन पूजन कर लो ये ही

    39) िजनवर आनन भान 40) िजनवर की वाणी म� � हारो

    41) िजनवर की होवे जय जयकार 42) िजनवर तू है चंदा तो

    43) िजनवर दरबार तु�ारा 44) झीनी झीनी उडे रे

    45) ितहारे �ान की मूरत 46) तुझे �भु वीर कहते ह�

    47) तुम जैसा म� भी 48) तुमसे लागी लगन

    49) तु�ारे दश� िबन �ामी 50) तु�ी हो �ाता

    51) तू �ान का सागर है 52) तेरी शांत छिव

    53) तेरी शीतल शीतल मूरत 54) तेरी संुदर मूरत

    55) तेरे दश�न को मन 56) तेरे दश�न से मेरा

    57) ि�शला के न� तु�� 58) दरबार तु�ारा मनहर है

  • 59) िदन रात �ामी तेरे गीत 60) देखो जी आिद�र �ामी

    61) ध� ध� आज घडी 62) �ान धर ले �भू को

    63) नाथ तु�ारी पूजा 64) नाम तु�ारा तारणहारा

    65) िनरखत िजन चं�वदन 66) िनरखी िनरखी मनहर

    67) िनरखो अंग अंग 68) नेिम िजने�र

    69) पंचपरम परमे�ी 70) प�ास�

    71) पारस �ारा लागो 72) पारस �भु का दश�न

    73) �भु दश�न कर जीवन की 74) �भु हम सब का एक

    75) �भुजी अब ना भटक� गे 76) बा�बली भगवान

    77) भटके �ए राही को 78) भव भव �ले ह�

    79) भावना की चूनरी 80) मन भाये िचत �लसाये

    81) मनहर तेरी मूरितयाँ 82) महाराजा �ामी

    83) महावीर �ामी 84) िमलता है स�ा सुख

    85) मेरे मन मंिदर म� आन 86) मेरे महावीर झलेू पलना

    87) मेरे सर पर रख दो 88) म� तेरे िढंग आया रे

    89) �ारा आदी�र जी 90) रंग दो जी रंग िजनराज

    91) रंगमा रंगमा 92) रोम रोम पुलिकत हो जाये

    93) रोम रोम म� नेिमकंुवर के 94) रोम रोम से िनकले

    95) िलया �भू अवतार जयजयकार 96) व�ो ंअद्भुत च�वीर िजन

    97) वत�मान को वध�मान की 98) वध�मान ललना से

    99) वीतरागी देव 100) वीर �भु के ये बोल

    101) शु�ा�ा का ��ान 102) शौरीपुर वाले

    103) �ी अरहंत सदा मंगलमय 104) �ी अ�रहंत छिव ल�खके

  • 105) �ी िजनवर पद �ाव� जे 106) सीमंधर �ामी

    107) सुरपित ले अपने शीश 108) �ग� से संुदर अनुपम

    109) � वागत करते आज तु� हारा 110) हम यही कामना करते ह�

    111) हरो पीर मेरी 112) हे िजन तेरे म� शरणै

    113) हे िजन मेरी ऐसी बुिध 114) हे �ान िस� धु भगवान

    115) हे �भो चरणो ंम� 116) हे वीर तु�ारे �ारे पर

    शा� भजन

    1) ओकंारमयी वाणी तेरी 2) करता �ं म� अिभनंदन

    3) चरणो ंम� आ पडा �ं 4) जब एक र� अनमोल

    5) िजनवाणी अमृत रसाल 6) िजनवाणी की सुनै सो

    7) िजनवाणी जग मैया 8) िजनवाणी माँ िजनवाणी माँ

    9) िजनवाणी माता दश�न की 10) िजनवाणी माता र��य िनिध

    11) िजनवैन सुनत मोरी भूल 12) ध� ध� िजनवाणी माता

    13) ध� ध� वीतराग वाणी 14) मिहमा है अगम

    15) माँ िजनवाणी तेरो नाम 16) माँ िजनवाणी बसो �दय म�

    17) माता तू दया करके 18) �ारी माँ िजनवाणी

    19) ये शा�त सुख का �ाला 20) शरण कोई नही ंजग म�

    21) शांती सुधा बरसाये 22) शा�ो ंकी बातो ंको मन

    23) सांची तो गंगा 24) सीमंधर मुख से

    25) हे िजनवाणी माता तुमको 26) हे शारदे माँ

    गु� भजन

  • 1) उड़ चला पंछी रे 2) ऐसा योगी �ो ंन अभयपद

    3) ऐसे मुिनवर देख� 4) ऐसे साधु सुगु� कब

    5) कबधौ ंिमलै मोिह �ीगु� 6) गु� र��य के धारी

    7) धिन मुिन िजन यह 8) धिन ह� मुिन िनज आतमिहत

    9) ध� मुिनराज हमारे ह� 10) ध� मुनी�र आतम िहत म�

    11) िनत उठ �ाऊँ गुण गाऊँ 12) िन��थो ंका माग�

    13) परम गु� बरसत �ान झरी 14) परम िदग�र मुिनवर देखे

    15) परम िदग�र यती 16) मुिनवर आज मेरी कुिटया म�

    17) मुिनवर को आहार 18) �ारा परम िदग�र मुिनवर

    19) � हारे आंगणे म� आये मुिनराज 20) वे मुिनवर कब िमली ह� उपगारी

    21) वेष िदग�र धार 22) शा�� सुधा बरसा गये

    23) शु�ातम त� िवलासी रे 24) �ी मुिन राजत समता संग

    25) संत साधु बन के िवच�ँ 26) िस�ो ंकी �ेणी म� आने वाला

    27) है परम िदग�र मु�ा िजनकी 28) होली खेल� मुिनराज िशखर

    धम� भजन

    1) आजा अपने धम� की तू राह म� 2) आ� आगम गु�वर

    3) जय िजने� बोिलए 4) िजनशासन बड़ा िनराला

    5) जैन धम� के हीरे मोती 6) बडे भा� से हमको िमला िजन धम�

    7) भावो ंम� सरलता रहती है 8) म� महापु� उदय से िजनधम�

    9) ये धरम है आतम �ानी का 10) लहर लहर लहराये, केस�रया झंडा

  • 11) लहराएगा लहराएगा झंडा 12) �ीिजनधम� सदा जयव�

    13) सब जैन धम� की जय बोलो

    तीथ� भजन

    1) ऊंचे ऊंचे िशखरो ंवाला 1 2) ऊंचे ऊंचे िशखरो ंवाला 2

    3) ऊंचे िशखरो ंपे बसा है 4) गगन मंडल म� उड जाऊं

    5) चलो सब िमल िसधिगरी 6) जहाँ नेमी के चरण पड़े

    7) जीयरा...जीयरा...जीयरा 8) मधुबन के मंिदरो ंम�

    9) रे मन भज ले �भु का नाम 10) िव� तीथ� बडा �ारा

    11) स�ेद िशखर पर म� जाऊंगा 12) सांव�रया पारसनाथ िशखर पर

    क�ाणक भजन

    1) आज तो बधाई राजा नािभ 2) आनंद अवसर आज सुरगण

    3) आया पंच क�ाणक महान 4) क��ुम यह समवसरण है

    5) कु�लपुर म� वीर ह� ज�े 6) कु�लपुर वाले वीरजी

    7) गभ� क�ाणक आ गया 8) गावो री बधाईयां

    9) िगरनारी पर तप क�ाणक 10) घर घर आनंद छायो

    11) च�ो�ल अिवकार �ामी जी 12) छायो रे छायो आनंद छायो

    13) जनम िलया है महावीर ने 14) झुलाय दइयो पलना

    15) तेरे पांच �ये क�ाण �भु 16) िदन आयो िदन आयो

    17) िद� �िन वीरा �खराई 18) नाचे रे इ�र देव

  • 19) पं�खड़ा तू उड़ के जाना �ग� 20) पं�खडा रे उड के आओ कंुड्लपुर21) पंचक�ाण मनाओ मेरे साथी 22) पालकी उठाने का हम� अिधकार है

