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    गति-स्थित्यपुग्रहमौ धर्माधर्ायमोरुपकमरः॥17॥

    गति औमौर स्थिति र्ोें तिमर्त्त हमोिम यह क्रर् सो धर्ा औमौर औधर्ा द्रव् य कम उपकमर हौ ॥17॥

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    उपग्रहऔिुग्रह, उपकमर कमोउपग्रह कहिो हौें

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    धर्ा औमौर औधर्ा द्रव्य कम उपकमर

    जीव औमौर पुद् गल को गर्ि औमौर स्थिति र्ोें सहमयक

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    क्षोत्र सो क्षोत्रमेंिर प्रमप् ि हमोिो कमो गति कहिो हौें ꠰

    जौसो

    र्छमलयमोें को गर्ि कम समधिभिू जल हौ

    वौसो

    गति-क्रक्रयमवमि जीव औमौर पुद ̖गलमोें को गतिक्रक्रयम कम समधिभिू धर्ाद्रव् य हौ

    गति

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    गतिपवूाक क्षोत्र र्ोें ठहरिो कमो स्थिति कहिो हौें ꠰

    जौसो

    पमिक जिमोें को ठहरिो कम समधिभिू छमयम हौ

    वौसो

    थ िमि-क्रक्रयमवमि जीव औमौर पुद ̖गलमोें को थ िमि-क्रक्रयम कम समधिभूि औधर्ाद्रव् य हौ

    स्थिति

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    ,

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    औधर्ा द्रव्यगतिपूवाक स्थिति-रूप पररणर्ो

    द्रव्यमोें की

    स्थिि द्रव्यमोें की स्थिति र्ोें िहीें ।

    स्थिति र्ोें सहमयक हमोिम हौ,

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    गर्ि करिोवमलमोें कमो गर्ि र्ोें र्मगा कमरण हौ

    जौसो

    जीव पुद् गलकमो गति र्ोें धर्ा द्रव् य

    वौसो

    कमरण हौ

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    ठहरिो वमलमोेंकमो रुकिो र्ोें औमसि कमरण हौ

    जौसो

    जीव पुद् गलकमो स्थिति र्ोें औधर्ा द्रव् य

    वौसो

    कमरण हौ

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    यो द्रव्य थ वयें गर्िमदद करिो द्रव् यमोें कमो कमरण हौ

    यो प्रोरक हमो गर्िमदद िहीें करमिो

    जहम धर्मादद हमोिो हौें, वहीें जीव-पुद् गल गर्िमदद करिो हौें, यही तिमर्त्तरूप कमरणपिम हौ ꠰

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    जीव पुद् गल थवयें गति औमौर स्थिति र्ोें सर्िा हौें औि: औमौर औधर्ा द्रव्य सो क्यम प्रयमोजि हौ?

    जजस प्रकमर ससद्ध भगवमि और्ूिा, तिष्क्रिय औमौर औप्रोरक हमोिो पर भी सक्रवकल्प ससद्ध भमि युि ऐोसो जीवमोें कमो ससद्धगति को सहकमरी कमरण हौें

    उसी प्रकमर और्ूिा, तिष्क्रिय औमौर औप्रोरक हमोिो पर भी औपिो उपमदमि कमरण सो गति औमौर स्थिति करिो हुऐ जीव औमौर पुद्गलमोें कमो सहकमरी कमरण हौें ।

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    औमकमश कमो गति, स्थिति कमकमरण र्मि लोें िमो क्यम हमति हौ?

