ऋतु

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ऋऋऋ seasons of the year https://hi.wikipedia.org/s/ 2 ij ममममम मममममममम मममममममममम मम ऋऋऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋ, ऋऋऋऋऋऋ, ऋऋऋऋऋ, ऋऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋ, ऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋ, ऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋ, ऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋऋऋऋऋऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋऋऋ ऋऋऋऋऋऋऋऋ ऋऋ ऋऋऋ ऋऋऋ[1] - ममम मममममम ममम ममममममममम ममम ममममम (Spring) ममममम मम ममममम ममममम मम मममममम ममममममम (Summer ) ममममममम मम मममम मम मम ममम ममममम (Rainy) मममममम मम ममममममम ममममम मम ममममममम

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Page 1: ऋतु

ऋतु seasons of the yearhttps://hi.wikipedia.org/s/ 2 ij मुक्त ज्ञानकोश वि�विकपीवि�या से

पारि�तंत्र के अनुसा� छह ऋतुएँऋतु एक �र्ष� से छोटा कालखं� है जि%समें मौसम की दशाए ंएक खास प्रका� की होती हैं। यह कालखण्� एक �र्ष� को कई भागों में वि�भाजि%त क�ता है जि%नके दौ�ान पृथ्�ी के सूय� की परि�क्रमा के परि�णामस्�रूप दिदन की अ�धि;, तापमान, �र्षा�, आर्द्र�ता इत्यादिद मौसमी दशाए ँएक चक्रीय रूप में बदलती हैं। मौसम की दशाओं में �र्ष� के दौ�ान इस चक्रीय बदला� का प्रभा� पारि�तंत्र प� पड़ता है औ� इस प्रका� पारि�तंत्रीय ऋतुए ँविनर्मिमFत होती हैं यथा पश्चिIम बंगाल में %ुलाई से सिसतम्ब� तक �र्षा� ऋतु होती है, याविन पश्चिIम बंगाल में %ुलाई से अक्टूब� तक, �र्ष� के अन्य कालखं�ो की अपेक्षा अधि;क �र्षा� होती है। इसी प्रका� यदिद कहा %ाय विक तधिमलना�ु में माच� से %ुलाई तक गृष्म ऋतु होती है, तो इसका अथ� है विक तधिमलना�ु में माच� से %ुलाई तक के महीने साल के अन्य समयों की अपेक्षा गम� �हते हैं।भा�त में प�ंप�ागत रूप से मुख्यतः छः ऋतुए ंपरि�भाविर्षत की गयी हैं।[1] -

ऋतु हि�न्दू मास ग्रेगरि�यन मास

वसन्त (Spring) चैत्र से �ैशाख माच� से अपै्रल

ग्रीष्म (Summer) ज्येष्ठ से आर्षाढ मई से %ून

वर्षाा� (Rainy) श्रा�न से भार्द्रपद %ुलाई से सिसतम्ब�

श�द ्(Autumn) आश्चिVन से कार्तितFक अक्टूब� से न�म्ब�

�ेमन्त (pre-winter) माग�शीर्ष� से पौर्ष दिदसम्ब� से 15 %न��ी

शिशशिश� (Winter) माघ से फाल्गुन 16 %न��ी से फ���ी

ऋतु परि��त�न का का�ण[संपादिदत क�ें]

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ऋतु परि��त�न का का�ण पृथ्�ी द्वा�ा सूय� के चा�ों ओ� परि�क्रमण औ� पृथ्�ी का अक्षीय झुका� है। पृथ्�ी का �ी घूण�न अक्ष इसके परि�क्रमा पथ से बनने �ाले समतल प� लगभग 66.5 अंश का कोण बनता है जि%सके का�ण उत्त�ी या दश्चिक्षणी गोला;` में से कोई एक गोलार्द्ध� सूय� की ओ� झुका होता है। यह झुका� सूय� के चा�ो ओ� परि�क्रमा के का�ण �र्ष� के अलग-अलग समय अलग-अलग होता है जि%ससे दिदन-�ात की अ�धि;यों में घट-बढ़ का एक �ार्तिर्षFक चक्र विनर्मिमFत होता है। यही ऋतु परि��त�न का मूल का�ण बनता है।