    23) बधाई आज िमल गाओ 24) बाजे कु�लपुर म� बधाई

    25) मिणयो ंके पलने म� �ामी 26) महावीरा झलेू पलना

    27) मेरा पलने म� 28) ये महामहो�व पंच क�ाणक

    29) रोम रोम म� नेिमकंुवर के 30) िलया आज �भु जी ने

    31) िलया �भू अवतार जयजयकार 32) िलया �रषभ देव अवतार

    33) िवषयो ंकी तृ�ा को छोड 34) सुरपित ले अपने शीश

    35) हो संसार लगने लगा अब

    महामं� भजन

    1) करना मन �ान महामं� 2) जप जप रे नवकार मं�

    3) जय जय जय कार परमे�ी 4) जो मंगल चार जगत म� ह�

    5) णमोकार नाम का ये कौन मं� 6) णमोकार म� को �णाम हो

    7) नमन हमारा अ�रहंतो ंको 8) नवकार मं� रागो ंम�

    9) पंच परम परमे�ी देखे 10) बने जीवन का मेरा आधार रे

    11) मं� जपो नवकार मनुवा 12) मं� नवकार हम� �ाणो ंसे �ारा

    13) मं� नवकारा �दय म� धर 14) समरो म� भलो नवकार

    अ�ा� भजन

    1) अ� या� म के िशखर पर 2) अपनी सुिध पाय आप

    3) अपनी सुिध भूल आप 4) अपने घर को देख बावरे

  • 5) अपने म� अपना परमातम 6) अब गितयो ंम� नाही ं�ल�गे

    7) अब मेरे समिकत सावन 8) अब हम अमर भये

    9) अरे िजया जग धोखे 10) अरे मोह म� अब ना

    11) आओ रे आओ रे �ानानंद की 12) आज खुशी है आज खुशी है

    13) आज म� परम पदारथ 14) आज सी सुहानी

    15) आतम अनुभव आवै 16) आतम अनुभव करना रे भाई

    17) आतम अनुभव कीजै हो 18) आतम जानो रे भाई

    19) आतम �प अनूपम अद्भुत 20) आतम�प अनूपम है

    21) आतम�प सुहावना 22) आनंद �ोत बह रहा

    23) आपा निहं जाना तूने 24) ऐसा मोही �ो ंन अधोगित

    25) ऐसी दीवाली मनाऊं 26) ऐसे जैनी मुिनमहाराज

    27) ओ जाग रे चेतन जाग 28) ओ जीवड़ा तू थारी

    29) और सबै जग�� 30) कबधौ ंसर पर धर डोलेगा

    31) कबै िनर�ंथ ��प ध�ंगा 32) कर कर आतमिहत रे

    33) करलो आतम �ान परमातम 34) कहा मानले ओ मेरे भैया

    35) काहे पाप करे काहे छल 36) कैसो संुदर अवसर आयो है

    37) कोई लाख करे चतुराई 38) �ंू करे अिभमान जीवन

    39) �णभंगुर जीवन है पगले 40) गाडी खडी रे खडी रे तैयार

    41) गु� कहत सीख इिम 42) घटम� परमातम �ाइये

    43) िच�ूरत ��ारी की 44) चेतन अपनो �प िनहारो

    45) चेतन तँू ित�ँ काल अकेला 46) चेतना ल�णम् आनंद

    47) जगत म� स�क उ�म 48) जब चले आ�ाराम49) जाऊँ कहाँ तज शरन 50) जानत �ो ंनिहं रे

  • 51) िजन राग �ेष �ागा 52) िजया कब तक उलझेगा

    53) िजया तुम चालो अपने 54) जीव! तू �मत सदैव

    55) जीवन के िकसी भी पल म� 56) जीवन के प�रनामिन की

    57) जे सहज होरी के 58) जैन धरम के हीरे मोती

    59) जो अपना नही ंउसके अपनेपन 60) जो आज िदन है वो

    61) जो जो देखी वीतराग 62) तन िपंजरे के अ�र बैठा

    63) तू जाग रे चेतन देव 64) तू जाग रे चेतन �ाणी

    65) तू ही शु� है तू ही 66) तोड़ िवषयो ंसे मन

    67) तोरी पल पल 68) तोड़ दे सारे बंधन सदा के िलए

    69) देखा जब अपने अंतर को 70) देखो भाई आतमराम

    71) धन धन जैनी साधु 72) धिन ते �ािन िजनके

    73) धिन ह� मुिन िनज आतमिहत 74) ध� ध� है घड़ी आज

    75) िधक िधक जीवन 76) धोली हो गई रे काली कामली

    77) परणित सब जीवन 78) परम गु� बरसत �ान झरी

    79) पल पल बीते उम�रया 80) पाना नही ंजीवन को

    81) पाप िमटाता चल ओ बंधू 82) पावन हो गई आज ये धरती

    83) �भु पै यह वरदान 84) �भु शांत छिव तेरी

    85) भगवंत भजन �ों 86) भजन िबन योहंी जनम गमायो

    87) भरतजी घर म� ही वैरागी 88) भाया थारी बावली जवानी

    89) भूल के अपना घर 90) मन महल म� दो

    91) ममता की पतवार ना तोडी 92) मान न कीिजये हो

    93) माया म� फ़ंसे इंसान 94) िमतवा रे सुवरण अवसर95) मेरे कब �ै वा 96) म� �ानानंद �भावी �ं

  • 97) म� दश�न �ान ��पी �ं 98) म� िनज आतम कब

    99) म� �ँ आतमराम 100) मो� पद िमलता है धीरे धीरे

    101) मोह की मिहमा देखो 102) मोहे भावे न भैया थारो देश

    103) यही इक धम�मूल है 104) ये शा�त सुख का �ाला

    105) वीर िजने� वर अब तो मुझको 106) वीर भज ले रे भाया

    107) वे मुिनवर कब िमली ह� उपगारी 108) संसार महा अघसागर

    109) सजधज के िजस िदन 110) स� िनर�र िच�त

    111) सब जग को �ारा 112) िस�ो ंसे िमलने का माग�

    113) सुन रे िजया िचरकाल गया 114) सुनो िजया ये सतगु�

    115) सुमर सदा मन आतमराम 116) सोते सोते ही िनकल

    117) हम अगर वीर वाणी 118) हम तो कब�ँ न िनज गुन

    119) हम तो कब�ँ न िनज घर 120) हम तो कब�ँ न िहत उपजाये

    121) हम न िकसीके कोई न हमारा 122) िहंसा झठू वचन अ�

    123) �ँ �तं� िन�ल 124) हे परमा� मन तुझको पाकर

    पं दौलतराम कृत भजन

    1) अपनी सुिध भूल आप 2) अरे िजया जग धोखे

    3) आज म� परम पदारथ 4) आतम �प अनूपम अद्भुत

    5) आपा निहं जाना तूने 6) ऐसा मोही �ो ंन अधोगित

    7) ऐसा योगी �ो ंन अभयपद 8) और अबै न कुदेव सुहावै

    9) और सबै जग�� 10) कबधौ ंिमलै मोिह �ीगु�

    11) गु� कहत सीख इिम 12) घिड़ घिड़ पल पल

  • 13) िच�ूरत ��ारी की 14) जाऊँ कहाँ तज शरन15) िजन बैन सुनत मोरी 16) िजन राग �ेष �ागा