    यदद औमकमश कमो गति, स्थिति कम कमरण र्मि लोेंगो िमो जीव औमौर पुद्गलमोें की औलमोकमकमश र्ोें भी गति औमौर स्थिति र्मििी पड़ ोगी ।

    यदद औलमोकमकमश र्ोें जीव औमौर पुद्गलमोें की गति औमौर स्थिति हमोगी िमो लमोक औमौर औलमोक को क्रवभमग कम औभमव हमो जमऐगम ।

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    औमकमशथयमवगमहः॥18॥

    औवगमह दोिम औमकमश कम उपकमर हौ॥18॥

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    औवगमह

    औमकमश र्ोें रहिो कमो औवगमह कहिो हौें ꠰

    जौसो

    तिवमस करिो वमलमोें को रहिो कम समधिभिू घर हौ

    वौसो

    औवगमह-क्रक्रयमवमि जीवमदद को औवगमह क्रक्रयम कम समधिभिू औमकमश हौ

    धर्मादद द्रव् य र्ोें औवगमह क्रक्रयम उपचमर सो कही हौ ꠰

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    रहिो र्ोें र्कमि कमरण हौ

    जौसो

    छह द्रव् यमोें को औवगमह र्ोें औमकमश द्रव् य

    वौसो

    कमरण हौ

    तिवमस करिोवमलमोें कमो

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    क्रक्रयमवमि जीव औमौर पुद् गलमोें कमो औवकमश दोिम िमो ठीक हौ क्रकन्िु धर्मादद द्रव्य िमो कहीें औमिो जमिो िहीें हौ,

    औिमदद कमल सो जहमें को िहमें स्थिि हौें औि: औमकमश उिकमो औवगमह िहीें दोिम हौ?

    ▪ धर्ा औधर्ा द्रव्य र्ोें औवगमह रूप क्रक्रयम यद्यक्रप िहीें हौ क्रिर भी वो सर्थ ि लमोकमकमश र्ोें व्यमप् ि हौें इससमलयो उपचमर सो उन्होेंऔवगमही कह ददयम हौ ।

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    औमकमश कम उपकमर

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    शरीर-वमङ्मिःप्रमणमपमिमः पुद् गलमिमर््॥19॥

    शरीर, वचि, र्ि औमौर प्रमणमपमि — यह पुद् गलमोें कम उपकमर हौ॥19॥

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    उपयुाि सभी पुद् गल कम जीव पर उपकमर तिमर्त्तरूप हौें ।

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    सूत्र र्ोें शरीर कम औमदद र्ोें क्यमोें ग्रहण क्रकयम हौ?

    शरीर को हमोिो पर ही वचिऔमदद की प्रवृत्तत्त दोखी जमिी

    हौ ।

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    शरीर को बमद वचि कम क्यमोें ग्रहण क्रकयम हौ?

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    र्ि कमो वचि को बमद क्यमोें ग्रहण क्रकयम हौ?

    जजस को वचि हमोिम हौ उसी को र्ि हमो सकिम हौ ।

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    सवा सेंसमरी जीवमोें कम कमया हमोिो सो

    औेंि र्ोें श्वमसमोच्छवमस कमो ग्रहण क्रकयम हौ ।

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    सुखदःुख-जीक्रवि-र्रणमोपग्रहमश्च॥20॥

    सुख, द:ुख, जीक्रवि औमौर र्रण पुद् गगलमोें को उपकमरहौें॥20॥

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    पुद् गल कम पुद् गल पर उपकमर

    जौसो जलमदद कमो किकिल, लमोहो कमो जल

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    परथपरमोपग्रहमो जीवमिमर््॥21॥

    ▪ परथ पर तिमर्त्त हमोिम यह जीवमोें कम उपकमर हौ॥21॥

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    पहलो बिमयो सुख-दःुख, जीवि-र्रण भीजीवकृि उपकमर हमोिो हौें ।

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    विािम-पररणमर्-क्रक्रयम: परत्वमपरत्वो च कमलथय॥22॥

    विािम, पररणमर्, क्रक्रयम, परत् व औमौर औपरत् व — यो कमल को उपकमर हौें॥22॥

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    सवा द्रव् यमोें कमो विािम क्रक्रयम कम समधिभिू कमल द्रव् य हौ ꠰

    जौसो

    कुम्हमर कम चमक चक्र कमो घुर्िो र्ोेंसहकमरी हौ

    वौसो

    सर्थि औन्य द्रव्य को पररणर्ि र्ोें कमल द्रव्य सहकमरी हौ

    विािम (पररणर्ि)

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    कुम्हमर कोचमक कमो घुर्िो र्ोें क्रकली कमरण हौ

