ऋतु
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ऋतु seasons of the yearhttps://hi.wikipedia.org/s/ 2 ij मुक्त ज्ञानकोश वि�विकपीवि�या से
पारि�तंत्र के अनुसा� छह ऋतुएँऋतु एक �र्ष� से छोटा कालखं� है जि%समें मौसम की दशाए ंएक खास प्रका� की होती हैं। यह कालखण्� एक �र्ष� को कई भागों में वि�भाजि%त क�ता है जि%नके दौ�ान पृथ्�ी के सूय� की परि�क्रमा के परि�णामस्�रूप दिदन की अ�धि;, तापमान, �र्षा�, आर्द्र�ता इत्यादिद मौसमी दशाए ँएक चक्रीय रूप में बदलती हैं। मौसम की दशाओं में �र्ष� के दौ�ान इस चक्रीय बदला� का प्रभा� पारि�तंत्र प� पड़ता है औ� इस प्रका� पारि�तंत्रीय ऋतुए ँविनर्मिमFत होती हैं यथा पश्चिIम बंगाल में %ुलाई से सिसतम्ब� तक �र्षा� ऋतु होती है, याविन पश्चिIम बंगाल में %ुलाई से अक्टूब� तक, �र्ष� के अन्य कालखं�ो की अपेक्षा अधि;क �र्षा� होती है। इसी प्रका� यदिद कहा %ाय विक तधिमलना�ु में माच� से %ुलाई तक गृष्म ऋतु होती है, तो इसका अथ� है विक तधिमलना�ु में माच� से %ुलाई तक के महीने साल के अन्य समयों की अपेक्षा गम� �हते हैं।भा�त में प�ंप�ागत रूप से मुख्यतः छः ऋतुए ंपरि�भाविर्षत की गयी हैं।[1] -
ऋतु हि�न्दू मास ग्रेगरि�यन मास
वसन्त (Spring) चैत्र से �ैशाख माच� से अपै्रल
ग्रीष्म (Summer) ज्येष्ठ से आर्षाढ मई से %ून
वर्षाा� (Rainy) श्रा�न से भार्द्रपद %ुलाई से सिसतम्ब�
श�द ्(Autumn) आश्चिVन से कार्तितFक अक्टूब� से न�म्ब�
�ेमन्त (pre-winter) माग�शीर्ष� से पौर्ष दिदसम्ब� से 15 %न��ी
शिशशिश� (Winter) माघ से फाल्गुन 16 %न��ी से फ���ी
ऋतु परि��त�न का का�ण[संपादिदत क�ें]
ऋतु परि��त�न का का�ण पृथ्�ी द्वा�ा सूय� के चा�ों ओ� परि�क्रमण औ� पृथ्�ी का अक्षीय झुका� है। पृथ्�ी का �ी घूण�न अक्ष इसके परि�क्रमा पथ से बनने �ाले समतल प� लगभग 66.5 अंश का कोण बनता है जि%सके का�ण उत्त�ी या दश्चिक्षणी गोला;` में से कोई एक गोलार्द्ध� सूय� की ओ� झुका होता है। यह झुका� सूय� के चा�ो ओ� परि�क्रमा के का�ण �र्ष� के अलग-अलग समय अलग-अलग होता है जि%ससे दिदन-�ात की अ�धि;यों में घट-बढ़ का एक �ार्तिर्षFक चक्र विनर्मिमFत होता है। यही ऋतु परि��त�न का मूल का�ण बनता है।
ग्रीष्म ऋतु summer seasonग्रीष्म ऋतु भा�त की प्रमुख 4 ऋतुओं में से एक ऋतु है। ग्रीष्म ऋतु में मानूसन के आगमन के पू�� पश्चिIमी तटीय मैदानी भागों में भी कुछ�र्षा� प्राप्त होती है, जि%से 'मैंगों शा��' कहा %ाता है। इसके अवितरि�क्त असम तथा पश्चिIम बंगाल �ाज्यों में भी तीव्र ए�ं आर्द्र� ह�ाए ंचलने लगती हैं, जि%नसे ग�% के साथ �र्षा� हो %ाती है। यह �र्षा� असम में 'चाय �र्षा�' कहलाती है। इन ह�ाओं को 'ना��ेस्ट�' अथ�ा 'काल �ैशाखी' के नाम से %ाना %ाता है। यह �र्षा� पू��-मानसून �र्षा� कहलाती है।