    17) िजनवानी जान सुजान 18) िजया तुम चालो अपने

    19) देखो जी आिद�र �ामी 20) धिन ह� मुिन िनज आतमिहत

    21) िनजिहतकारज करना 22) िनत पी�ौ धी धारी

    23) िनरखत िजन चं�वदन 24) �भुजी का सुिमरन

    25) मेरे कब �ै वा 26) सुनो िजया ये सतगु�

    27) हम तो कब�ँ न िनज गुन 28) हम तो कब�ँ न िनज घर

    29) हम तो कब�ँ न िहत उपजाये 30) हे िजन तेरे म� शरणै

    31) हे िजन मेरी ऐसी बुिध

    पं भागचंद कृत भजन

    1) आतम अनुभव आवै 2) ऐसे जैनी मुिनमहाराज

    3) ऐसे साधु सुगु� कब 4) जीव! तू �मत सदैव

    5) जीवन के प�रनामिन की 6) जे सहज होरी के

    7) धन धन जैनी साधु 8) धिन ते �ािन िजनके

    9) ध� ध� है घड़ी आज 10) परणित सब जीवन

    11) �भु पै यह वरदान 12) मिहमा है अगम

    13) मान न कीिजये हो 14) यही इक धम�मूल है

    15) �ी मुिन राजत समता संग 16) स� िनर�र िच�त

    17) सुमर सदा मन आतमराम

    पं �ानतराय कृत भजन

  • 1) अब हम अमर भये 2) आतम अनुभव करना रे भाई

    3) आतम अनुभव कीजै हो 4) आतम जानो रे भाई

    5) आतम�प अनूपम है 6) आतम�प सुहावना

    7) कर कर आतमिहत रे 8) घटम� परमातम �ाइये

    9) जगत म� स�क उ�म 10) जानत �ो ंनिहं रे

    11) देखो भाई आतमराम 12) िधक िधक जीवन

    13) परम गु� बरसत �ान झरी 14) म� िनज आतम कब

    15) वे मुिनवर कब िमली ह� उपगारी 16) सब जग को �ारा

    17) हम न िकसीके कोई न हमारा

    पं सौभा�मल कृत भजन

    1) आज सी सुहानी 2) कबधौ ंसर पर धर डोलेगा

    3) कहा मानले ओ मेरे भैया 4) काहे पाप करे काहे छल

    5) जहाँ राग�ेष से रिहत 6) जो आज िदन है वो

    7) तेरे दश�न को मन 8) तेरे दश�न से मेरा

    9) तोड़ िवषयो ंसे मन 10) तोरी पल पल

    11) ि�शला के न� तु�� 12) ध� ध� आज घडी

    13) धोली हो गई रे काली कामली 14) �ान धर ले �भू को

    15) िनत उठ �ाऊँ गुण गाऊँ 16) िनरखी िनरखी मनहर

    17) पल पल बीते उम�रया 18) मन महल म� दो

    19) म� �ँ आतमराम 20) �ारा परम िदग�र मुिनवर

  • 21) लहराएगा लहराएगा झंडा 22) िलया �भू अवतार जयजयकार23) संसार महा अघसागर 24) �ामी तेरा मुखडा

    पं भूधरदास कृत भजन

    1) अब मेरे समिकत सावन 2) जिप माला िजनवर

    3) भगवंत भजन �ों

    पं बुधजन कृत भजन

    1) िनजपुर म� आज मची रे 2) सुनकर वाणी िजनवर की

    3) हमकौ कछू भय ना

    पूण�मित माताजी भजन

    1) आ तुझे अंतर म� शांित िमलेगी

    पव� भजन

    1) आचाय� �ी धरसेन जो 2) दश धम� को धार सोलह

    3) दसल�ण पव� का समा 4) पव� दस ल�ण खुशी से

    5) मंगल महो� सव भला आ गया 6) ये पव� पयु�षण � यारा है

    आिदनाथ भगवान भजन

  • 1) आज तो बधाई राजा नािभ 2) गाएँ जी गाएँ आिदनाथ3) देखो जी आिद�र �ामी 4) �ारा आदी�र जी

    5) िलया �रषभ देव अवतार

    ब�ो ंके भजन भजन

    1) उठे सब के कदम 2) चाहे अंिधयारा हो या

    3) िजनमंिदर आना सभी 4) �ाता ��ा राही �ं

    5) �ानी का � यानी का सबका 6) माँ मुझे सुना गु�वर

    7) वध�मान बोलो भैया बोलो 8) सूरत � यारी � यारी है

    9) हम होगें कामयाब एक िदन

    नेिमनाथ भगवान भजन

    1) िगरनारी पर तप क�ाणक 2) जहाँ नेमी के चरण पड़े

    3) नेिम िजने�र 4) रोम रोम म� नेिमकंुवर के

    5) िवषयो ंकी तृ�ा को छोड 6) वीर भज ले रे भाया

    7) शौरीपुर वाले

    पा��नाथ भगवान भजन

    1) चवले�र पारसनाथ 2) तुमसे लागी लगन

    3) पारस �ारा लागो 4) पारस �भु का दश�न

    5) मधुबन के मंिदरो ंम� 6) सांव�रया पारसनाथ िशखर पर

  • महावीर भगवान भजन

    1) आज म� महावीर जी 2) आये तेरे �ार

    3) कु�लपुर वाले वीरजी 4) छायो रे छायो आनंद छायो

    5) जनम िलया है महावीर ने 6) जहाँ महावीर ने ज�

    7) तुझे �भु वीर कहते ह� 8) िद� �िन वीरा �खराई

    9) पं�खडा रे उड के आओ कंुड्लपुर 10) बधाई आज िमल गाओ

    11) बाजे कु�लपुर म� बधाई 12) महावीर �ामी

    13) महावीरा झलेू पलना 14) मेरे महावीर झलेू पलना

    15) वत�मान को वध�मान की 16) वध�मान ललना से

    17) हरो पीर मेरी 18) हे वीर तु�ारे �ारे पर

    बा�बली भगवान भजन

    1) बा�बली भगवान 2) हम यही कामना करते ह�

    देव भजन

  • 🏠अपना ही रंग मोहे अपना ही रंग मोहे रंग दो �भुजी,

    आतम का रंग मोहे रंग दो �भुजी ।रंग दो रंग दो रंग दो �भुजी ॥

    �ान म� मोह की धूल लगी है,धूल लगी है �भु धूल लगी है ।

    इससे मुझको छुड़ा दो �भुजी ॥1॥

    स�ी ��ा रंग अनुपम,रंग अनुपम �भु रंग अनुपम ।

    इससे मोको ंसजा दो �भुजी ॥2॥

    र��य रंग तुमरा सरीखा,तुमरा सरीखा, तुमरा सरीखा ।

    इससे मोको ंसजा दो �भुजी ॥3॥

    सेवक शरण गही िजनवर की,सेवक शरण गही आतम की ।

    जनम-मरण दु:ख िमटा दो �भुजी ॥4॥

  • 🏠

    🏠

    अ�रहंत देव �ामी शरण अ�रहंत देव �ामी, शरण तेरी आए

    दुःख से ह� �ाकुल, कम� के सताए हम ॥टेक॥

    िनज कम� काट करके, आप िस� हो गए होतारण-तरण तु�ी हो, िजनवाणी बताए ॥१॥

    श�� है तुझम� ऐसी, कम� काटने कीछोड़कर तु�े हम, िकसकी शरण जाएं ॥२॥

    मझधार म� पड़ी है, �भुजी नाव मेरीभव-पार तुम लगा दो आस लेके आए ॥३॥

    तारा है तुमने उनको, िजसने भी पुकाराहम भी पुकारते ह�, तुझसे लौ लगाए ॥४॥

    अशरण जग म� चं�नाथ जी अशरण जग म� चं�नाथ जी ने सांचे शरण तुम ही हो ।

    भवसागर से पार लगाओ तारण तरण तुम ही हो ॥टेक॥

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  • 🏠

    दश�न पाकर अहो िजने�र मन म� अित उ�ास �आ देहािदक से िभ� आ�ा अंतर म� ��� �आ ॥

    आराधन की लगी लगन �भु परमादश� तुम ही हो ॥भव..१॥

    अद्भुत �भुता झलक रही है िनरख के �वा िनहाल म� र��य की मिहमा बरसे �वा सो मालामाल म�

    समता मई ही जीवन होवे �भु अवलंब तुम ही हो ॥भव..२॥

    मोह न आवे �ोभ ना आवे �ाता मा� र�ं म� अिवरल �ाऊँ िचत ��प को अ�य सौ� ल� म�

    हो िन�ाम वंदना �ामी मेरे सा� तुम ही हो ॥भव..३॥

    अशरीरी िस� भगवान (तज� :- ऐ मेरे िदले नादां)

    अशरीरी-िस� भगवान, आदश� तु�ी ंमेरेअिव�� शु� िचद्घन, उ�ष� तु�ी ंमेरे ॥टेक॥

    स�� सुदश�न �ान, अगु�लघु अवगाहनसू�� वीय� गुणखान, िनबा�िधत सुखवेदन ॥

    हे गुण! अन� के धाम, व�न अगिणत मेरे ॥१॥

  • 🏠

    रागािद रिहत िनम�ल, ज�ािद रिहत अिवकलकुल गो� रिहत िन�ुल, मायािद रिहत िन�ल ॥

    रहते िनज म� िन�ल, िन�म� सा� मेरे ॥२॥

    रागािद रिहत उपयोग, �ायक �ितभासी हो�ाि�त शा�त-सुख भोग, शु�ा�-िवलासी हो ॥हे �यं िस� भगवान, तुम सा� बनो मेरे ॥३॥

