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ममममममममम ममममममम मममममम posted May 29, 2011, 3:47 PM by Site Designer ममममममममम ममममममम मममममम मममम

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महावि�द्या धूमा�ती प्रयोगposted May 29, 2011, 3:47 PM by Site Designer

महावि�द्या धूमा�ती प्रयोग 

   धर्म�    अर्थ�    कार्म 

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   र्मोक्ष तेजस्वि��ता देंगी   "महावि�द्या धूमा�ती"

एक बार दे�ी पा��ती भग�ान शि�� के सार्थ कैला� पर वि�राजर्मान र्थीं। उन्हें अक�र्मात् बहुत भूख लगी और उन्होंने �ृषभ-ध्�ज प�ुपवित से कुछ खाने की इच्छा प्रकट की। शि�� के द्वारा खाद्य पदार्थ� प्र�तुत करने र्में वि�लम्ब होने के कारण कु्षधापीवि9तापा��ती ने क्रोध से भर कर भग�ान शि�� को ही विनगल शिलया। ऐसा करने के फल��रूप पा��ती के �रीर से धूर्म-राशि� विन�सृत होने लगी जिजस पर भग�ान शि�� ने अपनी र्माया द्वारा दे�ी पा��ती से कहा, धूम्र से व्याप्त �रीर के कारण तुम्हारा एक नार्म धूर्मा�तीप9ेगा-                                             धूमव्याप्तशरीरात्तूततोधूमा�तीस्मृता।शि�� ने यह भी कहा विक जब तुर्मने र्मेरा ही भक्षण कर शिलया तब तुर्म ��भा�त:वि�ध�ा हो गई। तब शि�� नें कहा दे�ी ये आप विनरा� न हों क्योंविक सृष्टिG सञ्चालन के शिलए � पाविपयों को दण्डिK9त करने के शिलए एक रह�य ��रूप की आ�श्यकता र्थी, जिजसे युशिM पू��क आपके द्वारा उत्तपन्न विकया गया है, क्योंविक इस र्महाकाय� को आपके शिस�ा कोई नहीं कर सकता सार्थ ही आपके काय� र्में अनुक्ष न हो इसशिलए र्में लुप्त हूँ आपके उअदर र्में हूँ, आप इस र्महाकाय� को संपन्न करें, अत:स्पG होता है विक धूर्मा�तीऔर पा��ती र्में अभेद है दस र्महावि�द्यायों र्में दारुण वि�द्या कह कर दे�ी को पूजा जाता है �ाप देने नG करने व्संहार करने की जिजतनी भी क्षर्मताए ंहै �ो दे�ी के कारण ही है दे�ी का प्रर्मुख नक्षत्र ज्येष्ठा नक्षत्र है सार्थ ही दे�ी को भी ज्येष्ठा कहा जाता है क्रोधर्मय ऋविषयों की र्मूल �शिM धूर्मा�ती हैं जैसे दु�ा�सा, अंगीरा, भृगु, पर�ुरार्म आदिद सृष्टिG कलह के दे�ी होने के कारण इनको कलहविप्रय भी कहा जाता है   चौर्मासा ही दे�ी का प्रर्मुख सर्मय होता है जब इनको प्रसन्न विकया जाता है नरक चतुद��ी दे�ी का ही दिदन होता है जब �ो पाविपयों को पीवि^त � दण्डिK9त करती हैं विनरंतर इनकी �तुवित करने �ाला कभी धन वि�हीन नहीं होता � उसे दुःख छूते भी नहीं ब^ी से ब^ी �शिM भी इनके सार्मने नहीं दिटक पाती इनका तेज स�`च्च कहा जाता है शे्वतरूप � धूम्र अर्था�त धुंआ इनको विप्रय है पृथ्�ी के आका� र्में ण्डिdत बादलों र्में इनका विन�ास होता है  �ा�त्रों र्में दे�ी को ही प्राणसंचाशिलनी कहा गया है दे�ी की �तुवित से दे�ी की अर्मोघ कृपा प्राप्त होती है                 स्तुवित वि��र्णाा� चंचला दुष्टा दीर्घाा� च मलिलनाम्बरा,वि��रर्णाकुण्डला रूक्षा वि�ध�ा वि�रलवि+जा, काकध्�जरथारूढा वि�लम्बिम्बत पयोधरा,सूय�हस्तावितरुक्षाक्षी धृतहस्ता �राम्बि4�ता,प्र�ृ+र्घाोर्णाा तु भृशं कुटि7ला कुटि7लेक्षर्णाा,कु्षतविपपासार्दिद:ता विनत्यं भयदा कलहविप्रया.