ग्रीष्म ऋतु  summer seasonग्रीष्म ऋतु भा�त की प्रमुख 4 ऋतुओं में से एक ऋतु है। ग्रीष्म ऋतु में मानूसन के आगमन के पू�� पश्चिIमी तटीय मैदानी भागों में भी कुछ�र्षा� प्राप्त होती है, जि%से 'मैंगों शा��' कहा %ाता है। इसके अवितरि�क्त असम तथा पश्चिIम बंगाल �ाज्यों में भी तीव्र ए�ं आर्द्र� ह�ाए ंचलने लगती हैं, जि%नसे ग�% के साथ �र्षा� हो %ाती है। यह �र्षा� असम में 'चाय �र्षा�' कहलाती है। इन ह�ाओं को 'ना��ेस्ट�' अथ�ा 'काल �ैशाखी' के नाम से %ाना %ाता है। यह �र्षा� पू��-मानसून �र्षा� कहलाती है।

समयभा�त में सामान्यतया 15 माच�  से 15 %ून  तक ग्रीष्म मानी %ाती है। इस समय तक सूय� भूमध्य �ेखा से कक� �ेखा की ओ� बढ़ता है, जि%ससे सम्पूण� देश में तापमान में �ृजिर्द्ध होने लगती है। इस समय सूय� के कक� �ेखा की ओ� अग्रस� होने के साथ ही तापमान का अधि;कतम विबन्दु भी क्रमशः दश्चिक्षण से उत्त� की ओ� बढ़ता %ाता है औ� मई के अन्त में देश के उत्त�ी-पश्चिIमी भाग में यह 480 सें.गे. तक पहुँच %ाता है। इस समय उत्त�ी भा�त अधि;कतम तापमान तथा न्यूनतम �ायुदाब के क्षेत्र में परि��र्तितFत होने लगता है। उत्त�-पश्चिIमी भा�त में स्थिmत था� मरुmल प� धिमलने �ाला न्यूनतम �ायुदाब क्षेत्र बढ़क� सम्पूण� छोटा नागपु� पठा� को भी आ�ृत क� लेता है, जि%सके का�ण mानीय ए�ं साग�ीय आर्द्र� ह�ाओं का परि�संच�ण इस ओ� प्रा�म्भ हो %ाता है औ� mानीय प्रबल तूफानों का %न्म होता है। मूसला;� �र्षा� ए�ं ओलों के विग�ने यहाँ तीव्रगवित �ाले प्रचण्� तूफान भी बन %ाते हैं, जि%नका का�ण mलीय गम� ए�ं शुष्क �ायु का साग�ीय आर्द्र� �ायु से धिमलना है।

मौसमउत्त� पश्चिIमी भा�त के शुष्क भागों में इस समय चलने �ाली गम� ए�ं शुष्क ह�ाओं को 'लू' कहा %ाता है। �ा%mान, पं%ाब, हरि�याणातथा पश्चिIमी उत्त� प्रदेश में प्रायः शाम के समय ;ूल भ�ी आँधि;याँ आती है, जि%नके का�ण दृश्यता तक कम हो %ाती है। ;ूल की प्रकृवित ए�ं�ंग के आ;ा� प� इन्हें काली अथ�ा पीली आँधि;यां कहा %ाता है। सामुदिर्द्रक प्रभा� के का�ण दश्चिक्षण भा�त में इन गम� प�नों तथा आँधि;यों का अभा� पाया %ाता है।

शीत ऋतु  winter seasonशीत ऋतु में भूमध्यसाग�ीय क्षेत्र से उत्पन्न होने �ाले शीतोष्ण चक्र�ातीय के ई�ान तथा पाविकस्तान को पा� क�ते हुए भा�त के उत्त�ी-पश्चिIमी भाग में पहुंच %ाने के का�ण %म्मू - कश्मी� , पश्चिIमी पं%ाब तथा �ा%mान में कुछ �र्षा� भी हो %ाती है। यह माना %ाता है विक इन भागों में इस समय की �र्षा� पश्चिIमी वि�च्छोभों के का�ण होती है। यद्यविप इस �र्षा� की मात्रा बहुत ही कम होती है, विकन्तु इन के्षत्रों में �बी की फसल के सिलए इसे लाभप्रद माना %ाता है। %म्मू कश्मी� तथा विहमाचल प्रदेश में इन अ�दाबों के का�ण ही बड़ी मात्रा में विहमपात भी होता है। इनके समाप्त हो %ान के बाद प्रायः उत्त� भा�त शीत-लह�ों के प्रभा� में आ %ाता है।