    जौसो

    द्रव् यमोें को विाि र्ोें कमल द्रव् य

    वौसो

    कमरण हौ

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    विािम

    प्रत्योक द्रव्यपयमाय र्ोें औेंििीाि ऐक सर्य वमली थवसत्तम की औिुभतूि विािम हौ

    थवसत्तम = उत्पमद व्यय ध्मौव्य

    औपिो औपिो उपमदमि कमरण सो थवयें पररणर्ि करिो हुऐ पदमिमोों को पररणर्ि र्ोें जमो सहकमररिम हौ उसो विािम कहिो हौें ।

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    विािम कमो सवाप्रिर् क्यमोें ग्रहण क्रकयम?

    तिश्चय कमल की प्रतिपत्तत्त विािमपूवाक ही हमोिी हौ ।

    विािम पूज्य हौ ।

    विािम को तिमर्त्त सो हमोिो वमलो पररणमर् औमदद व्यवहमर कमल को मचह्न हमोिो सो विािम को सर्मि पूज्य िहीें हौें ।

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    सूया की गति सो विािम कमो र्मििम चमहहऐ, कमल सो िहीें?

    द्रव्यमोें की विािम र्ोें सूया की गति कमरण िहीें हौें क्यमोेंक्रक

    सूया की गति र्ोें भी विार्मि, भूिमदद व्यवहमर की क्रवषयभूि क्रक्रयम र्ोें विािम दोखी जमिी हौ

    जजसकम होिु कमल द्रव्य हौ ।

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    पररणमर्

    ऐक धर्ा की तिवृत्तत्त करको दसूरो धर्ा को पौदम करिो रूप औमौर पररथपेंद सो रहहि द्रव्य की जमो पयमायोें हौें

    उन्होें पररणमर् कहिो हौें

    जौसो जीव को क्रमोधमदद औमौर पुद्गल को वणमादद ।

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    क्रक्रयम कम पररणमर् र्ोें ही औेंिभमाव हमो जमिम हौ औि: को वल पररणमर् कम ही तिदोाश करिम चमहहऐ ?

    द्रव्य को भमव 2 प्रकमर को हौें

    पररथपन्दमत्मक कमो क्रक्रयम कहिो हौें औमौर

    औपररथपन्दमत्मक कमो पररणमर् कहिो हौें

    औमौर इि दमोिमोें भमवमोें र्ोें कमल तिमर्त्त हौ इसीमलऐ क्रक्रयम कम पृिक ग्रहण क्रकयम हौ

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    परत्वमपरत्व औिोक प्रकमर कमहमोिम हौ, यहमाँकमौि सम ग्रहणकरिम चमहहऐ?

    क्षोत्र, गुण औमौर कमलकृि र्ोें यहमाँ कमल कृि परत्वमपरत्व ग्रहण

    करिम चमहहऐ ।

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    पररणमर्मदद कमो िहीें कहिम चमहहऐ क्यमोेंक्रक यो विािम को ही क्रवकल्प हौें ?

    दमो प्रकमर को कमल कम औष्क्थ ित्व बिमिो को मलऐ पररणमर् औमदद कमो

    ग्रहण क्रकयम हौ ।

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    कमल द्रव्य कम थवरूप क्यम हौ?

    वह कमल िमर्क पदमिा ि िमो थवयें पररणमर्ि हमोिम हौ औमौर ि औन्य कमो औन्य रूप सो पररणर्मिम हौ

    क्रकन्िु थवि: िमिम प्रकमर को पररणमर्मोें कमो प्रमप्त हमोिो वमलो पदमिमोों कम कमल थवयें होिु हमोिम हौ ।

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    थपशा-रस-गेंध-वणावन्िः पुद् गलमः॥23॥

    थ पशा, रस, गन् ध औमौर वणावमलो पुद् गल हमोिो हौें॥23॥

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    पुद् गल को गुण

    थ पशा (8)

    कमोर्ल-कठमोर भमरी-हल् कम ठेंड़म-गर्ा रूखम-मचकिम

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    रसिीखम

    कड़ वम

    कषमयलम

    खट्टम र्ीठम

    गेंध (2)

    सुगेंध दगुोंध

    पुद् गल को गुण

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    वणा (5)

    पीलमिीलमलमलसिो द कमलम

    पुद् गल को गुण

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    सवाप्रिर् थपशा कमो क्यमोें ग्रहण क्रकयम?