    भिवजन तुम-सम िनज-�प, �ाकर तुम-सम होतेचैत� िप� िशव-भूप, होकर सब दुख खोते ॥चैत�राज सुखखान, दुख दूर करो मेरे ॥४॥

    आओ िजनमंिदर म� आओ आओ िजन मंिदर म� आओ,�ी िजनवर के दश�न पाओ ।

    िजन शासन की मिहमा गाओ,आया-आया रे अवसर आन� का ॥टेक॥

    हे िजनवर तव शरण म�, सेवक आया आज ।िशवपुर पथ दरशाय के, दीजे िनज पद राज ॥

  • 🏠

    �भु अब शु�ातम बतलाओ,च�ँगित दु:ख से शी� छुड़ाओ िद�-�िन अमृत बरसाओ,

    आया-�ासा म� सेवक आन� का ॥१॥

    िजनवर दश�न कीिजए, आतम दश�न होय ।मोह महातम नािश के, �मण चतुग�ित खोय ॥

    शु�ातम को ल� बनाओ, िनम�ल भेद-�ान �कटाओ, अब िवषयो ंसे िच� हटाओ,

    पाओ-पाओ रे मारग िनवा�ण का ॥२॥

    िचदान� चैत�मय, शु�ातम को जान ।िनज ��प म� लीन हो, पाओ केवल�ान ॥

    नव केवल ल�� �कटाओ,िफर योगो ंको न� कराओ,

    अिवनाशी िस� पद को पाओ,आया-आया रे अवसर आन� का ॥३॥

    आगया शरण ितहारी आगया Copy

  • तज� : आएगा आने वाला, महल

    🏠

    आगया.. आगया... आगया...आगया शरण ितहारी आगया... आगया... आगया..

    सुनकर िबरद तु�ारा, तेरी शरण म� आयातुमसा न देव म��ने, कोई कही ंहै पायासव�� वीतरागी स�े िहतोपदेशक २

    दश�न से नाथ तेरे कटते ह� पाप बेशक ॥ आगया..॥

    चारो ंगित के दुख जो, म��ने भुगत िलये ह�तुमसे िछपे नही ंह�, जो जो करम िकये ह�

    अब तो जनम मरण की काटो हमारी फ़ांसी २वरना हंसेगी दुिनया, िबगडेगी बात खासी ॥ आगया..॥

    अंजन से चोर को भी, तुमने िकया िनरंजन�ीपाल कोिड की भी, काया बना दी कंचन

    म�ढक सा जीव भी जब, तेरे नाम से ितरा है २पंकज ये सोच तेरे, चरणो ंम� आ िगरा है ॥ आगया..॥

    आज म� महावीर जी

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  • 🏠

    आज म� महावीर जी आया तेरे दरबार म�,कब सुनाई होगी मेरी आपकी सरकार म� ।

    तेरी िकरपा से है माना लाखो ं�ाणी ितर गये ।�ो ंनही ंमेरी खबर लेते म� �ं मंझधार म� ।१।

    काट दो कम� को मेरे है ये इतनी आरजू ।हो रहा �ं �ार म� दुिनया के मायाचार म� ।२।

    आप का सुिमरन िकया जब मानतंुगाचाय� ने ।खुल गयी थी बेिडयां झट उनकी कारागार म� ।३।

    बन गया सूली से िसंहासन सुदश�न के िलये ।हो रहा गुणगान है उस सेठ का संसार म� ।४।

    मु��ल� आसान कर दो अपने भ�ो ंकी �भो ।यह िवनय पंकज की है बस आपके दरबार म� ।५।

    आज हम िजनराज आज हम िजनराज! तु�ारे �ारे आये ।

    हाँ जी हाँ हम, आये-आये ॥टेक॥

  • 🏠

    देखे देव जगत के सारे, एक नही ंमन भाये ।पु�-उदय से आज ितहारे, दश�न कर सुख पाये ॥१॥

    ज�-मरण िनत करते-करते, काल अन� गमाये ।अब तो �ामी ज�-मरण का, दु:खड़ा सहा न जाये ॥२॥

    भवसागर म� नाव हमारी, कब से गोता खाये ।तुमही �ामी हाथ बढ़ाकर, तारो तो ितर जाये ॥३॥

    अनुक�ा हो जाय आपकी, आकुलता िमट जाये ।’पंकज' की �भु यही वीनती, चरण-शरण िमल जाये ॥४॥

    आया कहां सेआया कहां से, कहां है जाना,

    ढंूढ ले िठकाना चेतन ढंूढ ले िठकाना ।

    इक िदन चेतन गोरा तन यह, िम�ी म� िमल जाएगा ।कुटु� कबीला पडा रहेगा, कोई बचा ना पायेगा ।नही ंचलेगा कोई बहाना...॥ ढंूढ ले िठकाना...।१।

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  • 🏠

    बाहर सुख को खोज रहा है, बनता �ो ंदीवाना रे ।आतम ही सुख खान है �ारे, इसको भूल ना जाना रे।सारे सुखो ंका ये है खजाना...॥ ढंूढ ले िठकाना… ।२।

    जब तक तन म� सांस रहेगी, सब तुझको अपनाय�गे ।जब न रह�गे �ाण जो तन म�, सब तुझसे घबराय�गे ।

    तुझको पडेगा �ारे है जाना...॥ ढंूढ ले िठकाना...।३।

    दौलत के दीवानो ंसुन लो, इक िदन ऐसा आयेगा ।धन दौलत और �प खजाना, पडा यही ंरह जायेगा ।क�ा लगायेगा सारा जमाना...॥ ढंूढ ले िठकाना...।४।

    गु�चरणो ंके �ान से चेतन, भवसागर ितर जायेगा ।स��श�न �ान से �ारे, दुख तेरा िमट जायेगा ।

    सारे सुखो ंका है ये खजाना...॥ ढंूढ ले िठकाना...।५।

    आया तेरे दरबार म�आया, आया, आया तेरे दरबार म� ि�शला के दुलारे

    अब तो लगा मझदार से यह नाव िकनारे ॥

    अथा संसार सागर म� फ़ंसी है नाव यह मेरी

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  • 🏠

    फ़ंसी है नाव यह मेरीताकत नही ंहै और जो पतवार संभारे ॥ अब तो...

    सदा तूफ़ान कम� का नचाता नाच है भारीनचाता नाच है भारी

    सहे दुख लाख चौरासी नही ंवो जाते उचारे ॥ अब तो...

    पितत पावन तरण तारण, तु�ी ंहो दीन दुख भ�जनतु�ी ंहो दीन दुख भ�जन

    िबगडी हजारो ंकी बनी है तेरे सहारे ॥ अब तो...

    तेरे दरबार म� आकर न खाली एक भी लौटान खाली एक भी लौटा

    मनोरथ पूर द� ’सौभा�’ देता ढोक तु�ारे ॥ अब तो...

    आये आये रे िजनंदा (तज� :- ढँूढ़ो ंढँूढ़ो ंरे साजना)

    आये-आये रे िजनंदा, आये रे िजनंदा, तोरी शरण म� आये,कैसे पावे....हो कैसे पावे, तु� हारे गुण गावे रे, मोह म� मारे-मारे,

    भव-भव म� गोते खाये, तोरी शरण म� आये,

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  • 🏠

    हो....आये-आये रे िजनंदा...........॥टेक॥

    जग झठेू से �ीत लगाई, पाप िकये मनमाने,सद᳭गु� वाणी कभी ना मानी, लागे �म रोग सुहाने ॥१॥

    आज मूल की भूल िमटी है, तव दश�न कर � वामी,त� चराचर लगे झलकने, घट-घट अ� तरयामी ॥२॥

    ज� म मरण रिहत पद पावन, तुम सा नाथ सुहाया,वो 'सौभा� य' िमले अब स� वर, मो� महल मन भाया ॥३॥

    आये तेरे �ार आये तेरे �ार सुन ले भ�ो ंकी पुकार

    ि�शला लाल रे ॥टेक॥

    कु�लपुर म� जनम िलयो तब, बजने लगी थी शहनाई,दीपावली को मु�� पाई तब मन म� सबके तहनाई,

