सार्थशिवताण्डवस्तोत्रम्

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|| ससससससससससससससससससससससस || || सससससससससस ससस || सससससस-सससससस-सससससस-ससससस-ससससस ससससस-सससससस-सससससससस-सससससस-ससससस-सससससससस सससससससससससससस-सससससससस-ससससससससस सससस-सससससससससससस-ससससस-सस सससस ससससस .. .. ससस ससस सस सस ससस सससससस सस सस सससससससस सस सससस सस सस सससससस सससस ससस सस सससससससससस स सससस ससस, ससससस ससस ससस ससस ससस ससससस सससससस सस सससससस ससस सससस ससस, ससस सस ससस सस सस-सस सससस ससस सस ससससससस सससससस सससस ससस, सस ससससस ससससस सससससस सससस ससस-ससस-ससस-सससससससससससस-ससससस-ससससससस- -ससससससस-सससससससस-सससससससस-ससससससस . सससससससससस-सससससस-सससससस-सससस-ससससस सससससससससससससससस सससस सससससससससस सस .. .. ससस ससस सस सस ससससस ससस सससससस सस ससससस सससससस ससससस सस ससस सससस सससस सस सससस सससस ससस सस सससस सससस ससस, ससससस ससससस सस ससससस सस ससससससस ससससससससस ससस-ससस सससस ससससससससस सस सससस ससस, सस ससस ससससससस सस ससससससस ससससस ससस सससस ससससससस ससससससससस सससस ससस ससस-सससससससस-ससससससससससस-ससससस-सससससस ससससस-सससससससस-सससससससससससस-ससस-ससससस . सससस-सससससस-ससससस-ससससससस-सससससससससस ससससस-सससससससससस-ससस ससससससससस ससससससस .. ..

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सार्थशिवताण्डवस्तोत्रम्

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Page 1: सार्थशिवताण्डवस्तोत्रम्

||सा�र्थ�शि�वता�ण्डवस्ता�त्रम्� ||

||श्री�गणे���य नम्� ||

जटा�टाव�-गलज्जल-प्रव�ह-पा�विवता-स्थल�

गल�ऽव-लम्ब्य-लम्बिम्%ता�&-भु(जङ्ग-ता(ङ्ग-म्�शिलका�म्� 

डम्ड्डम्ड्डम्ड्डम्-न्नि-न�दव-ड्डम्व�य&

चका�र-चण्ड�ता�ण्डव&-तान�ता(-न� शि�व� शि�वम्� .. १..

जिजन शि�व ज� का3 साघन जटा�रूपा वन सा� प्रव�विहता ह� ग&ग� ज� का3 धा�र�य& उनका� का& ठ का� प्रक्षा�शिलता का ह�ता� ह:, जिजनका� गल� म्; %ड� एव&

लम्%� सापा= का3 म्�ल�ए& लटाका रह> ह:, तार्थ� ज� शि�व ज� डम्-डम् डम्रू %ज� कार प्रचण्ड ता�ण्डव कारता� ह:, व� शि�वज� हम्�र� काल्य�न

कार;

जटा�-काटा�-हसा&-भ्रम्भ्रम्न्नि--शिलम्प-विनर्झ�र�-

-विवल�लव�-शिचवल्लर�-विवर�जम्�न-म्Cधा�विन .

धागद्धगद्धग-ज्ज्वल-ल्लल�टा-पाट्ट-पा�वका�

विका��रचन्द्र��खर� रविता� प्रविताक्षाणे& म्म् .. २..

जिजन शि�व ज� का� जटा�ओं म्; अविताव�ग सा� विवल�सा पा(व�का भ्रम्णे कार रह� द�व� ग&ग� का3 लहर� उनका� शि�� पार लहर� रह> ह:, जिजनका� म्स्ताका

पार अग्निNन का3 प्रचण्ड ज्व�ल�य; धाधाका-धाधाका कारका� प्रज्वशिलता ह� रह> ह:, उन %�ल च&द्रम्� सा� विवभुCविOता शि�वज� म्; म्�र� अ&न(र�ग प्रविताक्षाणे

%ढता� रह�।

धार�-धार�न्द्र-न&दिदन�विवल�सा-%न्धु(-%न्धु(र

स्फु( र-दिUगन्ता-सान्ताविताप्रम्�द-म्�न-म्�नसा� .

काV पा�-काटा�क्षा-धा�रणे�-विनरुद्ध-दुधा�र�पादिद

क्वशिच-दिUगम्%र�-म्न� विवन�दम्�ता( वस्ता(विन .. ३..

