चाहत और - sahityasudha.com€¦ · करके हम अपनी स7नता...

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156 !या हम जो चाहते ह+ वह वह- है !जसक% हम( आव+यकता है ? अ"सर हम उससे अिधक चाहते ह, -जतने क0 हम2 आव#यकता होती है , और कभी कभी, चाहत और आव#यकता - "होना चा#हए" और "अव*य होना चा#हए" के बीच रेखा खींचनी मु#$कल होती है। यह (यान रखना ज़&र’ है *क ,विभ0न 1य,3य4 5ारा चाहत और ज&रत के बीच खींची गई रेखा मA बह अिधक िभ#नता होती है। हम सभी इस पर सहमत नह1ं ह3 4क 6या आव:यक है और 6या नह1ं है। इसी <कार, हम दािय%व और )वक+प के म/य मनमाने ढंग से एक रेखा खीं चते ह%। 90-अव#य चा’हए एक #य%& के िलए, एक #ांडेड आइटम का होना एक दािय2व या "अव#य होना चा*हए" माना जा सकता है , जब#क दूसरे के िलए, यह एक %वक’प या "होना चा#हए" होगा। जहाँ हम अपने "अव#य होने गतांक से आग

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    !या हम जो चाहते ह+ वह वह- है !जसक% हम( आवँयकता है?

    -

    अ"सर हम उससे अिधक चाहते ह, -जतने क0 हम2 आवँयकता होती है, और कभी कभी, चाहत और आवँयकता - "होना चा#हए" और "अवँय होना चा#हए" के बीच रेखा खींचनी म#ुँकल होती है। यह (यान रखना ज़&र' है *क ,विभ0न 1य,3य4 5ारा चाहत और ज&रत के बीच खींची गई रेखा मA बहुत अिधक िभ#नता होती है। हम सभी इस पर सहमत नह1ं ह3 4क 6या आवँयक है और 6या नह1ं है। इसी ूकार, हम दािय%व और )वक+प के म/य मनमाने ढंग से एक रेखा खींचते ह%।

    90-अवँय चा'हए

    एक #य%& के िलए, एक ॄांडेड आइटम का होना एक दािय2व या "अवँय होना चा*हए" माना जासकता है, जब#क दसूरे के िलए, यह एक %वक'प या "होना चा#हए" होगा। जहाँ हम अपने "अवँय होने

    गतांक से आगे

    http://www.sahityasudha.com

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    चा#हए" और "होने चा#हए" तथा "अवँय करना चा#हए" और "करना चा#हए" के बीच रेखा खींचते ह0, यह िनधा%&रत करता है ,क हम उस लआय को ूा5 करने के बाद कैसा महससू कर:गे।

    जीवन जो दािय*व+ से भरा हुआ है वह बहुतायत और ूस,नता क/ भावना से र2हत है। वे लोग जो खदु के िलए इतने ऊँचे मानदंड ःथा5पत कर लेते ह% &क उनके जीवन म. सब कुछ "अवँय होना चा*हए" या "अवँय करना चा*हए" है, उनको अपने मानक* से ऊपर उठने का अवसर शायद ह+ कभी िमलता है और वे ऐसी वकै'(पक चीज, करते ह1 जो उ4ह, ूस4नता और आन4द ूदान करती ह"। चाहे हम इसे पसंद कर/ या न कर#, ःपे$शम के दािय(व वाले छोर पर काय/ न केवल वकै23पक काय4 पर हावी हो जाते ह9 ब23क वे हमारे ूस#नता मापक पर+,ण से बच जाते ह3।

    इस उ$ेँय के )ैतवाद के /वचार या इसके ःपे'शम पर रेखाय. खींचने के अनेक अथ& ह( और ूस%नता पर कई अ&ययन) के अ+तु प#रणाम( को समझाने म/ मदद करते ह2।xi उदाहरण के िलए, िसंगापरु म* म"यवग&य प(रवार+ म, यह सामा/य बात है 3क प5ी अपने पित के हाथ+ को चमूे और उससे हर रात Aमा-याचना करे। साथ ह,, प"#याँ अपनी "ःथित से बहुत ूस4न होती ह6। हम9 आ;य< हो सकता है !क वे ऐसा करके कैसे संत)ु होती ह-। उ0ेँय3 का 5ैतवाद इस अवलोकन क) *या-या कर सकता है। जब हम 6कसी काय8 को #वक%प के बजाय दािय.व मानते ह3, तो हम जानबझूकर अपनी ूस#नता का मापक बंद कर देते ह0� हम# उन काय& को अवँय करना चा-हये 0य1-क हम उ3ह4 अपना कत'(य मानते ह- और उन काय1 को ःपे4शम के दािय%व छोर को िन,द-. करके हम अपनी ूस7नता को बरकरार रख सकते ह;।