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दे�ी की कृपा से साधक धर्म� अर्थ� कार्म और र्मोक्ष प्राप्त कर लेता है गृहd साधक को सदा ही दे�ी की सौम्य रूप र्में साधना पूजा करनी चाविहए दे�ी विfद्ध हैं अतः इनको ��त्र भोजन � प्रसाद से �ीग्र प्रसन्न विकया जा सकता है कुK9शिलनी चक्र के र्मूल र्में ण्डिdत कूर्म� र्में इनकी �शिM वि�द्यर्मान होती है दे�ी साधक के पास ब^े से ब^ी बाधाओं से ल^ने और उनको जीत लेने की क्षर्मता आ जाती है  दे�ी की र्मूतj पर भ�र्म चढाने से ब^ी से ब^ी बाधा भी नG होती हैर्महावि�द्या धूर्मा�ती के र्मन्त्रों से होता है ब^े से ब^े दुखों का ना�                              दे�ी माँ का स्�त: लिसद्ध महामंत्र है-                            श्री महावि�द्या धूमा�ती महामंत्र                                ॐ धंू धंू धूमा�ती स्�ाहा                                          अथ�ा                                 ॐ धंू धंू धूमा�ती ठ: ठ:इस र्मंत्र से काम्य प्रयोग भी संपन्न विकये जाते हैं � दे�ी को पुष्प अत्यंत विप्रय हैं इसशिलए के�ल पुष्पों के होर्म से ही दे�ी कृपा कर देती है,आप भी र्मनोकार्मना के शिलए यज्ञ कर सकते हैं,जैसे-1. राई र्में नर्मक ष्टिर्मला कर होर्म करने से ब^े से ब^ा �त्रु भी सर्मूल रूप से नG हो जाता है  2.नीर्म की पत्तित्तयों सविहत घी का होर्म करने से लम्बे सर्मस से चला आ रहा ऋण नG होता है 3.जटार्मांसी और कालीष्टिर्मच� से होर्म करने पर काल्सपा�दी दोष नG होते हैं � कू्रर ग्रह भी नG होते हैं 4. रMचंदन ष्टिघस कर �हद र्में ष्टिर्मला लेँ � जौ से ष्टिर्मत्तिsत कर होर्म करें तो दुभा�ग्य�ाली र्मनुष्य का भाग्य भी चर्मक उठता है 5.गु9 � गाने से होर्म करने पर गरीबी सदा के शिलए दूर होती है 6 .के�ल काली ष्टिर्मच� से होर्म करने पर कारागार र्में फसा व्यशिM र्मुM हो जाता है 7 .र्मीठी रोटी � घी से होर्म करने पर ब^े से ब^ा संकट � ब^े से ब^ा रोग अवित �ीग्र नG होता है महाअंक-दे�ी द्वारा उतपन्न गत्तिणत का अंक जिजसे ��यं दारुणरात्री ही कहा जाता है �ो दे�ी का र्महाअंक है -"6"

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वि��ेष पूजा सार्मविग्रयां-पूजा र्में जिजन सार्मविग्रयों के प्रयोग से दे�ी की वि��ेष कृपा ष्टिर्मलाती है सफेद रंग के फूल, आक के फूल, सफेद ��त्र � पुष्पर्मालाएं चढ़ाएंकेसर, अक्षत, घी, सफेद वितल, धतूरा, आक, जौ, सुपारी � नारिरयल  पंचर्मे�ा � सूखे फल प्रसाद रूप र्में अर्पिप{त करें सूप की आकृवित पूजा dान पर रखें भोजपत्र पर ॐ धंू ॐ शिलख करा चदए ंदू�ा�, गंगाजल, �हद, कपूर,  चन्दन चढ़ाए,ं संभ� हो तो ष्टिर्मटटी के पात्रों का ही पूजन र्में प्रयोग करें सभी चढ़ा�े चढाते हुये दे�ी का ये र्मंत्र पढ़ें-ॐ दारुर्णारात्री स्�रूविप4ये नम: सबसे र्महत्पूरण होता है दे�ी का र्महायंत्र जिजसके विबना साधना कभी पूरण नहीं होती इसशिलए दे�ी के यन्त्र को जरूर dाविपत करे � पूजन करें यन्त्र के पूजन की रीवित है-पंचोपचार पूजन करें-धूप,दीप,फल,पुष्प,जल आदिद चढ़ाए ंॐ धूम्र शिश�ाय नम: मम यंत्रोद्दारय-द्दारयकहते हुये पानी के 21 बार छीटे दें � पुष्प धूप अर्पिप{त करें दे�ी को प्रसन्न करने के शिलए सह्त्रनार्म वित्रलोक्य क�च आदिद का पाठ �ुभ र्माना गया है यदिद आप विबष्टिध�त पूजा पाठ नहीं कर सकते तो र्मूल र्मंत्र के सार्थ सार्थ नार्मा�ली का गायन करें धूर्मा�ती �तनार्म का गायन करने से भी दे�ी की कृपा आप प्राप्त कर सकते हैं धूर्मा�ती �तनार्म को इस रीवित से गाना चाविहए-धूमा�ती धूम्र�र्णाा� धूम्र पानपरायर्णाा,धूम्राक्षमलिथनी ध4या ध4यस्थानविन�ालिसनी,अर्घाोराचारसंतुष्टा अर्घाोराचारमंविडता,अर्घाोरमंत्रसम्प्रीता अर्घाोरमंत्रसम्पूजिजता.       दे�ी को अवित �ीघ्र प्रसन्न करने के शिलए अंग न्यास � आ�रण ह�न तप�ण � र्माज�न सविहत पूजा करेंअब दे�ी के कुछ इच्छा पूरक र्मंत्र 1) दे�ी धूर्मा�ती का �त्रु  ना�क र्मंत्रॐ ठ ह्रीं ह्रीं �ज्रपावितविनये स्�ाहा  सफेद रंग के ��त्र और पुष्प दे�ी को अर्पिप{त करेंन�ैद्य प्रसाद,पुष्प,धूप दीप आरती आदिद से पूजन करेंरुद्राक्ष की र्माला से 7 र्माला का र्मंत्र जप करेंरात्री र्में बैठ कर र्मंत्र जाप से �ीघ्र फल ष्टिर्मलता है सफेद रंग का ��त्र आसन के रूप र्में रखें या उनी कम्बल का आसन रखें दत्तिक्षण दिद�ा की ओर र्मुख रखें अखरोट का फल प्रसाद रूप र्में चढ़ाएं2) दे�ी धूर्मा�ती का धन प्रदाता र्मंत्रॐ धंू धंू सः ह्रीं धुमा�वितये फ7 नारिरयल, कपूर � पान दे�ी को अर्पिप{त करेंकाली ष्टिर्मच�  से ह�न करें रुद्राक्ष की र्माला से 7 र्माला का र्मंत्र जप करें3) दे�ी धूर्मा�ती का ऋण र्मोचक र्मंत्रॐ धंू धंू ह्रीं आं हुम  दे�ी पूजा हेतु भ�र्म अर्पिप{त करें 