    थपृष्टग्रमही इष्क्न्द्रयमोें र्ोें थपशा की औमभव्यमि शीघ्र हमोिी हौ वम

    सवाप्रिर् थपशा कम ही ग्रहण हमोिम हौ ििम

    सभी सेंसमरी जीवमोें को यह ग्रहण यमोग्य हमोिम हौ

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    थपशा को बमद रस कम ग्रहण क्यमोें क्रकयम?

    थपशा को हमोिो पर ही रस कमव्यमपमर हमोिम हौ

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    औचमक्षुष हमोिो सो गेंध कमो रस को बमद ग्रहण कर वणा कमो औेंि र्ोें

    ग्रहण क्रकयम ।

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    शब्द-बन्ध-समौक्ष्मम्य-थिमौल्य-सेंथिमि-भोद-िर्श्छमयमिपमोद्यमोिवन्िश्च॥24॥

    ििम वो शब्द, बन्ध, सूक्ष्ममत्व, थिूलत्व, सेंथिमि, भोद, औन्धकमर, छमयम, औमिप औमौर उद्यमोिवमलो हमोिो हौें ॥24॥

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    शब्दमदद पुद् गल सो पृिक हौें यम औपृिक?

    द्रव्य दृष्टष्ट सो पुद् गल कम ही शब्द रूप सो

    पररणर्ि हमोिो को कमरण किेंमचि् औमभन्न हौें ।

    पयमाय दृष्टष्ट सो किेंमचि् पुद् गल सो मभन्न हौें औमौर

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    शब्दजमो कणा इष्क्न्द्रय सोसुिम जमयजजसको द्वमरम औिा कहम जमिम हौ, व कहिम र्मत्र शब्द कहलमिम हौ

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    •र्िुरय व्यवहमर र्ोें औमिो वमली औिोक बमोमलयमाँऔक्षरमत्मक

    • 2 इष्क्न्द्रय सो औसेंज्ञी पेंचोष्क्न्द्रय जीवमोें को र्ुख सो उत्पन्न हुईभमषम ििम बमलक औमौर र्ूक सेंज्ञी पेंचोष्क्न्द्रयमोें की भमषम

    •र्िुरयमोें को सेंको ि वचि• ददव्यध्वति

    औिक्षरमत्मक

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    बेंध

    •थवभमव ही जजसकम प्रयमोजि हौ, जजसर्ोें पुरुष कम प्रयमोग औपोसक्षि िहीें हौ ।वौस्रससक

    •पुरुष को कमय, वचि औमौर र्ि को सेंयमोग कमो प्रयमोग कहिो हौें औि: जमो बेंध पुरुष को प्रयमोग सो हमोिम हौ वह प्रमयमोगगक कहलमिम हौ ।

    प्रमयमोगगक

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    सूक्ष्मम

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    को चीरना

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    दृष्टष्ट कम प्रतिबेंधक कमरणजजसको हमोिो पर चकु्षबमह्य वथिु कमो दोखिो र्ोें औसर्िा हमो जमिी हौ, उसो िर् कहिो हौें ।

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    सूया को तिमर्त्त सो उरण प्रकमश हमोिम हौ,

    उसो औमिप कहिो हौें ।

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    चेंद्रर्णण, जुगुिू औमदद कोतिमर्त्त सो जमो प्रकमश हमोिम हौ,

    उसो उद्यमोि कहिो हौें ।

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    यदद थपशा, रस औमदद औमौर शब्द, बेंध औमदद पुद् गल को ही पररणमर् हौें िमो इि दमोिमोें सूत्रमोें कमो (23-24) कम ऐक यमोग

    करिम चमहहऐ?