ज� पाव�तार�जसा(ता�(पा�व�ता� ज�) का� अ विवल�साम्य रम्णिणेय काटा�क्षा\ म्; पारम् आनजिन्दता शिचत्त रहता� ह:, जिजनका� म्स्ताका म्; साम्पCणे� साVन्नि_ एव&

प्र�णे�गणे व�सा कारता� ह:, तार्थ� जिजनका� काV पा�दृन्नि_ म्�त्र सा� भुक्तों\ का3 साम्स्ता विवपाणित्तय�& दूर ह� ज�ता� ह:, ऐसा� दिदगम्%र (आका�� का� वस्त्र

सा�म्�न धा�रणे कारन� व�ल�) शि�वज� का3 आर�धान� सा� म्�र� शिचत्त साव�द� आजिन्दता रह�।

जटा�-भु(जङ्ग-विपाङ्गल-स्फु( रत्फणे�-म्णिणेप्रभु�

कादम्%-का( ङ्�का( म्-द्रवप्रशिलप्ता-दिदNव-धाCम्(ख� 

म्द�न्धु-शिसान्धु(र-स्फु( रत्त्व-ग(त्तर�-यम्�-दुर�

म्न� विवन�दम्द्भुjता&-वि%भुता(�-भुCताभुता�रिर .. ४..

म्: उन शि�वज� का3 भुशिक्तों म्; आजिन्दता रहूँn ज� साभु� प्र�णिणेय\ का3 का� आधा�र एव& रक्षाका ह:, जिजनका� ज�टा�ओं म्; शिलपाटा� सापा= का� फणे का3

म्णिणेय\ का� प्रका�� पा�ल� वणे� प्रभु�-साम्(हरूपाका� सार का� का�तिंताp सा� दिद��ओं का� प्रका�शि�ता कारता� ह: और ज� गजचम्� सा� विवभु(विOता ह:।

साहस्रल�चनप्रभुVत्य-��O-ल�ख-��खर

Page 2: सार्थशिवताण्डवस्तोत्रम्

प्रसाCन-धाCशिल-धा�रणे�-विवधाC-सार�ङ्� न्निs-पा�ठभुC� 

भु(जङ्गर�ज-म्�लय�-विन%द्ध-ज�टाजCटाका:

णिश्रीयt-शिचर�य-ज�यता�& चका�र-%न्धु(-��खर� .. ५..

जिजन शि�व ज� का� चरणे इन्द्र-विवष्णे( आदिद द�वता�ओं का� म्स्ताका का� पा(ष्पा\ का� धाCल सा� र&जिजता ह: (जिजन्ह� द�वता�गणे अपान� सार का� पा(ष्पा अपा�न

कारता� ह:), जिजनका3 जटा� पार ल�ल सापा� विवर�जम्�न हt, व� चन्द्र��खर हम्; शिचरका�ल का� शिलए साम्पद� द;।

लल�टा-चत्वर-ज्वलद्धनञ्जय-स्फु( शिलङ्गभु�-

विनपा�ता-पाञ्च-सा�यका& -नम्न्नि--शिलम्प-न�यकाम्� 

सा(धा�-म्यCख-ल�खय�-विवर�जम्�न-��खर&

म्ह�कापा�शिल-साम्पद�-शि�र�-जटा�ल-म्स्ता(न�.. ६..

जिजन शि�व ज� न� इन्द्र�दिद द�वता�ओं का� गव� दहन कारता� हुए, का�म्द�व का� अपान� विव��ल म्स्ताका का3 अग्निNन ज्व�ल� सा� भुस्म् कार दिदय�,

तार्थ� ज� साणिभु द�व\ द्वा�र� पा(ज्य ह:, तार्थ� चन्द्रम्� और ग&ग� द्वा�र� सा(��णिभुता ह:, व� म्(र्झ� शिसाU} प्रद�न कार;।

कार�ल-भु�ल-पादिट्टका�-धागद्धगद्धग-ज्ज्वल

द्धनञ्ज-य�हुता�काV ता-प्रचण्डपाञ्च-सा�यका�  

धार�-धार�न्द्र-नजिन्दन�-का( च�ग्रशिचत्र-पात्रका

-प्रकाल्पा-नtकाशि�ल्पिल्पाविन-वित्रल�चन�-रविताम्�म् … ७..