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    !या हम &कसी दािय%व को )वक*प म- बदल सकते ह4? ःप# $प से, !जतने अिधक काय, हम ःपे1शम के दािय4व भाग को िन9द,: कर#गे, हमारे जीवन म*

    ूस#नता और संत+ु, उतनी ह0 कम होगी। काय$ को ःपे)शम के दािय.व भाग से हटाकर 6वक7प भाग को पनु: िन%द'( करने से साम/य 1प से हमार3 ूस/नता और संत8ु( म9 बढ़ोतर3 हो सकती है। पर#त,ु कई बार ऐसा होता है (क काय+ को दािय!व से %वक'प म* प"रवित'त करने के फलःव.प ूस1नता ूा3 नह5ं होती।

    91-ूाय$%& याऽा

    उदाहरण के िलए, कई बार हम (पछले अतीत म0 1कए गए 1कसी बरेु फैसले पर सोचते ह: और सोचते ह" #क म"ने ऐसा (य* +कया था? उस समय, हमने यह सोच कर फैसला /कया होगा %क यह (वश,ु -प से एक दािय'व है, ले#कन जब समय बीत जाता है या प1र3ःथितयाँ बदल जाती ह), तो हम #ःथित का पनुमू&'यांकन करते ह0 और एहसास करते ह* !क वाःतव म( वह काय$ एक &वक(प था। मलू /प से, हम उस काय$ को पनुः एक +वक-प के /प म1 िन3द$5 करते ह" #जसे पहले से ह& दािय+व के .प म0 परूा कर चकेु ह5। अब जब उस काय) को +वक-प मान िलया जाता है, तो वह हमारे ूस+नता मापक क/ समी$ा के अतंग%त आ जाता है, और य$द यह पर()ण म" सफलतापवू+क उ.ीण+ नह3ं होता है, तो यह एक अपराध भाव ला सकता है और हम% पछतावे के -ेऽ म% धकेल देगा।

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    एक #वक%प को एक कत)*य म- बदलने के बारे म- 5या राय है? कुछ लोग 'कसी भी भयानक काय$ को केवल दािय*व क+ तरह िन0द12 करके उिचत ठहरा सकते ह7,

    और #फर भी सामा*य जीवन जी सकते ह3 और अपनी ूस'नता को बरकरार रख सकते ह1। दसूर5 6ारा लाभ उठाये जाने के िलए भी कोई इन काय1 का पनुः-िन#द%&'करण करने क, कोिशश कर सकता है। इसका एक चरम उदाहरण है !कसी %य'( को !दये गये दािय/व को उससे कराने के िलये उसके मत को जबरदःती बदलना और #बना 'कसी भी #वचारशील म,ूयांकन के दसूर4 को वह काय7 करने के िलए मजबरू करना ।

    98-अवँय करना है

    पर#त ु, !कसी काय' को )वक+प के ःथान पर ःपे2शम के दािय7व वाले छोर को िन!द': कर देने से

    हमेशा ह& !वकट %ःथित क" संभावना पदैा नह'ं होती। एक /दन अपने काम पर जाते हुए सबुह रे/डयो पर म:ने एक संवाददाता को एक 105 वष#य %य&' के ज+म-दन पर सा4ा5कार करते हुए सनुा। सा4ा5कार एक तरणताल पर हो रहा था जहाँ यह स.जन दशक3 से रोजाना सबुह चार से छः बजे तक :यायाम करते आ रहे थे। $रपोट$र ने पछूा, "मझुे यह बताया गया है ,क आप इस पलू पर आने और &यायाम करने म+ एक -दन भी

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    नह#ं चकेू। *या यह सच है?" बढ़ेू आदमी ने जवाब -दया, "हाँ, मझुे एक भी ऐसा ,दन याद नह1ं है !जस $दन म( नह*ं आया।" !रपोट&र ने उ*साह से पछूा, "तो, आप वाःतव म( तरैना पसंद करते ह'गे?" आदमी ऊंची आवाज़ म+ बोला, "पसंद? मझुे इससे घणृा है! रोजाना जागना, जब म$ अपने गम* +बःतर