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समयदेश में 15 दिदसम्ब�  से 15 माच�  तक का समय शीत ऋतु के अन्तग�त आता है। इस समय देश के अधि;कांश भागों में महाद्वीपीय प�नों चलती हैं, %ो विक पाविकस्तान में पेशा�� के समीप�तv के्षत्रों से भा�त में प्र�ेश क�ती है इनका सबसे प्रमुख प्रभा� यह होता है विक उत्त� भा�त में कम तापमान [1]  पाया %ाता है। ज्यों-ज्यों उत्त� से दश्चिक्षण की ओ� बढ़ते %ायें, साग�ीय समीपता ए�ं उष्णकदिटबन्धीय स्थिmवित के का�ण तापमान बढ़ता %ाता है। %न��ी में चेन्नई तथा कोजिझको� का तापमान %हाँ 240 से 250 सें.गे्र. तक होता है, �हीं उत्त� के वि�शाल मैदान में यह 100 से 150 सें.गे्र. तक ही पाया %ाता है। पश्चिIमी �ा%mान में तो �ात के समय तापमान विहमांक विबन्दु अथा�त 00 सें.गे्र. से भी नीचे चला %ाता है।

मौसमशीत ऋतु में तधिमलना�ु के को�ोमण्�ल तट प� भी कुछ �र्षा� प्राप्त होती है, जि%सका का�ण उत्त� पू�v मानसूनी प�नों का लौटते समयबंगाल की खाड़ी के ऊप� से गु%�ते हुए आर्द्र�ता ग्रहण क� लेना है। चंूविक तापमान तथा �ायु दाब में वि�प�ीय सम्बन्ध पाया %ाता है, अतः शीतकाल में उत्त�ी भा�त में उच्च �ायुदाब तथा दश्चिक्षण भा�त में विनम्न �ायुदाब का के्षत्र mाविपत हो %ाता है। इस काल में होने �ाली �र्षा� देश की कुल औसत �ार्तिर्षFक �र्षा� का लगभग 2 प्रवितशत होती है।

�र्षा� ऋतु  rainy seasonवर्षाा� ऋतु भा�त की प्रमुख 4 ऋतुओं में से एक ऋतु है। हमा�े देश में सामान्य रूप से 15 %ून  से 15 सिसतम्ब� तक �र्षा� की ऋतु होती है, %ब समू्पण� देश प� दश्चिक्षण-पश्चिIमी मानसून ह�ाए ंप्रभा�ी होती हैं। इस समय उत्त� पश्चिIमी भा�त में ग्रीष्म ऋतु में बना विनम्न �ायुदाबका क्षेत्र अधि;क तीव्र ए�ं व्य�mवित होता हैं। इस विनम्न �ायुदाब के का�ण ही दश्चिक्षणी-पू�v सन्मागी ह�ाए,ं %ो विक दश्चिक्षणी गोलार्द्ध� में मक� �ेखा की ओ� से भूमध्य�ेखा को पा� क�ती है, भा�त की ओ� आकृष्ट होती है तथा भा�तीय प्रायद्वीप से लेक� बंगाल की खाड़ी ए�ं अ�ब साग� प� प्रसारि�त हो %ाती है। समुर्द्री भागों से आने के का�ण आर्द्र�ता से परि�पूण� ये प�नें अचानक भा�तीय परि�संच�ण से धिघ� क� दो शाखाओं में वि�भाजि%त हो %ाती हैं तथा प्रायद्वीपीय भा�त ए�ं म्यांमा� की ओ� ते%ी से आगे बढ़ती है।दश्चिक्षणी-पश्चिIमी मानसून प�नें %ब mलीय भागों में प्र�ेश क�ती हैं, तो प्रचण्� ग%�न ए�ं तविड़त झंझा�त के साथ तीव्रता से घनघो� �र्षा� क�ती हैं। इस प्रका� की प�नों के आगमन ए�ं उनसे होने �ाली �र्षा� को 'मानसून का फटना अथ�ा टूटना' कहा %ाता है। इन प�नों की गवित 30 विक.मी. प्रवित घंटे से भी अधि;क होती है औ� ये एक महीने की भीत� ही सम्पूण� देश में प्रभा�ी हो %ाती हैं। इन प�नों को देश का उच्चा�न काफ़ी मात्रा में विनयन्त्रिन्त्रत क�ता है, क्योंविक अपने प्रा�म्भ में ही प्रायद्वीप की उपस्थिmवित के का�ण दो शाखओं में वि�भाजि%त हो %ाती हैं - बंगाल की खाड़ी का मानूसन तथा अ�ब साग� का मानसून।