जिजनका� म्स्ताका सा� धाका-धाका कारता� प्रचण्ड ज्व�ल� न� का�म्द�व का� भुस्म् कार दिदय� तार्थ� ज� शि�व पा�व�ता� ज� का� स्तान का� अग्र भु�ग पार

शिचत्रका�र� कारन� म्; अविता चता(र हt ( यह�n पा�व�ता� प्रकाV विता ह:, तार्थ� शिचत्रका�र� साVजन हt), उन शि�व ज� म्; म्�र� प्र�विता अटाल ह�।

नव�न-म्�घ-म्ण्डल�-विनरुद्ध-दुधा�र-स्फु( रता�

का( हूँ-विन��-शिर्थन�-ताम्� प्र%न्धु-%द्ध-कान्धुर� 

विनशिलम्प-विनर्झ�र�-धारस्ता-न�ता( काV णित्त-शिसान्धु(र�

काल�-विनधा�न-%न्धु(र� णिश्रीय& जगद्धjर&धार� .. ८..

जिजनका� काण्ठ नव�न म्;घ\ का3 घटा�ओं सा� पारिरपाCणे� आम्वस्य� का3 र�वित्र का� सा�म्�न का�ल� हt, ज� विका गज-चम्�, ग&ग� एव& %�ल-चन्द्र द्वा�र�

��भु�यम्�न ह: तार्थ� ज� विका जगता का� %�र्झ धा�रणे कारन� व�ल� ह:, व� शि�व ज� हम्� साणिभु प्रका�र का3 साम्पनता� प्रद�न कार;।

प्रफ( ल्ल-न�लपाङ्�काज-प्रपाञ्च-का�शिलम्प्रभु�-

-वलम्बिम्%-काण्ठ-कान्दल�-रुशिचप्र%द्ध-कान्धुरम्� .

स्म्रल्पि�द& पा(रल्पि�द& भुवल्पि�द& म्खल्पि�द&

गजल्पि�द�&धाकाशि�द& ताम्&ताका-ल्पि�द& भुज� .. ९..

जिजनका� काण्ठ और कान्धु� पाCणे� ग्निखल� हुए न�लकाम्ल का3 फt ल� हुई सा(न्दर श्य�म् प्रभु� सा� विवभु(विOता हt, ज� का�म्द�व और वित्रपा(र�सा(र का�

विवन��का, सा&सा�र का� दु:ख�6 का� का�टान� व�ल�, दक्षायज्ञ विवन��का, गज�सा(र एव& अन्धुका�सा(र का� सा&ह�रका ह: तार्थ� ज� म्Vत्यC का� व� म्; कारन�

व�ल� ह:, म्: उन शि�व ज� का� भुजता� हूँn

Page 3: सार्थशिवताण्डवस्तोत्रम्

अखव�साव�-म्ङ्ग-ल�काल�-काद&%म्ञ्जर�

रसा-प्रव�ह-म्�धा(र� विवजV&भुणे�-म्धा(व्रताम्� .

स्म्र�न्ताका& पा(र�न्ताका& भुव�न्ताका& म्ख�न्ताका&

गज�न्ता-का�न्धु-का�न्ताका& ताम्न्ताका�न्ताका& भुज� .. १०..

ज� काल्य�नम्य, अविवन�शि�, साम्स्ता काल�ओं का� रसा का� अस्व�दन कारन� व�ल� ह:, ज� का�म्द�व का� भुस्म् कारन� व�ल� ह:, वित्रपा(र�सा(र,

गज�सा(र, अन्धुका�सा(र का� साह�&रका, दक्षायज्ञविवध्वसा&का तार्थ� स्वय& यम्र�ज का� शिलए भु� यम्स्वरूपा ह:, म्: उन शि�व ज� का� भुजता� हूँn।

जयत्व-दभ्र-विवभ्र-म्-भ्रम्द्भुjजङ्ग-म्श्वसा-

विद्वाविनग�म्त्क्रम्-स्फु( रत्कार�ल-भु�ल-हव्यव�टा�

न्निधान्निम्जिद्धन्निम्जिद्धन्निम्ध्वनन्म्Vदङ्ग-ता(ङ्ग-म्ङ्गल

ध्वविन-क्रम्-प्रवर्तिताpता प्रचण्डता�ण्डव� शि�व� .. ११..