    म" रहना पसंद क,ँगा, और उसके बजाये ठंडे पानी म2 कूदूँ?" उ"ह$ने आगे कहा, "ले#कन मझुे हमेशा लगा #क यह मेरे िलए अ*छा है और आप 1व3ास कर6 या न कर6, इसी चीज़ ने मझुे +जंदा और ःवःथ रखा है। इसीिलये म) ऐसा करता हँू।"इसिलए, एक #वक%प को दािय,व समझना #बना लाभ के नह6ं होता। वाःतव म;, य"द हम जेरेमी बे+थम -ारा ूःता2वत "और अिधक अ9छा" के 2वचार पर "फर से गौर करA, तो यह पता चलता है 'क हम बहुत अ-छे काय" को अपने ःपे*शम के दािय0व भाग को िन4द56 करते ह:। हाल ह$ के 1967 म" "शॉली द)ुवधा" के अ0ययन के पनु: $यवःथापन म", 2011 म" िमिशगन ःटेट यिूनविस.ट/ के शोधकता'ओ ंके एक समहू ने दोबारा स4या6पत !कया !क 90.5% लोग अिनयं)ऽत गित से जा रह' शॉली के उस लीवर को खींच*गे जो उसका राःता ऐसे बदल* 6क भले ह9 एक ;य=> क? मBृय ुहो जाये पर पाँच लोग बच जाएँ।xxi हम# उसम$ गव' या ूस+नता ूा. नह0ं हो सकती, पर हम ऐसा केवल इसिलये कर/गे 1य23क हम सोचते ह' (क ऐसा करना ह. /यापक आधार पर ठ5क है।

    मेरा मानना है 'क हमारे *वक,प. और दािय3व. के बीच एक संतलुन होना चा'हए। न तो दािय3व. क" कमी और न ह) उनक" बहुतायत से हमार) ूस3नता म4 व7ृ8 होगी। सभी दािय?व@ म4 से, वह दािय'व !ज#ह% ःवयं-अनशुासन मान कर *वक,प से दािय2व को िन4द56 कर 4दया जाता है, उनका पालन करना सबसे अ"छा होता है )य+,क उनक0 उपल34ध संत9ु: और ूस>नता के िमौण मD पEर3णत होगी।

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    !या जब तक सभी दािय-व स/पणू3 नह6ं हो जाते तब तक ूस;नता का इंतजार करना होगा?

    माःलो क' ज)रत, के पदानबुम के अनसुार, उ"ेँय& के #ैतवाद का #वचार ूस)नता के #वचार के साथ अ%छ' तरह से ूित.विनत होता है। वाःतव म6, माःलो सोचता था *क हम जो कुछ करते ह2 वह परू6 तरह से हमार( ज़*रत+ को परूा करने क1 ओर कदम होता है, और उसके बाद ह+ हम -परािमड के आ2म-वःत$वक&करण के ःतर तक पहँुच सकते ह&। इसी ूकार, उ"ेँय& का )ैतवाद भी कहता है 1क ज़3रत5 - !ज#ह% हम दािय'व कह रहे ह, - ूस#नता या (वक+प- से पहले आती ह3। पर#त,ु माःलो के (परािमड और उ/ेँय2 के !ैतवाद के बीच दो ूमखु भेद ह3। पहला, उ"ेँय& के (ैतवाद म/, दािय%व' और *वक,प' के बीच कोई पवू5-िनधा%&रत रेखा नह,ं होती। हम 2य45गत तौर पर अलग-अलग रेखा खींचते ह- और जहाँ दािय4व समा8 होते ह" वहाँ से (वक*प श.ु हो जाते ह"। दसूरा, उ"ेँय& के (ैतवाद म/, हम# $वक'प चनुने से पहले या ूस2नता का अनभुव करने से पहले अपनी सभी ज-रत/ और दािय5व/ को परू9 तरह से संत

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    महससू कर सकते ह) । पर,त,ु साथ ह% साथ हम उस ू)बया म, अपने प1रवार के कुछ सदःय9 को देख कर वाःत%वक 'प से आनंद लेते ह)। इसिलए, प"रवार के पनुिम,लन म. भाग लेने से, हम एक मजेदार घटना म- जाने से ूस'नता महससू कर सकते ह. जब#क हम' अपना कत-.य परूा करने के िलए भी संत;ु< क= भावना महससू होती है।

    अब, म" इस %वषय पर +क "-या धन से ूस3नता खर6द6 जा सकती है?" !फर से आता हँू और देखते ह& 'क )या हम उ.ेँय0 के 1ैतवाद के 4वचार का उपयोग करके धन और ूस?नता के स@ब?ध को बेहतर ढंग से समझ सकते ह-। जसैा 2क म-ने पहले उ7लेख 2कया है, जो जीवन दािय*व+ से भरपरू होता है, वह बहुतायत और ूस,नता क/ भावना से र2हत होता है। जसैा &क पहले भी बताया गया है, धन हमार' कई ज़"रत% और दािय+व% को कम कर सकता है, !जससे हम और अिधक काय/ 0वक2प4 को िन7द/9 कर सकते ह; और अिधक ूस)नता ूा- कर सकते ह0।

    mailto: [email protected], [email protected]