बंगाल की खाड़ी का मानसूनबंगाल की खाड़ी का मानूसन दश्चिक्षणी विहन्द महासाग� की mायी प�नों की �ह शाखा है, %ो भूमध्य �ेखा को पा� क�के भा�त में पू�� की ओ� प्र�ेश क�ती है। इसके द्वा�ा सबसे पहले म्यांमा� की अ�ाकानयोमा तथा पीगूयोमा प��तमालाओं से टक�ाक� तीव्र �र्षा� की %ाती है। इसके बाद ये प�नें सी;े उत्त� की दिदशा में मुड़क� गंगा के �ेल्टा के्षत्र से होक� खासी पहाविड़यों तक पहुंचती हैं तथा लगभग 15,00 मी. की ऊंचाई तक उठक� मेघालय के चे�ापंू%ी तथा मासिसन�ाम नामक mानों प� घनघो� �र्षा� क�ती हैं। ख़ासी पहाविड़यों को पा� क�ने के बाद यह शाखा दो भागों में वि�भाजि%त हो %ाती है। एक शाखा विहमालय प��तमाला के सहा�े उसके त�ाई के के्षत्र में घनघो� �र्षा� क�ती है, %बविक दूस�ी शाखा असम की

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ओ� चली %ाती है। विहमालय प��तमाला के सहा�े आगे बढ़ने �ाली शाखा ज्यो-त्यों पश्चिIम की ओ� बढ़ती %ाती है। इन प�नों की शुष्कता का का�ण इनका mानीय प�नों से धिमलना भी है।

अ�ब साग� का मानसूनभूमध्य�ेखा के दश्चिक्षण से आने �ाली mायी प�ने %ब मानसून के रूप में अ�ब साग� की ओ� बढ़ती हैं तो सबसे पहले पश्चिIमी घाट पहाड़ से टक�ाती हैं औ� लगभग 900 से 2,100 मी. की ऊंचाई प� चढ़ने के का�ण आर्द्र� प�नें सम्पृक्त होक� पश्चिIमी तटीय मैदानी भाग में तीव्र �र्षा� क�ती हैं। पश्चिIमी घाट प��त को पा� क�ते समय इनकी शुष्कता में �ृजिर्द्ध हो %ाती है, जि%सके का�ण दश्चिक्षण पठा� प� इनसे बहुत ही कम �र्षा� प्राप्त होती है तथा यह के्षत्र �ृधिष्ट छाया प्रदेश के अन्तग�त आ %ाता है। अ�ब साग�ीय मानसून की एक शाखा मुम्बई के उत्त� मेंनम�दा तथा ताप्ती नदिदयों की घाटी में प्र�ेश क�के छोटा नागपु� के पठा� प� �र्षा� क�ती है औ� बंगाल की खाड़ी के मानूसन से धिमल %ाती है। इसकी दूस�ी शाखा सिसनु्ध नदी के �ेल्टा से आगे बढ़क� �ा%mान के मरुmल से होती हुई सी;े विहमालय प��त से %ा टक�ाती है। �ा%mान में इसके माग� में कोई अ��ो;क न होने के का�ण �र्षा� का एकदम अभा� पाया %ाता है,