    थपशमादद परर्मणऔुमोें को भी हमोिो हौें औमौर थकें धमोें को भी हमोिो हौें परन्िु

    समौक्ष्मम्य कमो छमोड़ कर शब्दमदद व्यि रूप सो थकें धमोें को ही हमोिो हौें

    इस बमि कम ज्ञमि करमिो को मलऐ पृिक सूत्र बिमयम गयम हौ ।

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    क्यम पुद्गल की औमौर भी कुछ पयमाय हौें?

    ▪जमो भी शोष पुद्गल की पयमाय हौें वो ‘च’ शब्द को द्वमरम ग्रहण कर लोिम चमहहऐ ।

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    औणवः थकन्धमश्च॥25॥

    पुद् गल को भोद औणु औमौर थ कन् ध हौें॥25॥

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    पुद् गल को भोद

    परर्मणुथकें ध

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    परर्मणु –

    जजसकम औमदद, र्ध्य औमौर औेंि ऐक हौ, जजसकमो इष्क्न्द्रयमाँ ग्रहण िहीें कर सकिी हौें ऐोसम पुद् गल कम सबसो छमोटम औक्रवभमगी औेंशथकें ध –

    दमो यम दमो सो औष्टधक परर्मणऔुमोें कम सर्ूह

    पुद् गल

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    परर्मण ुर्ोें2 ही थपशागुण क्यमोेंहमोिो हौें? ऐोसम थवभमव ही हौ ।

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    औत्येंि सूक्ष्मम परर्मणु कम औष्क्थ ित्व कौ सो जमिम जमिम हौ?

    परर्मणऔुमोें को औभमव र्ोें शरीर, इष्क्न्द्रय औमदद लक्षण कमया कम प्रमदभुमाव िहीें हमो सकिम

    औि: शरीरमदद थकें धरूप कमयमोों सो परर्मणु कम औष्क्थित्व ससद्ध हौ ।

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    थकें ध र्ोें ऐक समि रूपमदद की 20 पयमाय

    हमो सकिी हौें ।

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    पुद्गल भोद

    1.थिलू-थिूल

    2.थिलू

    3.थिलू-सूक्ष्म म

    4.सूक्ष्म म-थिूल

    5.सूक्ष्म म

    6.सूक्ष्म म-सूक्ष्म मपुद् गल को औन्य

    प्रकमर सो भोद

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    पुद् गल द्रव्य को भोद

    थिूल-थिलूठमोस पदमिा

    छोदि, भोदि ऐवें औन् य जगह लो जमिो को यमोग् य हमो

    लकड़ ी, पत् िर, पृथ् वी

    थिूलद्रव पदमिा

    छोदि, भोद को यमोग् य ि हमो

    औन् यत्र लो जमिो यमोग् य हमो

    जल, िोल

    थिूल-सूक्ष्म मिोत्र सो ददखो पर पकड़ र्ोें

    ि औमयो

    छमयम, प्रकमश

    थ वरूप

    दृर टमेंि

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    पुद् गल द्रव्य को भोद

    सूक्ष्म म-थिलूिोत्र को क्रबिम शोष 4 इष्क्न्द्रयमोें को क्रवषय

    वमयु, रस, सुगेंध, ध् वति

    सूक्ष्म मइष्क्न्द्रयमोें सो ग्रहण ि हमो

    परर्मवष्टध, दोशमवष्टध गमोचर हमो

    कमर्ाण वगाणम

    सूक्ष्म म-सूक्ष्म मथ कें ध औवथ िम सो रहहि

    सवमावष्टध गमोचर हमो

    परर्मणु

    थ वरूप

    दृर टमेंि

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    भोद-सेंघमिोभ्य उत्पद्यन्िो॥26॥ ▪ भोद सो, सेंघमि सो ििम भोद औमौर सेंघमि दमोिमोें सो थ कन् ध उत् पन् ि हमोिो हौें॥36॥

    भोदमदणुः॥27॥▪ औणु भोद सो उत् पन् ि हमोिम हौ॥27।

    भोदसेंघमिमभ् यमें चमक्षुषः॥28॥▪ भोद औमौर सेंघमि सो चमक्षुष थ कन् ध बििम हौ॥28॥

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    थकन्धमदद की उत्पत्तत्त को कमरण