    तुम पा गये मु�� धामहम भी पाय� िनज का धाम...ि�शला लाल रे ॥१॥

    सु�र �ा�ाद की सरगम, जब तुमने थी बरसाई,

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  • 🏠

    भ�जनो ंको आनंदकारी, अमृत धारा बरसाई,भिवजन तुमको िनजसम जान

    कर गये आतम का क�ाण...ि�शला लाल रे ॥२॥

    नीर �ीर सम तन चेतन को, िभ� सदा ही बताया है,िजन चेतन के दश�न पा, िनज चेतन दश�न पाया है,

    म� पाऊं िनज का धामवही स�ा िजन का धाम...ि�शला लाल रे ॥३॥

    आयो आयो रे हमारो आयो आयो रे हमारो बडो भाग, िक हम आये पूजन को,

    पूजन को �भु दश�न को, पावन �भु पद दश�न को ॥

    िजनवर की अंतमु�ख मु�ा आतम दश� कराती,मोह महातम ��ालन कर शु� ��प िदखाती ॥

    भ� अकृि�म चै�ालय की जग म� शोभा भारी,मंगल �ज ले सुरपित आये शोभा िजनकी �ारी ॥

    अनेकांत मय व�ु समझ िजन शासन �ज लहराव�,�ा�ाद शैली से �भुवर मु�� माग� समझाव� ॥

  • 🏠एक तु�ी ंआधार हो एक तु�ी ंआधार हो जग म�, ए मेरे भगवान ।

    िक तुमसा और नही ंबलवान ॥सँभल न पाया गोते खाया, तुम िबन हो हैरान.

    िक तुमसा और नही ंबलवान ॥टेक॥

    आया समय बड़ा सुखकारी, आतम-बोध कला िव�ारी ।म� चेतन, तन व�ुम�ारी, �यं चराचर झलकी सारी ॥

    िनज अ�र म� �ोित �ान की अ�यिनिध महान,िक तुमसा और नही ंबलवान ॥१॥

    दुिनया म� इक शरण िजनंदा, पाप-पु� का बुरा ये फंदा ।म� िशवभूप �प सुखकंदा, �ाता-��ा तुम-सा बंदा ॥मुझ कारज के कारण तुम हो, और नही ंमितमान,

    िक तुमसा और नही ंबलवान ॥२॥

    सहज �भाव भाव दरशाऊँ, पर प�रणित से िच� हटाऊँ ।पुिन-पुिन जग म� ज� न पाऊँ, िस�समान �यं बन जाऊँ ॥

    िचदान� चैत� �भु का है `सौभा�' �धान,िक तुमसा और नही ंबलवान ॥३॥

  • 🏠

    तज� : ओ बसंती पवन पागल, िजस देश म� गंगा बहती है

    🏠

    ओ जगत के शांित दाता

    ओ जगत के शा��दाता, शा�� िजने�र,जय हो तेरी॥टेक॥

    मोह माया म� फ़ंसा, तुझको भी पिहचाना नही ं�ान है ना �ान िदल म� धम� को जाना नही ं

    दो सहारा, मु��दाता, शा�� िजने�र,जय हो तेरी.....॥

    बनके सेवक हम खडे ह�, आज तेरे �ार पेहो कृपा िजनवर तो बेडा, पार हो संसार सेतेरे गुण �ामी म� गाता, शा�� िजने�र,

    जय हो तेरी.....॥

    िकसको म� अपना क�ं, कोई नजर आता नही ंइस जहां म� आप िबन कोई भी मन भाता नही ंतुम ही हो ि�भुवन िवधाता, शा�� िजने�र,

    जय हो तेरी.....॥

    कभी वीर बनकेी ी े ी े े

  • कभी वीर बनके महावीर बनके चले आना, दरस हम� दे जाना॥

    तुम ऋषभ �प म� आना, तुम अिजत �प म� आना।संभवनाथ बनके, अिभनंदन बनके चले आना॥

    दरस हम� दे जाना॥

    तुम सुमित �प म� आना, तुम पदम�प म� आना।सुपा��नाथ बनके चंदा�भु बनके चले आना॥

    दरस हम� दे जाना॥

    तुम पु� �प म� आना, शीतलनाथ �प म� आना।�ेयांसनाथ बनके वासुपू� बनके चले आना॥

    दरस हम� दे जाना॥

    तुम िवमल �प म� आना, तुम अनंत �प म� आना।धम�नाथ बनके शांितनाथ बनके चले आना॥

    दरस हम� दे जाना॥

    तुम कंुथु �प म� आना, अरहनाथ �प म� आना।म��नाथ बनके मुिनसु�त बनके चले आना॥

    दरस हम� दे जाना॥

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  • 🏠

    निमनाथ �प म� आना, नेिमनाथ �प म� आना॥पा��नाथ बनके व��मान बनके चले आना॥

    दरस हम� दे जाना॥

    कर लो िजनवर का गुणगान करलो िजनवर का गुणगान, आई मंगल घड़ी ।

    आई मंगल घड़ी, देखो मंगल घड़ी ।।करलो ॥१॥

    वीतराग का दश�न पूजन भव-भव को सुखकारी ।िजन �ितमा की �ारी छिवलख म� जाऊँ बिलहारी ॥२॥

    तीथ�कर सव�� िहतंकर महा मो� के दाता ।जो भी शरण आपकी आता, तुम सम ही बन जाता ॥३॥

    �भु दश�न से आत� रौ� प�रणाम नाश हो जाते ।धम� �ान म� मन लगता है, शु� �ान भी पाते ॥४॥

    स��श�न हो जाता है िम�ातम िमट जाता ।र��य की िद� श�� से कम� नाश हो जाता ॥५॥

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  • 🏠

    िनज ��प का दश�न होता, िनज की मिहमा आती ।िनज �भाव साधन के �ारा �गित तुरत िमल जाती ॥६॥

    करता �ं तु�ारा सुिमरनकरता �ँ तु�ारा सुमरण उ�ार करो जी,मंझधार म� �ँ अटका, बेडा पार करो जी,

    हे �रषभ िजनंदा, हे �रषभ िजनंदा ॥

    आया �ँ बड़ी आशा से तु�ारे दरबार म�,ना पाया कभी भी चेना, इस दुखमय संसार म�,

    देते ह� कम� दुःख इनका, संहार करो जी॥

    करता �ँ चरण ��ालन, आरितयाँ उता�ं,शत शत म� क�ं पड़ वंदन, तन मन ह� सभी वा�ँ,

    पद म� हो िठकाना मेरा, तरण तार करो जी॥

    जल, चंदन, अ�त, उ�वल,ये सुमन च� लीन,ये दीप धुप फल सभी �भु अरपन है कीने,

    मल पाप छुडा कर तुमसा, अिवकार करो जी॥

    नािभ राजा के नंदन, म� देवी दुलारे,

    ो � ो े े

  • 🏠

    आए जो शरण म� उनको �भु आपने तारे,िशव तक प�ंचा कर मुझको, उपकार करो जी॥

    क�णा सागर भगवानक�णा सागर भगवान, भव पार लगा देना।तूफ़ां है ब�त भारी, मेरी नाव बचा देना।

    मोही बनकर म��ने अब तक जीवन खोया।अपने ही हाथो ंसे काटो ंका बीज बोया।

    अब शरण तेरी आया, दुख जाल हटा देना।क�णा सागर भगवान...

    मैsने च�ंगितयो ंम� ब� क� उठाया है।लख चौरासी िफ़रते सुख चैन न पाया है।दु�खया �ं भटक रहा �भु लाज बचा देना।

    क�णा सागर भगवान...

    भगवन तेरी भ�� से संकट टल जाते ह�।अ�ान ितिमर िमटता सुख अमृत पाते ह�।चरणो ंम� खडा �भुजी मुझे राह बता देना।

    क�णा सागर भगवान...