क्योंविक अ�ा�ली प��तमाला इनके समानान्त� पड़ती है।

�र्षा� का वि�त�णअधि;क �र्षा� �ाले के्षत्रपश्चिIमी घाट प��त का पश्चिIमी तटीय भाग,विहमालय प��तमाला की दश्चिक्षणा�तv तलहटी में सम्मिम्मसिलत �ाज्य- असम, अरुणाचल प्रदेश,मेघालय, सिसस्थिक्कम, पश्चिIम बंगाल का उत्त�ी भाग, पश्चिIमी तट के कोंकण, मालाबा� तट (के�ल), दश्चिक्षणी विकना�ा, मश्चिणपु� ए�ं मेघालय इत्यादिद सम्मिम्मसिलत हैं। यहाँ �ार्तिर्षFक �र्षा� की मात्रा 200 सेमी. से अधि;क होती है। वि�V की स�ा�धि;क �र्षा� �ाले mान मासिसन�ाम तथा चे�ापंू%ी मेघालय में ही स्थिmत हैं।सा;ा�ण �र्षा� �ाले के्षत्रइस के्षत्र में �ार्तिर्षFक �र्षा� की मात्रा 100 से 200 सेमी. तक होती है। यह मानसूनी �न प्रदेशों का क्षेत्र है। इसमें पश्चिIमी घाट का पू��त्त� ढाल, पश्चिIम बंगाल का दश्चिक्षणी-पश्चिIमी के्षत्र, उड़ीसा, विबहा�, दश्चिक्षणी-पू�v उत्त� प्रदेश तथा त�ाई क्षेत्र के समानान्त� पतली पट्टी में स्थिmतउत्त� प्रदेश पं%ाब होते हुए %म्मू कश्मी� के क्षेत्र शाधिमल हैं। इन क्षेत्रों में �र्षा� की वि�र्षमता 15 प्रवितशत से 20 प्रवितशत तक पायी %ाती है। अवित�ृधिष्ट ए�ं अना�ृधिष्ट के का�ण फसलों की बहुत हाविन होती है।न्यून �र्षा� �ाले के्षत्रइसके अन्तग�त मध्य प्रदेश, दश्चिक्षणी का पठा�ी भाग गु%�ात, उत्त�ी तथा दश्चिक्षणी आन्ध्र प्रदेश, कना�टक, पू�v �ा%mान, दश्चिक्षणी पं%ाब,हरि�याणा तथा दश्चिक्षणी उत्त�ी प्रदेश आते हैं। यहाँ 50 से 100 सेमी. �ार्तिर्षFक �र्षा� होती है। �र्षा� की वि�र्षमता 20 प्रवितशत से 25 प्रवितशत तक होती है।

मौसम के अनुसा� वर्षाा� का हिवत�ण

वर्षाा�  का मौसम समयावधि! वार्षिर्षा#क वर्षाा� का प्रहितशत (लगभग)

दश्चिक्षणी- पश्चिIमी मानसून %ून से सिसतम्ब� तक 73.7 प��तv मानसून अक्टूब� से दिदसम्ब� 13.3

शीत ऋतु  अथ�ा उत्त�ी पश्चिIमी मानसून %न��ी - फ���ी 2.6पू��-मानसून माच� से मई 10.0

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अपया�प्त �र्षा� �ाले के्षत्रइन क्षेत्रों में होने �ाली �ार्तिर्षFक �र्षा� की मात्रा 50 सेमी. से भी कम होती है। कच्छ, पश्चिIमी �ा%mान, लद्दाख आदिद के्षत्र इसके अन्तग�त शाधिमल विकये %ाते हैं। यहाँ कृविर्ष विबना सिसFचाई के सम्भ� नहीं है।

�संत ऋतु  spring seasonवसंत ऋतु (अंग्रेज़ी: Spring Season) भा�त की 6 ऋतुओं में से एक ऋतु है। अंगे्रज़ी कलें�� के अनुसा� फ���ी, माच� औ� अप्रैल माह में �संत ऋतु �हती है। �संत को ऋतुओं का �ा%ा अथा�त स��श्रेष्ठ ऋतु माना गया है। इस समय पंचतत्त्�अपना प्रकोप छोड़क� सुहा�ने रूप में प्रकट होते हैं। पंच-तत्त्�- %ल, �ायु, ;�ती,आकाश औ� अग्नि�न सभी अपना मोहक रूप दिदखाते हैं। आकाश स्�च्छ �हता है, �ायु सुहा�नी लगती है, अग्नि�न (सूय�) रुसिचक� होती है तो %ल पीयूर्ष के समान सुखदाता औ� ;�ती उसका तो कहना ही क्या �ह तो मानों साका� सौंदय� का दश�न क�ाने �ाली प्रतीत होती है। ठं� से दिठठु�े वि�हंग अब उड़ने का बहाना ढंूढते हैं तो विकसान लहलहाती %ौ की बासिलयों औ� स�सों के फूलों को देखक� नहीं अघाता। ;नी %हाँ प्रकृवित के न�-सौंदय� को देखने की लालसा प्रकट क�ने लगते हैं तो विन;�न सिशसिश� की प्रताड़ना से मुक्त होने के सुख की अनुभूवित क�ने लगते हैं। सच! प्रकृवित तो मानों उन्मादी हो %ाती है। हो भी क्यों ना! पुन%�न्म %ो हो %ाता है। श्रा�ण की पनपी हरि�याली श�द के बाद हेमन्त औ� सिशसिश� में �ृर्द्धा के समान हो %ाती है, तब �संत उसका सौन्दय� लौटा देता है। न�गात, न�पल्ल्�, न�कुसुम के साथ न�गं; का उपहा� देक� वि�लक्षणा बना देता है।