समयभा�त में सामान्यतया 15 माच� से 15 %ून तक ग्रीष्म मानी %ाती है। इस समय तक सूय� भूमध्य �ेखा से कक� �ेखा की ओ� बढ़ता है, जि%ससे सम्पूण� देश में तापमान में �ृजिर्द्ध होने लगती है। इस समय सूय� के कक� �ेखा की ओ� अग्रस� होने के साथ ही तापमान का अधि;कतम विबन्दु भी क्रमशः दश्चिक्षण से उत्त� की ओ� बढ़ता %ाता है औ� मई के अन्त में देश के उत्त�ी-पश्चिIमी भाग में यह 480 सें.गे. तक पहुँच %ाता है। इस समय उत्त�ी भा�त अधि;कतम तापमान तथा न्यूनतम �ायुदाब के क्षेत्र में परि��र्तितFत होने लगता है। उत्त�-पश्चिIमी भा�त में स्थिmत था� मरुmल प� धिमलने �ाला न्यूनतम �ायुदाब क्षेत्र बढ़क� सम्पूण� छोटा नागपु� पठा� को भी आ�ृत क� लेता है, जि%सके का�ण mानीय ए�ं साग�ीय आर्द्र� ह�ाओं का परि�संच�ण इस ओ� प्रा�म्भ हो %ाता है औ� mानीय प्रबल तूफानों का %न्म होता है। मूसला;� �र्षा� ए�ं ओलों के विग�ने यहाँ तीव्रगवित �ाले प्रचण्� तूफान भी बन %ाते हैं, जि%नका का�ण mलीय गम� ए�ं शुष्क �ायु का साग�ीय आर्द्र� �ायु से धिमलना है।
मौसमउत्त� पश्चिIमी भा�त के शुष्क भागों में इस समय चलने �ाली गम� ए�ं शुष्क ह�ाओं को 'लू' कहा %ाता है। �ा%mान, पं%ाब, हरि�याणातथा पश्चिIमी उत्त� प्रदेश में प्रायः शाम के समय ;ूल भ�ी आँधि;याँ आती है, जि%नके का�ण दृश्यता तक कम हो %ाती है। ;ूल की प्रकृवित ए�ं�ंग के आ;ा� प� इन्हें काली अथ�ा पीली आँधि;यां कहा %ाता है। सामुदिर्द्रक प्रभा� के का�ण दश्चिक्षण भा�त में इन गम� प�नों तथा आँधि;यों का अभा� पाया %ाता है।
शीत ऋतु winter seasonशीत ऋतु में भूमध्यसाग�ीय क्षेत्र से उत्पन्न होने �ाले शीतोष्ण चक्र�ातीय के ई�ान तथा पाविकस्तान को पा� क�ते हुए भा�त के उत्त�ी-पश्चिIमी भाग में पहुंच %ाने के का�ण %म्मू - कश्मी� , पश्चिIमी पं%ाब तथा �ा%mान में कुछ �र्षा� भी हो %ाती है। यह माना %ाता है विक इन भागों में इस समय की �र्षा� पश्चिIमी वि�च्छोभों के का�ण होती है। यद्यविप इस �र्षा� की मात्रा बहुत ही कम होती है, विकन्तु इन के्षत्रों में �बी की फसल के सिलए इसे लाभप्रद माना %ाता है। %म्मू कश्मी� तथा विहमाचल प्रदेश में इन अ�दाबों के का�ण ही बड़ी मात्रा में विहमपात भी होता है। इनके समाप्त हो %ान के बाद प्रायः उत्त� भा�त शीत-लह�ों के प्रभा� में आ %ाता है।