अताय&ता व�ग सा� भ्रम्णे कार रह� सापा= का� फC फका�र सा� क्रम्�: लल�टा म्; %ढ} हूँई प्रच&णे अग्निNन का� म्ध्य म्Vद&ग का3 म्&गलका�र� उच्च न्निधाम्-

न्निधाम् का3 ध्वविन का� सा�र्थ ता�ण्डव नVत्य म्; ल�न शि�व ज� साव� प्रका�र सा(��णिभुता ह� रह� ह:।

दृO-विद्वाशिचत्र-ताल्पाय�भु(�जङ्ग-म्�शिक्तों-कास्रज�र�

-गरिरष्ठरत्नल�ष्ठय�� सा(हृविद्वा-पाक्षापाक्षाय�� .

ताVष्णे�र-विवन्द-चक्षा(O�� प्रज�-म्ह�-म्ह�न्द्रय��

साम्प्रवVविताका� काद� साद�शि�व& भुज� .. १२..

काठ�र पात्थर एव& का�म्ल �य्य�, सापा� एव& म्�विताय\ का3 म्�ल�ओं, %हुम्Cल्य रत्न एव& न्निम्ट्ट} का� टाCकाड\, �त्रC एव& न्निम्त्र\, र�ज�ओं तार्थ�

प्रज�ओं, वितानका\ तार्थ� काम्ल\ पार सा�म्�न दृन्नि_ रखन� व�ल� शि�व का� म्: भुजता� हूँn।

काद� विनशिलम्प-विनर्झ�र�विनका(ञ्ज-का�टार� वसान�

विवम्(क्तों-दुम्�विता� साद� शि�र�स्थ-म्ञ्जलिंलp वहन� .

विवम्(क्तों-ल�ल-ल�चन� लल�म्-भु�ललNनका�

शि�व�विता म्&त्र-म्(च्चरन� काद� सा(ख� भुव�म्यहम्� .. १३..

का% म्: ग&ग� ज� का� का��रग(ञ म्; विनव�सा कारता� हुआ, विनष्कापाटा ह�, शिसार पार अ&जल� धा�रणे कार च&चल न�त्र\ तार्थ� लल�टा व�ल� शि�व ज�

का� म्&त्र�च्च�र कारता� हुए अक्षाय सा(ख का� प्र�प्ता कारू& ग�।

विनशिलम्प न�र्थन�गर� कादम्% म्�लम्ल्पिल्लका�-

विनग(म्फविनभु�क्षारन्म् धाCल्पिष्णेका�म्न�हर� ।तान�ता( न� म्न�म्(द& विवन�दिदन>म्हविन�&

पारिरश्रीय पार& पाद& ताद&गजत्वित्वO�& चय� ॥१४ ॥

Page 4: सार्थशिवताण्डवस्तोत्रम्

प्रचण्ड व�डव�नल प्रभु��(भुप्रच�रणे�

म्ह�_शिसाजिद्धका�न्निम्न� जन�वहूँता जल्पान� ।विवम्(क्तों व�म् ल�चन� विवव�हका�शिलकाध्वविन�

शि�व�विता म्न्त्रभुCOग� जगज्जय�य ज�यता�म्� ॥१५॥

इदम्� विह विनत्य-म्�व-म्(क्तोंम्(त्तम्�त्तम्& स्ताव&

पाठन्स्म्रन्ब्रु(व-र� विव�(जिद्ध-म्�विता-सा&ताताम्� .

हर� ग(र� सा(भुशिक्तोंम्� �(य�वितान� न्यर्थ� गतिंताp

विवम्�हन& विह द�विहन�& सा(�ङ्�कारस्य लिंचpतानम्� .. १६..

इसा उत्त्म्�त्त्म् शि�व ता�ण्डव स्त्र�ता का� विनत्य पाढन� य� श्रीवणे कारन� म्�त्र सा� प्र�णिणे पाविवत्र ह�, पार&ग(रू शि�व म्; स्थ�विपाता ह� ज�ता� हt तार्थ�

साभु� प्रका�र का� भ्रम्\ सा� म्(क्तों ह� ज�ता� हt।

पाCज�वसा�नसाम्य� द�वक्त्रग�ता&

य� �&भु(पाCजनपार& पाठविता प्रद�O� .

तास्य ल्पिस्थर�& रर्थ गज�न्द्र ता(रङ्ग य(क्तों�&

लक्ष्म्> सादtवसा(म्(खिंखp प्रदद�विता �&भु(� .. १७..

प्र�ता: शि�वपा(जन का� अ&ता म्; इसा र�वणेकाV ता शि�वता�ण्डवस्ता�त्र का� ग�न सा� लक्ष्म्� ल्पिस्थर रहता� ह: तार्थ� भुक्तों रर्थ, गज, घ�ड� आदिद साम्पद�

सा� साव�द� य(क्तों रहता� हt।