�संत में गां� का म%ा�संत के सुहाने मौसम में घूमने का म%ा कुछ ख़ास ही होता है। इस सुहाने मौसम में अग� आप को कहीं %ाने का मन क�े तो आप सोचेंगे कहाँ %ाए,ँ क्या क�ें? इस मौसम में पय�टकों को �ेतों से चमकते टीले देखने में अचे्छ लगते है औ� पय�टक ख़ूबसू�त पहाविड़यों के नज़ा�े में म�न होक� इसके आस-पास के गां� प्राकृवितक सौन्दय� में खो %ाते है। %हाँ एक त�फ �ेतीले मैदान हों, तो दूस�ी त�फ बफ़� से ढके पहाड़ या गां�, %ो अपनी इला% पर्द्धवित के का�ण वि�V प्रसिसर्द्ध हैं। बात हो �ही है लद्दाख केनुब्रा घाटी के मशहू� गां� के बा�े में। लद्दाख में ;ूमने को बहुत कुछ है, लेविकन अधि;कांश पय�टन यहाँ के गाँ� घूमने आते है। चाहे �ह सुमु� गाँ� हो या इला%ो के सिलए मशहू� गाँ� हांप स्प्रि�Fग हो या मांनेस्ट्री औ� खुबानी के खेती के सिलए मशहू� गाँ� दिदसविकप हो। पय�टकों की खावित�दा�ी गाँ� का आद�पू�ण माहौल ए�ं शह� से कही दू� पहाड़ों के बीच प्राकृवितक सौन्र्द्रय� का अनूठा दृश्य पय�टकों को इन गाँ� की ओ� आकर्तिर्षFत क�ता है।

स�सों के फूलप्राकृवितक सौन्र्द्रय� का असली म%ा लद्दाख की नुब्रा घाटी में बसा है। अग� आप इस इलाके में �संत ऋतु में %ाये तो माहौल औ� पा�ान प� होती है। गाँ� के �ेतीले �ास्तो प� चलते हुए ह�ी भ�ी मैदानो का नज़ा�ा लेते हुए गाँ� के दुस�े ओ� स्थिmत पहाड़ प� न%� दौ�ाना अपने आप में एक मस्त क� देने �ाला माहौल पैदा क�ता है। ईV� को याद क�ने के सिलए यहाँ एक बहुत बड़ा प्राथ�ना गृह बना हुआ है %ो यहाँ आने �ाले पय�टकों को काफ़ी आकर्तिर्षFत क�ता है। इस गाँ� में 350 साल पु�ाना एक मांनस्ट्री है %ो पय�टकों को अपनी ओ� आकर्तिर्षFत क�ती है।

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सुमु� गाँ�नुब्रा घाटी में सेमस्टेम सिलFग गोपा के नाम से प्रसिसर्द्ध यह गां� काफ़ी लोकविप्रय हैं। यहाँ सक्युमनी का एक बड़ी मुर्तितF है, जि%सके आस-पास लगी तस्�ी� पय�टको को आकर्तिर्षFत क�ती है। यह इलाका नुब्रो घाटी के मानेंस्टी के नाम से भी %ाना %ाता है।हाँट स्प्रि�Fगयहाँ गाँ� अपनी इला%ी पर्द्धवित के सिलए काफ़ी प्रसिसर्द्ध है। यहाँ आने �ाले पय�टक प्रकृवित नज़ा�ों के साथ-साथ त्�चा से %ुड़ी प�ेशाविनयाँ भी दू� क�ाते हैं। इस इलाके में इला% के सिलए लोग काफ़ी दू�-दू� से आते हैं।कहाँ ठह�ेंठह�ने के सिलए ह� गाँ� में छोटे से लेक� बडे़ होटल ए�ं �ेस्टो�ेंट हैं। यहाँ के mानीय लोगों ने अपने घ� में पय�टकों के सिलए आ�ामदायक व्य�mा बना �खी है। सा�े गाँ� लेह से 110-130 विकमी की दू�ी प� स्थिmत है। इन गाँ� में पहुँचने के सिलए श्रीनग�-लेह-माग� औ� मनाली-लेह-माग� से बस ए�ं छोटी गाविड़यों से %ा सकते हैं। लेह से इस इलाके में %ाने के सिलए बस ए�ं छोटी गाविड़याँ ह� �क्त धिमलती �हती हैं। लेह देश के ह� महानग� से %ुड़ा हुआ है। �ायुमाग� के �ास्ते लेह एय�पोट� प� पहुँचा %ा सकता है।