    थकें ध

    भोद

    औलग हमोिम

    सेंघमि

    मर्लिम

    भोद – सेंघमि

    दमोिमोें ऐक समि

    परर्मणु

    भोद सो ही

    चमक्षषु थकें ध

    भोद-सेंघमि सोही

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    सूत्र 26 सो ही औणु की उत्पत्तत्त की कमरणभोद ससद्ध हमोिम हौ औि: भोदमदमणु: यह सूत्र तिरिाक हौ?

    औणु की उत्पत्तत्त भोद सो ही हमोिी हौ ;

    ि सेंघमि सो हमोिी हौ ि ही भोद सेंघमि सो हमोिी हौ

    यह तियर् बिमिो को मलऐ औलग सो सूत्र बिमयम

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    भोद औमौर सेंघमि दमो हौें औि: सूत्र र्ोें हद्ववचि कम ग्रहण करिम चमहहऐ?

    िीि कम सेंग्रह करिो को मलऐ सूत्र र्ोें बहुवचि कम तिदोाश ददयम हौ ।

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    सद् द्रव्य-लक्षणर्॥्29॥

    ▪ द्रव् य कम लक्षण सि् हौ॥29॥

    उत्पमद-व्यय-ध्मौव्य-यिुें सि्॥30॥

    ▪ जमो उत् पमद, व् यय औमौर ध्मौव् य इि िीिमोें सो युि औिमाि् इि िीिमोेंरूप हौ वह सि् हौ॥30॥

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    सि् क्यम हौ?

    जमो इष्क्न्द्रय को द्वमरम ग्रमह्य हौ यम औिीष्क्न्द्रय हौ,

    ऐोसम बमह्य पदमिा औमौर औभ्येंिर तिमर्त्त की औपोक्षम उप्तमद,व्यय औमौर ध्मौव्य कमो प्रमप्त हमोिम हौ वह समि हौ

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    सि्उत्पमद

    िवीि पयमाय कीउत्पत्तत्त

    व्यय

    पूवा पयमाय कमक्रविमश

    ध्मौव्यप्रत्यममभज्ञमि की कमरणभिू द्रव्य

    की क्रकसी औवथिमकी तित्यिम

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    द्रव्य औगर

    उत्पमद थवरूप ही हमो

    िमो औसि् कम उत्पमद हमो

    मर्टटी क्रबिम घट कीउत्पत्तत्त हमो

    व्यय थवरूप हीहमो िमो

    क्रवश्व शून्यिम कमो प्रमप्त हमो

    घट को िमश पर मर्टटी कम िमश हमो

    ध्मौव्य थवरूप ही हमो िमो

    प्रत्यक्ष सो क्रवरमोध हमो, क्यमोेंक्रक औवथिम बदलिी

    ददखमई दोिी हौ

    मर्टटी की औवथिमघट रूप ि हमो

    उत्पमद व्यय रूप ही हमो िमो

    ध्मौव्य क्रबिम दमोिमोें कम र्ोल कौ सो हमो

    मर्टटी को क्रपण्ड़ औमौर घट को औमधमर रूप मर्टटी िहमो, िमो वो दमोिमोें भी िहीें

    हमो सकिो

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    द्रव्य उत्पमद व्यय सो मभन्न हौ की औमभन्न ?

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    द्रव्यिीि रूप (भोद सो)

    उत्पमद – व्यय – ध्मौव्य

    लक्ष्मय औमौर लक्षण कम भोद हौ

    िमर्, सेंख्यम, थवरूप, प्रयमोजि सो

    भोद

    ऐक रूप (औभोद सो)

    सि रूपउत्पमद-व्यय-ध्मौव्य पृिक िहीें हमो सकिो, इसीमलऐ

    ऐक हौें

    उत्पमद-व्यय-ध्मौव्य प्रदोशमोें सो ऐक हौें

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    सत्तम

    र्हमसत्तमसमदृश्य औष्क्थित्व

    जमो भी हौ सब सिरूप ही हौ

    औवमेंिर सत्तमथवरूप औष्क्थित्व

    जी भी हौ, वह औपिो औपिोमभन्न मभन्न थवरूप सो हौ

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    उत्पमद-व्यय-ध्मौव्य ऐक सर्यविीा हौें यम मभन्न सर्यविीा?