समयदेश में 15 दिदसम्ब� से 15 माच� तक का समय शीत ऋतु के अन्तग�त आता है। इस समय देश के अधि;कांश भागों में महाद्वीपीय प�नों चलती हैं, %ो विक पाविकस्तान में पेशा�� के समीप�तv के्षत्रों से भा�त में प्र�ेश क�ती है इनका सबसे प्रमुख प्रभा� यह होता है विक उत्त� भा�त में कम तापमान [1] पाया %ाता है। ज्यों-ज्यों उत्त� से दश्चिक्षण की ओ� बढ़ते %ायें, साग�ीय समीपता ए�ं उष्णकदिटबन्धीय स्थिmवित के का�ण तापमान बढ़ता %ाता है। %न��ी में चेन्नई तथा कोजिझको� का तापमान %हाँ 240 से 250 सें.गे्र. तक होता है, �हीं उत्त� के वि�शाल मैदान में यह 100 से 150 सें.गे्र. तक ही पाया %ाता है। पश्चिIमी �ा%mान में तो �ात के समय तापमान विहमांक विबन्दु अथा�त 00 सें.गे्र. से भी नीचे चला %ाता है।
मौसमशीत ऋतु में तधिमलना�ु के को�ोमण्�ल तट प� भी कुछ �र्षा� प्राप्त होती है, जि%सका का�ण उत्त� पू�v मानसूनी प�नों का लौटते समयबंगाल की खाड़ी के ऊप� से गु%�ते हुए आर्द्र�ता ग्रहण क� लेना है। चंूविक तापमान तथा �ायु दाब में वि�प�ीय सम्बन्ध पाया %ाता है, अतः शीतकाल में उत्त�ी भा�त में उच्च �ायुदाब तथा दश्चिक्षण भा�त में विनम्न �ायुदाब का के्षत्र mाविपत हो %ाता है। इस काल में होने �ाली �र्षा� देश की कुल औसत �ार्तिर्षFक �र्षा� का लगभग 2 प्रवितशत होती है।
�र्षा� ऋतु rainy seasonवर्षाा� ऋतु भा�त की प्रमुख 4 ऋतुओं में से एक ऋतु है। हमा�े देश में सामान्य रूप से 15 %ून से 15 सिसतम्ब� तक �र्षा� की ऋतु होती है, %ब समू्पण� देश प� दश्चिक्षण-पश्चिIमी मानसून ह�ाए ंप्रभा�ी होती हैं। इस समय उत्त� पश्चिIमी भा�त में ग्रीष्म ऋतु में बना विनम्न �ायुदाबका क्षेत्र अधि;क तीव्र ए�ं व्य�mवित होता हैं। इस विनम्न �ायुदाब के का�ण ही दश्चिक्षणी-पू�v सन्मागी ह�ाए,ं %ो विक दश्चिक्षणी गोलार्द्ध� में मक� �ेखा की ओ� से भूमध्य�ेखा को पा� क�ती है, भा�त की ओ� आकृष्ट होती है तथा भा�तीय प्रायद्वीप से लेक� बंगाल की खाड़ी ए�ं अ�ब साग� प� प्रसारि�त हो %ाती है। समुर्द्री भागों से आने के का�ण आर्द्र�ता से परि�पूण� ये प�नें अचानक भा�तीय परि�संच�ण से धिघ� क� दो शाखाओं में वि�भाजि%त हो %ाती हैं तथा प्रायद्वीपीय भा�त ए�ं म्यांमा� की ओ� ते%ी से आगे बढ़ती है।दश्चिक्षणी-पश्चिIमी मानसून प�नें %ब mलीय भागों में प्र�ेश क�ती हैं, तो प्रचण्� ग%�न ए�ं तविड़त झंझा�त के साथ तीव्रता से घनघो� �र्षा� क�ती हैं। इस प्रका� की प�नों के आगमन ए�ं उनसे होने �ाली �र्षा� को 'मानसून का फटना अथ�ा टूटना' कहा %ाता है। इन प�नों की गवित 30 विक.मी. प्रवित घंटे से भी अधि;क होती है औ� ये एक महीने की भीत� ही सम्पूण� देश में प्रभा�ी हो %ाती हैं। इन प�नों को देश का उच्चा�न काफ़ी मात्रा में विनयन्त्रिन्त्रत क�ता है, क्योंविक अपने प्रा�म्भ में ही प्रायद्वीप की उपस्थिmवित के का�ण दो शाखओं में वि�भाजि%त हो %ाती हैं - बंगाल की खाड़ी का मानूसन तथा अ�ब साग� का मानसून।