  • 🏠केस�रया केस�रयाकेस�रया, केस�रया, आज हमारो मन केस�रया॥

    तन केस�रया, मन केस�रया, पूजा के चावल केस�रया।भ�� म� हम सब केस�रया॥ केस�रया...॥

    हम केस�रया, तुम केस�रया, अ� �� सब ह� केस�रया।मंिदर की है �जा केस�रया, भ�� म� हम सब केस�रया॥

    केस�रया...॥

    इ� केस�रया, इ�ािण केस�रया, िस�ो ंकी पूजन केस�रया।पूजा के सब भाव केस�रया, भ�� म� हम सब केस�रया॥

    केस�रया...॥

    वीर �भु की वाणी केस�रया, अिहंसा परमो धम� केस�रया।जीयो जीने दो केस�रया, भ�� म� हम सब केस�रया॥

    केस�रया...॥

    पीछी केस�रया, कम�ल केस�रया, िदग�र साधु भी केस�रया।शत शत वंदन है केस�रया, भ�� म� हम सब केस�रया॥

    केस�रया...॥

  • 🏠

    तज� : �ार म� होता है �ा जादू

    चाँद सी महबूबा हो मेरे कब

    �िण�म रथ देखो केस�रया, �ण� वरण �भुजी केस�रया।छ� चंवर �ज सब केस�रया, भ�� म� हम सब केस�रया॥

    केस�रया...॥

    कैसी सु�र िजन �ितमा

    कैसी सु�र िजन �ितमा है, कैसा संुदर है िजन �प ।िजसे देखते सहज दीखता, सबसे संुदर आ���प ॥

    न� िदग�र नही ंआड�र, �ाभािवक है शांत ��प ।नही ंआयुध नही ंव�ाभूषण, नही ंसंग नारी दुःख �प ॥१॥

    िबन �ंृगार सहज ही सोहे, ि�भुवन मािह अितशय �प ।कायो�ग� दशा अिवकारी, नासा �ि� आनंद�प ॥२॥

    अह�त �भु की याद िदलाती, दशा�ती अपना �भु �प ।िबन बोले ही �गट कर रही, मु��माग� अ�य सुख�प ॥३॥

    िजसे देखते सहज नशावे, भव-भव के दु�म� िव�प ।

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  • 🏠

    भावो ंम� िनम�लता आवे, मानो �ए �यं िजन�प ॥४॥

    महाभा� से दश�न पाया, पाया भेद-िव�ान अनूप ।चरणो ंम� हम शीश नवाव�, प�रणित होवे सा���प ॥५॥

    कोई इत आओ जीकोई इत आओ जी, वीतराग �ाओ जी,िजनगुण की आरती संजोय लाओ जी॥

    दया का हो दीपक, �मा की हो �ोत,तेल स� संयम म�, �ान का उ�ोत,

    मोहतम नशाओ जी, वीतराग �ाओ जी॥

    संयम की आरती म�, समिकत सुगंध,दश� �ान चा�र� की, �दय म� उमंग,

    भेद �ान पाओ जी, वीतराग �ाओ जी॥

    िनर-तन को पाय कर, भूलयो मती,बन जा िदग�र, महा�त यती,

    भावना ये भावो जी, वीतराग �ाओ जी॥

    ि ी ी � ी

  • 🏠

    िजनगुण की आरती म�, �ान की कला,भव भव के लागे सब, कम� लो गला,

    भव�मण िमटाओ जी, वीतराग �ाओ जी॥

    गा रे भैया गा रे भैया, गा रे भैया, गा रे भैया गा,

    �भु गुण गा तू समय ना गवां॥

    िकसको समझे अपना �ारे, �ारथ के ह� �र�े सारेिफ़र �ो ं�ीत लगाये, ओ भैया जी ॥गा रे भैया...॥

    दुिनयां के सब लोग िनराले, बाहर उजले अंदर कालेिफ़र �ो ंमोह बढाये, ओ बाबू जी ॥गा रे भैया...॥

    िम�ी की यह न�र काया, िजसम� आतम राम समायाउसका �ान लगा ले, ओ दादा जी ॥गा रे भैया...॥

    �ारथ की दुिनयां को तजकर, िनश िदन �भु का नाम जपाकरसमय�श�न पाले, ओ काका जी ॥गा रे भैया...॥

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    तज� : माई री माई

    शु�ातम को ल� बनाकर, िनम�ल भेद�ान �गटाकरमु�� वधू को पाले, ओ लाला जी ॥गा रे भैया...॥

    गाएँ जी गाएँ आिदनाथ

    गाएँ जी गाएँ आिदनाथ की, आरित मंगल गाएँिवशद भाव से आरित करके, मन म� अित हषा�एँ

    िजनवर के चरणो ंम� नमन, �भुवर के चरणो ंम� नमन

    �ग� लोक से चय करके �भु, माँ के उर म� आएदेवो ंने खुश होकर अनुपम, िद� रतन बरसाए

    िचर िन�ा म� म�देवी को, सोलह �� िदखाए ॥िवशद॥

    भोग-भूिम के अ� समय म�, तुमने ज� िलया हैनािभराय अ� म�देवी का, जीवन ध� िकया है

    नगर अयो�ा ज� िलया है, ऋषभ िच� को पाए ॥िवशद॥

    सौधम� इं� ने ऋषभ िच� लख, वृषभ नाम बतलायाषट्कम� का भावी जीवो ंको, �भु स�ेश सुनाया

    नीलांजना की मृ�ु देखकर, �भु वैरा� जगाए ॥िवशद॥

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    चार घाितया कम� नाशकर केवल-�ान जगायाभव-सागर का अ� िकया �भु, िशव-रमणी को पायामानतंुग जी भ�� करके, भ�ामर जी गाए ॥िवशद॥

    घडी घडी पल पल घिड़-घिड़ पल-पल िछन-िछन िनशिदन,

    �भुजी का सुिमरन करले रे ॥

    �भु सुिमरेत� पाप कटत ह�, जनममरनदुख हरले रे ॥१॥

    मनवचकाय लगाय चरन िचत, �ान िहये िवच धर ले रे ॥२॥

    `दौलतराम' धम�नौका चिढ़, भवसागर त� ितर ले रे ॥३॥

    चं�ानन च�ानन िजन च�नाथ के, चरन चतुर-िचत �ावतुमह� ।

    कम�-च�-चकचूर िचदातम, िचनमूरत पद पावतुमह� ॥टेक॥

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    हाहा-��-नारद-तंुबर, जासु अमल जस गावतुमह� ।प�ा सची िशवा �ामािदक, करधर बीन बजावतुमह� ॥

    िबन इ�ा उपदेश मािहं िहत, अिहत जगत दरसावतुमह� ।जा पदतट सुर नर मुिन घट िचर, िवकट िवमोह नशावतुमह� ॥

    जाकी च� बरन तनदुितसो,ं कोिटक सूर िछपावतुमह� ।आतमजोत उदोतमािहं सब, �ेय अनंत िदपावतुमह� ॥

    िन�-उदय अकलंक अछीन सु, मुिन-उडु-िच� रमावतुमह� ।जाकी �ानच��का लोका-लोक मािहं न समावतुमह� ॥

    सा�िसंधु-व��न जगनंदन, को िशर ह�रगन नावतुमह� ।संशय िव�म मोह `दौल' के, हर जो जगभरमावतुमह� ॥

    चरणो ंम� आया �ंचरणो ंम� आया �ं, उ�ार िजनंद कर दो।

    िनज रीित िनभाकर के, उपकार िजनंद कर दो॥

    संसार की न�रता, म��ने अब जानी है,

    ी ी ी ि ी ै

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    मंगलकारी जब ही, सुनी िजनवर वाणी है।चा�र� की नाव चढा, भवपार िजनंद कर दो॥ िनज...॥

    ना चाहत भोगो ंकी, ना जग का कोई बंधन,गर �ान क�ं कोई, तो देखंू केवल िजन।

    तम दूर हटा मन का, उिजयार िजनंद कर दो॥ िनज...॥

    कम� ने जनम जनम, मेरा पीछा नही ंछोडा,भरमाया यंूही �भू से, नाता ना कभी जोडा।

    क�णा कर अब इनसे, िन�ार िजनंद कर दो॥ िनज...॥

    चवले�र पारसनाथचँवले�र पारसनाथ , �ारी नैया पार लगाजो

    �� सुन सुन अितशय सारा , आया दश�न िहत सारा।होजी �ाने पार करो मंझधार , �ारी नैया पार लगाजो ॥

    ऊंचा पव�त गहरी झाडी , नीचे बह रही निदयां भारी।होजी थांका दश�न पर बिलहार , �ारी नैया पार लगाजो ॥

    थे िचंतामिण रतन कहावो , दु�खया रा दुख िमटाओ।

    े ोि ी ै ो

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    �ाके अंतर �ोित जगार , �ारी नैया पार लगाजो ॥