    ऐक सर्यविीा

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    िद् भमवमव्ययें तित्यर््॥31॥

    उसको भमव सो (औपिी जमति सो) च् युि ि हमोिम तित् य हौ॥31॥

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    तित्य

    िद् भमव

    जजस वथिु कमजमो भमव हौ

    कम

    उससो

    औव्यय

    च्युि ि हमोिम

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    जब प्रत्योक वथिु पररविािशील हौ िमो क्रिर वह तित्य कौ सो हौ?

    तित्य कम र्िलब यह िहीें हौ क्रक जमो वथिु जजस रूप र्ोें हौें सदम उसी रूप र्ोें बिी रहो औमौर उसर्ोें कुछ भी पररणर्ि ि हमो

    क्रकन्िु पररणर्ि हमोिो हुऐ भी उसर्ोें ऐोसी ऐकरूपिम कम बिम रहिम जजससो उसकी पहहचमि हमो वही तित्यिम हौ

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    िद् भमव कम व्यय िहीें हमोिम तित्य हौ िमो द्रव्य कूटथि हमो जमऐगम?

    सवािम तित्य हमोिो पर कूटथि हमोिो कम प्रसेंग औमिम हौ

    किेंमचि् तित्य हमोिो पर सवािम कूटथि कम प्रसेंग िहीें औमिम हौ ।

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    औक्रपािमिक्रपािससद्धोः॥32॥

    र्ुख् यिम औमौर गमौणिम की औपोक्षम ऐक वथ िु र्ोें क्रवरमोधी र्मलूर् पड़ िोवमलो दमो धर्मोों की ससणद्ध हमोिी हौ॥32॥

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    थयमद् वमद शौली

    औक्रपाि

    र्ुख्य

    औिक्रपाि

    गमौण

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    वथिु औिोक धर्ा वमली हौ

    जजसको सभी धर्मोों कम किि ऐक समि िहीें क्रकयम जम सकिम हौ

    ऐक सर्य र्ोें ऐक ही धर्ा कम किि क्रकयम जम सकिम हौ

    औि: ऐक धर्ा कमो र्ुख्य ऐवें औन्य धर्मोों कमो गमौण करको किि क्रकयम जमिम हौ

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    स्निग्धरूक्षत्वमद्बन्धः॥33॥

    स्निग् धत् व औमौर रूक्षत् व सो बन् ध हमोिम हौ॥33॥

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    • मचकिी (Smooth) औवथ िमष्क्थ ि ग् ध गुण•रुखी (Rough) औवथ िम रूक्ष गुण

    जौसो जल, बकरी कम दधू, गमय कम दधू, भौेंस कम दधू, ऊाँ टिी कम दधू, घी र्ोें मचकिमई (ष्क्थ ि ग् धिम) औष्टधक-औष्टधक हौ ꠰

    धूमल, बमलू, रोि, पत् िर औमदद र्ोें रूक्षिम हौ ꠰

    ऐोसो ष्क्थ ि ग् ध-रूक्ष गुण पुद् गल र्ोें पमऐ जमिो हौें ꠰

    इिको औेंशमोें कमो ही गुण कहम जमिम हौ ꠰

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    बेंध कौ सो हमोिम हौ?