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दे�ी को ��त्र �  इलायची सर्मर्पिप{त करें रुद्राक्ष की र्माला से 5 र्माला का र्मंत्र जप करेंविकसी बृक्ष के विकनारे बैठ कर र्मंत्र जाप से �ीघ्र फल ष्टिर्मलता है सफेद रग का ��त्र आसन के रूप र्में रखें या उनी कम्बल का आसन रखें उत्तर दिद�ा की ओर र्मुख रखें खीर प्रसाद रूप र्में चढ़ाएं4) दे�ी धूर्मा�ती का सौभाग्य बध�क र्मंत्रॐ ऐं ह्रीं धंू धंू धुमा�वितये ह्रीं ह्रीं स्�ाहा दे�ी को पान अर्पिप{त करना चाविहए रुद्राक्ष की र्माला से 5  र्माला का र्मंत्र जप करेंएकांत र्में बैठ कर र्मंत्र जाप से �ीघ्र फल ष्टिर्मलता है सफेद रग का ��त्र आसन के रूप र्में रखें या उनी कम्बल का आसन रखें पू�� दिद�ा की ओर र्मुख रखें पेठा प्रसाद रूप र्में चढ़ाएं5) दे�ी धूर्मा�ती का ग्रहदोष ना�क र्मंत्रॐ ठ: ठ: ठ: ह्रीं हुम स्�ाहा   दे�ी को पंचार्मृत अर्पिप{त करेंरुद्राक्ष की र्माला से 6 र्माला का र्मंत्र जप करेंदे�ी की र्मूतj के विनकट बैठ कर र्मंत्र जाप से �ीघ्र फल ष्टिर्मलता है सफेद रग का ��त्र आसन के रूप र्में रखें या उनी कम्बल का आसन रखें उत्तर दिद�ा की ओर र्मुख रखें नारिरयल प्रसाद रूप र्में चढ़ाएंदे�ी की पूजा में सा�धाविनयां � विनषेध-विबना "धूम्रशि��" की पूजा के र्महावि�द्या शिछन्नर्म�ता की साधना न करें लाल ��त्र दे�ी को कभी भी अर्पिप{त न करें साधना के दौरान अपने भोजन आदिद र्में गु9 � गन्ने का प्रयोग न करें दे�ी भM ध्यान � योग के सर्मय भूष्टिर्म पर विबना आसन कदाविप न बैठें  पूजा र्में कल� dाविपत न करें    वि�शेष गुरु दीक्षा-र्महावि�द्या धूर्मा�ती की अनुकम्पा पाने के शिलए अपने गुरु से आप दीक्षा जरूर लें आप कोई एक दीक्षा ले सकते हैंधूर्मा�ती दीक्षा संकटा दीक्षा अनादी दीक्षा गुह्य दीक्षा स��ना9ी दीक्षाभूचरीतेज दीक्षा रूक्षा  दीक्षा र्मारण दीक्षा �ून्य दीक्षा कच्छप दीक्षा.................आदिद र्में से कोई एक 

-कौला4तक पीठाधीश्वरमहायोगी सत्ये4द्र नाथ