बंगाल की खाड़ी का मानसूनबंगाल की खाड़ी का मानूसन दश्चिक्षणी विहन्द महासाग� की mायी प�नों की �ह शाखा है, %ो भूमध्य �ेखा को पा� क�के भा�त में पू�� की ओ� प्र�ेश क�ती है। इसके द्वा�ा सबसे पहले म्यांमा� की अ�ाकानयोमा तथा पीगूयोमा प��तमालाओं से टक�ाक� तीव्र �र्षा� की %ाती है। इसके बाद ये प�नें सी;े उत्त� की दिदशा में मुड़क� गंगा के �ेल्टा के्षत्र से होक� खासी पहाविड़यों तक पहुंचती हैं तथा लगभग 15,00 मी. की ऊंचाई तक उठक� मेघालय के चे�ापंू%ी तथा मासिसन�ाम नामक mानों प� घनघो� �र्षा� क�ती हैं। ख़ासी पहाविड़यों को पा� क�ने के बाद यह शाखा दो भागों में वि�भाजि%त हो %ाती है। एक शाखा विहमालय प��तमाला के सहा�े उसके त�ाई के के्षत्र में घनघो� �र्षा� क�ती है, %बविक दूस�ी शाखा असम की
ओ� चली %ाती है। विहमालय प��तमाला के सहा�े आगे बढ़ने �ाली शाखा ज्यो-त्यों पश्चिIम की ओ� बढ़ती %ाती है। इन प�नों की शुष्कता का का�ण इनका mानीय प�नों से धिमलना भी है।
अ�ब साग� का मानसूनभूमध्य�ेखा के दश्चिक्षण से आने �ाली mायी प�ने %ब मानसून के रूप में अ�ब साग� की ओ� बढ़ती हैं तो सबसे पहले पश्चिIमी घाट पहाड़ से टक�ाती हैं औ� लगभग 900 से 2,100 मी. की ऊंचाई प� चढ़ने के का�ण आर्द्र� प�नें सम्पृक्त होक� पश्चिIमी तटीय मैदानी भाग में तीव्र �र्षा� क�ती हैं। पश्चिIमी घाट प��त को पा� क�ते समय इनकी शुष्कता में �ृजिर्द्ध हो %ाती है, जि%सके का�ण दश्चिक्षण पठा� प� इनसे बहुत ही कम �र्षा� प्राप्त होती है तथा यह के्षत्र �ृधिष्ट छाया प्रदेश के अन्तग�त आ %ाता है। अ�ब साग�ीय मानसून की एक शाखा मुम्बई के उत्त� मेंनम�दा तथा ताप्ती नदिदयों की घाटी में प्र�ेश क�के छोटा नागपु� के पठा� प� �र्षा� क�ती है औ� बंगाल की खाड़ी के मानूसन से धिमल %ाती है। इसकी दूस�ी शाखा सिसनु्ध नदी के �ेल्टा से आगे बढ़क� �ा%mान के मरुmल से होती हुई सी;े विहमालय प��त से %ा टक�ाती है। �ा%mान में इसके माग� में कोई अ��ो;क न होने के का�ण �र्षा� का एकदम अभा� पाया %ाता है,
क्योंविक अ�ा�ली प��तमाला इनके समानान्त� पड़ती है।
�र्षा� का वि�त�णअधि;क �र्षा� �ाले के्षत्रपश्चिIमी घाट प��त का पश्चिIमी तटीय भाग,विहमालय प��तमाला की दश्चिक्षणा�तv तलहटी में सम्मिम्मसिलत �ाज्य- असम, अरुणाचल प्रदेश,मेघालय, सिसस्थिक्कम, पश्चिIम बंगाल का उत्त�ी भाग, पश्चिIमी तट के कोंकण, मालाबा� तट (के�ल), दश्चिक्षणी विकना�ा, मश्चिणपु� ए�ं मेघालय इत्यादिद सम्मिम्मसिलत हैं। यहाँ �ार्तिर्षFक �र्षा� की मात्रा 200 सेमी. से अधि;क होती है। वि�V की स�ा�धि;क �र्षा� �ाले mान मासिसन�ाम तथा चे�ापंू%ी मेघालय में ही स्थिmत हैं।