    र्मत्र दमो परर्मणऔुमोें को सेंयमोग सो बेंध िहीें हमोिम हौ

    जब उिर्ोें रमसमयतिक प्रक्रक्रयम द्वमरम ऐकरूपिम हमोिी हौ िब बेंध हमोिम हौ ।

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    ि जघन् यगुणमिमर््॥34॥

    ▪ जघन् य गुणवमलो पुद् गलमोें कम बन् ध िहीें हमोिम॥34॥

    गुणसमम् यो सदृशमिमर्॥्35॥

    ▪ गुणमोें की सर्मििम हमोिो पर िुल् य जमतिवमलमोें कम बन् ध िहीें हमोिम॥35॥

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    द्व ्यष्टधकमददगुणमिमें िु॥36॥

    ▪ दमो औष्टधक औमदद शक् त् येंशवमलमोें कम िमो बन् ध हमोिम हौ॥36॥

    बन् धोऽष्टधकमौ पमररणममर्कमौ च॥37॥

    ▪ बन् ध हमोिो सर्य दमो औष्टधक गुणवमलम पररणर्ि करमिोवमलम हमोिम हौ॥37॥

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    इस प्रकमर सो ऐक-ऐक गुण बढ़ मिो हुऐ सेंख् यमिगणु, औसेंख् यमिगुण, औिेंि-गणुरूप ष्क्थ ि ग् ध िक जमििम ꠰

    इसी प्रकमर रूक्ष भी ऐक गुण सो औिेंि गुण िक सर्झिम चमहहऐ ꠰

    सबसो जघन् य ष्क्थ ि ग् धत् व

    ऐक गुण ष्क्थ ि ग् ध

    इससो 1 गुण औष्टधक ष्क्थ ि ग् धत् व

    हद्वगुण ष्क्थ ि ग् ध

    इससो 1 गुण औष्टधक ष्क्थ ि ग् धत् व

    तत्रगुण ष्क्थ ि ग् ध

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    क्रकसकम क्रकस सो बेंध?

    •2 गुण औष्टधक हमोिो परष्क्थ ि ग् ध कम ष्क्थ ि ग् ध सो बेंध

    •2 गुण औष्टधक हमोिो पररूक्ष कम रूक्ष सो बेंध

    •2 गुण औष्टधक हमोिो परष्क्थ ि ग् ध-रूक्ष कम परथ पर बेंध

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    जघन्य गुण वमलो पुद् गल कम बेंध?

    ऐक गुण ष्क्थ िग्ध कम क्रकससो बेंध हमोगम?• क्रकसी सो भी िहीें

    ऐक गुण रूक्ष कम क्रकससो बेंध हमोगम?• क्रकसी सो भी िहीें

    •क्यमोेंक्रक जघन्य गुणवमलो परर्मणु कम बेंध कभी िहीें हमोिम हौ ।क्यों?

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    क् यम हर्ोशम ही बेंध कमो प्रमप् ि िहीें हमोिम ?

    जब औेंिरेंग-बहहरेंग कमरणमोें सो

    जघन् य गुण छमोड़ कर

    2, 3 औमदद गुणमोें कमो प्रमप् ि करिम हौ,

    िब बेंध यमोग् य हमो जमिम हौ ꠰

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    बेंध हमोिो पर जजसको गुण औष्टधक हौें, वह हीि गुणवमलो कमो औपिो सर्मि कर लोगम꠰

    हीि गुणवमलम औष्टधक गुणवमलम हमो जमिम हौ ꠰

    यिम 53 गुणवमलम थ कें ध 55 गुणवमलो थ कें ध सो बेंधम, िमो दमोिमोें औब 55 गुणवमलो थ कें ध हमो गऐ हौें ꠰

    ध् यमि रहो―ष्क्थ ि ग् ध सो रूक्ष बिो, ऐोसम जरूरी िहीें हौ ꠰ गुण सदृश हमोिम यह औतिवमया हौ ꠰

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    ➢ Reference : ित्त्वमिार्ञ्जषूम ,गमोम्मटसमर जीवकमण्ड़, गमोम्मटसमर जीवकमेंड़ -रोखममचत्र ऐवें िममलकमऔमोें र्ोें, ित्त्वमिासतू्र - रोखममचत्र ऐवें िममलकमऔमोें र्ोें

    Presentation developed by Smt. Sarika Vikas Chhabra

    ➢ For updates / feedback / suggestions, please contact➢ Sarika Jain, [email protected]➢ www.jainkosh.org➢ : 94066-82889

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