    तोडी मान कमठ की माला , �ारा नाग नािगन काला।बन गया देव कृपा तब धार , �ारी नैया पार लगाजो ॥

    �� भी अजयमे�ं संु आया , थांका दश�न कर हरषाया।जावां दश�न पर बिलहार �ारी नैया पार लगाजो ॥

    थांको नाम मं� जो �ावे , �ाकां सगला दुख िमट जावे।�गटे शील आ�बल सार , �ारी नैया पार लगाजो ॥

    चाह मुझे है दश�न की चाह मुझे है दश�न की, �भु के चरण �श�न की ॥टेक॥

    वीतराग-छिव �ारी है, जगजन को मनहारी है ।मूरत मेरे भगवन की, वीर के चरण �श�न की ॥१॥

    कुछ भी नही ं�ंृगार िकये, हाथ नही ंहिथयार िलये ।फौज भगाई कम�न की, �भु के चरण �श�न की ॥२॥

    समता पाठ पढ़ाती है, �ान की याद िदलाती है ।

    ि ो ी े � ी

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    नासा�ि� लखो इनकी, �भु के चरण �श�न की ॥३॥

    हाथ पे हाथ धरे ऐसे, करना कुछ न रहा जैसे ।देख दशा प�ासन की, वीर के चरण �श�न की ॥४॥

    जो िशव-आन� चाहो तुम, इन-सा �ान लगाओ तुम ।िवपत हरे भव-भटकन की, �भु के चरण �श�न की ॥५॥

    छोटा सा मंिदरछोटा सा मंिदर बनाय�गे, वीर गुण आय�गे।

    वीर गुण गाय�गे, महावीर गुण गाय�ग�॥

    कंधो ंपे लेके चांदी की पालकी, �भु जी का िवहार कराय�ग�।

    हाथो ंम� लेकर सोने के कलशा, �भुजी का �वन कराय�गे।

    हाथो ंम� लेकर �� की थाली, पूजन िवधान रचाय�गे।

    हाथो ंम� लेकर ताल-मजीरा, �भुजी की भ�� रचाय�गे।

    हाथो ंम� लेकर �ी िजनवाणी, पढ�ग� और सबको पढाय�गे।

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    ��ा म� लेकर व�ु��प, आतम का अनुभव कराय�गे।

    चा�र� म� लेकर शु�ोपयोग, मु��पुरी को जाय�ग�।

    जगदानंदन जगदानंदन िजन अिभनंदन, पदअरिवंद नमंू म� तेरे ॥टेक॥

    अ�णवरन अघताप हरन वर, िवतरन कुशल सु शरन बडेरे ।प�ासदन मदन-मद-भंजन, रंजन मुिनजन मन अिलकेरे ॥

    ये गुन सुन म� शरनै आयो, मोिह मोह दुख देत घनेरे ।ता मदभानन �पर िपछानन, तुम िवन आन न कारन हेरे ॥

    तुम पदशरण गही िजनत� ते, जामन-जरा-मरन-िनरवेरे ।तुमत� िवमुख भये शठ ितनको, च�ँ गित िवपत महािविध पेरे ॥

    तुमरे अिमत सुगुन �ानािदक, सतत मुिदत गनराज उगेरे ।लहत न िमत म� पितत कहो ंिकम,िकन शशकन िग�रराज उखेरे ॥

    तुम िबन राग दोष दप�न�ो,ं िनज िनज भाव फल� ितनकेरे ।

    ो ी ि े े

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    तुम हो सहज जगत उपकारी, िशवपथ-सारथवाह भलेरे ॥

    तुम दयाल बेहाल ब�त हम, काल-कराल �ाल-िचर-घेरे ।भाल नाय गुणमाल जपो ंतुम, हे दयाल, दुखटाल सबेरे ॥

    तुम ब� पितत सुपावन कीने, �ो ंन हरो भव संकट ।�म-उपािध हर शम समािधकर, `दौल' भये तुमरे अब चेरे ॥

    जिप माला िजनवर जिप माला िजनवर नाम की ।

    भजन सुधारससो ंनिहं धोई, सो रसना िकस काम की ॥टेक॥

    सुमरन सार और सब िम�ा, पटतर धंूवा नाम की ।िवषम कमान समान िवषय सुख, काय कोथली चाम की ॥१॥

    जैसे िच�-नाग के मांथै, िथर मूरित िच�ाम की ।िचत आ�ढ़ करो �भु ऐसे, खोय गंुडी प�रनाम की ॥२॥

    कम� बै�र अहिनिश छल जोव�, सुिध न परत पल जाम की ।'भूधर' कैस� बनत िवसार� , रटना पूरन राम की ॥३॥

  • 🏠जब कोई नही ंआताजब कोई नही ंआता मेरे बाबा आते है...(२)

    मेरे दुःख के िदनो ंम� वो बड़े काम आते है...(२)

    मेरी नैयाँ चलती है, पतवार नही ंचलती,िकसी और की अब मुझको, दरकार नही ंहोती,म� डरता नही ंजग से जब बाबा साथ म� है...(२)मेरे दुःख के िदनो ंम� वो बड़े काम आते है...(२)

    जो याद कर� उनको दुःख हलका हो जाये,जो भ�� करे उनकी वे उनके हो जाये,

    ये िबन बोले कुछ भी पहचान जाते है...(२)मेरे दुःख के िदनो ंम� वो बड़े काम आते है...(२)

    ये इतने बड़े होकर भ�ो ंसे �ार करेअपने भ�ो ंके दुःख पलभर म� दूर करे

    सब भ�ो का कहना �भु मान जाते है...(२)मेरे दुःख के िदनो ंम� वो बड़े काम आते है...(२)

    मेरे मन के मंिदर म� बाबा का वास रहेकोइ पास रहे न रहे बाबा मेरे पास रहे

    े े ो े े ै

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    मेरे �ाकुल मन को ये जान जाते है...(२)मेरे दुःख के िदनो ंम� वो बड़े काम आते है...(२)

    जय जय जय िजनवर जी मेरी (तज� : हाय हाय ये मजबूरी - रोटी कपड़ा और मकान )

    जय जय जय िजनवर जी मेरी तुमसे है एक अरजी,मेरा अ� समय जब आये,

    सब ओर से मन हट जाये, तु�ारे चरणो ंिचत लग जाये,जय जय जय िजनवर जी ॥टेक॥

    िकतने ही युग बीत गये...भव ब�न कट नही ंजाये,कौन चूक हो गई ऐसी जो अब तक गोते खाये ,

    करो कृपा तारो भगवन् , यह दास भटक नही ंजाये,सब ओर से मन हट जाये , तु�ारे चरणो ंिचत लग जाये ॥१॥

    तव भ� से लाखो ंजन के िबगड़े काज सरे ह�,म� अ�ानी �ा बतलाऊँ आगम िलखे पड़े ह�,एक बार िमल जाऊँ तुमसे ऐसा कुछ हो जाये,

    सब ओर से मन हट जाये तु�ारे चरणो ंिचत लग जाये ॥२॥

    ी े ी ी ँ

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    जी भर गया जगत से �ामी बस इतना ही चा�ँ,तुम सुमरन करते करते म� मरन समािध पाऊँ,'पंकज' मोह माया का पदा� आँखो ंसे हट जाये,

    सब ओर से मन हट जाये तु�ारे चरणो िचत लग जाये ॥३॥

    जयवंतो िजनिब�जयव�ो िजनिब� जगत म�, िजन देखत िनज पाया है॥

    वीतरागता ल�ख �भुजी की, िवषय दाह िवनशाया है।�गट भयो संतोष महागुण, मन िथरता म� आया है॥

    अितशय �ान षरासन पै ध�र, शु� �ान शरवाया है।हािन मोह अ�र चंड चौकडी, �ानािदक उपजाया है॥

    वसुिविध अ�र हर कर िशवथानक, िथर��प ठहराया है।सो ��प �िच �यंिस� �भु, �ान�प मनभाया है॥

    य�िप अिचत तदिप चेतन को, िचत��प िदखलाया है।कृ� कृ� िजने�र �ितमा, पूजनीय गु� गाया है॥

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    तज� : दीवाना म�ाना �आ िदल