सा;ा�ण �र्षा� �ाले के्षत्रइस के्षत्र में �ार्तिर्षFक �र्षा� की मात्रा 100 से 200 सेमी. तक होती है। यह मानसूनी �न प्रदेशों का क्षेत्र है। इसमें पश्चिIमी घाट का पू��त्त� ढाल, पश्चिIम बंगाल का दश्चिक्षणी-पश्चिIमी के्षत्र, उड़ीसा, विबहा�, दश्चिक्षणी-पू�v उत्त� प्रदेश तथा त�ाई क्षेत्र के समानान्त� पतली पट्टी में स्थिmतउत्त� प्रदेश पं%ाब होते हुए %म्मू कश्मी� के क्षेत्र शाधिमल हैं। इन क्षेत्रों में �र्षा� की वि�र्षमता 15 प्रवितशत से 20 प्रवितशत तक पायी %ाती है। अवित�ृधिष्ट ए�ं अना�ृधिष्ट के का�ण फसलों की बहुत हाविन होती है।न्यून �र्षा� �ाले के्षत्रइसके अन्तग�त मध्य प्रदेश, दश्चिक्षणी का पठा�ी भाग गु%�ात, उत्त�ी तथा दश्चिक्षणी आन्ध्र प्रदेश, कना�टक, पू�v �ा%mान, दश्चिक्षणी पं%ाब,हरि�याणा तथा दश्चिक्षणी उत्त�ी प्रदेश आते हैं। यहाँ 50 से 100 सेमी. �ार्तिर्षFक �र्षा� होती है। �र्षा� की वि�र्षमता 20 प्रवितशत से 25 प्रवितशत तक होती है।
मौसम के अनुसा� वर्षाा� का हिवत�ण
वर्षाा� का मौसम समयावधि! वार्षिर्षा#क वर्षाा� का प्रहितशत (लगभग)
दश्चिक्षणी- पश्चिIमी मानसून %ून से सिसतम्ब� तक 73.7 प��तv मानसून अक्टूब� से दिदसम्ब� 13.3
शीत ऋतु अथ�ा उत्त�ी पश्चिIमी मानसून %न��ी - फ���ी 2.6पू��-मानसून माच� से मई 10.0
अपया�प्त �र्षा� �ाले के्षत्रइन क्षेत्रों में होने �ाली �ार्तिर्षFक �र्षा� की मात्रा 50 सेमी. से भी कम होती है। कच्छ, पश्चिIमी �ा%mान, लद्दाख आदिद के्षत्र इसके अन्तग�त शाधिमल विकये %ाते हैं। यहाँ कृविर्ष विबना सिसFचाई के सम्भ� नहीं है।
�संत ऋतु spring seasonवसंत ऋतु (अंग्रेज़ी: Spring Season) भा�त की 6 ऋतुओं में से एक ऋतु है। अंगे्रज़ी कलें�� के अनुसा� फ���ी, माच� औ� अप्रैल माह में �संत ऋतु �हती है। �संत को ऋतुओं का �ा%ा अथा�त स��श्रेष्ठ ऋतु माना गया है। इस समय पंचतत्त्�अपना प्रकोप छोड़क� सुहा�ने रूप में प्रकट होते हैं। पंच-तत्त्�- %ल, �ायु, ;�ती,आकाश औ� अग्नि�न सभी अपना मोहक रूप दिदखाते हैं। आकाश स्�च्छ �हता है, �ायु सुहा�नी लगती है, अग्नि�न (सूय�) रुसिचक� होती है तो %ल पीयूर्ष के समान सुखदाता औ� ;�ती उसका तो कहना ही क्या �ह तो मानों साका� सौंदय� का दश�न क�ाने �ाली प्रतीत होती है। ठं� से दिठठु�े वि�हंग अब उड़ने का बहाना ढंूढते हैं तो विकसान लहलहाती %ौ की बासिलयों औ� स�सों के फूलों को देखक� नहीं अघाता। ;नी %हाँ प्रकृवित के न�-सौंदय� को देखने की लालसा प्रकट क�ने लगते हैं तो विन;�न सिशसिश� की प्रताड़ना से मुक्त होने के सुख की अनुभूवित क�ने लगते हैं। सच! प्रकृवित तो मानों उन्मादी हो %ाती है। हो भी क्यों ना! पुन%�न्म %ो हो %ाता है। श्रा�ण की पनपी हरि�याली श�द के बाद हेमन्त औ� सिशसिश� में �ृर्द्धा के समान हो %ाती है, तब �संत उसका सौन्दय� लौटा देता है। न�गात, न�पल्ल्�, न�कुसुम के साथ न�गं; का उपहा� देक� वि�लक्षणा बना देता है।
�संत में गां� का म%ा�संत के सुहाने मौसम में घूमने का म%ा कुछ ख़ास ही होता है। इस सुहाने मौसम में अग� आप को कहीं %ाने का मन क�े तो आप सोचेंगे कहाँ %ाए,ँ क्या क�ें? इस मौसम में पय�टकों को �ेतों से चमकते टीले देखने में अचे्छ लगते है औ� पय�टक ख़ूबसू�त पहाविड़यों के नज़ा�े में म�न होक� इसके आस-पास के गां� प्राकृवितक सौन्दय� में खो %ाते है। %हाँ एक त�फ �ेतीले मैदान हों, तो दूस�ी त�फ बफ़� से ढके पहाड़ या गां�, %ो अपनी इला% पर्द्धवित के का�ण वि�V प्रसिसर्द्ध हैं। बात हो �ही है लद्दाख केनुब्रा घाटी के मशहू� गां� के बा�े में। लद्दाख में ;ूमने को बहुत कुछ है, लेविकन अधि;कांश पय�टन यहाँ के गाँ� घूमने आते है। चाहे �ह सुमु� गाँ� हो या इला%ो के सिलए मशहू� गाँ� हांप स्प्रि�Fग हो या मांनेस्ट्री औ� खुबानी के खेती के सिलए मशहू� गाँ� दिदसविकप हो। पय�टकों की खावित�दा�ी गाँ� का आद�पू�ण माहौल ए�ं शह� से कही दू� पहाड़ों के बीच प्राकृवितक सौन्र्द्रय� का अनूठा दृश्य पय�टकों को इन गाँ� की ओ� आकर्तिर्षFत क�ता है।
स�सों के फूलप्राकृवितक सौन्र्द्रय� का असली म%ा लद्दाख की नुब्रा घाटी में बसा है। अग� आप इस इलाके में �संत ऋतु में %ाये तो माहौल औ� पा�ान प� होती है। गाँ� के �ेतीले �ास्तो प� चलते हुए ह�ी भ�ी मैदानो का नज़ा�ा लेते हुए गाँ� के दुस�े ओ� स्थिmत पहाड़ प� न%� दौ�ाना अपने आप में एक मस्त क� देने �ाला माहौल पैदा क�ता है। ईV� को याद क�ने के सिलए यहाँ एक बहुत बड़ा प्राथ�ना गृह बना हुआ है %ो यहाँ आने �ाले पय�टकों को काफ़ी आकर्तिर्षFत क�ता है। इस गाँ� में 350 साल पु�ाना एक मांनस्ट्री है %ो पय�टकों को अपनी ओ� आकर्तिर्षFत क�ती है।
सुमु� गाँ�नुब्रा घाटी में सेमस्टेम सिलFग गोपा के नाम से प्रसिसर्द्ध यह गां� काफ़ी लोकविप्रय हैं। यहाँ सक्युमनी का एक बड़ी मुर्तितF है, जि%सके आस-पास लगी तस्�ी� पय�टको को आकर्तिर्षFत क�ती है। यह इलाका नुब्रो घाटी के मानेंस्टी के नाम से भी %ाना %ाता है।हाँट स्प्रि�Fगयहाँ गाँ� अपनी इला%ी पर्द्धवित के सिलए काफ़ी प्रसिसर्द्ध है। यहाँ आने �ाले पय�टक प्रकृवित नज़ा�ों के साथ-साथ त्�चा से %ुड़ी प�ेशाविनयाँ भी दू� क�ाते हैं। इस इलाके में इला% के सिलए लोग काफ़ी दू�-दू� से आते हैं।कहाँ ठह�ेंठह�ने के सिलए ह� गाँ� में छोटे से लेक� बडे़ होटल ए�ं �ेस्टो�ेंट हैं। यहाँ के mानीय लोगों ने अपने घ� में पय�टकों के सिलए आ�ामदायक व्य�mा बना �खी है। सा�े गाँ� लेह से 110-130 विकमी की दू�ी प� स्थिmत है। इन गाँ� में पहुँचने के सिलए श्रीनग�-लेह-माग� औ� मनाली-लेह-माग� से बस ए�ं छोटी गाविड़यों से %ा सकते हैं। लेह से इस इलाके में %ाने के सिलए बस ए�ं छोटी गाविड़याँ ह� �क्त धिमलती �हती हैं। लेह देश के ह� महानग� से %ुड़ा हुआ है। �ायुमाग� के �ास्ते लेह एय�पोट� प� पहुँचा %ा सकता है।