    जहाँ महावीर ने ज� जहाँ महावीर ने ज� िलया, म� गीत वहां के गाता �ँ ।

    िजसका कण-कण पावन है, म� उस भू को शीश नवाता �ँ ॥

    थी चेत सुिध तेरस महान, अवत�रत धरा पर वीर �आ ।भूम�ल पर छा गयी शांित, जब महावीर का ज� �आ ।इस पावन भू की मिहमा सुन, म� रोज-रोज हषा�ता �ँ ॥१॥

    िस�ाथ� िपता का नौिनहाल, जग की आँखो ंका तारा था ।ि�शला माँ के िदल से पूछो वो उनका राज दुलारा था ।

    उस वीर �भु की मिहमा सुन, म� िनत-िनत शीश झुकता �ँ ॥२॥

    तुम िजयो सभी को जीने दो, था धम� यही जो बतलाया ।िहंसा से मु�� नही ंिमलती, ये सबके िदल म� ठहराया ।उस वीर �भु की पूजा म�, ��ा के सुमन चढ़ाता �ँ ॥३॥

    िजन �ाना गुण गाना

    प म ग म रे ग, प म ग म आssसा िन ध प म ग रे सा िन िन िन ...िजन �ाना गुण गाना �आ जब

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    जीवन म� है मेरे बहार आई

    होs मन ये मेरा �आ मतवालापी के �भु नाम का �ाला

    आन िमले सुख नाना .. ॥िजन..॥

    होs िजस दम सुने �भु के वचननऐसा लगा िमले जैसे रतनन

    लाल भरा है खजाना ... ॥िजन..॥

    होs पूजन रची िवमल बना है मनपाके �भु सफल �आ जीवन

    आतम को पहचाना .. ॥िजन..॥

    िजन पूजन कर लो ये ही (तज� :- पायो जी म��ने रामरतन धन पायो)

    िजन पूजन कर लो, ये ही जगत म� सार ॥टेक॥

    बड़ा पु� य अवसर ये आया, �ी िजनवर का दश�न पाया,िजन भ�� कर लो, ये ही जगत म� सार ॥िजन...१॥

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    बड़ा पु� य अवसर यह आया, िजनगु� का उपदेश सुहाया,उपदेश सु सुन लो, ये ही जगत म� सार ॥िजन...२॥

    बड़ा पु� य अवसर यह आया, दुल�भ मनुज तन उ�म पाया,�त संयम धर लो, ये ही जगत म� सार ॥िजन...३॥

    बड़ा पु� य अवसर यह आया, साधम� जन मेला पाया,त�चचा� कुछ कर लो, ये ही जगत म� सार ॥िजन...४॥

    बड़ा पु� य अवसर यह आया, �ी दसल�ण पव� सुहाया, 'िनज धम� समझ लो', ये ही जगत म� सार ॥िजन...५॥

    िजनवर आनन भान िजनवर-आनन-भान िनहारत, �मतम घान नसाया है ॥टेक॥

    वचन-िकरन-�सरनत� भिवजन, मनसरोज सरसाया है ।भवदुखकारन सुखिवसतारन, कुपथ सुपथ दरसाया है ॥१॥

    िवनसाई कज जलसरसाई, िनिशचर समर दुराया है ।त�र �बल कषाय पलाये, िजन धनबोध चुराया है ॥२॥

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    ल�खयत उडुग न कुभाव क�ँ अब, मोह उलूक लजाया है ।हँस कोक को शोक न�ो िनज, परनितचकवी पाया है ॥३॥

    कम�बंध-कजकोप बंधे िचर, भिव-अिल मंुचन पाया है ।`दौल' उजास िनजातम अनुभव,उर जग अ�र छाया है ॥४॥

    िजनवर की वाणी म� � हारो (तज� :- चलो चलो रे ड� ाइवर गाड़ी)

    िजनवर की वाणी म� � हारो मन डोले,�भु की भ�� म� � हारो मन डोले,

    करो-करो रे �भु की पूजन होले-होले ॥टेक॥

    थारा दश�न के कारण म� बड़ी दूर से आया,सुन-सुन थारी मिहमा म� तो, दौड़ा-दौड़ा आया,करो-करो रे-२, �भु के दश�न होले होले ॥१॥

    थारा रंग म� रंगी चुन�रया, दूजा रंग नही ंलागे,थारे रंग म� ऐसा डूबा, सारी दुिनया आवे,

    गावो-गावो रे-२, �भु के गुण होले होले ॥२॥

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    िजनमंिदर म� सब नर-नारी, थारा ही गुण गावे,तन से, मन से, तेरी भ��, करके पु� य कमावे,नाचो-नाचो रे-२, �भु के आगे होले होले ॥३॥

    िजनवर की होवे जय जयकार (तज� :- झीनी-झीनी उड़े रे गुलाल)

    िजनवर की होवे जय-जयकार, चलो रे िजन-मंिदर म�,�भुजी की होवे जय-जयकार, चलो रे िजन-मंिदर म� ॥टेक॥

    मंिदर म� मेरे िजनराज िवराजे, मंिदर म� मेरे तीथ�कर िवराजे,िजनकी पूजा करने आये, पूजन भ�� कर सुख पाये,

    देखत ही हष� अपार रे, चलो रे िजन मंिदर म� ॥१॥

    �भुजी से नाता हमने जोड़ा, िस�ो ंसे नाता हमने जोड़ा,धम� से नाता हमने जोड़ा, कम� से नाता हमने तोड़ा,जीवन म� आई बहार, चलो रे िजन मंिदर म� ॥२॥

    िनज आतम से नाता जोड़ा, चार कषायो ंसे नाता तोड़ा,

    ो े ो

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    आ� म �भु का शरणा पाया, सब पापो ंसे आ�य छोड़ा,हो जावे भव से पार, चलो रे िजन मंिदर म� ॥३॥

    िजनवर तू है चंदा तो (तज� : सावन का मिहना पवन करे शोर - िमलन)

    िजनवर तू है चंदा तो म� �ँ चकोर ।दश�न तेरे पाकर मेरा झमू उठा मन मोर ॥टेक॥

    अ� कम� को तूने मार भगाया,अ�ािनयो ंको तूने, �ान िसखाया,

    कम� का तेरे आगे, चले ना कोई जोर,दश�न तेरे पाकर मेरा झमू उठा मन मोर ॥१ िजन..॥

    नैया �खवैया तू है, लाज बचैया,िकनारे लगादे मेरी भटकी है नैया,मांझी तू है मेरा, स�ालो मेरी डोर,

    दश�न तेरे पाकर, मेरा झमू उठा मन मोर ॥२ िजन..॥

    आया है िजनवर जो भी तेरी शरणवा,छिव तेरी पाकर उसका, खोया है मनवा,

    ि ी � ी े ि ो

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    तज� : सूरज कब दूर गगन से

    िवनती म� भी करता, तू सुन ले िचतचोर,दश�न तेरे पाकर मेरा झमू उठा मन मोर ॥३ िजन..॥

    िजनवर दरबार तु�ारा

    िजनवर दरबार तु�ारा, �ग� से �ादा �ारा ।वीतराग मु�ा से प�रणामो ंम� उिजयारा ।

    ऐसा तो हमारा भगवन है, चरणो ंम� समिप�त जीवन है ॥

    समवसरण के अंदर, �ण� कमल पर आसन,चार चतु�य धारी, बैठे हो प�ासन ।

    प�रणामो ंम� िनम�लता, तुमको लखने से आये,िफ़र वीतरागता बढती, जो िजनवर दश�न पाये ॥

    ऐसा तो हमारा...

    �ैलो� झलकता भगवन, कैव� कला म�,तीनो ंही कालो ंम� कब �ा होगा कैसे ।

    जग के सारे �ेयो ंको, तुम एक समय म� जानो,िनज म� ही त�य रहते, उनको न अपना मानो ॥

    ऐसा तो हमारा...

    ि ि े ो � �

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    िद��िन के �ारा, मो� माग� दशा�या,�भु अवलंबन लेकर, म��ने भी िनजपद पाया ।म� भी तुमसा बनने को, अब भेद�ान �गटाऊं,

    िनज प�रणित म� ही रमकर, अब स�कदश�न पाऊं ॥ऐसा तो हमारा...

    झीनी झीनी उडे रे झीनी झीनी उडे रे गुलाल, चालो रे मंद�रया म� ।

    चालो रे मं